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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success

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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Latest Questions

Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 7, 2025In: चुनौतियाँ और समाधान

आप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास और प्राणायाम करते हैं?, और कितनी देर करते हैं?

  • 0

  1. Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 9, 2025 at 5:43 am

    1) पानी पीने के बाद 10 मिनट टहलता हु। 2) शौच से आकर , दांत धोने के बाद warm up करता हूं। 3)वॉर्म अप मै सबसे पहले शरीर के सारे अंगों को एक एक करके stretch करता हूं, फिर सभी ज्वाइंट हो एक एक करके गोल गोल घुमा हु।(क्रम ईश प्रकार है , हाथ , पैर , घुटना , गर्दन , कमर ) 4) वॉर्म अप के तुरंत बाद पुश अप, 20Read more

    1) पानी पीने के बाद 10 मिनट टहलता हु।

    2) शौच से आकर , दांत धोने के बाद warm up करता हूं।

    3)वॉर्म अप मै सबसे पहले शरीर के सारे अंगों को एक एक करके stretch करता हूं, फिर सभी ज्वाइंट हो एक एक करके गोल गोल घुमा हु।(क्रम ईश प्रकार है , हाथ , पैर , घुटना , गर्दन , कमर )

    4) वॉर्म अप के तुरंत बाद

    • पुश अप, 20 के 3 सेट
    • बैठक (100 नॉर्मल + 20 पैर की एरी उठा के)
    • दंड ( 20 +20 नॉर्मल , 5 राममूर्ति दंड😬)

    5) 2 मिनिट रेस्ट , 10 गहरा सास लिया और फिर प्राणायाम शुरू।

    6) प्राणायाम मै(क्रमानुसार)

    • अनुलोम विलोम 20
    • कपालभाति 100
    • भस्त्रिका 20
    • अंतः प्राणायाम 5
    • वाह्य प्राणायाम 5
    • भ्रामरी 5
    • ओम उच्चारण 5

    7) मै कोई ज्याद आसन नहीं करता हु , बस सर्वांगासन और शवासन ।। समाप्त।।

    8) आधा घंटा रुककर पानी पिता हु , पानी पीने के 10 मिनिट बाद नहा कर सूर्य देवता को जल अर्पण करता हु।

    व्यायाम और प्राणायाम मै कुल मिलकर मुझे 1 घंटा 40 मिनट का समय लग जाता है ,

    40 मिनिट में वॉर्म अप ( व्यायाम से पहले शरीर  को गर्म करना जरूरी होता है , वैसे भी अभी ठंड बहुत बढ़ गई है😱🌨️।) इसलिए समय बढ़ाना पड़ा।

    बाकी समय व्यायाम और प्राणायाम मै ,  मै कुंभक के साथ व्यायाम करता हूं।

    जय श्री राम,🙏

    धन्यवाद 🙏

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Vishnu Gupta
  • 0
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 6, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, समझाइये।।

  • 0

  1. Ranjan Ghosh
    Ranjan Ghosh
    Added an answer on April 29, 2025 at 11:59 am

    Adhyatma aur naam jap ke Bina Brahmacharya sambhar nahin hain...Aaj Kal jo mahaul hain use.to koshish bhi sambhar nahin hain... Ultimate aim to Bhagvan hi hain, rasta bhi wo hain aur manzil bhi....Sangsar mein itni chana chanda hain ki hum kho hi jaenge. Naam jap.karte.rahiye aur brahmacharya par laRead more

    Adhyatma aur naam jap ke Bina Brahmacharya sambhar nahin hain…Aaj Kal jo mahaul hain use.to koshish bhi sambhar nahin hain… Ultimate aim to Bhagvan hi hain, rasta bhi wo hain aur manzil bhi….Sangsar mein itni chana chanda hain ki hum kho hi jaenge.

    Naam jap.karte.rahiye aur brahmacharya par laage rahiye

     

    Hare Krishna

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Vishnu Gupta
  • 2
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 3, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो फैप ही ब्रह्मचर्य है?, अगर नहीं तो किस प्रकार अलग है?, बताइये।।

  • 2

  1. Manish
    Manish Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 3, 2025 at 3:22 pm

    नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है। लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है । ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नोRead more

    नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है।

    लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है ।

    ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नो फैप में जरूरी नहीं कि इन सब चीजों का विकास हो ।

    मुझे नो फैप के बारे में जानकारी नहीं है अतः मैं यहीं पर अपने उत्तर को विराम देता हूं।

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Vishnu Gupta
  • 1
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 2, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है,कैसे ?,एक्सप्लेन करिये?

