Sir , sbse pahle to aap ye sunishchit kijiye ki aap jaldi soo rhe h yaa nhi . Aur sbse important aap iss chiz ka dhyaan rkhe ki aap raat me soone se 3 hrs pahle apna bhojan kr le rhe h aur saath hi saath bhojan aapka bahot halka hona chahiye raat ka plus aap apne dinn ka overall diet pr dhyaan se aaRead more
Sir , sbse pahle to aap ye sunishchit kijiye ki aap jaldi soo rhe h yaa nhi . Aur sbse important aap iss chiz ka dhyaan rkhe ki aap raat me soone se 3 hrs pahle apna bhojan kr le rhe h aur saath hi saath bhojan aapka bahot halka hona chahiye raat ka plus aap apne dinn ka overall diet pr dhyaan se aapko dinn me bhi santulit bhojan Krna h , n hi jyada n hi km …
Ab aaiye jaante h ki kya krne se aapko madad mil skti h subh me jaldi uthne me …..ye totally proved aur experienced method h
Try kren ki aap soone se 3 hrs pahle apna screenoff kr den, soone se 30min pahle aap music/by own meditate kre aur ek gehre dhyaan me jaaye ….
Aapko lage ki 30 min se jyada ho chuka h aur ab soona chahiye to soo jaiye bs soone se pahle ek affirmation kijiyega ki : mujhe subh me jaldi uthna h , mai kal pura dinn full energetic rhunga aur mai kal jaldi uthunga bhi …
Dhanyawad 🙏🙏🙏
~ aapka hi chhota bhai ( Aditya )
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नमस्कार, हमारे बहुत से भाई ये कहते हैं कि तीस दिन हमने ब्रह्मचर्य पालन किया, हमें तो कोई खास फर्क दिखा नहीं,तो आज हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है। तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करके कोई फायदा न मिलने पर आपकी स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है जैसे कोई इंसान तीस दिन बिना नमक के खाना खा ले और फिर सोच रहा हRead more
नमस्कार, हमारे बहुत से भाई ये कहते हैं कि तीस दिन हमने ब्रह्मचर्य पालन किया, हमें तो कोई खास फर्क दिखा नहीं,तो आज हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है।
तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करके कोई फायदा न मिलने पर आपकी स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है जैसे कोई इंसान तीस दिन बिना नमक के खाना खा ले और फिर सोच रहा हो, अब यह जादू कब होगा। असल में ब्रह्मचर्य पालन का प्रचार ऐसा होता है जैसे इससे जिंदगी में सब कुछ बदल जाएगा—मसल्स आ जाएंगी, बाल झड़ने बंद हो जाएंगे, सिक्स पैक एब्स अपने आप प्रकट हो जाएंगे और आप दुनिया के अगले सुपर हीरो बन जाएंगे। लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो स्वाभाविक रूप से इंसान सोचता है, “भाई, ये कौन सा खेल चल रहा है?”
पहले तो हम यह बात कर लेते हैं कि तीस दिन ब्रह्मचर्य पालन की हरकत कैसी रहती है आपकी। पहले हफ्ते में आपको लगेगा कि, “वाह, मैं दुनिया के सारे पापों से मुक्त हो गया हूं। अब तो मैं सीधे हिमालय पर जाकर सिद्धि प्राप्त करूंगा।” आप घर में इधर-उधर घूमते हैं जैसे आप कोई महान तपस्वी हैं। “नहीं भैया, अब मैं कोई भी काम करते वक्त विचलित नहीं होने वाला।” पहला हफ्ता तो जबरदस्त निकलता है। कोई अतरंगी ख्याल भी आता है तो आप उसे ऐसे टाल देते हैं जैसे उसने आपका बैंक बैलेंस चेक करने की कोशिश की हो। रोज सुबह उठकर आप सोचते हैं, “आज तो मेरा तेज बढ़ गया है, मेरे अंदर एक ऊर्जा का ज्वार उठ रहा है।” लेकिन असल में वो ऊर्जा कम और नींद ज्यादा होती है।
