Sign In


Forgot Password?

Don't have account, Sign Up Here

Forgot Password

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.


Have an account? Sign In Now

You must login to ask a question.


Forgot Password?

Need An Account, Sign Up Here

Please briefly explain why you feel this question should be reported.

Please briefly explain why you feel this answer should be reported.

Please briefly explain why you feel this user should be reported.

Sign InSign Up

Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success

Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Logo Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Logo

Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Navigation

  • Home
  • About Us
  • Blog
  • Contact Us

Mobile menu

Close
Ask a Question
  • Home
  • Add group
  • Groups page
  • Communities
  • Questions
    • New Questions
    • Trending Questions
    • Must read Questions
    • Hot Questions
  • Polls
  • Tags
  • Badges
  • Users
  • Help
What's your question?
  • Recent Questions
  • Most Answered
  • Answers
  • Most Visited
  • Most Voted
  • No Answers
  • Polls
  1. Asked: January 14, 2025In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

    How to quit masterbation

    Santos kumar
    Santos kumar
    Added an answer on February 5, 2025 at 2:41 am

    Bro bahut hi galat hai isko aasani se khatm kar sakte hain ya ek normal baat hai isliye Jyada tension mat lo     Agar tum bahut jyada addict Ho Jaisa ki tum bol rahe ho 5 Sal se addict ho to ise khatm karne ke liye Tumhen धीरे-धीरे khatm karna hoga Jaise pahle Tum Ek Saptah ke liye Nahin KRead more

    Bro bahut hi galat hai isko aasani se khatm kar sakte hain ya ek normal baat hai isliye Jyada tension mat lo

     

     

    Agar tum bahut jyada addict Ho Jaisa ki tum bol rahe ho 5 Sal se addict ho to ise khatm karne ke liye Tumhen धीरे-धीरे khatm karna hoga Jaise pahle Tum Ek Saptah ke liye Nahin Karoge Uske bad Ek Saptah do din ke liye Nahin Karoge aur uske baat ho sakta hai teen Saptah aur ek Mahina ke liye Nahin Karoge Aur धीरे-धीरे khatm Ho Jaega

     

     

    Aur suno broken video Dekha Tha Sandeep Maheshwari ka usmein bahut hi Achcha se bataya tha addiction ke bare mein Jaise Kisi ka phone addiction hai aur addiction Hai masturbate addiction Hai reduction hai

     

    Ine Sabhi addiction ka matlab hai ki Uske pass bahut jyada Samay Hai Uske pass koi Gol Nahin Hai To Agar tumhare pass koi Bada aur realistic Achcha Gol Nahin Hai To Tum ine Sab chij Mein indulge ho Gaye Hain

     

     

    Aur dusra Sandeep Maheshwari Bole the ki agar tum apne addiction se Jitna maja Milta Hai utna maja Agar Kisi dusre chij Se milane Lage to Tumhara yah addiction Khud per Khud Hi chhut Jaega jaise ki agar tum abhi student ho to Tumhara Gol Hona chahie ki Hamen top karna hai pura

     

    Aur man Lagan Se padhaai Karke Agar Main hi Maja karna hai

     

     

    Aur Jaise Tumhen p*** dekhne Ka Khyal Aaya man mein gande vichar Aaye To Tum Ek Hi chij kar sakte hain vah hai ki Iske alava Hamen kya maja mil sakta hai Jaise Tumhen Koi itwar ki video Pasand Hogi ya use Samay Tum brahmcharya ke related video dekh sakti ho jisse Kafi Jyada Tumhen help hoga

     

     

    Aur mere Khyal se Teesra Baat yah hai ki jo bhi thought aata hai vah temporary hota hai Kuchh Samay ke liye hota hai to Jab Bhi Aisa thought Aaye ki Hamen karna hai to Tum bus Yahi karo ki 30 minut ka timer lagao aur apne Koi dusra Karya Mein Lag Jao jisse yah धीरे-धीरे ya vichar Hai Jo khatm Ho Jaega

     

     

     

    Last Mein Main Itna hi Kahana chahta hun ki bahut bada Tumhara Gol Hona chahie bus yah sab chij Tumhen attract Nahin Karega Agar Gol Hoga Tumhare to

     