  • 1

  1. Vinay Gupta
    Vinay Gupta
    Added an answer on January 2, 2025 at 3:43 pm

    ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के अनुसार जीता है। इसके लिए इन्द्रियों का नियंत्रण, आहार-विहार का नियंत्रण, ध्यान और योग, और सेवा और परोपकार का पालन करना आवश्यक है।

    ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के अनुसार जीता है। इसके लिए इन्द्रियों का नियंत्रण, आहार-विहार का नियंत्रण, ध्यान और योग, और सेवा और परोपकार का पालन करना आवश्यक है।

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Vishnu Gupta
  • 2
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 10, 2025

बिना भगवत कृपा के ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना संभव नहीं है, तो आप किस तरह भगवान से प्रार्थना करते हों?, कितनी देर नाम जप करते हों?

  • 2

  1. Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 11, 2025 at 5:15 am

    सबसे पहले सुबह उठते ही एक बार "जय श्री राम" ,  नाम लेना भूल न जाऊ इसके लिए मैने लॉक स्क्रीन पे "राम दरबार" का wallpaper लगा रखा है, अलार्म बंद करने के बाद सीधे श्री राम , बजरंगबली के दर्शन हो जाते है। स्नान करने के बाद जब पूजा की तैयारी कर रहा होता हु, तो मन मै राम राम जपता हु , जल अर्पण करके अगरबत्Read more

    सबसे पहले सुबह उठते ही एक बार “जय श्री राम” ,  नाम लेना भूल न जाऊ इसके लिए मैने लॉक स्क्रीन पे “राम दरबार” का wallpaper लगा रखा है, अलार्म बंद करने के बाद सीधे श्री राम , बजरंगबली के दर्शन हो जाते है।

    स्नान करने के बाद जब पूजा की तैयारी कर रहा होता हु, तो मन मै राम राम जपता हु , जल अर्पण करके अगरबत्ती दिखाने तक।

    भोजन का पहला निवाला , प्रभु का नाम लेकर ग्रहण करता हु।(सुबह/दोपहर/शाम)

    संध्या समय(5–5:30) ध्यान करने के बाद , Task 2 ko पूरा करता हु , जिसमें 108 बार नाम जप करना होता है।

    बिस्तर पर जाने के बाद मन मै निरंतर नाम जप , जबतक नींद न आ जाए।

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Vishnu Gupta
  • 1
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 11, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य किनके लिए बहुत कठिन है,और किनके लिए बहुत ही सरल है?

  • 1

  1. Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 13, 2025 at 9:57 am

    आज के समय मै ब्रह्मचर्य सबके लिए ही कठिन है , किसी के लिए ज्यादा कठिन तो किसी के लिए कम कठिन।। ऐसे अगर नहीं होता तो आज हमारे चारों तरफ केवल ब्रह्मचारी ही दिखाई देते।। क्या ऐसा है? नहीं , तुम्हारे आस पास 100 लोग में से 10 ने इसका नाम सुना है , केवल नाम हे सुना है। बाकी 5 लोग लोग ये समझते है कि ब्रह्मRead more

    आज के समय मै ब्रह्मचर्य सबके लिए ही कठिन है , किसी के लिए ज्यादा कठिन तो किसी के लिए कम कठिन।। ऐसे अगर नहीं होता तो आज हमारे चारों तरफ केवल ब्रह्मचारी ही दिखाई देते।।

    क्या ऐसा है?

    नहीं , तुम्हारे आस पास 100 लोग में से 10 ने इसका नाम सुना है , केवल नाम हे सुना है। बाकी 5 लोग लोग ये समझते है कि ब्रह्मचर्य का मत केवल शादी न करना है(मै ऐसे लोगों से खूब मिल हूं।) ऐसे लोगों का साथ तुरन्त छोड़ देना , क्योंकि तुम उन्हें कभी भी ब्रह्मचर्य पालन नहीं करवा सकते , उल्टा वो तुम्हे भी पालन नहीं करने देंगे।

    –—•»

    1) मित्र 

    जिनके मित्र का समूह ब्रह्मचर्य पालन नहीं करता , वो खुद भी पालन नहीं कर पाएंगे।

    ऐसे मित्र ढूंढो जो ब्रह्मचर्य पालन करते हो , या फिर अकेले हो जाओ , अपने लक्ष्य को अपना दोस्त बनाओ।

    2) परिवार

    परिवार की बातों मै आओगे तो पालन नहीं कर पाओगे ,

    बेटा और दो रोटी खालों , पेट नहीं भरा होगा अभी (रात को भूख का 25% ही खान। है)

