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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success

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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Latest Questions

Vishnu Gupta
  • 6
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 14, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

भगवत गीता के अध्याय-2 से आप को क्या सीख मिलती है?

  • 6

  1. JeetBhakat
    JeetBhakat Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 14, 2025 at 3:24 pm

    भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती है कि जिस व्यक्ति न मन और इंद्रियों को जीत लिया उनका ईश्वर को प्राप्त होने का पथ सरल हो जाता है, हमें सिर्फ अपने कर्मों पर और फल ईश्वर पर चोर देना चाहिए| भगवान श्री कृष्ण ये भी समझaते हैं कि आत्मा कभी मरती नहीं सिर्फ एक शरीर से दूसरे शरीर को जाती है |

    भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती है कि जिस व्यक्ति न मन और इंद्रियों को जीत लिया उनका ईश्वर को प्राप्त होने का पथ सरल हो जाता है, हमें सिर्फ अपने कर्मों पर और फल ईश्वर पर चोर देना चाहिए| भगवान श्री कृष्ण ये भी समझaते हैं कि आत्मा कभी मरती नहीं सिर्फ एक शरीर से दूसरे शरीर को जाती है |

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Vishnu Gupta
  • 2
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 3, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो फैप ही ब्रह्मचर्य है?, अगर नहीं तो किस प्रकार अलग है?, बताइये।।

  • 2

  1. Manish
    Manish Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 3, 2025 at 3:22 pm

    नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है। लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है । ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नोRead more

    नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है।

    लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है ।

    ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नो फैप में जरूरी नहीं कि इन सब चीजों का विकास हो ।

    मुझे नो फैप के बारे में जानकारी नहीं है अतः मैं यहीं पर अपने उत्तर को विराम देता हूं।

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Raviyadav
  • 2
Raviyadav
Asked: February 21, 2025

360 days ka caurse kab se gina gina jayega

  • 2

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Anonymous
  • 2
Anonymous
Asked: December 26, 2024In: ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन (Brahmacharya in Modern Life)

Brahmacharya mai khudko Vyasta rakhne ko kaha jata hai , swadhay ke alawa aur kunsi Aadato ko dincharya mai samil kiya ja sakta hai?

  • 2

Khudko vyast rakhne ke liye swadhay ke alawa aur kya kiya ja sakta hai?

question
  1. Aditya
    Aditya Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on December 26, 2024 at 1:50 pm

    Aap apne passion ko dhundh payenge is dauraan bahot hi acche tarike se , so apna passion aur apna goal pahchaniye aur pure takat laga kr lag Jaiye usse haasil krne me....aap svayam hi vyastha ho jayenge.... Aur apni bramhacharya ki shkti se khud kuch bada haasil kriye aur logo ke bhi jivan me prakasRead more

    Aap apne passion ko dhundh payenge is dauraan bahot hi acche tarike se , so apna passion aur apna goal pahchaniye aur pure takat laga kr lag Jaiye usse haasil krne me….aap svayam hi vyastha ho jayenge….

    Aur apni bramhacharya ki shkti se khud kuch bada haasil kriye aur logo ke bhi jivan me prakasshvaan baniye

    Dhanyawad 🙏🙏🙏

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Vishnu Gupta
  • 2
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 10, 2025

बिना भगवत कृपा के ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना संभव नहीं है, तो आप किस तरह भगवान से प्रार्थना करते हों?, कितनी देर नाम जप करते हों?

  • 2

  1. Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 11, 2025 at 5:15 am

    सबसे पहले सुबह उठते ही एक बार "जय श्री राम" ,  नाम लेना भूल न जाऊ इसके लिए मैने लॉक स्क्रीन पे "राम दरबार" का wallpaper लगा रखा है, अलार्म बंद करने के बाद सीधे श्री राम , बजरंगबली के दर्शन हो जाते है। स्नान करने के बाद जब पूजा की तैयारी कर रहा होता हु, तो मन मै राम राम जपता हु , जल अर्पण करके अगरबत्Read more

    सबसे पहले सुबह उठते ही एक बार “जय श्री राम” ,  नाम लेना भूल न जाऊ इसके लिए मैने लॉक स्क्रीन पे “राम दरबार” का wallpaper लगा रखा है, अलार्म बंद करने के बाद सीधे श्री राम , बजरंगबली के दर्शन हो जाते है।

    स्नान करने के बाद जब पूजा की तैयारी कर रहा होता हु, तो मन मै राम राम जपता हु , जल अर्पण करके अगरबत्ती दिखाने तक।

    भोजन का पहला निवाला , प्रभु का नाम लेकर ग्रहण करता हु।(सुबह/दोपहर/शाम)

    संध्या समय(5–5:30) ध्यान करने के बाद , Task 2 ko पूरा करता हु , जिसमें 108 बार नाम जप करना होता है।

    बिस्तर पर जाने के बाद मन मै निरंतर नाम जप , जबतक नींद न आ जाए।

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Vishnu Gupta
  • 1
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 2, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है,कैसे ?,एक्सप्लेन करिये?