    Aur Main Ab personally ek baat Kahana chahta hun ki agar tum humko yah sab ka thought Aaye To Tum Ek South film ya Bollywood film start kar do Shuru Se Lekar ant Tak dekho aur vah film motivation wala film Hona chahie Jaise mission mangal mission Raniganj Aisi film Hona chahie isase Tumhen motivation aur Milega aur ek film pura dekhne ke bad tum apne kam karne Lagna to yah sab chij khatm ho jaega धीरे-धीरे Bharosa chij khatm ho jaega

     

     

    See less
    • 0
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  2. Asked: January 14, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

    भगवत गीता के अध्याय-2 से आप को क्या सीख मिलती है?

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 14, 2025 at 3:00 pm

    श्री मद भगवदगीता के अध्याय–2 से जो मुझे सिख मिली उसका संक्षेप में वर्णन कुछ इस प्रकार से है: इसमें मैंने पढ़ा की जब युद्ध के लिए अर्जुन ने रथ को बीच में लाने के लिए कहा तब वह यह जानना चाहता था की उसके विरुद्ध, युद्ध लड़ने के लिए कोन कोन आया है। जब उसने वहां अपने गुरु, भाई ,मामा और अन्य सगे संबधियो कRead more

    श्री मद भगवदगीता के अध्याय–2 से जो मुझे सिख मिली उसका संक्षेप में वर्णन कुछ इस प्रकार से है:

    इसमें मैंने पढ़ा की जब युद्ध के लिए अर्जुन ने रथ को बीच में लाने के लिए कहा तब वह यह जानना चाहता था की उसके विरुद्ध, युद्ध लड़ने के लिए कोन कोन आया है। जब उसने वहां अपने गुरु, भाई ,मामा और अन्य सगे संबधियो को देखा तो वह काफी व्याकुल और भावुक हो गया। उसने यह देख युद्ध न करने का निर्णय लिए और श्री कृष्ण से कहा हे मधुसूदन मैं युद्ध नहीं लडूंगा क्योंकि मेरे विरुद्ध लड़ने के लिए मेरे सब प्रिय लोग है जिनसे अगर मैं जीत भी जाऊं तो ऐसी जीत का कोई मायने नहीं होगा इससे बेहतर है की मैं युद्ध न करूं। तब श्री कृष्ण ने कहा की पार्थ जो युद्ध छोड़ के जाए वह कायर कहलाता है और तुम एक क्षत्रिय हो। तुम अगर सुख दुख, हार जीत और फल की इच्छा न करते हुए युद्ध लड़ोगे तो तुम्हे कोई पाप नहीं लगेगा और रही बात मृत्यु की तो आत्मा सदेव अमर है केवल शरीर नष्ट होता है, जिस प्रकार मनुष्य पुराने कपड़े होने के बाद नए कपड़े को बदलता है उसी प्रकार आत्मा भी पुराने शरीर को छोड़ कर नए शरीर में बदलती है। श्री कृष्ण कहते है ही कुंतीपुत्र अगर तुम युद्ध में हार जाओगे तो स्वर्ग को प्राप्त करोगे और जीत जाओगे तो पृथ्वी पर साम्राज्य का भोग करोगे। श्री कृष्ण कहते है जय अथवा पराजय की समस्त आसक्ति को त्याग तुम केवल अपना कर्म करो।

    इसमें मुझे सिख मिली



    1. आत्मा अमर है ये कभी नष्ट नहीं होती। होता है तो केवल शरीर।

    2. कर्म करो फल की चिंता मत करो।
    3. ईश्वर सदेव तुम्हारे साथ होते है।
    4. जय–पराजय, सुख–दुख, भय–लोभ–काम–क्रोध को त्याग कर केवल हमे अपना कर्म करना है।

    जय श्री कृष्ण🙏

     

    See less
    • 2
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  3. Asked: January 11, 2025In: चुनौतियाँ और समाधान

    समाधान

    Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 13, 2025 at 10:14 am

    रोज व्यायाम करो , करने का मन न करे फिर भी करो। मेरी नजर मै तो ये ही एकमात्र उपाय है जिससे मन को ये समझाया जा सकता है कि , मेहनत करना ब्रह्मचर्य के लिए जरूरी है। अगर 10 दिन व्यायाम करने के बाद भी फिर से तुम्हारा ब्रह्मचर्य टूटा है मतलब , तुम कोई हल्क फूल सा व्यायाम करते होगे। व्यायाम ऐसा होना चाहिए कRead more