    • सुबह 4 बजे उठने की क्या जरूरत है, सो जाओ ठंड लग जाएगी।

    ये बात मान लोगे तो पालन नहीं कर पाओगे।

    कुछ बातों का विरोध करना पड़ेगा , तभी पालन हो पाएगा।

    3) खाद्य

    “HUNGER IS THE FIRST ELEMENT OF SELF DECIPLINE”

    अगर तुम ये कंट्रोल कर सकते हो कि क्या खाना है, कितना खाना है , तो तुम बाकी चीजें भी कंट्रोल कर लोगे।

    जो लोग अभी भी यही फंसे हुए है कि मांस खाना चाहिए कि नहीं , वो पालन नहीं कर पाएंगे।

    जिसने साग , सब्जियों को अपना मित्र बना लिया वो पालन कर ले जाएगा।

    4) डिसिप्लिन/कंसिस्टेंसी 

    सुबह उठने के बाद और रात सोने से पहले के 2–3 टास्क FIX होने चाहिए , ये नहीं की रोज उठने के बाद आधा घंटा यही सोचने मै लगा दिया कि आज योग पहले करे या व्यायाम।

    जैसे– उठना>शौच>व्यायाम>प्राणायाम , ईश तरह से रोज कुछ चीज है जो वही रहेंगी।

    जो लोग रोज व्यायाम, प्राणायाम करते है वो , लंबे समय तक ब्रह्मचर्य पालन कर सकते है।

    व्यायाम न करना= आलस।

    आलस = व्यायाम न करना।

    आलसी लोग ब्रह्मचर्य पालन नहीं कर पाएंगे ।

     

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 9, 2025In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

ब्रह्मचर्य में आपको कितना सावधान रहना होगा?

  • 0

  1. Rohit_kumar
    Best Answer
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 9, 2025 at 3:58 pm

    ब्रह्मचर्य का पर्याय अगर सावधानियां को कहा जाए तो गलत नहीं होगा।। कब सोना है , कैसे सोना है , कब नहीं सोना , क्या खाना है , क्या नहीं खाना , कितना खाना है , क्या देखना है , क्या नहीं देखना, क्या सुनना है क्या नहीं सुनना , क्या पढ़ें  क्या न पढ़ें।   अनेक प्रकार की सावधानियां रखनी पड़ेंगी , वो भRead more

    ब्रह्मचर्य का पर्याय अगर सावधानियां को कहा जाए तो गलत नहीं होगा।।

    कब सोना है , कैसे सोना है , कब नहीं सोना , क्या खाना है , क्या नहीं खाना , कितना खाना है , क्या देखना है , क्या नहीं देखना, क्या सुनना है क्या नहीं सुनना , क्या पढ़ें  क्या न पढ़ें।

     

    अनेक प्रकार की सावधानियां रखनी पड़ेंगी , वो भी केवल एक दिन या 1 सप्ताह के लिए नहीं , तब तक जब तक आप ब्रह्मचर्य में बने रहना चाहते है।।

    ।।सावधानी हटी दुर्घटना घटी।।

    सावधानी को हम 2 प्रकार मै बांट सकते है।

    1) मानसिक(80%)

    कोई ऐसा विचार का मनन नहीं करना जो बाद में पछतावा का कारण बन जाए। शरीर तो कठपुतली है वही करेगा जो मस्तिष्क उसे संदेश देगा।

    नाम जपो मन पे काबू पाओ।

    2) शारीरिक(20%)

    सीधी बात कहूं तो , शरीर मै एक अंग है जिसे केवल मूत्र त्याग के लिए उपयोग करना है , इसके अलावा कभी गलती से भी इसे स्पर्श नहीं करना , घोर पाप लग जाएगा , 100 दिन की तपस्या भी राख के बराबर हो जाएगी।

    व्यायाम करो शरीर पे काबू पाओ।

    जय श्री राम 🙏

    धन्यवाद 🙏

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: December 19, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का क्या सम्बन्ध है?

  • 0

ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का क्या सम्बन्ध है?

