Sign In


Forgot Password?

Don't have account, Sign Up Here

Forgot Password

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.


Have an account? Sign In Now

You must login to ask a question.


Forgot Password?

Need An Account, Sign Up Here

Please briefly explain why you feel this question should be reported.

Please briefly explain why you feel this answer should be reported.

Please briefly explain why you feel this user should be reported.

Sign InSign Up

Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success

Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Logo Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Logo

Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Navigation

  • Home
  • About Us
  • Blog
  • Contact Us

Mobile menu

Close
Ask a Question
  • Home
  • Add group
  • Groups page
  • Communities
  • Questions
    • New Questions
    • Trending Questions
    • Must read Questions
    • Hot Questions
  • Polls
  • Tags
  • Badges
  • Users
  • Help
What's your question?
  • Recent Questions
  • Most Answered
  • Answers
  • Most Visited
  • Most Voted
  • No Answers
  • Polls

Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Latest Questions

Anonymous
  • 0
Anonymous
Asked: January 1, 2025In: चुनौतियाँ और समाधान

Payment kar diya subscription nahi mila

  • 0
Payment kar diya subscription nahi mila

Sir maine aaj brahmacharya app par subscription ke liye do baar payment kar diya 51 rupees aur 11 rupees . Phir bhi subscription nahi mila hai aur paise bhi cut gaye hai

shaillendrapedia
  1. shailendrapedia
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on January 2, 2025 at 2:25 am

    प्रिय उपयोगकर्ता, हमें खेद है कि आपको इस समस्या का सामना करना पड़ा। कृपया अधिक सहायता के लिए 9936329694 पर हमें व्हाट्सएप मैसेज करें। हम आपकी समस्या को जल्द से जल्द हल करने के लिए तत्पर है। धन्यवाद।

    प्रिय उपयोगकर्ता,

    हमें खेद है कि आपको इस समस्या का सामना करना पड़ा। कृपया अधिक सहायता के लिए 9936329694 पर हमें व्हाट्सएप मैसेज करें। हम आपकी समस्या को जल्द से जल्द हल करने के लिए तत्पर है।

    धन्यवाद।

    See less
    • 1
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  • 1 Answer
  • 19 Views
Answer
Rohit_kumar
  • 0
Poll
Rohit_kumarPundit
Asked: January 13, 2025In: गृहस्थ जीवन और ब्रह्मचर्य (Brahmacharya in Family Life)

OTTBharat ke sath kaun kaun jura hai?

  • 0

Poll Results

44.12%Mai jura hoon ( 15 voters )
55.88%Mai nahi janta ye kya hai ( 19 voters )
Based On 34 Votes

Participate in Poll, Choose Your Answer.

Jin logo ko lagta hai ki mai thick se samasya ka hal nahi kr pata , unhe OTTBharat youtube channel pe ABk sir ka session dekhna chaiye.. Patience rakhna padega 1 se 1.30 ghanta..

  • 0 Answers
  • 6 Views
Answer
Vishnu Gupta
  • 0
Vishnu GuptaYogi
Asked: December 22, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

Brahmacharya Ko Follow Kaise Kare?

  • 0

  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 22, 2024 at 11:17 am
    This answer was edited.

    ब्रह्मचर्य का संकल्प तो आज के समय में अधिकांश युवा करते हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि कितने उस संकल्प को निभा पाते हैं। हमें अनेक प्रश्न प्राप्त होते हैं कि हम संकल्प करते हैं, लेकिन जैसे ही एक निश्चित समय अवधि पूरी होती है—चाहे वह दस दिन हो, पंद्रह दिन हो, एक महीना हो, दो महीने हो, या पाँच महीने—तो हमRead more

    ब्रह्मचर्य का संकल्प तो आज के समय में अधिकांश युवा करते हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि कितने उस संकल्प को निभा पाते हैं। हमें अनेक प्रश्न प्राप्त होते हैं कि हम संकल्प करते हैं, लेकिन जैसे ही एक निश्चित समय अवधि पूरी होती है—चाहे वह दस दिन हो, पंद्रह दिन हो, एक महीना हो, दो महीने हो, या पाँच महीने—तो हमारी मन:स्थिति में फिर से वही विचार, वही चीजें चलनी शुरू हो जाती हैं।