    रोज व्यायाम करो , करने का मन न करे फिर भी करो। मेरी नजर मै तो ये ही एकमात्र उपाय है जिससे मन को ये समझाया जा सकता है कि , मेहनत करना ब्रह्मचर्य के लिए जरूरी है।

    अगर 10 दिन व्यायाम करने के बाद भी फिर से तुम्हारा ब्रह्मचर्य टूटा है मतलब , तुम कोई हल्क फूल सा व्यायाम करते होगे।

    व्यायाम ऐसा होना चाहिए कि करने के बाद 2 से 5 मिनिट तक ऐसा लगना चाहिए जैसे अपनी पूरी ताकत व्यायाम मै लगा दिया है , अब सारी मै कोई ताकत नहीं बची है।।

    आप प्रो. राममूर्ति दंड कुंभक के साथ लगाए, समय के साथ सांख्य बढ़ाते जाए।

    और वो chrome वाली समस्य के लिए ,

    मोबाइल मै setting होती है जिससे aap ko lock kiya ja sakta hai password se,,

    आप अपने किसी दोस्त या अपने घर मै किसी से App को lock करवा दे , लेकिन पासवर्ड केवल उन्हें ही पता रहने दे।। आप App का उपयोग ही नहीं कर पाएंगे , प्रॉब्लम solved।

    या फिर एक कागज पे password लिख के उसे एक envelope में पैक कर दो , उसपे लिखो कि जब तुम अपने goal को पा लोगे उसके बाद ये aap open होगा।

    Password छोटा नहीं होना चाहिए , rendom word का होना चाहिए जैसे–

    Jd98Kvw&916cnDKK01r46aG

    See less
    • 2
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  4. Asked: January 11, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

    अठारह दिन अठारह अध्याय

    Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on January 11, 2025 at 3:15 pm

    अध्याय-1 कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्य निरीक्षण धृतराष्ट्र ने कहा: हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पांडु के पुत्रों ने क्या किया? संजय ने कहा: हे राजन! पांडुपुत्रों द्वारा सेना की रचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे: "हे आचार्Read more

    अध्याय-1 कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्य निरीक्षण

    धृतराष्ट्र ने कहा: हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पांडु के पुत्रों ने क्या किया?

    संजय ने कहा: हे राजन! पांडुपुत्रों द्वारा सेना की रचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे:

    “हे आचार्य! पांडुपुत्रों की विशाल सेना को देखें, जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपद के पुत्र ने इतने कौशल से व्यवस्थित किया है। इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं। यथा, महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद। इनके साथ ही धृष्टकेतु, चेकितान, काशिराज, पुरूजित, कुंतीभोज तथा शैव्य जैसे महान शक्तिशाली योद्धा भी हैं।

    पराक्रमी युधामन्यु, अत्यंत शक्तिशाली उत्तमौजा, सुभद्रा का पुत्र तथा द्रौपदी के पुत्र—यह सभी महारथी हैं। किंतु हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! आपकी सूचना के लिए मैं अपनी सेना के उन नायकों के विषय में बताना चाहूंगा, जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण हैं। मेरी सेना में स्वयं आप, भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वथामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरीश्रवा आदि हैं, जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं।

    और ऐसे अनेक वीर भी हैं, जो मेरे लिए अपना जीवन त्याग करने के लिए उद्यत हैं। वे विविध प्रकार के हथियारों से सुसज्जित हैं और युद्ध विद्या में निपुण हैं। हमारी शक्ति अपरिमेय है और हम सब पितामह द्वारा भली भाँति संरक्षित हैं, जबकि पांडवों की शक्ति भीम द्वारा भली भाँति संरक्षित होकर भी सीमित है।

    अतः सैन्यव्यूह में अपने-अपने मोर्चों पर खड़े रहकर आप सभी भीष्म पितामह को पूरी-पूरी सहायता दें।”