  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 19, 2024 at 10:08 am

    नमस्कार मित्रों, आज हम बात करने वाले हैं कि ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता यानी स्प्रिचुएलिटी इन दोनों पक्ष में क्या सम्बन्ध है और दोनों एक दूसरे के ऊपर निर्भर कैसे हैं, इस विषय पर आज हम चर्चा करने वाले हैं।। कई मित्रों के ऐसे प्रश्न आते रहते हैं, कि हम ब्रह्मचर्य पालन करने का सोच तो लेते हैं, संकल्प तोRead more

    नमस्कार मित्रों, आज हम बात करने वाले हैं कि ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता यानी स्प्रिचुएलिटी इन दोनों पक्ष में क्या सम्बन्ध है और दोनों एक दूसरे के ऊपर निर्भर कैसे हैं, इस विषय पर आज हम चर्चा करने वाले हैं।।

    कई मित्रों के ऐसे प्रश्न आते रहते हैं, कि हम ब्रह्मचर्य पालन करने का सोच तो लेते हैं, संकल्प तो कर लेते हैं, मगर बाद में हो नहीं पाता, और कुछ भी मन में गलत आने से वो संकल्प टूट जाता है, कोई हस्त क्रिया कर देता है, कोई गंदी वीडियो देख लेता है जिससे फिर उसे नाईट फॉल हो जाता है, मतलब किसी ना किसी तरीके से ब्रह्मचर्य का नाश हो जाता है।।

    तो मित्रों, ये मै अपने खुद के अनुभव से कह रहा हूँ कि केवल और केवल आध्यात्मिकता ही एकमात्र ऐसी स्थिति है जिससे ब्रह्मचर्य पालन आसान हो जाता है, कैसे आसान हो जाता है?, अगर मै ये कहूँ कि मन को वश में रखिए, मन को काबू में रखिये, मन में गलत विचार नहीं आने चाहिए, तो कैसे नहीं आएंगे, वो तो आएंगे।।

    अब जैसे आप किसी बच्चे से कहो कि बेटा, ये तलवार है, ये चाकू है, ये छुरी है, इसे हाथ मत लगाना तो क्या वो राजी से मानेगा?, अगर बच्चा सड़क पर जा रहा है, तो आप उसे प्यार से नहीं समझाओगे कि इधर आ जाओ, बल्कि खींच कर ले आओगे, क्योंकि आप भी जानते हो कि बच्चा है, अगर वो तेज गति से रोड की तरफ जा रहा है, तो आपके केवल कहने से वापस नहीं आ जाएगा, उसे आपको खींच कर लाना पड़ेगा।।

    इसी तरह आपका मन है, सालों तक आपने हस्तमैथुन किया, गंदी वीडियोज देखीं, गंदा संग किया, तो उसका परिणाम तो एक ना एक दिन आएगा, अच्छी आदत का भी आता है और बुरी आदत का भी आता है, परिणाम सबका सामने आता है, तो जिन्होंने सालों तक हस्तमैथुन किया है वो ये सोचते हैं कि वीर्यनाश तो बहुत हो ही गया है, सब कुछ खत्म हो ही गया है, अब अगर ब्रह्मचर्य से कुछ फायदा मिलता है तो पालन कर लेंगे, उनको गारंटी देने वाला चाहिए होता है।।

    तो मन में सालों तक अगर गंदा चिंतन चला है, तो गंदे विचार मन में कभी ना कभी आएंगे ही, आप कितना भी प्रयास कर लो, विचारों को आने से थोड़े ही रोक पाओगे क्योंकि सालों साल आपका चिंतन खराब रहा है, अब मन में कुछ विचार आ गया तो उसको रोक तो नहीं सकते ना,कैसे रोकोगे?

    अब इसका क्या समाधान हो, तो जैसा मैने ऊपर बताया कि केवल अध्यात्म ही इससे निकलने का मार्ग है, अगर मन कोई गलत विचार चल रहा है तो उसके बिल्कुल अपोजिट, उसके बिल्कुल विपरीत विचार अपने मन में लाएंगे।

    यदि आप शास्त्र स्वाध्याय करते हो, अच्छी अच्छी पुस्तकें पढ़ते हो, चाहे जिस ईश्वर में आपकी श्रद्धा है अगर उसका नित्य सुमिरन करते हो, तो आपमें आस्तिकता जागने लगेगी, एक अलग ही शक्ति आपके अंदर आने लगेगी।।

    जैसे आप जब महापुरुषों के चरित्र पढ़ेंगे तो सोचेंगे कि कैसे उन्होंने राष्ट्र सेवा में अपना जीवन खपा दिया, कितने कष्ट खुद झेले, और पूरे जीवन परमार्थ किया लेकिन दूसरी तरफ आप हो कि खुद से लड़ नहीं पा रहे हो, गंदी आदत नहीं छोड़ पा रहे हो, हस्तमैथुन आदि क्रियाओं में ही फंसे हुए हो, कहाँ उन महापुरुषों का जीवन, और कहाँ आपका जीवन है।।