  • 1

  1. Vinay Gupta
    Vinay Gupta
    Added an answer on January 2, 2025 at 3:43 pm

    ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के अनुसार जीता है। इसके लिए इन्द्रियों का नियंत्रण, आहार-विहार का नियंत्रण, ध्यान और योग, और सेवा और परोपकार का पालन करना आवश्यक है।

    ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के अनुसार जीता है। इसके लिए इन्द्रियों का नियंत्रण, आहार-विहार का नियंत्रण, ध्यान और योग, और सेवा और परोपकार का पालन करना आवश्यक है।

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Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

  • 1

ब्रह्मचर्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

BrahmacharyaBrahmacharya Practice
  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 6:30 pm

    ब्रह्मचर्य एक ऐसा जीवन मार्ग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन पर आधारित है। यह संस्कृत शब्द "ब्रह्म" (ईश्वर या परम सत्य) और "चर्य" (आचरण या पालन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है "ब्रह्म के मार्ग पर चलना"। यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में संयम, अनुशासन और धRead more

    ब्रह्मचर्य एक ऐसा जीवन मार्ग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन पर आधारित है। यह संस्कृत शब्द “ब्रह्म” (ईश्वर या परम सत्य) और “चर्य” (आचरण या पालन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है “ब्रह्म के मार्ग पर चलना”। यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में संयम, अनुशासन और ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया है। ब्रह्मचर्य हमारे शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है और हमें उच्चतम सत्य को समझने में मदद करता है।


    ब्रह्मचर्य का अर्थ और परिभाषा

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं है, बल्कि यह इंद्रियों, भावनाओं और मन पर भी संयम स्थापित करने की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी ऊर्जा का संरक्षण करता है और उसे उच्च आध्यात्मिक उद्देश्यों की ओर मोड़ता है। ब्रह्मचर्य को चार प्रमुख आयामों में समझा जा सकता है:

    1. शारीरिक संयम: शरीर को अनुशासन में रखना, अनावश्यक भोग से बचना।
    2. मानसिक संयम: विचारों को नियंत्रित रखना और नकारात्मक सोच से बचना।
    3. भावनात्मक संयम: क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या जैसे भावनाओं पर नियंत्रण।
    4. आध्यात्मिक संयम: जीवन के उच्च उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना।

    ब्रह्मचर्य का महत्व

    1. ऊर्जा का संरक्षण:
      ब्रह्मचर्य के माध्यम से व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को अनावश्यक रूप से व्यर्थ होने से बचा सकता है। आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का संतुलन बनाए रखना स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
    2. आत्मा की शुद्धि:
      ब्रह्मचर्य आत्मा को शुद्ध करता है और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह व्यक्ति को सांसारिक इच्छाओं से ऊपर उठाकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
    3. मानसिक शांति:
      ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। विचारों का नियंत्रण व्यक्ति को तनाव और चिंता से बचाता है।
    4. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक:
      ब्रह्मचर्य का पालन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह हृदय, मस्तिष्क और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
    5. ध्यान और योग में सहायक:
      ब्रह्मचर्य योग और ध्यान में गहरी एकाग्रता लाने में मदद करता है। यह ध्यान के माध्यम से आत्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।
    6. आध्यात्मिक उन्नति:
      ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के उच्च उद्देश्य को समझ पाता है। यह आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का मार्ग है।

    ब्रह्मचर्य के सिद्धांत

    ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है:

    1. विचारों की पवित्रता:
      अपने मन को सकारात्मक और पवित्र विचारों से भरें। अशुद्ध विचार ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    2. आहार और जीवनशैली:
      सादा और सात्विक भोजन करें। अधिक तली-भुनी और मसालेदार चीज़ों से बचें क्योंकि ये मन और शरीर को उत्तेजित करती हैं।
    3. ध्यान और योग का अभ्यास:
      नियमित ध्यान और योग करने से मन स्थिर होता है और इंद्रियों पर नियंत्रण बनता है।
    4. इंद्रियों का संयम:
      अपनी इंद्रियों को भोग-विलास से दूर रखें। अनावश्यक चीज़ों को देखने, सुनने या सोचने से बचें।
    5. सत्संग और अच्छी संगति:
      अच्छे विचारों और सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताने से ब्रह्मचर्य का पालन आसान हो जाता है।

    ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन

    आज के युग में, जब व्यक्ति हर तरफ से भौतिक और डिजिटल प्रलोभनों से घिरा हुआ है, ब्रह्मचर्य का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सोशल मीडिया, फिल्मों और विज्ञापनों के माध्यम से अनावश्यक उत्तेजना उत्पन्न होती है, जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक संतुलन को बिगाड़ सकती है।

    आधुनिक जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करने के उपाय:

    1. डिजिटल डिटॉक्स करें और केवल सकारात्मक सामग्री देखें।
    2. मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग सीमित करें।
    3. समय का प्रबंधन करें और अपनी दिनचर्या में अनुशासन लाएं।
    4. योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाएं।

    धार्मिक ग्रंथों में ब्रह्मचर्य का उल्लेख

    भगवद गीता:
    भगवद गीता में ब्रह्मचर्य को आत्मसंयम और ईश्वर भक्ति का मार्ग बताया गया है। गीता में कहा गया है कि आत्म-संयमित व्यक्ति ही सच्चे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।

    उपनिषद और वेद:
    उपनिषदों और वेदों में ब्रह्मचर्य को विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया गया है। प्राचीन गुरुकुल प्रणाली में ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य था।

    महात्मा गांधी का दृष्टिकोण:
    महात्मा गांधी ने ब्रह्मचर्य को जीवन का मूल आधार माना। उनका मानना था कि ब्रह्मचर्य के बिना कोई भी व्यक्ति आत्मिक उन्नति नहीं कर सकता।


    ब्रह्मचर्य पालन में आने वाली चुनौतियाँ

    1. मन का विचलन:
      मन को नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती है। विचारों को सकारात्मक बनाए रखना कठिन हो सकता है।
    2. आधुनिक प्रलोभन:
      आज की दुनिया में मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति अनावश्यक प्रलोभनों का शिकार हो जाता है।
    3. संगति:
      गलत संगति और वातावरण भी ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    4. धैर्य की कमी:
      ब्रह्मचर्य के पालन के लिए धैर्य और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है, जो कई लोगों में कमी होती है।

    समाधान:

    • ध्यान और योग का अभ्यास करें।
    • आत्म-नियंत्रण और अनुशासन पर ध्यान दें।
    • प्रलोभनों से दूर रहें और अपनी ऊर्जा को रचनात्मक कार्यों में लगाएं।
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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 20, 2024In: ब्रह्मचर्य के लाभ

ब्रह्मचर्य के प्रभाव कितने दिन में दिखेंगे?

  • 1

  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 20, 2024 at 10:26 am

    नमस्कार मित्रों, आज एक महत्वपूर्ण विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं और आज का हमारा विषय है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए कितने समय के बाद हमें उससे समुचित फायदे दिखने शुरू हो जाते हैं, तो पहले हमें समझना होगा कि ब्रह्मचर्य है क्या, क्योंकि पहले हमें यही पता होना चाहिए।। क्या है ब्रह्मचर्य? किसी एक इंद्रीRead more

    नमस्कार मित्रों, आज एक महत्वपूर्ण विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं और आज का हमारा विषय है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए कितने समय के बाद हमें उससे समुचित फायदे दिखने शुरू हो जाते हैं, तो पहले हमें समझना होगा कि ब्रह्मचर्य है क्या, क्योंकि पहले हमें यही पता होना चाहिए।।

    क्या है ब्रह्मचर्य?

    किसी एक इंद्री पर ही निग्रह करके या फिर उसको रोक लेना मात्र ही ब्रह्मचर्य नहीं है, इसकी जो अवधारणा है वह बहुत व्यापक है, जब हम अपनी सभी इंद्रियों को नियंत्रित करते हैं, तभी जा करके हम अपनी जननेंद्रियों को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन इससे पूर्व ही अगर बात हो हमारी दृष्टि की, अगर उसमें पवित्रता नहीं है, हमारे कानों से जो हम सुनते हैं, उसमें शुद्धि नहीं है, उन पर नियंत्रण नहीं है तो फिर किस तरह से हम इस मुश्किल काम को एकदम से कर सकते हैं।।

    उदाहरण से समझिये-

    इसे ऐसे समझिये कि एक व्यक्ति जो कि पचास किलो वजन भी नहीं उठा सकता है, अब अगर उसके कंधों पर एकदम से सौ किलो वजन डाल दिया जाए तो उसे या तो कुछ ना कुछ शारीरिक नुकसान हो जाएगा या फिर हतोत्साहित हो जाएगा, लेकिन अगर उस वजन को धीरे-धीरे से बढ़ाने की कोशिश करें, जैसे कल पचास तो आज पचपन करें, इक्यावन करें तो वह सहज ही उस स्थिति में जा सकता है, तो इसी तरह से अगर हम अपनी जननेंद्रियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं, और ब्रह्मचर्य में प्रतिष्ठित होना चाहते हैं तो उसके लिए सीधी सी बात समझनी है कि हमें अपनी सभी

