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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Latest Questions

Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 29, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

Kya Nightfall se Brahmacharya Toot Jata Hai?

  • 1

  1. Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta
    Added an answer on December 29, 2024 at 8:08 am

    स्वप्नदोष जब हमें होता है, जैसे कई बार हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, बहुत सारे भाई जिनके तीस दिन पूरे हुए हों, पंद्रह दिन पूरे हुए हों, चालीस दिन पूरे हुए हों या चार दिन पूरे हुए हों, और उन्हें बीच में स्वप्नदोष हो जाता है। स्वप्नदोष होते ही ऐसा लगता है कि हमारा ब्रह्मचर्य खंडित हो चुका है। अब हमेRead more

    स्वप्नदोष जब हमें होता है, जैसे कई बार हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, बहुत सारे भाई जिनके तीस दिन पूरे हुए हों, पंद्रह दिन पूरे हुए हों, चालीस दिन पूरे हुए हों या चार दिन पूरे हुए हों, और उन्हें बीच में स्वप्नदोष हो जाता है। स्वप्नदोष होते ही ऐसा लगता है कि हमारा ब्रह्मचर्य खंडित हो चुका है। अब हमें मैथुन कर लेना चाहिए और वीर्य का नाश कर देना चाहिए। इस तरीके की फीलिंग आने लगती है और ऐसा लगता है कि फिर से शुरुआत करनी चाहिए। कुछ इस तरीके की फीलिंग आती है।

    देखिए, आपको समझना होगा कि यह सारा खेल मन का होता है। कैसे? ज़रा मैं आपको उदाहरण दूंगा। उसे समझिए। कोई व्यक्ति है, चाहे आप हों या कोई और भी हो, सबके जीवन में सुख-दुख आता-जाता रहता है। किसी व्यक्ति के साथ पहले कभी बहुत बड़ा दुख हुआ हो, बहुत ही ज़्यादा बड़ा। उसका जो मतलब, जो एहसास है, वह बहुत ज़्यादा हुआ हो, और उन्हें तकलीफ हुई हो। उसे भूलने में काफी समय लग गया हो, काफी वक्त लग गया हो। लेकिन आज भी हम उस पुराने वक्त की बुरी यादें कई बार स्मृतियों में याद करते हैं कि ऐसा-ऐसा हुआ था मेरे साथ और मुझे बहुत तकलीफ हुई थी।

    लेकिन उस समय, जब वह हुआ था, तब उसे उस चीज़ का एहसास बहुत ज़्यादा रहता है। बहुत ज़्यादा तकलीफ होती है। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे, धीरे-धीरे वह एहसास कम होता जाता है। वह तकलीफ कम होती जाती है। पर आज हमें उसकी स्मृतियां याद रहती हैं। हम बुरे वक्त को पूरी तरीके से भूल नहीं सकते। उसकी स्मृतियां आज भी हमें याद होती हैं, लेकिन उतनी तकलीफ नहीं होती जितनी पहले, उस समय, जब वह चीज़ हमारे साथ हुई। उस समय जो हमें एहसास हुआ, उतनी तकलीफ आज नहीं होती।

    तो इस मन के खेल को समझने की कोशिश करें। इसी प्रकार से, देखिए, आपने जो भी काम पहले किया, जैसे हस्तमैथुन किया, तो लगातार शरीर और दिमाग का एक अभ्यास था। दिमाग को क्या पता है? दिमाग को यह पता है कि इस व्यक्ति ने लगातार अपनी ऊर्जा निकाली है। मेरी बात को समझिए। दिमाग को क्या लगता है? इसे लगता है कि इसने लगातार अपनी ऊर्जा निकाली है, तो यह आगे भी निकालेगा। और शरीर को भी अभ्यास है। शरीर को पता है कि यह अपनी ऊर्जा नीचे से निकालता आया है। तो यह अभ्यास बन चुका है।

    अब जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, तो पुरानी स्मृतियां कहीं न कहीं याद आती हैं। वे गंदे विचार बार-बार आपके दिमाग में आएंगे, जो पहले आते थे। आपके शरीर का जो अभ्यास है, वह उसे जारी रखेगा और आपको स्वप्नदोष होगा। लेकिन ब्रह्मचर्य भले ही आपका नहीं टूटेगा, लेकिन एक गलती आप शायद कर रहे हैं।

    तो उसे ज़रा ध्यान से देखिए। मेरे भाई, अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हो और किसी सोशल मीडिया पर कुछ देख रहे हो, आपके दिमाग में लगातार गंदे विचार आ रहे हैं। या आपने किसी को आकर्षण का केंद्र बना रखा है। आप उसके शरीर के बारे में सोच रहे हो। आप सोचना नहीं चाहते, लेकिन आपका मन आपको लगातार प्रेरित कर रहा है। और आप घर में खाली बैठे हुए हो। आपके पास कुछ करने को नहीं है।

    मेरी बात को ध्यान से समझिए। बार-बार रात में सोच रहे हैं। सोशल मीडिया चला रहे हैं। कोई न कोई गंदा अश्लील वीडियो आपके सामने आ गया। आपने देख लिया। अब उसकी छवि आपके दिमाग में बस गई है। अब वह छवि दिमाग में बस गई है और सुबह आपको नाइटफॉल हो जाता है।