    तब कुरुवंश के वयोवृद्ध, परम प्रतापी एवं वृद्ध पितामह ने सिंह गर्जन की सी ध्वनि करने वाले अपने शंख को उच्च स्वर में बजाया, जिससे दुर्योधन को हर्ष हुआ। तत्पश्चात शंख, नगाड़े, बिगुल, तुरही तथा सिंह सहसा एक साथ बज उठे। वह समवेत स्वर अत्यंत कोलाहलपूर्ण था।

    दूसरी ओर, श्वेत घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले विशाल रथ पर आसीन कृष्ण तथा अर्जुन ने अपने-अपने दिव्य शंख बजाए। भगवान कृष्ण ने अपना पांचजन्य शंख बजाया, अर्जुन ने देवदत्त शंख तथा अति भोजी एवं अति मानवीय कार्य करने वाले भीम ने पौंड्र नामक भयंकर शंख बजाया।

    हे राजन! कुंतीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अपना अनंत विजय नामक शंख बजाया, तथा नकुल और सहदेव ने सुघोष एवं मणिपुष्पक शंख बजाए। महान धनुर्धर काशिराज, परम योद्धा शिखंडी, धृष्टद्युम्न, विराट, अजेय सात्यकि, द्रुपद, द्रौपदी के पुत्र तथा सुभद्रा के महाबाहु पुत्र आदि सब ने अपने-अपने शंख बजाए।

    इन विभिन्न शंखों की ध्वनि कोलाहलपूर्ण बन गई, जो आकाश तथा पृथ्वी को शब्दायमान करती हुई धृतराष्ट्र के पुत्रों के हृदय को विदीर्ण करने लगी। उस समय, हनुमान से अंकित ध्वजा लगे रथ पर आसीन पांडुपुत्र अर्जुन अपना धनुष उठाकर तीर चलाने के लिए उद्यत हुआ।

    हे राजन! धृतराष्ट्र के पुत्रों को व्यूह में खड़ा देखकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से यह वचन कहे:
    “अर्जुन ने कहा: हे अच्युत! कृपा करके मेरा रथ दोनों सेनाओं के बीच ले चलिए, जिससे मैं यहाँ उपस्थित युद्ध की अभिलाषा रखने वालों को और शस्त्रों की इस महान परीक्षा में जिनसे मुझे संघर्ष करना है, उन्हें देख सकूँ। मुझे उन लोगों को देखने दीजिए जो यहाँ पर धृतराष्ट्र के दुर्बुद्धि पुत्र दुर्योधन को प्रसन्न करने की इच्छा से लड़ने के लिए आए हुए हैं।”

    संजय ने कहा: हे भरतवंशी! अर्जुन द्वारा इस प्रकार संबोधित किए जाने पर भगवान कृष्ण ने दोनों दलों के बीच में उस उत्तम रथ को लाकर खड़ा कर दिया। भीष्म, द्रोण तथा विश्वभर के अन्य समस्त राजाओं के सामने भगवान ने कहा:
    “हे पार्थ! यहाँ पर एकत्र सारे कुरुओं को देखो।”

    अर्जुन ने वहाँ पर दोनों पक्षों की सेनाओं के मध्य में अपने चाचा, ताऊ, पितामह, गुरुओं, मामा, भाइयों, पुत्रों, पौत्रों, मित्रों, ससुर और शुभचिंतकों को भी देखा। जब कुंतीपुत्र अर्जुन ने मित्रों तथा संबंधियों की इन विभिन्न श्रेणियों को देखा, तो वह करुणा से अभिभूत हो गया और इस प्रकार बोला:

    “अर्जुन ने कहा: हे कृष्ण! इस प्रकार युद्ध की इच्छा रखने वाले अपने मित्रों तथा संबंधियों को अपने समक्ष उपस्थित देखकर मेरे शरीर के अंग काँप रहे हैं और मेरा मुख सूख रहा है। मेरा सारा शरीर काँप रहा है, मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं। मेरा धनुष मेरे हाथ से सरक रहा है और मेरी त्वचा जल रही है।

    मैं यहाँ अब और अधिक खड़ा रहने में असमर्थ हूँ। मैं अपने को भूल रहा हूँ और मेरा सिर चकरा रहा है। हे कृष्ण! मुझे तो केवल अमंगल के कारण दिख रहे हैं।

