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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success

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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Latest Questions

Saksham Singh
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Saksham SinghVidyarthi (Scholar)
Asked: December 20, 2024In: ब्रह्मचर्य और धर्मग्रंथ (Brahmacharya in Scriptures)

Shusma Nadi kb khulti h aur kese ?

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Answer
Rohit_kumar
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Rohit_kumarPundit
Asked: December 22, 2024In: ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन (Brahmacharya in Modern Life)

अपने ब्रह्मचर्य के शुरूवाती समय मे आपने किन पुस्तको का अध्यन किया था जिसने आपको अभी तक ब्रह्मचर्य मे बनाए रखा है।

  • 0

Apna anubhaw bataye🧘‍♂ Copy paste na kare🙏

question
  1. Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 24, 2024 at 9:58 am

    श्री राधे, अगर हम अपना अनुभव बताएं, जो हमने जाना है, तो सबसे पहले जब हम ब्रह्मचर्य के लिए थोड़ा सा सजग हुए थे, जब हमको ये एप और कम्युनिटी मिली थी जुलाई में, तब हमने कुछ ब्रह्मचर्य से रिलेटेड पुस्तकों का अध्ययन शुरु किया था, जिसमें एक प्रतीक प्रजापति की बुक थी, और एक थी ब्रह्मचर्य ही जीवन है, लेकिन अगRead more

    श्री राधे,

    अगर हम अपना अनुभव बताएं, जो हमने जाना है, तो सबसे पहले जब हम ब्रह्मचर्य के लिए थोड़ा सा सजग हुए थे, जब हमको ये एप और कम्युनिटी मिली थी जुलाई में, तब हमने कुछ ब्रह्मचर्य से रिलेटेड पुस्तकों का अध्ययन शुरु किया था, जिसमें एक प्रतीक प्रजापति की बुक थी, और एक थी ब्रह्मचर्य ही जीवन है, लेकिन अगर आपको सही बताएं तो शुरु शुरु में इनमें लिखी बातें आपको हवा हवाई लग सकती हैं।।

    इसलिए हमारा तो यही कहना है कि अगर आप शुरुआती फेज में हो, तो ब्रह्मचर्य की पुस्तकें ना पढ़कर आध्यात्मिक पुस्तक पढ़ें। जैसे हमने भी शुरुआत में ये दो ही पढ़ीं थी, लेकिन हमें जमा नहीं, तो हमने श्री ब्रह्म वैवर्त पुराण का अध्ययन शुरु किया, फिर श्री वाल्मीकि रामायण पढ़ी, और फिर श्रीमद भागवत लिखनी शुरु करी, जी हाँ हमने उसे पढ़ा नहीं बल्कि लिखना स्टार्ट किया, क्योंकि पूज्य महाराज जी रोज सुनाते थे और हम उसे रोज टाइप करते थे क्योंकि हम स्वयं को ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखना चाहते थे उस समय।

    फिर भागवत जी का प्रभाव हुआ, हमारी अध्यात्म में और रुचि बढ़ने लगी, ब्रह्मचर्य में स्थित रहने लगे, और जब यह स्थिरता आई तब जाकर फिर से ब्रह्मचर्य को समझना शुरु किया, और कार्य निरंतर प्रगति पर है।

    अब तो जगह जगह से ब्रह्मचर्य के बारे में और जानने की लालसा बनी रहती है, और जो नई चीज जहाँ से सीखता हूँ वो या तो इस पोर्टल पर जबाव में लिख देता हूँ या फिर pdf बना कर ग्रुप में डाल देता हूँ।

    मै जो भी कुछ लिखता हूँ, अपने मन से एक शब्द भी नहीं लिखता हूँ, बस जो कुछ गुरुजनो से, प्रबुद्ध जनों से जाना है, समझा है, लिख देता हूँ।

    आशा है आपको इस जबाब से मदद मिली होगी।।

    ।।राधे राधे।।

     

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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 23, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

How to Practice Celibacy?

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  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 23, 2024 at 9:27 am
    This answer was edited.

    जब व्यक्ति को लगने लगता है कि मैं सही हूं, मैं कोई गलती नहीं कर रहा हूं, तो उस स्थिति में उस व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार के सुधार की कोई संभावना नहीं रहती है। जब व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि मैं कहां गलत हूं, तो जो गलती वह कर रहा है, उस गलती को वह लंबे समय तक नहीं कर पाएगा। उसके अंदर एक ग्लानिRead more

    जब व्यक्ति को लगने लगता है कि मैं सही हूं, मैं कोई गलती नहीं कर रहा हूं, तो उस स्थिति में उस व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार के सुधार की कोई संभावना नहीं रहती है। जब व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि मैं कहां गलत हूं, तो जो गलती वह कर रहा है, उस गलती को वह लंबे समय तक नहीं कर पाएगा। उसके अंदर एक ग्लानि का भाव आने लगेगा और उसे लगेगा कि इस स्तर पर सुधार करना है।

    वह उस स्तर पर सुधार कर भी लेगा। यानी कि अगर हमें किसी भी स्तर पर सुधार करना है, तो हमें ठीक-ठीक यह पता होना चाहिए कि हम गलती कहां कर रहे हैं।