    हम ऐसा अनुभव करते हैं जैसे हम इन स्थितियों के दास हैं। यह वास्तविकता है कि जब व्यक्ति मानसिक कैद में होता है, तो वह अपनी आदतों और अपनी लत का गुलाम हो जाता है। उसकी स्थिति ऐसी ही होगी, जैसे एक व्यक्ति जेल में बंद होता है। वह जो भी व्यवहार करता है, उसे चारदीवारी के अंदर करता है।

    लेकिन अगर उसके मन में यह इच्छा जागे कि वह इस चारदीवारी से बाहर जाए, तो उसके लिए यह संभव नहीं होता, क्योंकि उसके मार्ग में बहुत सारे अवरोध होते हैं।

    अनुशासन ही आधार है

    यदि उसे कैद से समय से पहले बाहर जाना है, तो उसके पास एक ही अवसर होता है और वह है अनुशासन। अगर वह अनुशासित रहता है, तो उसकी कैद की सीमा कम कर दी जाती है और वह समय से पहले ही वहां से बाहर आ सकता है।

    इसी प्रकार, जो व्यक्ति मानसिक विचारों की स्थितियों का कैदी हो गया है, लतों में फंस गया है, और ब्रह्मचर्य में स्थित नहीं हो पा रहा है, तो उसके जीवन में अनुशासन के बिना यह बात पक्की समझ लें कि इन स्थितियों से उसका बाहर आ पाना असंभव हो जाएगा।

    यदि हमारा प्रत्येक नवयुवक इन मानसिक स्थितियों से उबर पाए और इस जाल से बाहर निकल पाए, तो वह मानसिक स्तर पर स्वतंत्र हो सकता है। मानसिक स्वतंत्रता प्राप्त कर लेने के बाद वह अपने जीवन के प्रत्येक पक्ष को नियंत्रित कर सकता है और उसे अपने अनुसार संचालित कर सकता है।

    क्यों करना है ब्रह्मचर्य?

    दूसरे स्तर पर हमारा उद्देश्य है कि आप अपनी संस्कृति की चीजों को, सिद्धांतों को अपने जीवन में लेकर आएं। अगर ऐसा करते हैं, तो आप निश्चित रूप से इस संकल्पना को पूरा कर सकते हैं। हमने अनुभव किया है कि हमें जो बाधा होती है ब्रह्मचर्य के संकल्प में, वह लगभग बीस दिन और इक्कीस दिन का समय है।

    पंद्रह दिन बीस दिन तक तो हम स्थिर रह पाते हैं, लेकिन ये जो दो-तीन दिन आगे के होते हैं, ये बड़े कठिन होते हैं। इसमें हम स्थिर नहीं रह पाते। इसका कारण क्या है? इसे हम समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है। इसे आप एक उदाहरण से समझें। जैसे एक किसान होता है, वह किसान जब अपने खेत में पानी चलाता है,

    तो उससे पहले वह एक चीज जरूर करता है कि जो मेड होती है, जो घेराव होता है उसके खेत का, उस मेड को वह ठीक प्रकार से जांच लेता है कि वह ठीक तो है, कमजोर तो नहीं है, कहीं से टूटी हुई तो नहीं है। एक बार जांच जरूर कर लेता है। फिर उसके बाद वह खेत में पानी शुरू कर देता है। और जब पानी शुरू हो जाता है, तब भी वह ऐसी लापरवाही नहीं करता कि फिर वह जाकर के देखे ही नहीं। वह बीच में भी जाता है और मेड के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है कि कहीं से कोई रिसाव तो नहीं है, कहीं से कोई कटाव तो नहीं है, कहीं पानी बाहर तो नहीं निकल रहा है।

    और यह जरूरी है। पहले निरीक्षण करता है, बीच में भी निरीक्षण करता है और जब तक वह यह आश्वस्त नहीं हो जाता इस विषय में कि हां, अब सब जगह ठीक से पानी चल रहा है, बाहर नहीं निकल रहा है, तब तक वह उसकी जांच करता है।