    तो इसका मतलब यह है कि आप ब्रह्मचर्य पालन नहीं कर रहे हो। यानी आपने खुद छेड़छाड़ की है। नाइटफॉल होने के खुद संकेत दिए हैं। मेरी बात को ध्यान से समझना। देखो, एक कंडीशन यह है कि अगर आप ब्रह्मचर्य पालन कर रहे हो और अपनी दिनचर्या में कोई भी स्क्रोलिंग करते हो, कोई गंदा सोचते हो, किसी स्त्री के प्रति गंदा सोचते हो, उसके शरीर के प्रति गंदा सोचते हो, तो यह ब्रह्मचर्य नहीं कर रहे हो।

    देखो, आप गंदा सोच रहे हो। आप मोबाइल में गंदा देख रहे हो। रात में आपको दस-ग्यारह बजे तक सो जाना चाहिए, लेकिन आप नहीं सो रहे हो। आप स्क्रोलिंग कर रहे हो। आपने कुछ गलत देख लिया। अब आपके दिमाग में चिंगारी लग गई है। आपने खुद प्रेरित किया। आपने खुद अपनी उंगलियों से कुछ गलत देखा।

    ठीक है, हमारे बहुत से भाई कहते हैं कि हमने पोर्न देख लिया। हमने कोई बी-ग्रेड मूवी देख ली। हमने कोई मूवी देखी। उसमें कोई ऐसा सीन आ गया। तो आपने खुद ही देखा न? किसी ने आपको खोलकर तो नहीं दिखाया था। आपने खुद ही देखा और खुद ही प्रेरित किया। नाइटफॉल होने के लिए खुद ही प्रेरित किया।

    अपने आप को हस्तमैथुन करने के लिए प्रेरित किया। तो यह आपकी गलती है। इसमें आपका ब्रह्मचर्य टूटा ही माना जाएगा। ब्रह्मचर्य इसमें आपका टूट जाता है क्योंकि आप खुद प्रेरित कर रहे हो अपनी इंद्रियों को कि मैं कुछ गलत देखूं। फिर बाद में उसे रोककर सो जाऊं। और सुबह स्वप्नदोष हो जाए।

    तो फिर अपने आप से कहो कि मेरा ब्रह्मचर्य तो टूटा ही नहीं। तो ऐसा नहीं है। वह ब्रह्मचर्य टूट गया।

    कौन सा ब्रह्मचर्य नहीं टूटा है? कौन से स्वप्नदोष से नहीं टूटता? देखो, जिसमें आप कुछ नहीं कर रहे हो। आप सब नियमों का पालन कर रहे हो। आप रात में दस बजे सो जाते हो, सुबह जल्दी उठ जाते हो। ठीक है, आपके दिमाग में कोई भी ऐसा विचार आ भी रहा है, तो आप उसको इग्नोर कर रहे हो। आप उसको प्रबलता नहीं दे रहे हो।

    आप कुछ भी छेड़छाड़ नहीं कर रहे हो। मोबाइल में भी आप अच्छा ही देख रहे हो, अध्यात्म के वीडियो देख रहे हो, ब्रह्मचर्य के वीडियो देख रहे हो। तो भी कोई परेशानी की बात नहीं है। और अगर आपको तब भी स्वप्नदोष हो रहा है, तो इस कंडीशन में आपका ब्रह्मचर्य नहीं टूटा। जी हां, क्योंकि आपने अपनी इंद्रियों को प्रेरित नहीं किया। यह तो बस अपने अभ्यास से हो रहा है, शरीर के अभ्यास से हो रहा है।

    आपके दिमाग को जो भी पुराना अभ्यास है, उसके कारण हो रहा है। अब आपको अपना अभ्यास बदलना है, और आपने अपना अभ्यास बदलने की शुरुआत कर दी है। आपने प्रेरित नहीं किया, आपने जो है अभ्यास बदलने की शुरुआत कर दी है। और इसी बीच अगर स्वप्नदोष हो रहा है, तो उससे ब्रह्मचर्य नहीं टूटा।

    लेकिन यह कंडीशन है जिसमें आप खुद प्रेरित कर रहे हो। खुद मोबाइल में कुछ गलत देख रहे हो, कुछ स्क्रोलिंग कर रहे हो। सोशल मीडिया में कुछ गलत आ गया आपके सामने, और फिर आप कह रहे हो, सुबह नाइटफॉल हो गया। फिर आप अपने आप से कह रहे हो कि मेरा तो ब्रह्मचर्य टूटा ही नहीं। तो आप गलतफहमी में हो।

    क्योंकि बस ऐसी ही गलतफहमी में आप रोज फिर ऐसी स्क्रोलिंग करेंगे। गलत-सलत चीज देख लेंगे। और आपका ब्रह्मचर्य जो है टूट जाएगा। और आपको लगेगा कि नहीं टूटा। तो आपको फायदे फिर नहीं मिलेंगे।