    इसीलिए, अनेक बंधुओं से बात करने के बाद, उनको समझने के बाद, इस विषय के गहन विश्लेषण और शास्त्रों के स्वाध्याय के बाद हमने जो पाया है, वह दस गलतियां हम आपके साथ साझा कर रहे हैं जो कि ब्रह्मचर्य पालन में व्यक्ति करता है। अगर आप इस स्तर पर सुधार करते हैं, तो आपको बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

    अब हम आगे बढ़ते हैं और अपनी इन दस गलतियों को समझते हैं।

    1. भोगों में ही सुख है

    यहां पर सबसे पहली गलती यह है कि मन को व्यक्ति अपना हितैषी समझने लगता है और भोगों में ही सुख है, ऐसा वह समझने लगता है। इसे मैं एक उदाहरण से कहता हूं।

    आप समझें कि आपका कोई व्यक्ति अहित करना चाहता है, आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है और इसके लिए वह आपके पास आता है, बैठता है, घुलता-मिलता है और आपको समझने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब तक आपको नहीं पता है कि यह व्यक्ति मेरा अहित करने के लिए मेरे पास आता है।

    अब जो व्यक्ति आपके अहित के लिए आपके पास आ रहा है, उसके पास उठने-बैठने वाला एक व्यक्ति है जो कि आपका भी मित्र है। उसे पता चलता है कि अरे, यह व्यक्ति तो मेरे मित्र के पास इसलिए जाता है कि उसका अहित कर सके, उसे नुकसान पहुंचा सके, उसके मन में गलत चीजें भर सके।

    अब वह मित्र आपके पास आता है और बताता है कि अमुक व्यक्ति, जो आपके पास आजकल आ रहा है, वह आपका अहित करने के लिए आ रहा है, आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है। अब जैसे ही आपको यह पता चलेगा कि उस व्यक्ति की वास्तविकता क्या है, कि वह आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है, तो आप सचेत हो जाएंगे। और वह व्यक्ति जब दोबारा आपके पास आएगा, तो आप उसकी किसी भी बात पर विशेष ध्यान नहीं देंगे। भले ही आप उसकी बात सुन लें, लेकिन आपको पता होगा कि ये जितनी भी बातें हैं, यह सारी बातें मुझे नुकसान पहुंचाने के लिए ही की जा रही हैं।

    बिल्कुल इसी प्रकार आप समझें कि अगर आपको अपने मन की वास्तविकता का पता चल जाता है कि यह जितनी भी बातें आपको बताता है, सुझाव देता है और कहता है कि इस भोग में सुख है, वो मिल गया तो अगले भोग में सुख है, काम में सुख है, स्त्री का संपर्क मिल जाए तो उसमें सुख है, हस्तमैथुन आदि क्रियाओं में लगे रहो तो उसमें सुख है—तो ये सारी बातें आपका पतन कराने के लिए हैं।

    अगर ठीक-ठीक यह बात आपके मन में बैठ जाए और मन की वास्तविकता का आपको बोध हो जाए, तो आप मन के बहकावे में नहीं आएंगे। फिर जो भी सुझाव आपको यह मन देगा, उसे तुरंत ही अपने मस्तिष्क से हटा सकेंगे। इस बात को पक्का करके मन में बिठाना होगा कि मन के सुझाव पतन की तरफ ले जाने वाले हैं।

    जब तक यह सधता नहीं है… जब यह सध जाए, तो इसके ही सुझाव सकारात्मक हो जाते हैं। लेकिन वह एक साधक की स्थिति होती है। अभी आपको मन के सुझावों से बचना है।

    2. लापरवाही करना

    दूसरे स्थान पर जो गलती व्यक्ति करता है, वह है लापरवाही। यानी कि उसने ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू किया। अब उसने पहले जैसे, पहले एक हफ्ते में ही ब्रह्मचर्य उसका खंडित हो रहा था। अब उसने पंद्रह दिन तक ब्रह्मचर्य कर लिया। एक महीने तक ब्रह्मचर्य कर लिया।

    अब ऐसी स्थितियों में साधक लापरवाह हो जाता है कि, “अरे, मैं तो ब्रह्मचर्य कर ही लेता हूं। अब तो मुझे कोई समस्या नहीं है। अब तो मुझे काम के विकार सताते नहीं हैं।” लेकिन उसे नहीं पता है कि विकार समाप्त नहीं हो गए हैं। विकार प्रसुप्त अवस्था में हैं, अभी सोए हुए हैं।

    अब उनको कोई थोड़ा सा चित्र मिल जाए, कोई थोड़ा सा विचार मिल जाए, आलंबन मिल जाए, तो वो दोबारा खड़े हो जाएंगे और पूरे सक्रिय हो जाएंगे। आपको भ्रष्ट कर देंगे।

    तो आपको लापरवाह नहीं होना है। भले ही आपने एक महीना, दो महीना, पांच महीने का ब्रह्मचर्य कर लिया हो, लेकिन फिर भी उतना ही सचेत बने रहना है जितना सचेत आप ब्रह्मचर्य के पहले दिन और पहले संकल्प के समय में थे।