    अरे भाई आपको सुधारने के लिए कोई दूसरा थोड़ी आएगा, कोई दूसरा थोड़े ही आपका हस्तमैथुन छुड़वाने आएगा, कोई दूसरा आके आपका स्वप्नदोष ठीक नहीं करेगा, आपको खुद को ही सुधारना है, आपको खुद को अगर बचना है तो थोड़ा संभल जाना पड़ेगा।।

    अब जब आप अध्यात्म की तरफ बढोगे तो धीरे धीरे अच्छी बातें आपके मन में आना शुरु हो जाएंगी, अच्छे विचार आना शुरु हो जाएंगे, क्योंकि आपका मन एक मोबाइल जैसा नहीं है कि गलत विचार भरे हैं तो डिलीट बटन प्रेस करो सब ख़त्म, ऐसा नहीं है, गलत विचार अगर खत्म करने हैं तो उसके ठीक विपरीत यानी अध्यात्म की तरफ आगे बढ़ना होगा, जैसे जैसे आप अध्यात्म की तरफ आगे बढोगे, वैसे वैसे अच्छे विचार आपके मन में आते जाएंगे और गलत विचार स्वतः ही ख़त्म होते चले जाएंगे।।

    और लास्ट में आपको अनुभूति होगी, ये मै नहीं कह रहा हूँ, आपको स्वयं ही ये अनुभूति होगी कि वास्तव में असली जीवन तो ये है, मुझे ऐसे जीना चाहिए था, मै कितनी खराब जिंदगी जी रहा था उस वक्त, और शायद मै ऐसे जी लिया होता, अगर कुछ साल पहले ही मुझे ब्रह्मचर्य की महत्ता समझ आ गई होती तो मेरा जीवन कितना धन्य हो गया होता
    मगर फिर भी अभी समय नहीं निकला है, आपको समझ आ गया है तो इस मार्ग पर चलना शुरु कर दीजिए, आपके लिए गोल्डन चान्स है, अपना जीवन बदलिए।।

    और यदि अभी आपने ये समय गँवा दिया तो आने वाला समय, बहुत ही बदतर, बहुत ही खतरनाक होगा आपके लिए, ये आप सोच लीजिए।।

    तो अच्छी पुस्तकों का आपको स्वाध्याय करना है, शास्त्रों का अध्ययन करना है, महापुरुषों की जीवनी पढ़नी है, क्योंकि हर शास्त्र में चाहें आप किसी भी भगवान में मानते हो, संयमित जीवन और ब्रह्मचर्य का उल्लेख मिलता है, ये तो केवल राक्षसों में नहींं मिलता क्योंकि उनका भोजन भी तामसिक होता है, महापुरुषों और देवताओं में ये दुर्गुण नहीं पाए जाते।।

    अब बहुत से बंधु कहते हैं कि हम खुद को रोक नहीं पाते हैं,कैसे रोकें?, अरे ये कैसे रोकें का क्या मतलब है भाई, तुम खुद को बचाना चाह रहे हो पर बचा नहीं पा रहे हो, जब तुम खुद को ही नहीं बचा पा रहे तो अपने परिवार की रक्षा कैसे करोगे?, अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर सकोगे?, यदि आपने खुद को ही नहीं बचाया फिर दुसरों के लिए कुछ करने की क्या उम्मीद कर सकते हो खुद से?, कुछ नहीं कर सकते।।

    तो अपने आप को बदलिए, अपना जीवन स्तर सुधारिए, जब आपका जीवन बदलने लगेगा तो दूसरों का जीवन तो ऑटोमेटिक ही बदल सकते हो।।

    कोई भी पुस्तक आपको व्याभिचारी, दुष्ट प्रवृत्ति का नहीं बनाएगी, हर पुस्तक में ब्रह्मचर्य का, संयमित जीवन का वर्णन है, हर शास्त्र में मित्र कैसा हो, पत्नी कैसी हो, पति कैसा हो, पुत्र कैसा हो सबकी मर्यादाओं का वर्णन है और शास्त्रों में वर्णित धर्म की मर्यादाओं को जो लांघते हैं वही लास्ट में दर दर की ठोकरें खाते हैं, वही भटकते फिरते हैं, और जो अपने धर्म के अनुसार, अपने शास्त्रों की मर्यादाओं के अनुसार चलते हैं वही उन्नति करते चले जाते हैं, इसलिए आधुनिकता के साथ साथ अध्यात्म पर भी पकड़ बनानी जरूरी है।।

    क्योंकि साइंस भी आप तभी समझ पाएंगे जब आपके माइंड में वो पावर हो, आपकी मेमोरी तीक्ष्ण हो पर अगर आपका दिमाग ही ठीक से नहीं चल रहा है तो आधुनिकता किस काम की रह जाएगी।।