    तो समझना यह है कि प्रेरित नहीं करना है। अपने आप को पूरी तरह अनुशासन से चलाना है, नियम से चलना है। मोबाइल में कुछ भी गलत नहीं देखना है। ब्रह्मचर्य के, अध्यात्म के वीडियो आपको देखने हैं। ठीक है। अगर आप पूरी तरीके से ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हो, तो ब्रह्मचर्य के वीडियो देखो।

    हर एक चीज में नियम जरूरी है। और ब्रह्मचर्य में सावधानी रखना बहुत ज्यादा जरूरी है। यह बात ध्यान रखना। कुछ भी गलत स्क्रोलिंग नहीं करना है। कुछ भी गलत वीडियो नहीं देखना है। नंगे, गंदे, भद्दी कॉमेडी नहीं देखनी है।

    अगर ज्यादा गाली-गलौच वाले वीडियो आदि ऐसी चीजें देखोगे, तो भी नाइटफॉल होने का खतरा रहेगा। और आप खुद प्रेरित कर रहे हो कि मुझे नाइटफॉल हो। तो वह ब्रह्मचर्य टूटा ही माना जाएगा।

    बात समझ में आ रही है? कुछ भी गलत मत देखो। अपने आप को गलत तरीके से प्रेरित मत करो। ऐसा अभ्यास बनाओ कि कुछ नई-नई चीजें, जिससे आपकी दिन-पर-दिन उन्नति हो। ऐसे काम करोगे, तो अगर स्वप्नदोष हो भी जाता है अभ्यास के कारण, तो ब्रह्मचर्य आपका टूटा नहीं माना जाएगा।

    कुछ भी गलत मत देखो। सिर्फ अच्छा देखो। अच्छे वीडियो देखो। तो अगर आपको स्वप्नदोष जैसा कुछ होगा भी, तो भी कोई दिक्कत नहीं है। ठीक है। तो आपका ब्रह्मचर्य नहीं टूटेगा। आप लगातार आगे बढ़ सकते हो।

    बस अपने आप को प्रेरित मत करना गलत चीज देखने के लिए। ठीक है। तो मेरे भाई, ध्यान रखना इस बात का। उम्मीद करता हूं, आपको पूरा अच्छे से समझ में आया होगा। कोई सवाल हो तो पूछिएगा।

    मिलते हैं अगले जवाब में। तब तक के लिए राधे-राधे।

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 9, 2025In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

ब्रह्मचर्य में आपको कितना सावधान रहना होगा?

  • 0

  1. Rohit_kumar
    Best Answer
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 9, 2025 at 3:58 pm

    ब्रह्मचर्य का पर्याय अगर सावधानियां को कहा जाए तो गलत नहीं होगा।। कब सोना है , कैसे सोना है , कब नहीं सोना , क्या खाना है , क्या नहीं खाना , कितना खाना है , क्या देखना है , क्या नहीं देखना, क्या सुनना है क्या नहीं सुनना , क्या पढ़ें  क्या न पढ़ें।   अनेक प्रकार की सावधानियां रखनी पड़ेंगी , वो भRead more

    ब्रह्मचर्य का पर्याय अगर सावधानियां को कहा जाए तो गलत नहीं होगा।।

    कब सोना है , कैसे सोना है , कब नहीं सोना , क्या खाना है , क्या नहीं खाना , कितना खाना है , क्या देखना है , क्या नहीं देखना, क्या सुनना है क्या नहीं सुनना , क्या पढ़ें  क्या न पढ़ें।

     

    अनेक प्रकार की सावधानियां रखनी पड़ेंगी , वो भी केवल एक दिन या 1 सप्ताह के लिए नहीं , तब तक जब तक आप ब्रह्मचर्य में बने रहना चाहते है।।

    ।।सावधानी हटी दुर्घटना घटी।।

    सावधानी को हम 2 प्रकार मै बांट सकते है।

    1) मानसिक(80%)

    कोई ऐसा विचार का मनन नहीं करना जो बाद में पछतावा का कारण बन जाए। शरीर तो कठपुतली है वही करेगा जो मस्तिष्क उसे संदेश देगा।

    नाम जपो मन पे काबू पाओ।

    2) शारीरिक(20%)

    सीधी बात कहूं तो , शरीर मै एक अंग है जिसे केवल मूत्र त्याग के लिए उपयोग करना है , इसके अलावा कभी गलती से भी इसे स्पर्श नहीं करना , घोर पाप लग जाएगा , 100 दिन की तपस्या भी राख के बराबर हो जाएगी।

    व्यायाम करो शरीर पे काबू पाओ।

    जय श्री राम 🙏

    धन्यवाद 🙏

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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य के लाभ

ब्रह्मचर्य का पालन करने से क्या लाभ होते हैं?