    तो अगर आप लापरवाह हो जाते हैं, तो आपका ब्रह्मचर्य नष्ट होगा ही होगा। और अगर सचेत, सजग बनकर के, सावधान रहकर के ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, तो आप आगे बढ़ जाएंगे। यह हमारी दूसरी गलती है।

    3. निराशा

    तीसरे स्थान पर आती है निराशा। हम इस बात को बड़ा देखते हैं कि, अरे मुझे तो बार-बार स्वप्न दोष हो जाता है। मुझे तो बार-बार काम के वेग सताते हैं। मैंने तो गलत आहार ले लिया। मैं तो अब इतना दुर्बल हो गया हूं। मेरा शरीर ठीक होना मुश्किल है। मुझे तो धातु रोग की समस्या है।

    इस तरीके से बहुत सारे विचार व्यक्ति के मन में निरंतर चलते रहते हैं और वह मन के तल पर कमजोर होना शुरू हो जाता है। जितना वह कमजोर होगा, उतना ही मन उसके ऊपर हावी हो जाएगा और गलत तरीके के विचारों में उसे फंसा लेगा।

    आत्मबल ही मन को हराने का साधन है। अगर आप निराश हो जाएंगे तो आपको कोई नहीं बचा सकेगा, क्योंकि यह बल अंदर से मिलता है। यह बाहरी विषय वस्तु नहीं है। तो आपको समझना है कि चाहे जो भी स्थिति हो, अगर मैं आज से ठीक चलता हूं तो मैं पुनः अपने आप को सक्षम बना सकता हूं।

    और यही सच भी है। ऐसा नहीं है कि यह कोई काल्पनिक बात है। यही सच है। जो सच है बस उसको स्वीकार करना है। आपके शरीर के अंदर बहुत अद्भुत क्षमता है।

    ब्रह्मचर्य एक विशेष शक्ति है, एक विशेष बल है। इसको आप जब धारण करेंगे, भले ही आपकी आयु बीस साल हो, पच्चीस हो या तीस हो या उससे अधिक हो, आपको इससे लाभ मिलेंगे ही मिलेंगे। यहां तक कि अगर पचास या साठ साल की आयु है, ब्रह्मचर्य तो तब भी लाभ देता है, तब भी प्रभाव दिखाता है।

    तो आपको निराश नहीं होना है, हताश नहीं होना है और पूरे आत्मबल के साथ इस मार्ग पर आगे बढ़ना है। निराशा और हताशा को जीवन में स्थान ना दें। यह हमारा तीसरा विषय हुआ।

    4. साधनों का सहारा ना लेना

    चौथे स्थान पर है, ब्रह्मचर्य को पुष्ट करने वाले साधनों का सहारा न लेना। हमारे योगियों ने कई ऐसे तरीके बताए हैं, जो इस मार्ग में आपकी सहायता कर सकते हैं।

    सबसे पहला है शौच (शुचिता)। शुचिता की बात आती है, तो सबसे पहले शरीर को साफ रखना शुरू करें। दिन में दो बार अच्छे से स्नान करें। यदि आपने व्यायाम किया, पसीना निकला, तो शरीर की सफाई हुई। अन्य प्रकारों से भी जितना हो सके, शरीर को साफ रखें। धीरे-धीरे नाम जप, ध्यान, स्वाध्याय आदि के माध्यम से मन की सफाई करनी है। इस प्रकार शौच अनिवार्य है।

    दूसरे स्थान पर आता है प्रत्याहार, यानी इंद्रियों को अंतर्मुखी करना। जब आपके भीतर जो आनंद है, वह आपको अनुभव होना शुरू हो जाएगा, तो बाहरी विषयों के आकर्षण में कमी पड़ने लगेगी। उदाहरण के लिए, हमारे योगी, तपस्वी, ऋषि आदि परम आनंदित रहते थे। क्या वे बाहरी विषयों से जुड़कर आनंदित रहते थे? आप कहेंगे नहीं, क्योंकि बाहरी विषय तो उनके पास कुछ भी नहीं होते थे। तो आनंद कहां से था? आनंद था आंतरिक। यानी, ऐसा कुछ विषय भी है, जो आपको अंदर से ही आनंदित करता है।

    जब उस स्रोत से आप जुड़ना शुरू कर देंगे और परमात्मा के नाम, ध्यान, नाम जप, पूजा, कीर्तन, मनन आदि साधनों में रुचि आनी शुरू हो जाएगी, तो आपका आकर्षण बाहरी विषयों से कट जाएगा। अंतर्मन के आनंद का अनुभव हो जाने पर प्रत्याहार एक अच्छा साधन बनता है। तीसरे स्थान पर है स्वाध्याय। जब आप महापुरुषों की वाणी को पढ़ते हैं, शास्त्रों को पढ़ते हैं, भगवान के शब्दों को पढ़ते हैं, तो आपको स्पष्टता होती है और आपका भ्रम नष्ट होता है। यह भ्रम कि भोगों में ही सुख है, या इन्हें प्राप्त कर लेना ही जीवन में पूरी तरह संतुष्टि पाने का मार्ग है, टूट जाएगा। जब भ्रम टूटेगा, तो आप सही मार्ग पर अग्रसर होने लगेंगे।

    अंत में आता है ईश्वर-प्रधानता। अपने आप को परमात्मा के अधीन समझकर उनके चरणों में समर्पित करें और इस जीवन को जीएं।