    तो हमारे कहने का मतलब बस इतना ही है कि शास्त्र पढ़िए, महापुरुषों की जीवनी पढ़िए, क्योंकि जब आप शास्त्रों को पढ़ेंगे तो आप जानेंगे कि महापुरुषों ने कैसे आचरण किए, आप किस लिए इस दुनिया में आए हो, आपका लक्ष्य क्या है, आपको क्या करना है और आप किस तरह अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो।।

    तो यदि आप धर्म से थोड़े से भी जुड़ेंगे, अध्यात्मिकता से थोड़े से भी जुड़ेंगे तो सब जान जाएंगे, फिर आनंद अंदर से ही आपके फूटने लगेगा, अंदर से प्रसन्नता आएगी, फिर किसी काम में आप पीछे नहीं रहोगे, कोई भी कार्य सामने आ जाए आपके अंदर भय नहीं रहेगा, डर नहीं रह जाएगा।।

    जब आपने अपनी प्राण ऊर्जा को संभाल लिया है, उसका संचय कर लिया है फिर आपको कोई नीचे नहीं गिरा सकता,कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता।।

    तो आप से एक बार फिर यही कहना है कि शास्त्र स्वाध्याय कीजिए, अध्यात्म से जुड़िये, धर्म से जुड़िये क्योंकि बिना अध्यात्म ब्रह्मचर्य सम्भव नहीं है।।

    ।।राधे राधे।।

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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य के लाभ

ब्रह्मचर्य का पालन करने से क्या लाभ होते हैं?

  • 1

ब्रह्मचर्य का पालन करने से क्या लाभ होते हैं?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:05 pm

    ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, मानसिक स्थिरता, और सच्ची आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की साधना है। इसे जीवन में अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में भी संतुलन और शाRead more

    ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, मानसिक स्थिरता, और सच्ची आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की साधना है। इसे जीवन में अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में भी संतुलन और शांति बनाए रखने में मदद करता है। इस लेख में, हम विस्तार से देखेंगे कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं।


    1. मानसिक संतुलन और स्थिरता

    • मानसिक स्वच्छता:
      ब्रह्मचर्य पालन के दौरान व्यक्ति अपने मन को अशांत विचारों से बचाता है। यह मानसिक स्वच्छता को बनाए रखता है और व्यक्ति को ध्यान और आत्मनियंत्रण में सक्षम बनाता है।
    • ध्यान की क्षमता:
      जब आप मन से अनावश्यक विचारों को दूर रखते हैं, तो ध्यान की क्षमता बढ़ती है। यह योग और ध्यान के अभ्यास में सहायक होता है।
    • आत्मसंयम:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में आत्मसंयम विकसित होता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता और सोचने की प्रक्रिया में स्पष्टता आती है।

    2. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

    • ऊर्जा का संरक्षण:
      ब्रह्मचर्य के पालन से व्यक्ति अपनी यौन ऊर्जा को बचाता है। यह ऊर्जा शरीर के अन्य अंगों में प्रवाहित होती है और समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
    • विकसित शक्ति और सहनशीलता:
      शारीरिक व्यायाम और योग के साथ ब्रह्मचर्य पालन करने से शरीर की सहनशीलता और ताकत बढ़ती है।
    • रोगों से बचाव:
      संयमित जीवनशैली से रोगों की संभावना कम होती है, क्योंकि यह शरीर के प्राकृतिक तंत्रों को मजबूत करता है।

    3. आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति

    • आत्मसाक्षात्कार:
      ब्रह्मचर्य पालन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा के साथ गहरे संबंध स्थापित करता है और आत्मसाक्षात्कार की ओर अग्रसर होता है।
    • आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह:
      ब्रह्मचर्य से प्राणायाम और ध्यान जैसी साधनाओं में मदद मिलती है, जो आपके मानसिक और आत्मिक ऊर्जाओं के प्रवाह को संतुलित करती हैं।
    • मोक्ष की ओर यात्रा:
      आत्मनियंत्रण और संयम के अभ्यास से व्यक्ति मोक्ष के पथ पर अग्रसर होता है, जो आत्मिक स्वतंत्रता और जीवन के सत्य को समझने में सहायक है।

    4. निर्णय क्षमता और आत्मविश्वास में वृद्धि

    • स्पष्ट सोच:
      संयमित जीवन जीने से निर्णय क्षमता में सुधार होता है। व्यक्ति उचित समय पर सही निर्णय ले पाता है।
    • आत्मविश्वास में वृद्धि:
      जब आप आत्मसंयमित होते हैं, तो आपके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। यह आपके आत्ममूल्य और आत्म-निर्णय पर आधारित होता है।