  • 1

ब्रह्मचर्य का पालन करने से क्या लाभ होते हैं?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:05 pm

    ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, मानसिक स्थिरता, और सच्ची आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की साधना है। इसे जीवन में अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में भी संतुलन और शाRead more

    ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, मानसिक स्थिरता, और सच्ची आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की साधना है। इसे जीवन में अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में भी संतुलन और शांति बनाए रखने में मदद करता है। इस लेख में, हम विस्तार से देखेंगे कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं।


    1. मानसिक संतुलन और स्थिरता

    • मानसिक स्वच्छता:
      ब्रह्मचर्य पालन के दौरान व्यक्ति अपने मन को अशांत विचारों से बचाता है। यह मानसिक स्वच्छता को बनाए रखता है और व्यक्ति को ध्यान और आत्मनियंत्रण में सक्षम बनाता है।
    • ध्यान की क्षमता:
      जब आप मन से अनावश्यक विचारों को दूर रखते हैं, तो ध्यान की क्षमता बढ़ती है। यह योग और ध्यान के अभ्यास में सहायक होता है।
    • आत्मसंयम:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में आत्मसंयम विकसित होता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता और सोचने की प्रक्रिया में स्पष्टता आती है।

    2. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

    • ऊर्जा का संरक्षण:
      ब्रह्मचर्य के पालन से व्यक्ति अपनी यौन ऊर्जा को बचाता है। यह ऊर्जा शरीर के अन्य अंगों में प्रवाहित होती है और समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
    • विकसित शक्ति और सहनशीलता:
      शारीरिक व्यायाम और योग के साथ ब्रह्मचर्य पालन करने से शरीर की सहनशीलता और ताकत बढ़ती है।
    • रोगों से बचाव:
      संयमित जीवनशैली से रोगों की संभावना कम होती है, क्योंकि यह शरीर के प्राकृतिक तंत्रों को मजबूत करता है।

    3. आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति

    • आत्मसाक्षात्कार:
      ब्रह्मचर्य पालन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा के साथ गहरे संबंध स्थापित करता है और आत्मसाक्षात्कार की ओर अग्रसर होता है।
    • आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह:
      ब्रह्मचर्य से प्राणायाम और ध्यान जैसी साधनाओं में मदद मिलती है, जो आपके मानसिक और आत्मिक ऊर्जाओं के प्रवाह को संतुलित करती हैं।
    • मोक्ष की ओर यात्रा:
      आत्मनियंत्रण और संयम के अभ्यास से व्यक्ति मोक्ष के पथ पर अग्रसर होता है, जो आत्मिक स्वतंत्रता और जीवन के सत्य को समझने में सहायक है।

    4. निर्णय क्षमता और आत्मविश्वास में वृद्धि

    • स्पष्ट सोच:
      संयमित जीवन जीने से निर्णय क्षमता में सुधार होता है। व्यक्ति उचित समय पर सही निर्णय ले पाता है।
    • आत्मविश्वास में वृद्धि:
      जब आप आत्मसंयमित होते हैं, तो आपके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। यह आपके आत्ममूल्य और आत्म-निर्णय पर आधारित होता है।

    5. सामाजिक संबंधों में संतुलन

    • सम्मान और प्रतिष्ठा:
      ब्रह्मचर्य पालन करने से समाज में व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है। समाज में अनुशासन और संयम की छवि बनती है।
    • सामंजस्यपूर्ण रिश्ते:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में सहनशीलता, समझदारी, और सहानुभूति विकसित होती है, जिससे रिश्तों में सामंजस्यपूर्णता बनी रहती है।
    • विश्वसनीयता:
      व्यक्ति की विश्वसनीयता बढ़ती है, क्योंकि वह संयमित जीवन जीने के आदर्शों को निभाता है।

    6. आत्म-ज्ञान और जागरूकता

    • आत्मनिरीक्षण:
      ब्रह्मचर्य पालन के दौरान व्यक्ति आत्मनिरीक्षण की प्रक्रिया में समय बिताता है। यह आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देता है।
    • वास्तविक आत्मा का ज्ञान:
      ब्रह्मचर्य के माध्यम से व्यक्ति बाह्य सुखों की ओर देखना छोड़ देता है और अपने सच्चे स्व पर ध्यान केंद्रित करता है।

    7. समय प्रबंधन और उत्पादकता

    • प्रश्नित समय:
      ब्रह्मचर्य पालन से अनावश्यक गतिविधियों की संभावना कम होती है, जिससे समय प्रबंधन बेहतर होता है।
    • उत्पादकता में वृद्धि:
      संयमित जीवनशैली से काम करने की क्षमता बढ़ती है और कार्यों में उच्च उत्पादकता प्राप्त होती है।

    8. संयम और आत्मनिर्णय की शक्ति

    • नियंत्रण की क्षमता:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति अपनी इच्छाओं और मन के नियंत्रण में रखता है, जिससे उसकी निर्णय क्षमता मजबूत होती है।
    • जिम्मेदारी और आत्मनिर्णय:
      यह संयमित जीवन एक जिम्मेदारी की भावना को जागृत करता है, और व्यक्ति की आत्मनिर्णय की प्रक्रिया को सुसंगत बनाता है।

    9. परिपूर्ण जीवन की प्राप्ति

    • संतोष और सुख:
      ब्रह्मचर्य पालन से व्यक्ति बाहरी सुखों के चक्कर से मुक्त होता है और आंतरिक संतोष की प्राप्ति करता है।
    • सामंजस्यपूर्ण जीवन:
      संयमित जीवनशैली में हर पहलू – शरीर, मन, आत्मा, और समाज – में सामंजस्य स्थापित होता है।
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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 23, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

How to Practice Celibacy?