    सतत निरीक्षण जरूरी है

    इसी प्रकार से प्रत्येक व्यक्ति को भी जरूरी है। जब कोई भी हमारा नवयुवक एक संकल्प करता है, तो उसे यह देखना होगा कि उसके उस संकल्प का आधार क्या है। अगर कोई मोटिवेशन मात्र आधार है या फिर ग्लानि आधार है, या आपने कुछ ऐसा किया और उसके बाद आपको लगा कि यह तो व्यर्थ है, मैं दोबारा ऐसा नहीं करूंगा और आपने कोई विचार नहीं किया, केवल भावनाएं आपके मन में कुछ चल रही हैं, तो बड़ा कठिन हो जाएगा

    आपके लिए ब्रह्मचर्य। अगर मोटिवेशन है कि कोई वीडियो आपने देख ली या किसी व्यक्ति ने कहा कि तुम मूर्ख हो, तुम्हारा जीवन नष्ट हो जाएगा, पतन हो जाएगा, तुम कहीं के नहीं रहोगे। फिर तुम मोटिवेट हो गए और आपने ब्रह्मचर्य का संकल्प किया, तो ब्रह्मचर्य का संकल्प दृढ़ नहीं हो पाएगा। अब करना क्या पड़ेगा? तो आपको भी निरीक्षण करना पड़ेगा।

    जैसे वह किसान उस क्यारी के चारों ओर घूमके पहले देखता है कि पानी ठीक से चल रहा है कि नहीं, कहीं मेड कमजोर तो नहीं है। इसी प्रकार से आपको भी अपनी स्थितियों को देखना पड़ेगा, अपने जीवन को देखना पड़ेगा। आपको अपना विश्लेषण, मूल्यांकन करना होगा कि मैंने अब तक क्या किया। क्या मेरे जीवन की दिशा ठीक है? मुझे किस प्रकार से इस दिशा को बेहतर बनाना है। और केवल ब्रह्मचर्य का संकल्प ही नहीं लेना, साथ ही साथ अपने जीवन को ऐसी दिशा भी देनी है, जिसमें कि आप अपना लक्ष्य रखते हैं।

    कोई व्यवसाय का संकल्प है, कोई आपका लक्ष्य है। जैसे राष्ट्र सेवा है, आध्यात्मिक प्रगति है, योगी प्रगति है। तो कोई भी एक ऐसा विषय जिसमें कि पूर्ण तन्मयता के साथ आप अपने आप को लगा के रखें, ऐसी स्थिति भी होनी चाहिए। जब आप देखते हैं और अपने जीवन का यह आधार बना लेते हैं कि मैं ब्रह्मचर्य का संकल्प इसलिए कर रहा हूं, उसके बाद इसकी बहुत अधिक संभावना है कि आप अब उसी स्थिति में दृढ़ स्थित हो पाएंगे।

    दूसरे स्थान पर जब आपने संकल्प कर लिया, तो उसके बाद भी अपने जीवन को देखते रहना है। उसके बाद भी सभी स्थितियों का मूल्यांकन करते रहना है। हमने देखा है कि बस संकल्प कर लिया कि मैं एक वर्ष का संकल्प करता हूं, लेकिन फिर कुछ ही दिनों बाद अनेक लोग यह कहने लग जाते हैं कि हम नहीं कर पाए, हम नहीं कर पाए। तो क्यों नहीं कर पाए? उसका कारण सीधा सा यह है कि आपने एक संकल्प करने के बाद सजगता नहीं रखी।

    जीवन की व्यवस्था और उन चीजों का मूल्यांकन नहीं किया कि क्या मेरे जीवन में मेरे रूटीन ठीक हैं? क्या मेरे जीवन का अनुशासन ठीक है? क्या मेरा आहार ठीक है? क्या मेरा दृष्टिकोण, विचार ठीक है? क्या मेरा संगठन ठीक है, जिन लोगों के साथ मैं रहता हूं? अगर इन चीजों पर आपने दृष्टि नहीं डाली, तो बड़ा कठिन हो जाएगा। तो कहने का मतलब है कि आपको संकल्प करने के बाद भी सजग रहना ही होगा। यह हमारा दूसरा बिंदु है।