    5. सामाजिक संबंधों में संतुलन

    • सम्मान और प्रतिष्ठा:
      ब्रह्मचर्य पालन करने से समाज में व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है। समाज में अनुशासन और संयम की छवि बनती है।
    • सामंजस्यपूर्ण रिश्ते:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में सहनशीलता, समझदारी, और सहानुभूति विकसित होती है, जिससे रिश्तों में सामंजस्यपूर्णता बनी रहती है।
    • विश्वसनीयता:
      व्यक्ति की विश्वसनीयता बढ़ती है, क्योंकि वह संयमित जीवन जीने के आदर्शों को निभाता है।

    6. आत्म-ज्ञान और जागरूकता

    • आत्मनिरीक्षण:
      ब्रह्मचर्य पालन के दौरान व्यक्ति आत्मनिरीक्षण की प्रक्रिया में समय बिताता है। यह आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देता है।
    • वास्तविक आत्मा का ज्ञान:
      ब्रह्मचर्य के माध्यम से व्यक्ति बाह्य सुखों की ओर देखना छोड़ देता है और अपने सच्चे स्व पर ध्यान केंद्रित करता है।

    7. समय प्रबंधन और उत्पादकता

    • प्रश्नित समय:
      ब्रह्मचर्य पालन से अनावश्यक गतिविधियों की संभावना कम होती है, जिससे समय प्रबंधन बेहतर होता है।
    • उत्पादकता में वृद्धि:
      संयमित जीवनशैली से काम करने की क्षमता बढ़ती है और कार्यों में उच्च उत्पादकता प्राप्त होती है।

    8. संयम और आत्मनिर्णय की शक्ति

    • नियंत्रण की क्षमता:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति अपनी इच्छाओं और मन के नियंत्रण में रखता है, जिससे उसकी निर्णय क्षमता मजबूत होती है।
    • जिम्मेदारी और आत्मनिर्णय:
      यह संयमित जीवन एक जिम्मेदारी की भावना को जागृत करता है, और व्यक्ति की आत्मनिर्णय की प्रक्रिया को सुसंगत बनाता है।

    9. परिपूर्ण जीवन की प्राप्ति

    • संतोष और सुख:
      ब्रह्मचर्य पालन से व्यक्ति बाहरी सुखों के चक्कर से मुक्त होता है और आंतरिक संतोष की प्राप्ति करता है।
    • सामंजस्यपूर्ण जीवन:
      संयमित जीवनशैली में हर पहलू – शरीर, मन, आत्मा, और समाज – में सामंजस्य स्थापित होता है।
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Rohit_kumar
  • 1
Rohit_kumarPundit
Asked: December 19, 2024In: ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन (Brahmacharya in Modern Life)

सर्दी के मौसम मे दिनचर्या कैसी होनी चाहीए ? किताबी बाते ना बताए (Modern lifestyle को ध्यान मे रखे।)

  • 1

Sardi ke mausam ko dhyan nai rakhkar ke practical dincharya bataye jise aasani se follow kiya ja sake.

question
  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 19, 2024 at 1:25 pm

    सर्दी के मौसम में दिनचर्या कुछ इस तरह से रखनी चाहिए, ताकि सेहत भी ठीक रहे और काम भी बेहतर हो। मैं आपको बताता हूं, अपनी दिनचर्या के हिसाब से अगर आप इसे आजमाए तो बढ़िया होगा। मैं सुबह सबसे पहले गुनगुना पानी पीता हूं, जिससे शरीर डिटॉक्स होता है और दिन की शुरुआत अच्छी होती है। फिर ब्रह्मचर्य ऐप का पहलाRead more

    सर्दी के मौसम में दिनचर्या कुछ इस तरह से रखनी चाहिए, ताकि सेहत भी ठीक रहे और काम भी बेहतर हो। मैं आपको बताता हूं, अपनी दिनचर्या के हिसाब से अगर आप इसे आजमाए तो बढ़िया होगा।

    मैं सुबह सबसे पहले गुनगुना पानी पीता हूं, जिससे शरीर डिटॉक्स होता है और दिन की शुरुआत अच्छी होती है। फिर ब्रह्मचर्य ऐप का पहला टास्क पूरा करता हूं, क्योंकि सुबह का समय मुझे सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव लगता है। इसके बाद हल्की स्ट्रेचिंग या योग करता हूं, ताकि शरीर भी चुस्त रहे।