  • 0

  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 23, 2024 at 9:27 am
    This answer was edited.

    जब व्यक्ति को लगने लगता है कि मैं सही हूं, मैं कोई गलती नहीं कर रहा हूं, तो उस स्थिति में उस व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार के सुधार की कोई संभावना नहीं रहती है। जब व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि मैं कहां गलत हूं, तो जो गलती वह कर रहा है, उस गलती को वह लंबे समय तक नहीं कर पाएगा। उसके अंदर एक ग्लानिRead more

    जब व्यक्ति को लगने लगता है कि मैं सही हूं, मैं कोई गलती नहीं कर रहा हूं, तो उस स्थिति में उस व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार के सुधार की कोई संभावना नहीं रहती है। जब व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि मैं कहां गलत हूं, तो जो गलती वह कर रहा है, उस गलती को वह लंबे समय तक नहीं कर पाएगा। उसके अंदर एक ग्लानि का भाव आने लगेगा और उसे लगेगा कि इस स्तर पर सुधार करना है।

    वह उस स्तर पर सुधार कर भी लेगा। यानी कि अगर हमें किसी भी स्तर पर सुधार करना है, तो हमें ठीक-ठीक यह पता होना चाहिए कि हम गलती कहां कर रहे हैं।

    इसीलिए, अनेक बंधुओं से बात करने के बाद, उनको समझने के बाद, इस विषय के गहन विश्लेषण और शास्त्रों के स्वाध्याय के बाद हमने जो पाया है, वह दस गलतियां हम आपके साथ साझा कर रहे हैं जो कि ब्रह्मचर्य पालन में व्यक्ति करता है। अगर आप इस स्तर पर सुधार करते हैं, तो आपको बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

    अब हम आगे बढ़ते हैं और अपनी इन दस गलतियों को समझते हैं।

    1. भोगों में ही सुख है

    यहां पर सबसे पहली गलती यह है कि मन को व्यक्ति अपना हितैषी समझने लगता है और भोगों में ही सुख है, ऐसा वह समझने लगता है। इसे मैं एक उदाहरण से कहता हूं।

    आप समझें कि आपका कोई व्यक्ति अहित करना चाहता है, आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है और इसके लिए वह आपके पास आता है, बैठता है, घुलता-मिलता है और आपको समझने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब तक आपको नहीं पता है कि यह व्यक्ति मेरा अहित करने के लिए मेरे पास आता है।

    अब जो व्यक्ति आपके अहित के लिए आपके पास आ रहा है, उसके पास उठने-बैठने वाला एक व्यक्ति है जो कि आपका भी मित्र है। उसे पता चलता है कि अरे, यह व्यक्ति तो मेरे मित्र के पास इसलिए जाता है कि उसका अहित कर सके, उसे नुकसान पहुंचा सके, उसके मन में गलत चीजें भर सके।

    अब वह मित्र आपके पास आता है और बताता है कि अमुक व्यक्ति, जो आपके पास आजकल आ रहा है, वह आपका अहित करने के लिए आ रहा है, आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है। अब जैसे ही आपको यह पता चलेगा कि उस व्यक्ति की वास्तविकता क्या है, कि वह आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है, तो आप सचेत हो जाएंगे। और वह व्यक्ति जब दोबारा आपके पास आएगा, तो आप उसकी किसी भी बात पर विशेष ध्यान नहीं देंगे। भले ही आप उसकी बात सुन लें, लेकिन आपको पता होगा कि ये जितनी भी बातें हैं, यह सारी बातें मुझे नुकसान पहुंचाने के लिए ही की जा रही हैं।

    बिल्कुल इसी प्रकार आप समझें कि अगर आपको अपने मन की वास्तविकता का पता चल जाता है कि यह जितनी भी बातें आपको बताता है, सुझाव देता है और कहता है कि इस भोग में सुख है, वो मिल गया तो अगले भोग में सुख है, काम में सुख है, स्त्री का संपर्क मिल जाए तो उसमें सुख है, हस्तमैथुन आदि क्रियाओं में लगे रहो तो उसमें सुख है—तो ये सारी बातें आपका पतन कराने के लिए हैं।

    अगर ठीक-ठीक यह बात आपके मन में बैठ जाए और मन की वास्तविकता का आपको बोध हो जाए, तो आप मन के बहकावे में नहीं आएंगे। फिर जो भी सुझाव आपको यह मन देगा, उसे तुरंत ही अपने मस्तिष्क से हटा सकेंगे। इस बात को पक्का करके मन में बिठाना होगा कि मन के सुझाव पतन की तरफ ले जाने वाले हैं।

    जब तक यह सधता नहीं है… जब यह सध जाए, तो इसके ही सुझाव सकारात्मक हो जाते हैं। लेकिन वह एक साधक की स्थिति होती है। अभी आपको मन के सुझावों से बचना है।