    हे कृष्ण! इस युद्ध में अपने ही स्वजनों का वध करने से न तो मुझे कोई अच्छाई दिखती है और न ही मैं उससे किसी प्रकार की विजय, राज्य या सुख की इच्छा रखता हूँ। हे गोविंद! हमें राज्य, सुख अथवा इस जीवन से क्या लाभ? क्योंकि जिन सारे लोगों के लिए हम उन्हें चाहते हैं, वे ही इस युद्धभूमि में खड़े हैं।

    हे मधुसूदन! जब गुरुजन, पितृगण, पुत्रगण, पितामह, मामा, ससुर, पौत्रगण, साले तथा अन्य सारे संबंधी अपना-अपना धन एवं प्राण देने के लिए तत्पर हैं और मेरे समक्ष खड़े हैं, तो फिर मैं इन सबको क्यों मारना चाहूँगा, भले ही वे मुझे क्यों न मार डालें।

    हे जीवों के पालक! मैं इन सबों से लड़ने को तैयार नहीं, भले ही बदले में मुझे तीनों लोक क्यों न मिलते हों, इस पृथ्वी की तो बात ही छोड़ दें। भला धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें कौन-सी प्रसन्नता मिलेगी? यदि हम ऐसे आततायियों का वध करते हैं, तो हम पर पाप चढ़ेगा।

    अतः यह उचित नहीं होगा कि हम धृतराष्ट्र के पुत्रों तथा उनके मित्रों का वध करें। हे लक्ष्मीपति कृष्ण! इससे हमें क्या लाभ होगा? और अपने ही कुटुंबियों को मारकर हम किस प्रकार सुखी हो सकते हैं?

    हे जनार्दन! यद्यपि लोभ से अविभूत चित्त वाले ये लोग अपने परिवार को मारने या अपने मित्रों से द्रोह करने में कोई दोष नहीं देखते, किंतु हम लोग जो परिवार के विनष्ट करने में अपराध देख सकते हैं, ऐसे पापकर्मों में क्यों प्रवृत्त हों?

    कुल का नाश होने पर सनातन कुलपरंपरा नष्ट हो जाती है और इस तरह शेष कुल भी अधर्म में प्रवृत्त हो जाता है। हे कृष्ण! जब कुल में अधर्म प्रमुख हो जाता है, तो कुल की स्त्रियाँ दूषित हो जाती हैं और स्त्रीत्व के पतन से, हे वृष्णवंशी! अवांछित संतानें उत्पन्न होती हैं।

    और अवांछित संतानों की वृद्धि से निश्चय ही परिवार के लिए तथा पारिवारिक परंपरा को विनष्ट करने वालों के लिए नारकीय जीवन उत्पन्न होता है। ऐसे पतित कुलों के पुरखे गिर जाते हैं, क्योंकि उन्हें जल तथा पिंडदान देने की क्रियाएँ समाप्त हो जाती हैं।

    जो लोग कुलपरंपरा को विनष्ट करते हैं और इस तरह अवांछित संतानों को जन्म देते हैं, उनके दुष्कर्म से समस्त प्रकार की सामुदायिक योजनाएँ तथा पारिवारिक कल्याण कार्य विनष्ट हो जाते हैं।

    हे प्रजापालक कृष्ण! मैंने गुरु परंपरा से सुना है कि जो लोग कुलधर्म का विनाश करते हैं, वे सदैव नरक में वास करते हैं। ओहो! कितनी आश्चर्य की बात है कि हम सब जघन्य पापकर्म करने के लिए उद्यत हो रहे हैं। राज्य, सुख भोगने की इच्छा से प्रेरित होकर हम अपने ही संबंधियों को मारने पर तुले हैं।

    यदि शस्त्रधारी धृतराष्ट्र के पुत्र मुझे निहत्थे तथा रणभूमि में प्रतिरोध न करने वाले को मारें, तो यह मेरे लिए श्रेयस्कर होगा।”

    संजय ने कहा: युद्धभूमि में इस प्रकार कहकर अर्जुन ने अपना धनुष तथा बाण एक ओर रख दिया और शोक संतप्त चित्त से रथ के आसन पर बैठ गया।

    ।।बोलिये श्री कृष्ण चंद्र भगवान की जय।।

    See less
    • 1
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  5. Asked: January 11, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

    ब्रह्मचर्य किनके लिए बहुत कठिन है,और किनके लिए बहुत ही सरल है?