    अपना लक्ष्य निर्धारित करें

    और तीसरे स्थान पर महत्वपूर्ण है कि जब एक किसान खेत में पानी ले जा रहा है, तो पानी कब बाहर आना शुरू होता है या मेड कब टूटनी शुरू होती है। जब पानी का स्तर कुछ बढ़ना शुरू हो जाता है, जब मेड के ऊपर दबाव आना शुरू हो जाता है, तभी वह टूट सकती है।

    इसी प्रकार से जो आपका यह प्रश्न रहता है कि हम संकल्प करते हैं लेकिन एक सीमा तक जाने के बाद वह संकल्प मजबूत नहीं रहता, हम भ्रमित होने शुरू हो जाते हैं। तो इसका कारण है कि यह एक ऊर्जा है। जब आप ब्रह्मचर्य करते हैं तो यह आपके पास रक्षित होनी, इकट्ठी होनी शुरू हो जाती है और जब इसका आंतरिक दबाव बनता है, तब उसको सहन करना, तब उसको व्यवस्थित रखना, संतुलित रखना यह एक चुनौती का विषय निश्चित रूप से होता है।

    तो आपकी जो यह ऊर्जा संग्रहित हो रही है, यह आपको प्रेरित करेगी ही। हमने पहले ही आपको कहा है कि आपको अपने लिए एक अच्छा, सकारात्मक लक्ष्य भी रखना है और पूर्ण उत्साहित रहना है उस लक्ष्य के प्रति। जब आप ऐसा करेंगे तो आपके पास अब कोई एक ऐसा विषय होगा, जिसमें आप इस ब्रह्मचर्य रूपी ऊर्जा का प्रयोग कर सकते हैं।

    क्योंकि निष्क्रिय व्यक्ति कभी भी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सकता। हमारे योगी, हमारे ऋषि, हमारे ब्रह्मचारी इसीलिए स्थित रह पाते थे क्योंकि उनके पास सार्थक लक्ष्य और अनुशासन बहुत पक्का होता था। जीवन में अगर अनुशासन है और सही दिशा में उस ऊर्जा का प्रयोग करने की क्षमता है, तो यह ऊर्जा आपके लिए बहुत अच्छे तरीके से, बहुत सर्जनात्मक कार्य कर सकती है।

    और अगर दिशा देने का मार्ग नहीं है, तो यह आपके लिए भारी भी बन सकती है, आपके लिए पतन का कारण भी बन सकती है। आप बार-बार भ्रष्ट होते रहेंगे, ग्लानि से भरते रहेंगे। तो आपके पास इसको दिशा देने का माध्यम भी होना चाहिए। इसीलिए हम कई बार आपको योग अभ्यास बताते हैं, कई बार ध्यान के अभ्यास बताते हैं, शांभवी आदि, त्राटक आदि दूसरे अभ्यास बताते हैं।

    क्योंकि जब तक आपके पास आपके जीवन में सार्थक चीज नहीं है, तब तक कठिनाई ही रहेगी।

    निष्कर्ष

    तो, हमने जो ये तीन चीजें आपको बताई हैं:

    पहली है संकल्प करने से पहले उस संकल्प का एक आधार बनाना।

    दूसरी है, संकल्प करने के बाद भी उस संकल्प का निरंतर निरीक्षण करते रहना, जीवन का निरंतर निरीक्षण करते रहना।

    तीसरी बात यह है कि जो हमारे बंधु कहते हैं कि हम बीस दिन, इक्कीस दिन ही चलता है। क्योंकि व्यक्ति को लगने लगता है जैसे पंद्रह दिन होते हैं या सोलह दिन होते हैं, तो उसे लगने लगता है कि अब तो काफी समय हो गया है। अब जैसे ही उसके मन में यह विकल्प बन जाता है कि काफी समय हो गया है, तो यहीं से उसका मन लापरवाही की स्थिति में चला जाता है और संकल्प पक्का नहीं रहता। फिर उसके लिए वे तीन, चार, पाँच दिन आगे बड़े मुश्किल हो जाते हैं और इक्कीस दिन में यह उसके लिए बड़ा भारी हो जाता है इतना निभा पाना।