    2. लापरवाही करना

    दूसरे स्थान पर जो गलती व्यक्ति करता है, वह है लापरवाही। यानी कि उसने ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू किया। अब उसने पहले जैसे, पहले एक हफ्ते में ही ब्रह्मचर्य उसका खंडित हो रहा था। अब उसने पंद्रह दिन तक ब्रह्मचर्य कर लिया। एक महीने तक ब्रह्मचर्य कर लिया।

    अब ऐसी स्थितियों में साधक लापरवाह हो जाता है कि, “अरे, मैं तो ब्रह्मचर्य कर ही लेता हूं। अब तो मुझे कोई समस्या नहीं है। अब तो मुझे काम के विकार सताते नहीं हैं।” लेकिन उसे नहीं पता है कि विकार समाप्त नहीं हो गए हैं। विकार प्रसुप्त अवस्था में हैं, अभी सोए हुए हैं।

    अब उनको कोई थोड़ा सा चित्र मिल जाए, कोई थोड़ा सा विचार मिल जाए, आलंबन मिल जाए, तो वो दोबारा खड़े हो जाएंगे और पूरे सक्रिय हो जाएंगे। आपको भ्रष्ट कर देंगे।

    तो आपको लापरवाह नहीं होना है। भले ही आपने एक महीना, दो महीना, पांच महीने का ब्रह्मचर्य कर लिया हो, लेकिन फिर भी उतना ही सचेत बने रहना है जितना सचेत आप ब्रह्मचर्य के पहले दिन और पहले संकल्प के समय में थे।

    तो अगर आप लापरवाह हो जाते हैं, तो आपका ब्रह्मचर्य नष्ट होगा ही होगा। और अगर सचेत, सजग बनकर के, सावधान रहकर के ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, तो आप आगे बढ़ जाएंगे। यह हमारी दूसरी गलती है।

    3. निराशा

    तीसरे स्थान पर आती है निराशा। हम इस बात को बड़ा देखते हैं कि, अरे मुझे तो बार-बार स्वप्न दोष हो जाता है। मुझे तो बार-बार काम के वेग सताते हैं। मैंने तो गलत आहार ले लिया। मैं तो अब इतना दुर्बल हो गया हूं। मेरा शरीर ठीक होना मुश्किल है। मुझे तो धातु रोग की समस्या है।

    इस तरीके से बहुत सारे विचार व्यक्ति के मन में निरंतर चलते रहते हैं और वह मन के तल पर कमजोर होना शुरू हो जाता है। जितना वह कमजोर होगा, उतना ही मन उसके ऊपर हावी हो जाएगा और गलत तरीके के विचारों में उसे फंसा लेगा।

    आत्मबल ही मन को हराने का साधन है। अगर आप निराश हो जाएंगे तो आपको कोई नहीं बचा सकेगा, क्योंकि यह बल अंदर से मिलता है। यह बाहरी विषय वस्तु नहीं है। तो आपको समझना है कि चाहे जो भी स्थिति हो, अगर मैं आज से ठीक चलता हूं तो मैं पुनः अपने आप को सक्षम बना सकता हूं।

    और यही सच भी है। ऐसा नहीं है कि यह कोई काल्पनिक बात है। यही सच है। जो सच है बस उसको स्वीकार करना है। आपके शरीर के अंदर बहुत अद्भुत क्षमता है।

    ब्रह्मचर्य एक विशेष शक्ति है, एक विशेष बल है। इसको आप जब धारण करेंगे, भले ही आपकी आयु बीस साल हो, पच्चीस हो या तीस हो या उससे अधिक हो, आपको इससे लाभ मिलेंगे ही मिलेंगे। यहां तक कि अगर पचास या साठ साल की आयु है, ब्रह्मचर्य तो तब भी लाभ देता है, तब भी प्रभाव दिखाता है।

    तो आपको निराश नहीं होना है, हताश नहीं होना है और पूरे आत्मबल के साथ इस मार्ग पर आगे बढ़ना है। निराशा और हताशा को जीवन में स्थान ना दें। यह हमारा तीसरा विषय हुआ।

    4. साधनों का सहारा ना लेना

    चौथे स्थान पर है, ब्रह्मचर्य को पुष्ट करने वाले साधनों का सहारा न लेना। हमारे योगियों ने कई ऐसे तरीके बताए हैं, जो इस मार्ग में आपकी सहायता कर सकते हैं।

    सबसे पहला है शौच (शुचिता)। शुचिता की बात आती है, तो सबसे पहले शरीर को साफ रखना शुरू करें। दिन में दो बार अच्छे से स्नान करें। यदि आपने व्यायाम किया, पसीना निकला, तो शरीर की सफाई हुई। अन्य प्रकारों से भी जितना हो सके, शरीर को साफ रखें। धीरे-धीरे नाम जप, ध्यान, स्वाध्याय आदि के माध्यम से मन की सफाई करनी है। इस प्रकार शौच अनिवार्य है।