    यदि इन साधनों का प्रयोग आपने कर लिया, तो ब्रह्मचर्य बड़ा सरल हो जाएगा, बहुत सरल। आपको इन साधनों को अपने जीवन में अपनाना है और इनका सहारा लेना है। जब आपकी जिज्ञासा बनेगी, तब आप इन्हें जानने का प्रयास करेंगे और मार्गदर्शन भी प्राप्त करते जाएंगे।

    लेकिन जिज्ञासा और प्रयास तो होना चाहिए, तभी आपको मार्ग मिलेगा। यह हमारी चौथी गलती है कि ब्रह्मचर्य को पुष्ट करने वाले साधनों का व्यक्ति प्रयोग नहीं करता है।

    5. आतुरता

    पांचवें स्थान पर आती है आतुरता। हमने कितने बंधुओं को देखा जो कहते हैं कि, “मुझे तो एक महीना हो गया, मुझे तो कोई भी लाभ दिखाई नहीं दे रहे हैं। मुझे तो दो महीने हो गए, अब तक कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया।”

    पहली बात तो यह है कि पहले बदलाव होते हैं आंतरिक तल पर, विचारों के तल पर। शांति आनी शुरू हो जाती है, सहजता आनी शुरू हो जाती है। जो ग्लानी का भाव था, वह खत्म होना शुरू हो जाता है। आंतरिक तल पर बदलाव आते हैं, उनको अनुभव करो।

    फिर सूक्ष्म तलों पर, शारीरिक तल पर बदलाव आते हैं, जो आप शुरुआती समय में अनुभव नहीं कर पाएंगे। आप थोड़ा धैर्य रखें। एक वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन निरंतर करें, फिर आपको स्पष्ट अंतर देखने को मिलेंगे।

    लेकिन जो यह आतुरता है, इसके कारण व्यक्ति को लगता है कि, “अरे, मुझे तो कोई लाभ नहीं मिल रहे हैं। मैं तो कुछ गलत कर रहा हूं। दूसरे लोग जैसा कहते हैं, वैसे प्रभाव तो नहीं है।”

    इस अधीरता के कारण, आतुरता के कारण वह फिर से ब्रह्मचर्य नाश करना शुरू कर देता है। उसका पतन हो जाता है। तो इस स्तर पर भी आपको ध्यान देना है कि आतुरता नहीं होनी चाहिए।

    6. परिवेश का परिवर्तन

    छठे स्थान पर है परिवेश का परिवर्तन। जैसे कि आप किसी एकांत कमरे में हैं और आपको काम का वेग सताने लगे। आप किसी ऐसे स्थान पर हैं, जहां आप लंबे समय तक अकेले ही लेटे हुए हैं। तमोगुणी वृत्तियां बढ़ रही हैं, काम के विचार आने लगे। अब उस स्थान पर न रुकें, उस परिवेश में न रुकें।

    या फिर आप कुछ ऐसे लोगों का संग कर रहे हैं, किसी ऐसी मंडली में बैठे हुए हैं, जहां पर गलत प्रकार की बातें होनी शुरू हो जाती हैं। इस प्रकार की स्थिति बनने लगती है, तो उस मंडली में न बैठे रहें। स्थान का परिवर्तन करें, क्योंकि स्थान की एक ऊर्जा होती है। अगर कोई स्थान आपको नकारात्मक स्थिति में ले जा रहा है, तो वहां से उठकर तुरंत चलना शुरू कर दें। किसी दूसरे स्थान पर चले जाएं, किसी दूसरे कक्ष में चले जाएं। जहां पर कोई हो, ऐसे स्थान पर चले जाएं। यदि आपके पास कोई पार्क आदि है, तो वहां चले जाएं।

    इस स्थिति को जब आप बदलेंगे, तो मनोदशा पर भी उसका प्रभाव पड़ेगा। एक पीरियड होता है, जब काम का वेग आता है। उस वेग का एक समय होता है। उस समय को जब आप क्रॉस कर जाएंगे, तो आप उस वेग से बच जाएंगे। अगर ऐसा आप करते हैं, तो इससे भी आपको लाभ देखने को मिलेगा।

    स्थान का परिवर्तन भी कई बार आपको उस वेग से बचा सकता है। अगर आप वहीं रुकते हैं और उस वेग में ही, उस काम में ही रस लेना शुरू कर देते हैं, तो फिर आप निश्चित रूप से भ्रष्ट हो जाएंगे। धीरे-धीरे वह वृत्ति इतनी बढ़ेगी कि आपको वह गलत क्रिया करने पर विवश कर ही देगी। इस बात का भी ध्यान रखना है।

    7. ब्रह्मचर्य की अवधारणा

    सातवें स्थान पर है कि ब्रह्मचर्य का आपको सही अर्थ पता होना चाहिए। यहां पर दो शब्द हैं: “ब्रह्म”, यानी कि सर्वोच्च सत्ता, पारब्रह्म, परमेश्वर; और “चर्या”, जिसका अर्थ है ऐसा आचरण जो आपको भगवान की तरफ ले जाता हो। यही ब्रह्मचर्य है।