    इंद्रियों के ऊपर नियंत्रण करना होगा।।

    इन्द्रियों पर नियंत्रण कैसे हो-

    सभी इंद्रियों पर नियंत्रण करने के लिए अष्टांग योग का मार्ग हमारे लिए हो सकता है या दूसरे बहुत सारे तरीके या हमारी संकल्प शक्ति हो सकती है, जो सबसे उचित और सही कार्य करने वाली होती है, अब जैसे एक संकल्प हमने किया और उस संकल्प को हमने लापरवाही से किया, बस लापरवाही से हमने इसे शुरू कर दिया तो समझ लीजिए कि आपकी संकल्प शक्ति उतनी ही कमज़ोर हो जाती है, लेकिन अगर आपने एक छोटा सा ही संकल्प किया, बहुत बड़ा संकल्प करने की शुरू में जरूरत नहीं होती है तो छोटा सा कोई संकल्प किया और उसको पूरे मन से पूरा करने की कोशिश की, फिर वह पूरा हुआ तो दूसरा संकल्प किया तो ऐसे ही हम अपने आप को परिपक्व कर सकते हैं।।

    ब्रह्मचर्य में गलती- 

    अगर एक व्यक्ति कुछ समय तक ब्रह्मचारी रहता है लेकिन उसका ब्रह्मचर्य कैसा है, कि उसने अपने शरीर से किसी भी तरह के को कोई क्रिया नहीं की, अपने स्वभाव से अपने वीर्य को संरक्षित रखा, लेकिन मन में उसके विचार चलते रहे, मन में उस की तीव्र इच्छा चलती रही, तो अगर मानसिक रूप से वह उन कार्यों में संलग्न है तो उसको वहां पर ब्रह्मचारी नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि उसके मन में चिंतन तो वही चल रहा है, इसी कारण से उसका जो वीर्य है, वह उसके रक्त का हिस्सा नहीं बन पाएगा, वह उसके ब्लड में नहीं जा पाएगा, उसका वीर्य जो है, विरुद्ध हो जाएगा और फिर उसके बहुत सारे तरीके से बनेंगे जिससे कि वह बाहर निकलेगा, स्खलित हो जाएगा।।

    स्वप्नदोष क्यों हो जाता है-

    बहुत सारे भाई प्रश्न करते हैं कि हम चालीस दिन से ब्रह्मचर्य कर रहे हैं, या फिर हम पचास दिन से ब्रह्मचारी हैं लेकिन फिर भी स्वप्न दोष हो जाता है, शीघ्रपतन हो जाता है, और भी बहुत सारी समस्याएं हैं तो इसका कारण पीछे क्या है?

    इसका कारण जो है वो भगवान ने गीता में बताया है, भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि आपके इंद्रियों के जो विषय हैं, आपने इंद्रियों को तो रोक लिया लेकिन विषयों को नहीं रोक पाए जैसे कि आप कहीं बाहर गए हुए हैं और आपका किसी स्टॉल को देख करके बर्गर खाने का मन करता है, पिज़्ज़ा खाने का मन करता है, लेकिन आप अपने मन को रोक लेते हैं, आप उस स्टॉल पर नहीं जाते हैं, वहां से पिज्जा नहीं खरीदते हैं और ना ही खाते हैं लेकिन मन में आपके वह जो भाव बना हुआ है वह इतना तीव्र हो जाता है कि आप घर भी आ जाते हैं फिर भी उस पिज्जे के बारे में, बर्गर के बारे में सोच रहे हैं आपको से जा रहे हैं तो जो निग्रह है यह उस स्तर का काम नहीं कर सकता है।।

    जबरदस्ती नहीं करनी है-

    इसी तरीके से जब आप ब्रह्मचारी होने का दावा तो करते हैं लेकिन मन से ब्रह्मचारी आप नहीं हो पाते, निरंतर मन में विचार चलते रहते हैं तो फिर आपको और ज्यादा समस्या बढ़ जाएगी, कारण क्या है कि आपने जबरदस्ती रोक तो दिया लेकिन वह कब तक रुका रहेगा, जैसे हम अपनी मुट्ठी को बंद करते हैं, और इस मुट्ठी को बंद करके ही रखता हूं, अब अगर बहुत कस के बंद करूंगा तो कितनी देर बंद रखूंगा एक मिनट, दो मिनट, दस मिनट, पंद्रह-बीस मिनट लेकिन थोड़ी ही देर बाद हमें इसको ढीला छोड़ना पड़ेगा, इसी तरह से आप अपने मन को बहुत ज्यादा प्रयास पूर्वक बाँध कर नहीं रख सकते, तो करना क्या होगा, साधना, इसी को साधना कहते हैं।।

    साधना क्या है?