    दूसरे स्थान पर आता है प्रत्याहार, यानी इंद्रियों को अंतर्मुखी करना। जब आपके भीतर जो आनंद है, वह आपको अनुभव होना शुरू हो जाएगा, तो बाहरी विषयों के आकर्षण में कमी पड़ने लगेगी। उदाहरण के लिए, हमारे योगी, तपस्वी, ऋषि आदि परम आनंदित रहते थे। क्या वे बाहरी विषयों से जुड़कर आनंदित रहते थे? आप कहेंगे नहीं, क्योंकि बाहरी विषय तो उनके पास कुछ भी नहीं होते थे। तो आनंद कहां से था? आनंद था आंतरिक। यानी, ऐसा कुछ विषय भी है, जो आपको अंदर से ही आनंदित करता है।

    जब उस स्रोत से आप जुड़ना शुरू कर देंगे और परमात्मा के नाम, ध्यान, नाम जप, पूजा, कीर्तन, मनन आदि साधनों में रुचि आनी शुरू हो जाएगी, तो आपका आकर्षण बाहरी विषयों से कट जाएगा। अंतर्मन के आनंद का अनुभव हो जाने पर प्रत्याहार एक अच्छा साधन बनता है। तीसरे स्थान पर है स्वाध्याय। जब आप महापुरुषों की वाणी को पढ़ते हैं, शास्त्रों को पढ़ते हैं, भगवान के शब्दों को पढ़ते हैं, तो आपको स्पष्टता होती है और आपका भ्रम नष्ट होता है। यह भ्रम कि भोगों में ही सुख है, या इन्हें प्राप्त कर लेना ही जीवन में पूरी तरह संतुष्टि पाने का मार्ग है, टूट जाएगा। जब भ्रम टूटेगा, तो आप सही मार्ग पर अग्रसर होने लगेंगे।

    अंत में आता है ईश्वर-प्रधानता। अपने आप को परमात्मा के अधीन समझकर उनके चरणों में समर्पित करें और इस जीवन को जीएं।

    यदि इन साधनों का प्रयोग आपने कर लिया, तो ब्रह्मचर्य बड़ा सरल हो जाएगा, बहुत सरल। आपको इन साधनों को अपने जीवन में अपनाना है और इनका सहारा लेना है। जब आपकी जिज्ञासा बनेगी, तब आप इन्हें जानने का प्रयास करेंगे और मार्गदर्शन भी प्राप्त करते जाएंगे।

    लेकिन जिज्ञासा और प्रयास तो होना चाहिए, तभी आपको मार्ग मिलेगा। यह हमारी चौथी गलती है कि ब्रह्मचर्य को पुष्ट करने वाले साधनों का व्यक्ति प्रयोग नहीं करता है।

    5. आतुरता

    पांचवें स्थान पर आती है आतुरता। हमने कितने बंधुओं को देखा जो कहते हैं कि, “मुझे तो एक महीना हो गया, मुझे तो कोई भी लाभ दिखाई नहीं दे रहे हैं। मुझे तो दो महीने हो गए, अब तक कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया।”

    पहली बात तो यह है कि पहले बदलाव होते हैं आंतरिक तल पर, विचारों के तल पर। शांति आनी शुरू हो जाती है, सहजता आनी शुरू हो जाती है। जो ग्लानी का भाव था, वह खत्म होना शुरू हो जाता है। आंतरिक तल पर बदलाव आते हैं, उनको अनुभव करो।

    फिर सूक्ष्म तलों पर, शारीरिक तल पर बदलाव आते हैं, जो आप शुरुआती समय में अनुभव नहीं कर पाएंगे। आप थोड़ा धैर्य रखें। एक वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन निरंतर करें, फिर आपको स्पष्ट अंतर देखने को मिलेंगे।

    लेकिन जो यह आतुरता है, इसके कारण व्यक्ति को लगता है कि, “अरे, मुझे तो कोई लाभ नहीं मिल रहे हैं। मैं तो कुछ गलत कर रहा हूं। दूसरे लोग जैसा कहते हैं, वैसे प्रभाव तो नहीं है।”

    इस अधीरता के कारण, आतुरता के कारण वह फिर से ब्रह्मचर्य नाश करना शुरू कर देता है। उसका पतन हो जाता है। तो इस स्तर पर भी आपको ध्यान देना है कि आतुरता नहीं होनी चाहिए।

    6. परिवेश का परिवर्तन

    छठे स्थान पर है परिवेश का परिवर्तन। जैसे कि आप किसी एकांत कमरे में हैं और आपको काम का वेग सताने लगे। आप किसी ऐसे स्थान पर हैं, जहां आप लंबे समय तक अकेले ही लेटे हुए हैं। तमोगुणी वृत्तियां बढ़ रही हैं, काम के विचार आने लगे। अब उस स्थान पर न रुकें, उस परिवेश में न रुकें।

    या फिर आप कुछ ऐसे लोगों का संग कर रहे हैं, किसी ऐसी मंडली में बैठे हुए हैं, जहां पर गलत प्रकार की बातें होनी शुरू हो जाती हैं। इस प्रकार की स्थिति बनने लगती है, तो उस मंडली में न बैठे रहें। स्थान का परिवर्तन करें, क्योंकि स्थान की एक ऊर्जा होती है। अगर कोई स्थान आपको नकारात्मक स्थिति में ले जा रहा है, तो वहां से उठकर तुरंत चलना शुरू कर दें। किसी दूसरे स्थान पर चले जाएं, किसी दूसरे कक्ष में चले जाएं। जहां पर कोई हो, ऐसे स्थान पर चले जाएं। यदि आपके पास कोई पार्क आदि है, तो वहां चले जाएं।