अब बात आती है दूसरे हफ्ते की। अब तक आपके मन में सवाल उठने शुरू हो जाते हैं, “भैया, यह हो क्या रहा है? मैं इतना कुछ छोड़ रहा हूं, लेकिन कुछ हासिल तो हो।” फिर आपको धीरे-धीरे एहसास होने लगता है कि ब्रह्मचर्य पालन सिर्फ मानसिक व्यायाम नहीं, बल्कि धैर्य का इम्तिहान भी है। और धैर्य? वो तो, भाई साहब, आपके पास उतना ही है जितना एक बिल्ली के पास दूध का कटोरा देखते वक्त होता है। फिर आप खुद को समझाते हैं, “अरे नहीं, यह सिर्फ एक शुरुआत है। महान तपस्वी ने भी पहले हफ्ते में आलस महसूस किया होगा।” और यहीं पर आपकी कॉमिक यात्रा शुरू होती है।
अब आता है तीसरा हफ्ता। अब तक आपका दिमाग भी मानो हनीमून पीरियड से बाहर आ चुका होता है। अब आप घर में जहां भी देखते हैं, वहां आपको विकर्ष नजर आता है। टीवी चालू करते ही अचानक से विज्ञापन में चॉकलेट खाने वाली मॉडल दिख जाती है। आप सोचते हैं, “अरे यार, ये चॉकलेट खाने वाली मॉडल का विज्ञापन ही क्यों बना? चॉकलेट तो वैसे भी नुकसान करती है।” रात में जब सोने जाते हैं तो दिमाग आपको याद दिलाता है, “तू कितने दिनों से ब्रह्मचारी बना हुआ है। कुछ मजा आ रहा है क्या? नहीं? तो चलो सोचते हैं।” बस यहीं से शुरू होती है मन के अंदर की महाभारत। अर्जुन आप हैं और आपका मन दुर्योधन जैसा है। वो आपको हर हालत में विचलित करने की कोशिश करता है।
फिर आता है चौथा हफ्ता। अब तो आप ऐसा महसूस करने लगते हैं जैसे आप खुद से लड़ाई लड़ रहे हैं। शरीर कहता है, “छोड़ो यार, अब ये ब्रह्मचर्य व्रत खत्म करो।” दिमाग कहता है, “नहीं, बस कुछ दिन और। तुम्हें फायदा मिलेगा।” और दिल? दिल तो हमेशा बगल में बैठकर हंस रहा होता है। आप सोचते हैं, “इतने दिनों तक मस्तिष्क पर ब्रेक लगाई। अब तो किसी दैवीय शक्ति का वरदान मिलेगा। कोई तीसरी आंख खुलेगी।” लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। आपके हाथ में होता है सिर्फ मोबाइल और उस पर नोटिफिकेशन आ रहा होता है, “पाँच प्रतिशत बैटरी बची है।”
फिर आप इंटरनेट पर ब्रह्मचर्य का सही फायदा सर्च करते हैं। लेकिन जो मिलता है वो सिर्फ कुछ फिलॉसॉफिकल बातें होती हैं। और आप देखते हैं कि असल में तो कुछ हुआ ही नहीं। फिर आप इस मुकाम पर पहुंचते हैं कि, “छोड़ो यार, चलो चलते हैं क्रोम ब्राउजर पर।” और ढूंढते हैं मियां खलीफा को। और फिर किसी खोपचे में जाकर कहानी शुरू हो जाती है।
लेकिन रुकिए। आपको ऐसी हरकत करने की कोई जरूरत नहीं है। आपको ब्रह्मचर्य का फायदा शायद नहीं दिखेगा, लेकिन मजा इस बात में है कि आप खुद को तीस दिन तक किसी चैलेंज में रख पाए। वैसे भी सुपर हीरो बनने का कोई कोर्स तो होता नहीं। और जो भी हो, चाहे फायदा मिले या न मिले, यह अनुभव हमेशा याद रहेगा।
तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने के फायदे मिलते हैं या नहीं, यह समझना ज़रूरी है। ब्रह्मचर्य के तीस दिनों के फायदे वैसे तो होते हैं, लेकिन ये फायदे सीधे तौर पर दिखाई नहीं देते। इसका कारण यह है कि ये फायदे कुछ ऐसे होते हैं जैसे कोई इंसान ग्रीन टी पीने के बाद सोच रहा हो कि अब एक महीने में उसे मार्वल का सुपर हीरो बना दिया जाएगा। असल में फायदे होते हैं, परंतु वे बहुत ही छोटे होते हैं। जैसे आपके दिमाग में थोड़ी शांति आना या फिर थोड़ा कम विचलित महसूस करना।