    ऑफिस जाने के लिए सुबह 9 बजे तक तैयार हो जाता हूं। दिनभर ऑफिस के काम के बीच में मैं ब्रह्मचर्य ग्रुप पर डिस्कशन जरूर देखता हूं, इससे मन बना रहता है और दिनभर की ऊर्जा बनी रहती है। लंच में हमेशा हेल्दी खाना ही खाता हूं, फास्ट फूड से दूर रहता हूं। लंच के बाद मैं ब्रह्मचर्य ऐप का दूसरा टास्क पूरा करता हूं और फिर 10 मिनट की वॉक जरूर करता हूं, ताकि पाचन ठीक रहे।

    शाम को ब्रह्मचर्य ऐप का तीसरा टास्क पूरा करता हूं। कभी-कभी हल्की वॉक भी कर लेता हूं या फिर सूप पीता हूं, ताकि शरीर में गर्माहट बनी रहे। रात का डिनर हल्का और जल्दी करता हूं, ताकि रात को अच्छी नींद मिल सके। सोने से पहले ब्रह्मचर्य ग्रुप की चैट्स पढ़ता हूं, इससे मन शांत रहता है और दिन का समापन सही तरीके से होता है।

    सर्दी हो या गर्मी, यह रूटीन मुझे हमेशा फिट और फोकस्ड रखता है। अगर आप भी इसे अपनाएं, तो आपकी सेहत और काम दोनों बेहतर हो सकते हैं।

    अब ये कुछ suggestion है अगर अच्छा लगे । और अगर आप कर पाए तो आप जरूर करिए।

    👇👇👇👇

    सर्दी के मौसम में दिनचर्या को मॉडर्न लाइफस्टाइल के हिसाब से इस प्रकार डेवेलप किया जा सकता है। मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं, जो न सिर्फ आपके शरीर और दिमाग को सही रखें, बल्कि आपके काम को भी प्रभावित न करें।

    जल्दी उठें, लेकिन आराम से उठें – सर्दी में आलस्य बढ़ जाता है, लेकिन कोशिश करें कि सुबह जल्दी उठें। इसे थोड़ा हल्का रखें, सीधे बिस्तर से बाहर न कूंदें। गुनगुना पानी पीने से शरीर को ताजगी मिलती है।

    वर्कआउट और स्ट्रेचिंग – सर्दी में ज्यादा मेहनत करने का मन नहीं करता, लेकिन हल्की स्ट्रेचिंग या योगा जरूर करें। यह शरीर को गर्म और एक्टिव बनाए रखता है।

    हइड्रेटेड रहें – सर्दी में लोग पानी कम पीते हैं, लेकिन दिन में कम से कम 2-3 लीटर पानी पीने की आदत डालें। ग्रीन टी, सूप और हर्बल ड्रिंक्स भी फायदेमंद हो सकते हैं।

    स्मार्ट ड्रेसिंग – सर्दी में अपनी बॉडी को गर्म रखने के लिए लेयरिंग करें। ज्यादा गर्म कपड़े पहनने से बचें, ताकि अंदर से पसीना न आए और आप असहज महसूस न करें।

    पौष्टिक और गर्म खाना – फास्ट फूड से जितना दूर रह सकते हैं, उतना अच्छा। हल्का, गरम खाना जैसे खिचड़ी, सूप, स्टीम्ड वेजिटेबल्स या दाल-चावल पर ध्यान दें। यह शरीर को ऊर्जा देता है और ठंड से भी बचाता है।

    ब्रेक्स और शॉर्ट वॉक – लंबे समय तक बैठे रहना शरीर के लिए ठीक नहीं होता। ऑफिस में या घर पर छोटे ब्रेक लें और थोड़ी देर के लिए पैदल चलें। यह आपके दिमाग को ताजगी देगा।

    सोने से पहले आराम – सोने से पहले हल्की किताब पढ़ना, संगीत सुनना या रिलैक्सेशन तकनीकों का पालन करना बेहतर होता है, ताकि नींद अच्छी आए और अगले दिन ताजगी महसूस हो।

    डिजिटल डिटॉक्स – दिनभर मोबाइल या कंप्यूटर से चिपके रहने से आंखों और दिमाग पर दबाव बढ़ता है। रात को सोने से पहले एक घंटा स्क्रीन से दूर रहकर अपनी मानसिक स्थिति को आराम दें।

    इन सुझावों को अपनाकर आप सर्दी के मौसम में भी अपनी दिनचर्या को मॉडर्न लाइफस्टाइल के हि

    साब से मैनेज कर सकते हैं।

    आपका साथी शैलेंद्र विश्वकर्मा 🙏

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