    जब हम साध रहे हैं अपनी किसी वृत्ति को, बार बार, हमारा मन तो उधर जाता है लेकिन हम खींचकर लाते हैं, अपने मन को और प्रतिष्ठित करते हैं, वही साधना है, और यही साधना हमें निरंतर करनी होती है, उसके बाद ही आपका मन अब स्वभाव से ही उधर नहीं जाएगा, कारण क्या है कि आपने अपनी सात्विक वृत्ति को बढ़ा दिया है।।

    अब आपको आपके शरीर को वह समय मिलेगा फिर वह कैसे काम करेगा, पहले रस बनाएगा फिर रक्त बनाएगा, फिर मांस, फिर मेद, फिर अस्थि, फिर मज्जा और फिर क्या बनता है शुक्र बनता है, तो जो यह विधान शास्त्रों में बताया गया है यह

    पूर्ण सत्य है, इसको अगर मेडिकल साइंस कुछ भी कहती है या फिर लोग ही भ्रमित करने की कोशिश करते हैं तो वह आप उसे पूर्णता अस्वीकार करें, क्योंकि हमारे ऋषि मुनी, एक वैज्ञानिक से भी बड़ी भूमिका निभाकर के गए हैं क्योंकि उन्होंने केवल शारीरिक स्तर पर ही काम नहीं किया बल्कि मानसिक स्तर पर भी किया, मनुष्य को पूर्ण स्वस्थ बनाने के लिए, क्योंकि मन के भाव उनके यही थे कि सबका कल्याण हो तो वह सब चीजों से ऊपर उठकर के केवल कल्याण के लिए ही कार्य करते थे

    तो जब अब आपने इन सब चीजों को धारण करते

    हुए अपने मन को साध लिया, फिर जो रस बना और उस रस से जो रक्त बना, तो उस रक्त की गुणवत्ता अब ऊंची हो गई क्योंकि उसमें वह जो स्पर्म है वह पहले से ही मिला हुआ है, अब क्योंकि आपने लंबे समय से ब्रह्मचर्य को प्रतिष्ठित किया है तो फिर रक्त की गुणवत्ता बनी, और वही रक्त एक एक सैल तक गया और एक एक सैल तक जाकर उसने सही न्यूट्रीशन पहुँचाया और वही फिर जब दिमाग में गया तो दिमाग के लिए वह एक ऐसी मेधा शक्ति और एक ओजस देने वाला बनता है जिससे कि आप अपने जीवन में कुछ अभूतपूर्व कार्य कर सकते हैं।।

    ब्रह्मचर्य के प्रभाव-

    आप उदाहरण देखें, महर्षि विवेकानंद का अगर आप उदाहरण देखते हैं तो उनकी किस तरह की स्मृति उनके विकसित हो गई थी, अगर दयानंद सरस्वती का उदाहरण लेते हैं तो देखो कैसा बल उनके शरीर में आ गया था, तो कारण क्या था उसके पीछे कि उन्होंने लंबे समय तक ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान किया था जिससे कि शरीर को वह समय मिला कि वह वीर्य को रक्त के साथ मिला सके।।

    ये एकदम से नहीं मिलता है, कुछ समय तक तो वह एक जगह पर स्टोर रहता है, उसके बाद उसमें एक ऊर्जा विकसित होती है, उसके बाद जा करके वह हमारे शरीर का हिस्सा बनता है, इसलिए पहले ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान कराया जाता था, वैसी शिक्षा दी जाती थी, हमारी वैदिक परंपरा में गुरुकुल होते थे, उनका यही विधान था, गुरुकुल में विद्यार्थी जो होता था, उसमें उस तरह के संस्कार ही विकसित नहीं होते थे जिससे कि वह कुमार्गगामी हो वह पूरी तरह से एकाग्र रहता था और पच्चीस वर्ष, बीस वर्ष तक उसे ऐसे ही रखा जाता था।।

    अब पच्चीस वर्ष तक क्या होता है, कि हमारे दिमाग की जो फ्रंटल कोर्टेक्स होती हैं, उनका पूरा विकास हो जाता है और जो फ्रंटल कोर्टेक्स होती है, यही हमारे दिमाग को विकसित करने में, हमारी पर्सनैलिटी को डेवलप करने के लिए, हमारे अंदर कॉन्फिडेंस को बूस्ट करने के लिए, हमारी स्मृति को विकसित करने के लिए, हमें एक सफल व्यक्ति बनाने के लिए उत्तरदाई होती है, तो हमने वहीं पर काम किया और वहीं से हमने अपने आपको पूरी तरह से साध लिया।।

    तो यही कारण था कि गुरुकुल परंपरा जब तक थी, तब तक इस प्रकार के ऋषियों ने, ऐसे विद्वानों ने, ऐसे प्रचंड योग्यताओं के धनी व्यक्तियों ने जन्म लिया और इस मानव जाति का कल्याण किया और उन्हीं के किए गए कार्यों के कारण ही हम अपने आपको सुरक्षित अनुभव करते हैं, उन्हीं की वजह से ही हमारी संस्कृति आज भी जीवित है ऐसा हम समझ सकते हैं।।

    आज हम बहुत सारी ऐसी आदत में पड़े हुए हैं कि हम अपने आप को थोड़ा सा साधते है, लेकिन कुछ समय बाद फिर से बहुत सारे कारण उनके पास आ जाते हैं और वह फिर से उसी मार्ग पर आगे बढ़ने लगते हैं, कारण क्या है कि बहुत सुलभ हो गई हैं चीजें, अब अगर आप टीवी खोलते हैं तो आपको वैसे ही दृश्य मिलते हैं, जो आपको इस तरफ प्रेरित करेंगे, आप फोन चलाते हैं, भले ही आप अच्छा भी कुछ देख रहे हैं लेकिन फिर भी बीच-बीच में आकर के बहुत सारी चीजें आपको भटकाने की कोशिश करती हैं तो इसलिए हमें अब बहुत सजगता की जरूरत पड़ गई है, वह सजगता कैसे आएगी जब इंटरनेट से बचेंगे।।

    डोपामाइन क्या होता है?