    Love Rathod
    Love Rathod
    Added an answer on January 11, 2025 at 2:02 pm

    🙏 राधे राधे 🙏 ब्रह्मचर्य उनलोगो के लिए  कठिन है । जो लोग  ठाकुर जी का नित्य चिंतन नही करते । योगय और खान-पान का ध्यान नही रखते । और ब्रह्मचर्य उनलोगो के लिए आसान है जो लोग ठाकुर जी का नित्य चिंतन करते है संयम से रहते हैं । व्यायाम करते हैं ।

    🙏 राधे राधे 🙏

    ब्रह्मचर्य उनलोगो के लिए  कठिन है । जो लोग  ठाकुर जी का नित्य चिंतन नही करते । योगय और खान-पान का ध्यान नही रखते । और ब्रह्मचर्य उनलोगो के लिए आसान है जो लोग ठाकुर जी का नित्य चिंतन करते है संयम से रहते हैं । व्यायाम करते हैं ।

    See less
    • 0
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  6. Asked: January 10, 2025In: स्वास्थ्य और ब्रह्मचर्य (Health and Brahmacharya)

    Masterbation 7 saal se kiya h , kya brahmacharya se recovery ho jaaegi total Umar 19

    Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 10, 2025 at 3:45 pm

    बात कुछ ऐसी है कि , जब तक आप केवल recovery को ध्यान में रखकर ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे तब तक आप पूर्ण रूप से इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे। कुछ दिन बिताने के बाद आप व्याकुल हो जाएंगे कि , अरे आज इतने दिन हो गए फिर भी मुझे कोई फर्क नहीं दिख रहा।। ज्यादा तर लोग यही मात खा जाते है , आप अपने बाहरी शरीर को देRead more

    बात कुछ ऐसी है कि , जब तक आप केवल recovery को ध्यान में रखकर ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे तब तक आप पूर्ण रूप से इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे। कुछ दिन बिताने के बाद आप व्याकुल हो जाएंगे कि , अरे आज इतने दिन हो गए फिर भी मुझे कोई फर्क नहीं दिख रहा।।

    ज्यादा तर लोग यही मात खा जाते है , आप अपने बाहरी शरीर को देख के अंदाजा लगाएंगे जो कि सबसे बड़ी भूल है। आपने आज से बहुत समय पहले गलत क्रिया करनी शुरू की थी , आपका शरीर पहले भीतर भीतर से खोखला होने लगा था और अब जाकर आपकी बाहरी अवस्था ऐसी हो गए है जिसने आपको ब्रह्मचर्य के द्वार पर सिर झुकाने को मजबूर कर दिया है।।

    इसीलिए शरीर की मरमत का का कार्य भी पहले अंदरूनी भाग से शुरू होगा ।।

    इसे 3 चरणों में समझ सकते है_

    1) मरम्मत – सबसे ज्यादा समय इसी प्रक्रिया मै लगेगा , नब्ज नारियां ,मांसपेशियां पोषण ग्रहण करेंगी,   ।(120–240 दिन) सबसे मुश्किल समय।

    2) नॉर्मलाइजेशन – आपका स्वास्थ्य एक साधारण व्यक्ति की तरह हो जाएगा।(240_300दिन)

    3) ब्रह्मचारी – आप एक साधारण पुरुष से ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे , आप अपने बल को महसूस कर पाएंगे।(365–400 दिन)