    और वह भ्रष्ट हो जाता है। तो, इसी प्रकार आप इन स्थितियों को समझें। यह भी समझें कि जिस व्यक्ति को मन की सही समझ नहीं है, तो वह जीवन के किसी भी बिंदु पर सफल नहीं हो सकता। मन की समझ होना जरूरी है। जब आप दृढ़ रहेंगे, आप एकाग्र रहेंगे, तभी ठीक प्रकार से सभी अपने संकल्पों को पूरा कर पाएंगे।

    इसीलिए, हम बार-बार अपने साथियों को यौगिक मार्ग की एक जो प्रेरणा देते हैं, या फिर जो हमारे अध्यात्म और योग के अंतर्गत गूढ़ मनोविज्ञान के विषय में बातें कही गई हैं, उन्हें आप तक अग्रेषित करते हैं। जिससे कि आप उनसे सीख करके, उनका प्रयोग करके, मन, विचार और वृत्तियों के विषय में समझ रखें और उनसे सचेत रहें, सजग रहें।

    ।। राधे राधे ।।

    See less
    • 1
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  • 1 Answer
  • 54 Views
Answer
Rohit_kumar
  • 0
Rohit_kumarPundit
Asked: December 20, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

ब्रह्मचर्य पालन से प्राप्त ऊर्जा को सही दिशा कैसे दे ? (ऊर्जा) इसे अपनी पढाइ मे कैसे लगाउ ?

  • 0

question
  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 20, 2024 at 2:11 am

    @rohit_kumar ji ब्रह्मचर्य पालन से मिलने वाली ऊर्जा को सही दिशा देना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह ऊर्जा आपकी पढ़ाई और लक्ष्य हासिल करने में बहुत मदद कर सकती है। सबसे पहले इसे पहचानना और समझना जरूरी है। जब आप अपने मन और शरीर पर नियंत्रण रखते हैं, तो यह ऊर्जा धीरे-धीरे आपके भीतर एक स्थिर शक्ति के रूप मेंRead more

    @rohit_kumar ji ब्रह्मचर्य पालन से मिलने वाली ऊर्जा को सही दिशा देना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह ऊर्जा आपकी पढ़ाई और लक्ष्य हासिल करने में बहुत मदद कर सकती है। सबसे पहले इसे पहचानना और समझना जरूरी है। जब आप अपने मन और शरीर पर नियंत्रण रखते हैं, तो यह ऊर्जा धीरे-धीरे आपके भीतर एक स्थिर शक्ति के रूप में जमा होती है। इसे संभालना और सही जगह पर लगाना आपकी सफलता की कुंजी है।

    अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं, तो सबसे जरूरी है कि रेगुलर पढ़ाई का रूटीन बनाएं और उसे बनाए रखें। बिनाConsistency के कोई भी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है। हर दिन एक निश्चित समय पर पढ़ाई शुरू करें और अपने शेड्यूल में पढ़ाई को सबसे ऊपर रखें। अगर आपका मन पढ़ाई से भटकने लगे, तो तुरंत एक छोटे टॉपिक पर ध्यान केंद्रित करें। यह आपको वापस ट्रैक पर लाएगा।

    इसके साथ ही, माता-पिता की सेवा करना न भूलें। उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में स्थिरता और शांति बनी रहती है, जो पढ़ाई और अन्य कामों में मदद करती है। उनका सम्मान करें और उनके लिए समय निकालें। यह आपकी मानसिक ऊर्जा को भी बढ़ाता है।

    अभी सर्दी का समय है, तो इस मौसम के हिसाब से भी अपनी दिनचर्या बनाना जरूरी है। सुबह गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। इससे शरीर अंदर से गर्म रहता है और ऊर्जा बनी रहती है। पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में गर्म चाय, ग्रीन टी या सूप लें, ताकि शरीर हाइड्रेटेड और सक्रिय रहे। ठंड में आलस स्वाभाविक है, लेकिन छोटे-छोटे ब्रेक लेकर खुद को एक्टिव रखें।

    इसके अलावा, अपने शरीर को गर्म रखने के लिए सही कपड़े पहनें। ज्यादा भारी कपड़े पहनने से भी बचें, क्योंकि वे असहजता पैदा कर सकते हैं। ध्यान और मेडिटेशन करें, ताकि मानसिक शांति बनी रहे और सर्दी के आलस्य को दूर किया जा सके।