    एक बहुत साइंटिफिक रिसर्च भी आज के समय में हो रही है और आज उसे सब लोग स्वीकार कर रहे हैं, वो क्या है कि अगर आप एक पोर्न देखते हैं, जो अश्लील फिल्में आप देखते हैं तो आपके दिमाग से जो सीक्रेशन होता है जो एक हैप्पीनेस वाला हार्मोन होता है डोपामाइन वो बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, वह दो गुनी, तीन गुनी मात्रा में निकलने लगता है, अब जब आपके दिमाग में जैसे ही डोपामाइन का सर्कुलेशन बढ़ता है, तीन गुना चार गुना होता है तो आप बड़ा अच्छा अनुभव करते हैं, उन पोर्न फिल्मों को या अश्लील चित्रों को देखते हुए, लेकिन अब आपके दिमाग में डोपामाइन का लेवल है वह एक बार बढ गया तो वह दिमाग के लिए उतना ही मांग करने लगता है कि वह तीन गुना ही मुझे मिले, फिर क्या स्थिति हो जाती है कि जो आपका स्वभाविक जीवन है, उसमें भी आप खुश नहीं रह पाते हैं क्योंकि जब आप एक अश्लील फिल्म देख रहे थे तब तो डोपामाइन बहुत ज्यादा निकला और अब वह कम निकल रहा है तो आपको कोई खुशी अनुभव नहीं हो रही क्योंकि आदत बन चुकी है कि डोपामाइन ज्यादा निकले यानी कि अगर आप इन फिल्मों को देखते हैं तो यह समझ लें कि सीधा-सीधा आप अपनी डोपामाइन के लेवल को डिसबैलेंस कर रहे हैं क्योंकि आप इस तरह की आदत डाल रहे हैं कि वह बहुत ज्यादा मात्रा में क्रिएट हो तभी आपको खुशी का अनुभव कराए, इससे आपका स्वभाविक जीवन प्रभावित हो जाएगा, आप खुश नहीं रह पायेंगे।।

    ब्रह्मचर्य के प्रभाव कब दिखेंगे-

    अगर आपने लगभग दस दिन, पंद्रह दिन ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान किया, फिर आप वहां से हट गए, फिर आपने पाँच दिन किया, फिर आप हट गए, फिर आपने पंद्रह दिन किया तो इससे आपको लाभ नहीं होगा, लाभ कब होगा, जब आप दीर्घ काल तक करेंगे क्योंकि इसको समय लगता है, जब हम भोजन ग्रहण करते हैं तो उसको वहां से उस प्रोसेस तक पहुंचने में और एक प्योर फॉर्म में स्पर्म का निर्माण होने में समय लगता है, अब वह बन गया और बनते ही रक्त का हिस्सा नहीं बनेगा, आपके दिमाग तक नहीं चलेगा वह ऊर्ध्व में गमन नहीं करेगा, उसका अधो गमन ही होता रहेगा क्योंकि पूर्ववत आदतें भी बहुत ज्यादा मैटर करती हैं, लेकिन जब लंबे समय तक आप बनाए रखेंगे इस आदत को तो, आप की मेध शक्ति विकसित होंगी और कुछ ही दिनों के बाद लगभग लगभग चालीस दिनों का तो बेसिक टाइम रहता है जो वहां तक बनने का प्रोसेस है, वह होगा और उसके बाद जब वह आपके शरीर का हिस्सा बनेगा, तो साठ, पैंसठ दिन के अंतर्गत ही आप ऐसे अभूतपूर्व अपने जीवन में बदलाव देखेंगे कि आपकी भाषा शैली अच्छी हो जाएगी, आपके शब्दों का उच्चारण अच्छे से होगा जबान लड़खड़ाएगी नहीं, आपकी त्वचा पर चमक दिखाई देगी, आपके बालों पर एक विशेष प्रकार के प्रभाव दिखेंगे और आपके पूरे शरीर में एक ऊर्जा आ जाएगी, किसी भी कार्य को करने में आप अधिक क्षमता के साथ और योग्यता के साथ कर सकेंगे, आपकी स्मृति अच्छी हो जाएगी और आप अपने जीवन में अधिक सकारात्मक अनुभव करेंगे, और अपने आप को अब वैचारिक स्तर पर भी एक सही दिशा दे सकेंगे, आपका मन अब भटकेगा नहीं क्योंकि आपने अपनी उन इंद्रियों को अब साध लिया है।।