    अब, अगर आपकी जिव्हा बहुत अधिक अनियंत्रित हो जाती है और बार-बार आपको गलत प्रकार के पदार्थों को खाने के लिए प्रेरित करती है, तो आप ब्रह्मचर्य का नाश कर रहे हैं। क्योंकि आप उस मार्ग पर जा रहे हैं जो कि आपको परमात्मा से विमुख करता है, उनके सम्मुख नहीं।

    इस तरीके से जब आप देखेंगे और इस पर गहनता से सोचेंगे, तो एक-एक इंद्री का आपको समझ आ जाएगा कि ये सारी इंद्रियां ही हमें भटका रही हैं। ये सारी इंद्रियां ही हमें पतन की ओर ले जा रही हैं और प्रभु से विमुख कर रही हैं।

    तब आपको समझ आएगा कि एक इंद्री पर संयम कर लेना मात्र ही ब्रह्मचर्य नहीं है। ब्रह्मचर्य है “सर्व इंद्रिय संयम”। जो हमने कई बार बताया है, ब्रह्मचर्य का अर्थ वही है।

    जब आपको यह समझ आ जाएगा, तो आप बहुत सावधान हो जाएंगे और आप हर एक इंद्री को रोकेंगे। जब हर एक इंद्री को रोकेंगे, तो मन को लगेगा कि यह तो बड़ा सावधान व्यक्ति हो गया है। यह तो हर स्थान से मुझे काट रहा है। यह तो हर स्थान पर मेरे सम्मुख खड़ा हो जाता है।

    धीरे-धीरे जो मन आपका शत्रु है, वह आपका मित्र होने लगेगा। क्योंकि मन का स्वभाव है चलना। अब, जब आप उसे गलत स्थान पर नहीं चलने दे रहे हैं, तो स्वाभाविक ही वह सही स्थान पर चलना शुरू कर देगा।

    यकीन मानिए, ऐसा ही होता है। हमने अनुभव किया है। इससे भी आपके जीवन में बड़े बदलाव होंगे और आपको एक अलग ही मार्ग प्राप्त हो जाएगा। तो ब्रह्मचर्य की व्यापक अवधारणा को समझना यह भी जरूरी हो जाता है।

    8. वेगों को सहन करना

    आठवें स्थान पर है काम के वेग को सहन करना। भगवान ने कहा है कि काम, क्रोध आदि के वेगों को जो सह जाता है, वही योगी है, वही सुखी है। तो आपको समझना है कि भगवान ने कहा है कि वेगों को सहना है। यानी कि भगवान भी यह कह रहे हैं कि वेग आएंगे जरूर, बस तू उसे सह जाना। तू उसमें फंसना मत।

    अगर वेग आया और आपने संकल्पबद्ध होकर, एकाग्रचित होकर, चिंतन के माध्यम से पूर्व के अपने अनुभवों को देख कर, उस भोग को दुख देने वाला समझ कर, उस भोग का, उस वेग का त्याग कर दिया, तो समझें कि आप उससे आगे बढ़ गए।

    जितनी बार आप ऐसा करेंगे, वेग को सह जाएंगे, उतना आपका आत्मबल बढ़ेगा और मन कमजोर होने लगेगा। आप उस स्थिति से निश्चित रूप से बाहर आ जाएंगे।

    वेगों को सहन करना ब्रह्मचर्य के मार्ग में अनिवार्य बिंदु है। ऐसा कोई नहीं है जिसे यह वेग नहीं सताते, जब वह अपने शुरुआती समय में होता है। लेकिन जो इसे सह जाता है, वह साधक हो जाता है। और जो इसमें फंस जाता है, वह भोगी हो जाता है।

    9. मोबाइल से दूरी

    नौवें स्थान पर हमारा बिंदु है। एक बड़ी बीमारी है आज के समय में आपका फोन। आपके फोन में आज के समय में तो ऐसी स्थिति बन गई है कि आप कोई सही चीज भी देख रहे हैं, इस प्रकार का ऐड आ जाएगा, विज्ञापन आ जाएगा, जो कि पूरी तरह से गलत वेबसाइट्स पर ले जाने वाला और गलत तरीके के दृश्य आपको दिखाने वाला है। इस प्रकार की चीजें आपके सामने आ जाएंगी।

    आप इस फोन का ही सही प्रयोग कर सकते हैं तो आपका मंगल निश्चित रूप से होगा। कहीं ना कहीं बदलाव निश्चित रूप से होंगे। लेकिन इससे ही आप गलत प्रकार की फिल्में, गलत प्रकार के चित्र, इस तरीके की चीजें भी देख सकते हैं। तो आपको कम से कम प्रयोग इसका करना है और जितना प्रयोग करना है, आपको केवल सही चीजें ही देखनी हैं।

    बैठ कर के रील स्क्रॉल कर रहे हैं, इस प्रकार की चीजें निरंतर देख रहे हैं। पता भी नहीं चलता, घंटों का समय आपका खराब हो जाता है। इन चीजों से बिल्कुल बचें। कम से कम इसका प्रयोग करें। जितना प्रयोग करें, सार्थक प्रयोग करें।

    बाकी समय में भले ही एक छोटा फोन रख लें, जिसमें केवल आप फोन पर बात कर सकते हैं। लेकिन आपको एक नियम जरूर बनाना होगा कि इससे मुझे दूरी बनाए रखनी है और इसका उचित और सम्यक प्रयोग करना है। यह भी आज के समय के हिसाब से अनिवार्य है।