    डिजिटल विकर्षण (जैसे मोबाइल और सोशल मीडिया) से बचना भी जरूरी है। पढ़ाई के समय मोबाइल को दूर रखें और खुद से यह सवाल करें कि “क्या यह समय बर्बाद करना मेरे लक्ष्य को पाने में मदद करेगा?” इस सवाल का जवाब ही आपको सही दिशा दिखाएगा।

    छोटे-छोटे ब्रेक लेना भी जरूरी है। हर घंटे 5-10 मिनट का ब्रेक लें और इस दौरान टहल लें या हल्का व्यायाम करें। यह आपकी ऊर्जा को रिफ्रेश करेगा।

    सबसे जरूरी बात, अपनी पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी और अवसर समझें। माता-पिता के प्रति कृतज्ञता और पढ़ाई के प्रति समर्पण से आपकी ब्रह्मचर्य की ऊर्जा सही दिशा में लगेगी और आपके जीवन को सकारात्मक रूप से बदल देगी।

    इस विषय में हम सभी विवेकानंद जी से प्रेरणा ले सकते है🙏

    ब्रह्मचर्य और ऊर्जा के सही उपयोग का सबसे प्रेरणादायक उदाहरण स्वामी विवेकानंद का है। उन्होंने अपनी युवावस्था में ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन किया और इसे अपने शारीरिक और मानसिक विकास का आधार बनाया। उनके अनुसार, ब्रह्मचर्य के पालन से एक व्यक्ति अपनी सभी शक्तियों को केंद्रित कर सकता है और असाधारण कार्य कर सकता है।

    स्वामी विवेकानंद का मानना था कि ब्रह्मचर्य से प्राप्त ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर कोई भी अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा था, “जो युवा ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, वे किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।” उनकी स्मरण शक्ति, सीखने की क्षमता और अद्भुत आत्मविश्वास का कारण उनका ब्रह्मचर्य और अनुशासित जीवनशैली थी।

    उन्होंने इस ऊर्जा को अपने ज्ञान और ध्यान में लगाया। यही कारण है कि उन्होंने भारतीय संस्कृति और वेदांत के ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाया। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम अपने मन और शरीर को नियंत्रित करें और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं, तो हम असंभव को भी संभव कर सकते हैं।

    • स्वामी विवेकानंद का यह उदाहरण हमें प्रेरित करता है कि ब्रह्मचर्य का पालन और माता-पिता की सेवा के साथ पढ़ाई और लक्ष्य को प्राथमिकता देकर हम भी अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।
    See less
    • 2
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  • 2 Answers
  • 22 Views
Answer
Rohit_kumar
  • 0
Rohit_kumarPundit
Asked: December 22, 2024In: ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन (Brahmacharya in Modern Life)

अपने ब्रह्मचर्य के शुरूवाती समय मे आपने किन पुस्तको का अध्यन किया था जिसने आपको अभी तक ब्रह्मचर्य मे बनाए रखा है।

  • 0

Apna anubhaw bataye🧘‍♂ Copy paste na kare🙏

question
  1. Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 24, 2024 at 9:58 am

    श्री राधे, अगर हम अपना अनुभव बताएं, जो हमने जाना है, तो सबसे पहले जब हम ब्रह्मचर्य के लिए थोड़ा सा सजग हुए थे, जब हमको ये एप और कम्युनिटी मिली थी जुलाई में, तब हमने कुछ ब्रह्मचर्य से रिलेटेड पुस्तकों का अध्ययन शुरु किया था, जिसमें एक प्रतीक प्रजापति की बुक थी, और एक थी ब्रह्मचर्य ही जीवन है, लेकिन अगRead more

    श्री राधे,

    अगर हम अपना अनुभव बताएं, जो हमने जाना है, तो सबसे पहले जब हम ब्रह्मचर्य के लिए थोड़ा सा सजग हुए थे, जब हमको ये एप और कम्युनिटी मिली थी जुलाई में, तब हमने कुछ ब्रह्मचर्य से रिलेटेड पुस्तकों का अध्ययन शुरु किया था, जिसमें एक प्रतीक प्रजापति की बुक थी, और एक थी ब्रह्मचर्य ही जीवन है, लेकिन अगर आपको सही बताएं तो शुरु शुरु में इनमें लिखी बातें आपको हवा हवाई लग सकती हैं।।