    तो आप ऐसा समझे कि अगर आपने ब्रह्मचर्य को

    प्रतिष्ठित किया तो केवल आपने शारीरिक लाभ नहीं पहुंचाया है अपने आप को बल्कि आप ने अपने जीवन को दिशा दे दी है, आपने अपनी सभी योग्यताओं का विकास कर लिया है, अब हर एक लक्ष्य आपके लिए सहज और सुलभ हो गया है ऐसा आप मान लें, ऐसा आप अनुभव करेंगे।।

    इसी का नाम ब्रह्मचर्य है-

    इसीलिए इतना जोर देते हुए ब्रह्मचर्य के ऊपर महर्षि पतंजलि ने भी उसको अष्टांग योग के अंतर्गत रखा है क्योंकि उन्हें पता है कि समाधि की भी जो उच्च

    अवस्था है वहां तक पहुंचने के लिए, वहाँ भी इस ब्रह्मचर्य की और इस वीर्य की आवश्यकता होगी।।

    ऐसा आप समझ लें कि हमारी सामान्य इडा और पिंगला नाडियां ही चलती हैं लेकिन सुषुम्ना में अगर आपको ऊर्जा को प्रवाहित करना है तो वह एक लंबी साधना तो है ही, लेकिन उसके लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो है ब्रह्मचर्य, और वीर्य ही ऐसा है, उसी से वह एक ऊर्जा जागृत होती है, जिससे की हठ योग में भी सिद्धि प्राप्त होती है तो ऐसे बहुत सारे फैक्ट हैं, ऐसे बहुत सारी साइंटिफिक रिसर्च हैं, ऐसे बहुत सारे हमारे आयुर्वेद, शास्त्रों में बताया गया है, अध्यात्म में बताया गया है जिससे कि स्पष्ट रूप से इस ब्रह्मचर्य की उपयोगिता अनुभव कर सकते हैं।।

    आप अपने जीवन में आप स्वयं देखें, इसे अपने जीवन में प्रयोग करके देखें, अगर आपने उचित प्रकार से एक बार प्रयोग कर लिया तो आपको इतना अच्छा सकारात्मक इसका परिणाम मिलेगा कि आप पुनः पुनः फिर इसी को ही अपने जीवन में बनाए रखने की कोशिश करेंगे, और आप बनाएं ही रखेंगे ऐसे मेरी अपेक्षा भी है और ऐसी मैं ईश्वर से कामना करता हूं।।

    ।। राधे राधे।।

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Asked: January 14, 2025In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

How to quit masterbation

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Main pichle 5 sal se masterbation kr raha hun Maine anek video or advise dekhe sb kiya but abhi tk kuch phatak nahi pada bar bar maan me gande khayal aane ke bade internet ke through gandi videos dekhkar ...

masterbation kaise chode
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Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए किन आदतों को अपनाना चाहिए?

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ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए किन आदतों को अपनाना चाहिए?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:06 pm

    ब्रह्मचर्य का पालन एक जीवन जीने की शैली है, जो संयम, आत्मनियंत्रण और संतुलन पर आधारित है। यह न केवल यौन संयम का नाम है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक, और आत्मिक अनुशासन का एक व्यापक पहलू है। इसे जीवन में सफलतापूर्वक अपनाने के लिए कुछ विशेष आदतें आवश्यक होती हैं। इन आदतों को अपनाकर आप ब्रह्मचर्य के लाभोंRead more

    ब्रह्मचर्य का पालन एक जीवन जीने की शैली है, जो संयम, आत्मनियंत्रण और संतुलन पर आधारित है। यह न केवल यौन संयम का नाम है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक, और आत्मिक अनुशासन का एक व्यापक पहलू है। इसे जीवन में सफलतापूर्वक अपनाने के लिए कुछ विशेष आदतें आवश्यक होती हैं। इन आदतों को अपनाकर आप ब्रह्मचर्य के लाभों का अनुभव कर सकते हैं और एक स्वस्थ, स्थिर, और संतोषपूर्ण जीवन बिता सकते हैं।


    1. आत्मनियंत्रण (Self-Control)

    • विचारों पर नियंत्रण:
      ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप अपने विचारों पर नियंत्रण रखें। किसी भी प्रकार की अनावश्यक सोच या अशुद्ध विचारों को मन से बाहर निकालने की प्रक्रिया में आत्मनियंत्रण की आवश्यकता होती है।
    • संयमित इच्छाएं:
      ब्रह्मचर्य का पालन करते समय व्यक्ति अपनी इच्छाओं को संयमित करता है। यह किसी भी प्रकार की गहरी यौन इच्छाओं, असामान्य गतिविधियों, और अनावश्यक भोग-विलास से बचने में मदद करता है।