    10. स्वयं का मूल्यांकन

    अब दसवां हमारा यहां पर बिंदु है कि जो आपने यह पीछे के नौ बिंदु समझे हैं, क्या इनका पालन आप ठीक से कर रहे हैं? क्या इन गलतियों का आप सुधार कर रहे हैं? इस बात की जांच आपको रोज संध्या में करनी है। इन्हें सबको लिख लें, लिखकर के रख लें, और उसके बाद एक-एक करके इन सभी स्तरों पर सुधार करें। अपने आपको मजबूत करें और फिर अंतिम, जो हमने कहा, कि मूल्यांकन करें कि क्या आप ठीक से इन सब स्तरों पर कार्य कर रहे हैं।

    बस अगर इन दस गलतियों का सुधार आप कर लेते हैं और अगर इतना आपने कर लिया, तो आप यकीन मानिए, आपको कोई भ्रष्ट नहीं कर सकेगा। आप एक विशाल व्यक्तित्व वाले व्यक्ति होंगे और आप चाहे किसी भी स्थिति में आज फंसे हुए हैं, आप उससे बाहर भी आएंगे। आप इतने सक्षम हो जाएंगे कि आप अन्य व्यक्तियों को भी प्रेरित करेंगे इस मार्ग पर बढ़ने के लिए, उनके आचरण को सुधारने के लिए और अपने आप को सबल करने के लिए। तो इन चीजों का आपको ध्यान रखना है। हमने सरलता से ये चीजें आपको समझाने का प्रयास किया।

    अपेक्षा है कि पूरा मार्गदर्शन आपको ठीक से समझ आ भी गया होगा। तो आज के लिए आपके लिए यही मार्गदर्शन था। आपके प्रश्नों के आधार पर भविष्य में मार्गदर्शन अन्य भी होते रहेंगे। आज के लिए इतना ही, शेष चर्चा कल करेंगे।

    ।।राधे राधे।।

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 6, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, समझाइये।।

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  1. Ranjan Ghosh
    Ranjan Ghosh
    Added an answer on April 29, 2025 at 11:59 am

    Adhyatma aur naam jap ke Bina Brahmacharya sambhar nahin hain...Aaj Kal jo mahaul hain use.to koshish bhi sambhar nahin hain... Ultimate aim to Bhagvan hi hain, rasta bhi wo hain aur manzil bhi....Sangsar mein itni chana chanda hain ki hum kho hi jaenge. Naam jap.karte.rahiye aur brahmacharya par laRead more

    Adhyatma aur naam jap ke Bina Brahmacharya sambhar nahin hain…Aaj Kal jo mahaul hain use.to koshish bhi sambhar nahin hain… Ultimate aim to Bhagvan hi hain, rasta bhi wo hain aur manzil bhi….Sangsar mein itni chana chanda hain ki hum kho hi jaenge.

    Naam jap.karte.rahiye aur brahmacharya par laage rahiye

     

    Hare Krishna

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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 20, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

2025 Me Gandi Video Dekhna Kaise Chhode?

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bad habitsBrahmacharyabrahmacharya challenge
  1. Ranjan
    Best Answer
    Ranjan Acharya ISKCON devotee
    Added an answer on December 21, 2024 at 4:21 am
    This answer was edited.

    गंदी वीडियो देखने की आदत को छोड़ने के लिए आपको अपनी दिनचर्या और आदतों में बदलाव लाना होगा। नीचे दिए गए उपाय आपकी मदद कर सकते हैं: मोबाइल पर नियंत्रण करें मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने से अश्लील सामग्री की ओर झुकाव बढ़ता है। अनावश्यक ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक करें। स्क्रीन टाइम सीमित करें और अपने फोनRead more

    गंदी वीडियो देखने की आदत को छोड़ने के लिए आपको अपनी दिनचर्या और आदतों में बदलाव लाना होगा। नीचे दिए गए उपाय आपकी मदद कर सकते हैं:

    मोबाइल पर नियंत्रण करें

    मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने से अश्लील सामग्री की ओर झुकाव बढ़ता है।

    • अनावश्यक ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक करें।
    • स्क्रीन टाइम सीमित करें और अपने फोन का उपयोग केवल जरूरी कामों के लिए करें।
    • रात में सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दें।

    नाम जप की आदत डालें

    मन को शुद्ध और स्थिर बनाने के लिए भगवान का नाम जप करना बहुत प्रभावी हो सकता है।

    • रोजाना कम से कम 15-20 मिनट हरि नाम या अपने ईष्टदेव का नाम जप करें।
    • इससे आपका मन सकारात्मक और शांत रहेगा, और अनैतिक विचारों से बचा जा सकेगा।

    OTT प्लेटफॉर्म्स डिलीट करें

    अगर आपका मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्लेटफॉर्म्स, जैसे Netflix या अन्य OTT ऐप्स, आपको अश्लील सामग्री दिखाने की ओर आकर्षित करते हैं, तो इन्हें तुरंत हटा दें।

    सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करें

    • फेसबुक, इंस्टाग्राम, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का कम से कम इस्तेमाल करें।
    • केवल उन लोगों और पेजों को फॉलो करें जो सकारात्मक और प्रेरणादायक सामग्री साझा करते हैं।
    • अपने सोशल मीडिया फीड को साफ रखें और खुद पर नियंत्रण रखें।

    सही संगति में रहें

    आपकी संगति का सीधा असर आपके विचारों और आदतों पर पड़ता है।

    • उन लोगों का साथ छोड़ें जो हमेशा अश्लील और अनैतिक बातों पर चर्चा करते हैं।
    • सकारात्मक और प्रेरणादायक लोगों के साथ समय बिताएं।

    आत्म-नियंत्रण विकसित करें

    ब्रह्मचर्य का पालन करना तभी संभव है जब आप अपने मन और इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकें।

    • छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करें, जैसे दिनभर की आदतों पर ध्यान देना।
    • नियमित अनुशासन अपनाएं और अपनी सोच को सही दिशा में मोड़ें।

    इन सुझावों को अमल में लाने से आप इस आदत को छोड़ सकते हैं। यह प्रक्रिया धैर्य और नियमित प्रयास मांगती है, लेकिन अगर आप ईमानदारी से प्रयास करेंगे, तो सफलता निश्चित है।

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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 26, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

Brahmacharya palan krne wala vyakti akela pan mahsoos krta hai , isse bachne ke liye kya upay kiye ja sakte hai?

  • 0

Jab hum apne dosto ko Brahmacharya ke liye kahte hai to wo , humse gussa ho jate hai . Kahte hai ki tumhe ye krna hai to karo mujhse ye sab baate mat kahna kabhi.

question
  1. Aditya
    Aditya Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on December 26, 2024 at 1:47 pm

    Aap bilkul bhi pareshan n ho kyunki aap ek durlabh path pr h joki aapko ek sadharan insaan se mahamanav bana dega .... Jaise jaise dinn badhte jayenge bramhacharya ke , aapme ek tezz unko khud b khud attract kr layegi aur vo bhi aapse kaafi prabhavit honge ..... Prabhu ka naam jao krte rhe , apna puRead more

    Aap bilkul bhi pareshan n ho kyunki aap ek durlabh path pr h joki aapko ek sadharan insaan se mahamanav bana dega ….

    Jaise jaise dinn badhte jayenge bramhacharya ke , aapme ek tezz unko khud b khud attract kr layegi aur vo bhi aapse kaafi prabhavit honge …..

    Prabhu ka naam jao krte rhe , apna pura dhyaan aur gyaan unhe hi samarpit kre , unse hi Jude unse hi baatein kren ….. akelapan kabhi bhi nhi mehsus hoga aapko….

    Dhanyawad 🙏 🙏 🙏

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 7, 2025In: चुनौतियाँ और समाधान

आप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास और प्राणायाम करते हैं?, और कितनी देर करते हैं?

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  1. Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 9, 2025 at 5:43 am

    1) पानी पीने के बाद 10 मिनट टहलता हु। 2) शौच से आकर , दांत धोने के बाद warm up करता हूं। 3)वॉर्म अप मै सबसे पहले शरीर के सारे अंगों को एक एक करके stretch करता हूं, फिर सभी ज्वाइंट हो एक एक करके गोल गोल घुमा हु।(क्रम ईश प्रकार है , हाथ , पैर , घुटना , गर्दन , कमर ) 4) वॉर्म अप के तुरंत बाद पुश अप, 20Read more

    1) पानी पीने के बाद 10 मिनट टहलता हु।

    2) शौच से आकर , दांत धोने के बाद warm up करता हूं।

    3)वॉर्म अप मै सबसे पहले शरीर के सारे अंगों को एक एक करके stretch करता हूं, फिर सभी ज्वाइंट हो एक एक करके गोल गोल घुमा हु।(क्रम ईश प्रकार है , हाथ , पैर , घुटना , गर्दन , कमर )

    4) वॉर्म अप के तुरंत बाद

    • पुश अप, 20 के 3 सेट
    • बैठक (100 नॉर्मल + 20 पैर की एरी उठा के)
    • दंड ( 20 +20 नॉर्मल , 5 राममूर्ति दंड😬)

    5) 2 मिनिट रेस्ट , 10 गहरा सास लिया और फिर प्राणायाम शुरू।

    6) प्राणायाम मै(क्रमानुसार)

    • अनुलोम विलोम 20
    • कपालभाति 100
    • भस्त्रिका 20
    • अंतः प्राणायाम 5
    • वाह्य प्राणायाम 5
    • भ्रामरी 5
    • ओम उच्चारण 5

    7) मै कोई ज्याद आसन नहीं करता हु , बस सर्वांगासन और शवासन ।। समाप्त।।

    8) आधा घंटा रुककर पानी पिता हु , पानी पीने के 10 मिनिट बाद नहा कर सूर्य देवता को जल अर्पण करता हु।

    व्यायाम और प्राणायाम मै कुल मिलकर मुझे 1 घंटा 40 मिनट का समय लग जाता है ,

    40 मिनिट में वॉर्म अप ( व्यायाम से पहले शरीर  को गर्म करना जरूरी होता है , वैसे भी अभी ठंड बहुत बढ़ गई है😱🌨️।) इसलिए समय बढ़ाना पड़ा।

    बाकी समय व्यायाम और प्राणायाम मै ,  मै कुंभक के साथ व्यायाम करता हूं।

    जय श्री राम,🙏

    धन्यवाद 🙏

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Asked: December 20, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

Hastmaithun Kaise Chhode in 2025?