मगर, हम इंसान तो तुरंत सुपर पावर की उम्मीद करने लगते हैं कि, “भाई, तीस दिन हो गए, अब तो कोई चमत्कार हो जाए।” लेकिन ब्रह्मचर्य का असर कुछ ऐसा नहीं होता कि आप सुबह उठें और अचानक बौद्ध भिक्षु जैसा महसूस करें।
अब सवाल यह है कि फायदे कहां हैं? सोचिए, आप ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं और आपको लगता है कि, “अरे, मैंने तो अब तक दुनिया जीत ली है।” असल में आपका दिमाग आपको हल्का-फुल्का शांत करने के चक्कर में होता है। यह कुछ ऐसा है जैसे कोई इंसान बहुत दिनों तक मिठाई नहीं खाता और फिर उसे हल्की मिठास भी बहुत तीखी लगने लगती है। यही आपके साथ हो रहा है।
लेकिन फायदा है, यकीन मानिए। अब मान लीजिए कि आप तीस दिन तक सफल रहे और आपको कोई बड़ा सुपर पावर नहीं मिला, फिर भी फायदा हुआ। कैसे? आपके अंदर धैर्य आया है। अरे, वह भी तो एक फायदा है। अब सोचिए, अगर आप इस दौरान नेटफ्लिक्स की कोई वेब सीरीज़ देख रहे होते तो धैर्य कहां से आता?
एक और फायदा यह है कि आपको सेल्फ कंट्रोल मिला है। जैसे, आप अकेले घर में बैठे हैं और सोच रहे हैं कि पिज़्ज़ा ऑर्डर किया जाए। तभी आवाज आती है, “नहीं, मैं ब्रह्मचर्य पर हूं।” यही होता है सच्चा फायदा। हां, आपको मसल्स या सुपरपावर तो नहीं मिलीं, लेकिन आप पिज़्ज़ा से बच गए। इससे बड़ा फायदा और क्या होगा?
तो फायदा मिलता है, बस उसे ढूंढना पड़ता है। ये फायदे बाहरी नहीं होते, कोई चमत्कारी परिवर्तन की उम्मीद मत रखिए। असल में ब्रह्मचर्य आपको अपने आप पर काबू करना सिखाता है। यह कुछ ऐसा है जैसे ट्रेनिंग में बॉक्सर पहले महीनों तक पंचिंग बैग को मारते हैं और सोचते हैं, “यार, मैं किसी को क्यों नहीं गिरा पा रहा।” लेकिन वो ट्रेनिंग होती है।
ब्रह्मचर्य भी आपके मानसिक पंचिंग बैग को मारने जैसा है। फायदा दिखेगा नहीं, लेकिन असर होगा। और अगर आपको लगता है कि कोई फायदा नहीं हुआ, तो भाई साहब, हो सकता है आपको थोड़ा और समय देना पड़े। रोम भी एक दिन में नहीं बना था और ब्रह्मचर्य से मांसपेशियां भी एक दिन में नहीं बनेंगी। थोड़ा समय तो लगेगा।
आखिरकार, ब्रह्मचर्य के फायदे होते हैं, परंतु वे बहुत धीरे-धीरे आपकी जिंदगी में उतरते हैं। यह कुछ ऐसा है जैसे किसी ने चुपके से आपके नल में एक ऐसा फिल्टर लगा दिया हो, जो पानी की बूंद-बूंद को साफ कर रहा हो।
तीस दिनों के बाद आप कह सकते हैं, “यार, फायदा तो हुआ, बस वो टेलीविजन एड जैसा नहीं है जहां चमक-दमक हो।” तो हिम्मत रखिए। और अगर आप तीस दिनों में कोई सुपर पावर नहीं पा सके, तो सोचिए, कम से कम आपके पास मजेदार कहानियां और अनुभव तो हैं। जैसे, “यार, मैंने तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन किया और कोई सुपर हीरो तो नहीं बना, पर हां, अब पिज़्ज़ा से जरूर बच जाता हूं।”
तो भाइयों यही कहना चाहता हूँ,कि थोड़ा धैर्य रखना पड़ता है,तपना पड़ता है तब निखार आता है।
आज के लिए इतना ही शेष चर्चा फिर कभी करेंगे।।
।।राधे राधे।।
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