    *आपकी शारीरिक स्थिति के अनुसार ये समय अलग अलग हो सकता है।

    सबसे महत्वपूर्ण बात।

    • 1–30 दिन सा समय सबसे कठिन होगा , इसलिए नहीं क्योंकि आपको परिश्रम करना होगा , बल्कि इसलिए क्योंकि – आपको ऐसा लगने लगेगा कि अब तो शरीर की शक्ति वापस आ ही गई है , चलो फिर वही काम दोहराते है जिसने ईश अवस्था में पहुंचाया था।।।

    brahmacharya एक दिनचर्या है , लेकिन कुछ मूर्ख लोग इसे कोई दवाई मानते है , जब स्वास्थ्य बिगड़ेगा तब दवा लेने से आराम मिलेगा😁 ऐसा समझते है , 90 दिन पूरा करने के बाद ये आपकी पहचान बन जाएगा।। लोग आपको इसी से पहचाने लगेंगे ,, कहेंगे कि वो फलाने का लड़का सर्दी गर्मी बरसात हर मौसम में दौड़ और व्यायाम करते देख जाता है। 

    लोग आपकी मिसाल अपने बच्चों को देंगे , अगर आपने ठीक से पालन कर लिए तो।

    जय श्री राम 🙏

    धन्यवाद 🙏

    See less
    • 6
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  7. Asked: January 10, 2025

    बिना भगवत कृपा के ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना संभव नहीं है, तो आप किस तरह भगवान से प्रार्थना करते हों?, कितनी देर नाम जप करते हों?

    Manish
    Manish Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 10, 2025 at 1:40 pm

    भागवत कृपा के बिना ब्रह्मचर्य रह पाना बिल्कुल भी संभव नहीं है। इसके लिए में 108 बार मंत्र जप,  और कम से कम 1008 टाइम राम नाम जप करता हूं किसी कारण वश में तीन दिन मंत्र जप नहीं कर पाया हूं।

    भागवत कृपा के बिना ब्रह्मचर्य रह पाना बिल्कुल भी संभव नहीं है। इसके लिए में 108 बार मंत्र जप,  और कम से कम 1008 टाइम राम नाम जप करता हूं किसी कारण वश में तीन दिन मंत्र जप नहीं कर पाया हूं।

    See less
    • 0
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  8. Asked: January 9, 2025In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

    ब्रह्मचर्य में आपको कितना सावधान रहना होगा?

    Saksham Singh
    Saksham Singh Vidyarthi (Scholar) RadheRadhe❤️🙏
    Added an answer on January 9, 2025 at 2:00 pm

    ब्रह्मचर्य के पालन के लिए विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है,नहीं तो ब्रह्मचर्य रह ही नहीं सकते।जो ध्यान और साधना से संभव होता है जैसे नाम जाप , त्राटक क्रिया , सेवा etc । दिनचर्या mein जैसे नियमित व्यायाम, व्यायाम नहीं होगा तो नाइटफॉल और urges बढ़ हRead more

    ब्रह्मचर्य के पालन के लिए विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है,नहीं तो ब्रह्मचर्य रह ही नहीं सकते।जो ध्यान और साधना से संभव होता है जैसे नाम जाप , त्राटक क्रिया , सेवा etc । दिनचर्या mein जैसे नियमित व्यायाम, व्यायाम नहीं होगा तो नाइटफॉल और urges बढ़ होंगे ।सात्विक आहार जैसा अन्न वैसा मन सात्विक अन्न होगा तो मन भी सात्विक होगा, और पर्याप्त नींद , अगर जड़ा नींद तो गंदे स्वप्न आयेंगे और अगर कम तो मन साथ नहीं देगा इसीलिए पर्याप्त नींद starting mein। सकारात्मक सोच मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है।और एक नियमावली हो तो बहुत अच्छा होता है । नियमित ध्यान आत्मिक शुद्धता और मानसिक स्थिरता बढ़ाता है। सकारात्मक लोगों के साथ रहना और उच्च नैतिक मूल्यों का पालन करना ब्रह्मचर्य के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। और मोस्ट इंपॉर्टेंट आपका चिंता अब कुछ हैं । चिंतन सही होना चाहिए।

    See less
    • 1
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  9. Asked: January 7, 2025In: चुनौतियाँ और समाधान

    आप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास और प्राणायाम करते हैं?, और कितनी देर करते हैं?