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Brahmacharyahastmaithun
  1. Rohit_kumar
    Best Answer
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on December 21, 2024 at 12:18 pm

    Buri aadato ko chorna aasan nahi hota , ye keval tabhi kiya ja sakta hai jab aap uske sthan pe kuch achi aadato ko apnaye jo hai Brahmacharya ka palan krna. Ye aapki personal problem hai ,aap chaho to ishe chor do ya na bhi choro. Ishme faida aur nuksaan dono aapka hee hai. Aapke aas paas jo log braRead more

    Buri aadato ko chorna aasan nahi hota , ye keval tabhi kiya ja sakta hai jab aap uske sthan pe kuch achi aadato ko apnaye jo hai Brahmacharya ka palan krna.

    Ye aapki personal problem hai ,aap chaho to ishe chor do ya na bhi choro. Ishme faida aur nuksaan dono aapka hee hai.
    Aapke aas paas jo log brahmacharya ka palan karenge wo asim safalta ko prapt karenge.
    Aapne agar palan kiya to aap bhi unke barabar ke sthan pe hoge. Lekin agar nahi kiya ko aap ish awastha mai hoge ki khud ko kosenge ki jab Brahmacharya ke bare mai pata chal hee gaya tha to maine palan kyu nahi kiya.

    Abhi samay hai aapke paas , ye sab chor de aur sahi raaste ko chune.

    1 ghanta lagataar vyayam krne se jo mood fresh hota hai uska comparison koi aur activity nahi kar sakti.

    Pahle istemal kare fir biswas kare.

    🙏Dhanyabaad.

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 9, 2025In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

ब्रह्मचर्य में आपको कितना सावधान रहना होगा?

  • 0

  1. Rohit_kumar
    Best Answer
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 9, 2025 at 3:58 pm

    ब्रह्मचर्य का पर्याय अगर सावधानियां को कहा जाए तो गलत नहीं होगा।। कब सोना है , कैसे सोना है , कब नहीं सोना , क्या खाना है , क्या नहीं खाना , कितना खाना है , क्या देखना है , क्या नहीं देखना, क्या सुनना है क्या नहीं सुनना , क्या पढ़ें  क्या न पढ़ें।   अनेक प्रकार की सावधानियां रखनी पड़ेंगी , वो भRead more

    ब्रह्मचर्य का पर्याय अगर सावधानियां को कहा जाए तो गलत नहीं होगा।।

    कब सोना है , कैसे सोना है , कब नहीं सोना , क्या खाना है , क्या नहीं खाना , कितना खाना है , क्या देखना है , क्या नहीं देखना, क्या सुनना है क्या नहीं सुनना , क्या पढ़ें  क्या न पढ़ें।

     

    अनेक प्रकार की सावधानियां रखनी पड़ेंगी , वो भी केवल एक दिन या 1 सप्ताह के लिए नहीं , तब तक जब तक आप ब्रह्मचर्य में बने रहना चाहते है।।

    ।।सावधानी हटी दुर्घटना घटी।।

    सावधानी को हम 2 प्रकार मै बांट सकते है।

    1) मानसिक(80%)

    कोई ऐसा विचार का मनन नहीं करना जो बाद में पछतावा का कारण बन जाए। शरीर तो कठपुतली है वही करेगा जो मस्तिष्क उसे संदेश देगा।

    नाम जपो मन पे काबू पाओ।

    2) शारीरिक(20%)

    सीधी बात कहूं तो , शरीर मै एक अंग है जिसे केवल मूत्र त्याग के लिए उपयोग करना है , इसके अलावा कभी गलती से भी इसे स्पर्श नहीं करना , घोर पाप लग जाएगा , 100 दिन की तपस्या भी राख के बराबर हो जाएगी।

    व्यायाम करो शरीर पे काबू पाओ।

    जय श्री राम 🙏

    धन्यवाद 🙏

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Asked: December 20, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

Raat me dirty thoughts se kaise bache?

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Brahmacharyahastmaithun
  1. Ranjan
    Ranjan Acharya ISKCON devotee
    Added an answer on December 21, 2024 at 8:21 am
    This answer was edited.

    Sone  se pehle koi acchi kitab parle. For example, shlok from Gita or Krishna book of Srila Prabhupad. Stop mobile use 1 hour before sleep. Allow brain to relax. Do not watch TV or videos which are exciting..   The formula is simple-   GIGO- GARBAGE IN, GARBAGE OUT   JO ANDAR JAEGA WOHI NIKLEGA   HARead more

    Sone  se pehle koi acchi kitab parle. For example, shlok from Gita or Krishna book of Srila Prabhupad. Stop mobile use 1 hour before sleep. Allow brain to relax. Do not watch TV or videos which are exciting..   The formula is simple-   GIGO- GARBAGE IN, GARBAGE OUT   JO ANDAR JAEGA WOHI NIKLEGA   HARE KRISHNA

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