    इसलिए हमारा तो यही कहना है कि अगर आप शुरुआती फेज में हो, तो ब्रह्मचर्य की पुस्तकें ना पढ़कर आध्यात्मिक पुस्तक पढ़ें। जैसे हमने भी शुरुआत में ये दो ही पढ़ीं थी, लेकिन हमें जमा नहीं, तो हमने श्री ब्रह्म वैवर्त पुराण का अध्ययन शुरु किया, फिर श्री वाल्मीकि रामायण पढ़ी, और फिर श्रीमद भागवत लिखनी शुरु करी, जी हाँ हमने उसे पढ़ा नहीं बल्कि लिखना स्टार्ट किया, क्योंकि पूज्य महाराज जी रोज सुनाते थे और हम उसे रोज टाइप करते थे क्योंकि हम स्वयं को ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखना चाहते थे उस समय।

    फिर भागवत जी का प्रभाव हुआ, हमारी अध्यात्म में और रुचि बढ़ने लगी, ब्रह्मचर्य में स्थित रहने लगे, और जब यह स्थिरता आई तब जाकर फिर से ब्रह्मचर्य को समझना शुरु किया, और कार्य निरंतर प्रगति पर है।

    अब तो जगह जगह से ब्रह्मचर्य के बारे में और जानने की लालसा बनी रहती है, और जो नई चीज जहाँ से सीखता हूँ वो या तो इस पोर्टल पर जबाव में लिख देता हूँ या फिर pdf बना कर ग्रुप में डाल देता हूँ।

    मै जो भी कुछ लिखता हूँ, अपने मन से एक शब्द भी नहीं लिखता हूँ, बस जो कुछ गुरुजनो से, प्रबुद्ध जनों से जाना है, समझा है, लिख देता हूँ।

    आशा है आपको इस जबाब से मदद मिली होगी।।

    ।।राधे राधे।।

     

    See less
    • 2
    • Share
      Share
      • Share on Facebook
      • Share on Twitter
      • Share on LinkedIn
      • Share on WhatsApp
  • 1 Answer
  • 50 Views
Answer

Sidebar

Ask A Question

Stats

  • Questions 53
  • Answers 117
  • Best Answers 18
  • Groups 4
  • Popular
  • Answers
  • Vishnu Gupta

    आप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास ...

    • 12 Answers
  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, ...

    • 10 Answers
  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो ...

    • 9 Answers
  • Ranjan Ghosh
    Ranjan Ghosh added an answer Adhyatma aur naam jap ke Bina Brahmacharya sambhar nahin hain...Aaj… April 29, 2025 at 11:59 am
  • Santos kumar
    Santos kumar added an answer Bro bahut hi galat hai isko aasani se khatm kar… February 5, 2025 at 2:41 am
  • JeetBhakat
    JeetBhakat added an answer भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती… January 14, 2025 at 3:24 pm

Top Members

shailendrapedia

shailendrapedia

  • 0 Questions
  • 311 Points
Contributor
Vishnu Gupta

Vishnu Gupta

  • 11 Questions
  • 225 Points
Yogi
Ranjan

Ranjan

  • 0 Questions
  • 186 Points
Acharya
Rohit_kumar

Rohit_kumar

  • 5 Questions
  • 100 Points
Pundit
Anoop

Anoop

  • 0 Questions
  • 48 Points
Vidyarthi (Scholar)

Trending Tags

bad habits Brahmacharya brahmacharya challenge Brahmacharya Practice brahmcharya hastmaithun marriage life masterbation kaise chode netra ka brahmcharya kaise palan karen ?? question shaillendrapedia social media solution

Explore

  • Home
  • Add group
  • Groups page
  • Communities
  • Questions
    • New Questions
    • Trending Questions
    • Must read Questions
    • Hot Questions
  • Polls
  • Tags
  • Badges
  • Users
  • Help

Footer

Important Pages

  • Home
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Shipping Policy
  • Return/ Refund Policy
  • App Content Copyright
  • About Us

© 2025 brahmacharya.in All Rights Reserved
With Love by shailendrapedia