    2. नियमित ध्यान और प्राणायाम

    • ध्यान (Meditation):
      • प्रातःकाल या संध्याकाल में नियमित ध्यान करने से मन शांत होता है और मानसिक संतुलन बनाए रहता है।
      • यह आपके मन की गहराई तक पहुंचने में मदद करता है और आत्मिक जागरूकता को बढ़ावा देता है।
    • प्राणायाम (Breathing Exercises):
      • प्राणायाम जैसे नाड़ी शोधन, भस्त्रिका आदि शरीर और मन के नियंत्रण में सहायक होते हैं।
      • प्राणायाम से ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में होता है और मानसिक संतुलन कायम होता है।

    3. संतोषजनक आहार की आदत

    • सादा भोजन:
      • संयमित जीवन जीने के लिए सादा, पौष्टिक और स्वाभाविक भोजन करना महत्वपूर्ण है।
      • तला-भुना भोजन, मसालेदार पदार्थ, और अनावश्यक मिठाई से बचना चाहिए।
      • फलों, हरी सब्जियों, और साबुत अनाजों से भरपूर भोजन करें।
    • समय पर भोजन:
      • नियमित समय पर भोजन करना चाहिए, ताकि पाचन क्रिया संतुलित बनी रहे।

    4. नींद और जागने की नियमित आदतें

    • समय पर सोना और जागना:
      • ब्रह्मचर्य के पालन में नींद का विशेष महत्व है।
      • सोने और जागने के समय को नियमित रखें (रात 10 बजे सोना और सुबह 4 या 5 बजे जागना)।
      • यह आत्मनियंत्रण के अभ्यास में सहायक होता है और स्वास्थ्य को बनाए रखता है।
    • गहरी नींद:
      • पर्याप्त और गहरी नींद मानसिक संतुलन और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

    5. संयमित जीवनशैली (Disciplined Lifestyle)

    • व्यायाम और योग:
      • नियमित योग और व्यायाम शरीर की ताकत बढ़ाते हैं और मानसिक स्थिरता प्रदान करते हैं।
      • योग जैसे आसनों से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में होता है और मन शांत रहता है।
    • प्रश्नित दिनचर्या:
      • दिन की शुरुआत, मध्य और समापन समय का प्रबंधन अच्छी तरह से करें।
      • हर कार्य के लिए समय तय करें और उसे नियमितता के साथ निभाएं।

    6. सच्ची सृजनशीलता और शिक्षा पर ध्यान

    • पढ़ाई और ज्ञानार्जन:
      • ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए समय का सही उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
      • अच्छी किताबें पढ़ने, ज्ञान के विषयों में रुचि लेने, और शिक्षाप्रद सामग्री से संपर्क रखने की आदत बनानी चाहिए।
      • यह आपकी सोचने की क्षमता, आलोचनात्मक दृष्टिकोण और बुद्धिमत्ता को विकसित करता है।
    • सृजनात्मक गतिविधियाँ:
      • कला, लेखन, संगीत या विज्ञान के क्षेत्र में सृजनात्मक गतिविधियों में भाग लें।
      • ये गतिविधियाँ मानसिक संतुलन बनाए रखती हैं और आत्मनियंत्रण की शक्ति को मजबूत बनाती हैं।

    7. नियमित स्व-मूल्यांकन (Self-Reflection)

    • हर दिन का अवलोकन:
      • प्रतिदिन के कार्यों और विचारों का अवलोकन करें कि आपने ब्रह्मचर्य के मूल नियमों का पालन किया या नहीं।
      • आत्ममूल्यांकन से व्यक्ति में आत्म-जागरूकता और साक्षात्कार की प्रक्रिया होती है।
    • आत्मसंवाद:
      • आत्मसंवाद के माध्यम से आप अपनी कमजोरियों और ताकतों को पहचान सकते हैं।
      • यह आत्मनियंत्रण की प्रक्रिया को मजबूत बनाता है।

    8. सकारात्मक संगति (Positive Company)

    • सच्चे मित्र:
      • ऐसे मित्रों के साथ समय बिताएं जो संयमित जीवन जीने के महत्व को समझते हैं।
      • सकारात्मक संगति से आत्मनियंत्रण की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
    • ज्ञान से जुड़ाव:
      • संतों, योगियों, और शिक्षकों से नियमित संपर्क बनाए रखें।
      • ऐसे लोग ज्ञान, अनुभव, और सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

    9. संयमित मीडिया उपयोग (Media Discipline)

    • अधिक स्क्रीन समय से बचाव:
      • टीवी, मोबाइल, और इंटरनेट के अत्यधिक उपयोग से समय की बर्बादी होती है।
      • इन उपकरणों का उपयोग सीमित समय में करना चाहिए।
    • सकारात्मक सामग्री का अवलोकन:
      • ऐसे वीडियो, किताबें, और लेख पढ़ें जो आपकी आत्मा और मन की उन्नति में सहायक हों।
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  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, ...

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