    JeetBhakat
    JeetBhakat Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 7, 2025 at 1:55 pm

    अनुलोम विलोम -15 मिनट , कपाल भाति - 5 मिनट, कुम्भक - 15 मिनट, त्राटक -15 मिनट, 30 मिनट ध्यान , 20 dand , 50 baithak , shambhavi mudra 5 minute

    अनुलोम विलोम -15 मिनट , कपाल भाति – 5 मिनट, कुम्भक – 15 मिनट, त्राटक -15 मिनट, 30 मिनट ध्यान , 20 dand , 50 baithak , shambhavi mudra 5 minute

    See less

    • 1
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  10. Asked: January 6, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, समझाइये।।

    Aditya Bahuguna
    Aditya Bahuguna Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 6, 2025 at 1:50 pm

    Agar koi bhi vyakti Ho jise jindagi mein chahe vahan aadhyatmik jivan Ho chahe vah mansik vriddhi Ho usmein brahmcharya AVN nibhata hai kyunki brahmcharya mein bhav shakti hai ki vah Insan ki puri Shakti ko ek jagah kendrit kar den aur Agar kisi ko aadhyat aur yah aadhyatmik se mansik vriddhi Ho usmRead more

    Agar koi bhi vyakti Ho jise jindagi mein chahe vahan aadhyatmik jivan Ho chahe vah mansik vriddhi Ho usmein brahmcharya AVN nibhata hai kyunki brahmcharya mein bhav shakti hai ki vah Insan ki puri Shakti ko ek jagah kendrit kar den aur Agar kisi ko aadhyat aur yah aadhyatmik se mansik vriddhi Ho usmein brahmcharya AVN nibhata hai kyunki brahmcharya mein bhav shakti hai ki vah Insan ki puri Shakti ko ek jagah kendrit kar den aur Agar kisi ko aadhyat aur yah aadhyatmik se aise juda mansik vriddhi Ho usmein brahmcharya AVN nibhata hai kyunki brahmcharya mein bhav shakti hai ki vah Insan ki puri Shakti ko ek jagah kendrit kar den aur yahan aadhyatmik aadhyatmik se aise juda hai kyunki Jo swayam Ishwar hai brahmcharya ko ek Pradhan Swarg Insan ko diya hai jisse vah takatvar aur Ishwar ke pass a sake jisse uska mansik v aadhyatmik donon Bal majbut honge aur uske jivan mein iska prabhav padega isliye bhramcharya aur aadhyatmik ek sath chalte Hain
    Hmm

    See less
    • 0
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
Load More Answers

Sidebar

Ask A Question

Stats

  • Questions 53
  • Answers 117
  • Best Answers 18
  • Groups 4
  • Popular
  • Answers
  • Vishnu Gupta

    आप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास ...

    • 12 Answers
  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, ...

    • 10 Answers
  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो ...

    • 9 Answers
  • Ranjan Ghosh
    Ranjan Ghosh added an answer Adhyatma aur naam jap ke Bina Brahmacharya sambhar nahin hain...Aaj… April 29, 2025 at 11:59 am
  • Santos kumar
    Santos kumar added an answer Bro bahut hi galat hai isko aasani se khatm kar… February 5, 2025 at 2:41 am
  • JeetBhakat
    JeetBhakat added an answer भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती… January 14, 2025 at 3:24 pm

Top Members

shailendrapedia

shailendrapedia

  • 0 Questions
  • 311 Points
Contributor
Vishnu Gupta

Vishnu Gupta

  • 11 Questions
  • 225 Points
Yogi
Ranjan

Ranjan

  • 0 Questions
  • 185 Points
Acharya
Rohit_kumar

Rohit_kumar

  • 5 Questions
  • 100 Points
Pundit
Anoop

Anoop

  • 0 Questions
  • 46 Points
Vidyarthi (Scholar)

Trending Tags

bad habits Brahmacharya brahmacharya challenge Brahmacharya Practice brahmcharya hastmaithun marriage life masterbation kaise chode netra ka brahmcharya kaise palan karen ?? question shaillendrapedia social media solution

Explore

  • Home
  • Add group
  • Groups page
  • Communities
  • Questions
    • New Questions
    • Trending Questions
    • Must read Questions
    • Hot Questions
  • Polls
  • Tags
  • Badges
  • Users
  • Help

Footer

Important Pages

  • Home
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Shipping Policy
  • Return/ Refund Policy
  • App Content Copyright
  • About Us

© 2025 brahmacharya.in All Rights Reserved
With Love by shailendrapedia