    इस स्थिति को जब आप बदलेंगे, तो मनोदशा पर भी उसका प्रभाव पड़ेगा। एक पीरियड होता है, जब काम का वेग आता है। उस वेग का एक समय होता है। उस समय को जब आप क्रॉस कर जाएंगे, तो आप उस वेग से बच जाएंगे। अगर ऐसा आप करते हैं, तो इससे भी आपको लाभ देखने को मिलेगा।

    स्थान का परिवर्तन भी कई बार आपको उस वेग से बचा सकता है। अगर आप वहीं रुकते हैं और उस वेग में ही, उस काम में ही रस लेना शुरू कर देते हैं, तो फिर आप निश्चित रूप से भ्रष्ट हो जाएंगे। धीरे-धीरे वह वृत्ति इतनी बढ़ेगी कि आपको वह गलत क्रिया करने पर विवश कर ही देगी। इस बात का भी ध्यान रखना है।

    7. ब्रह्मचर्य की अवधारणा

    सातवें स्थान पर है कि ब्रह्मचर्य का आपको सही अर्थ पता होना चाहिए। यहां पर दो शब्द हैं: “ब्रह्म”, यानी कि सर्वोच्च सत्ता, पारब्रह्म, परमेश्वर; और “चर्या”, जिसका अर्थ है ऐसा आचरण जो आपको भगवान की तरफ ले जाता हो। यही ब्रह्मचर्य है।

    अब, अगर आपकी जिव्हा बहुत अधिक अनियंत्रित हो जाती है और बार-बार आपको गलत प्रकार के पदार्थों को खाने के लिए प्रेरित करती है, तो आप ब्रह्मचर्य का नाश कर रहे हैं। क्योंकि आप उस मार्ग पर जा रहे हैं जो कि आपको परमात्मा से विमुख करता है, उनके सम्मुख नहीं।

    इस तरीके से जब आप देखेंगे और इस पर गहनता से सोचेंगे, तो एक-एक इंद्री का आपको समझ आ जाएगा कि ये सारी इंद्रियां ही हमें भटका रही हैं। ये सारी इंद्रियां ही हमें पतन की ओर ले जा रही हैं और प्रभु से विमुख कर रही हैं।

    तब आपको समझ आएगा कि एक इंद्री पर संयम कर लेना मात्र ही ब्रह्मचर्य नहीं है। ब्रह्मचर्य है “सर्व इंद्रिय संयम”। जो हमने कई बार बताया है, ब्रह्मचर्य का अर्थ वही है।

    जब आपको यह समझ आ जाएगा, तो आप बहुत सावधान हो जाएंगे और आप हर एक इंद्री को रोकेंगे। जब हर एक इंद्री को रोकेंगे, तो मन को लगेगा कि यह तो बड़ा सावधान व्यक्ति हो गया है। यह तो हर स्थान से मुझे काट रहा है। यह तो हर स्थान पर मेरे सम्मुख खड़ा हो जाता है।

    धीरे-धीरे जो मन आपका शत्रु है, वह आपका मित्र होने लगेगा। क्योंकि मन का स्वभाव है चलना। अब, जब आप उसे गलत स्थान पर नहीं चलने दे रहे हैं, तो स्वाभाविक ही वह सही स्थान पर चलना शुरू कर देगा।

    यकीन मानिए, ऐसा ही होता है। हमने अनुभव किया है। इससे भी आपके जीवन में बड़े बदलाव होंगे और आपको एक अलग ही मार्ग प्राप्त हो जाएगा। तो ब्रह्मचर्य की व्यापक अवधारणा को समझना यह भी जरूरी हो जाता है।

    8. वेगों को सहन करना

    आठवें स्थान पर है काम के वेग को सहन करना। भगवान ने कहा है कि काम, क्रोध आदि के वेगों को जो सह जाता है, वही योगी है, वही सुखी है। तो आपको समझना है कि भगवान ने कहा है कि वेगों को सहना है। यानी कि भगवान भी यह कह रहे हैं कि वेग आएंगे जरूर, बस तू उसे सह जाना। तू उसमें फंसना मत।

    अगर वेग आया और आपने संकल्पबद्ध होकर, एकाग्रचित होकर, चिंतन के माध्यम से पूर्व के अपने अनुभवों को देख कर, उस भोग को दुख देने वाला समझ कर, उस भोग का, उस वेग का त्याग कर दिया, तो समझें कि आप उससे आगे बढ़ गए।

    जितनी बार आप ऐसा करेंगे, वेग को सह जाएंगे, उतना आपका आत्मबल बढ़ेगा और मन कमजोर होने लगेगा। आप उस स्थिति से निश्चित रूप से बाहर आ जाएंगे।

    वेगों को सहन करना ब्रह्मचर्य के मार्ग में अनिवार्य बिंदु है। ऐसा कोई नहीं है जिसे यह वेग नहीं सताते, जब वह अपने शुरुआती समय में होता है। लेकिन जो इसे सह जाता है, वह साधक हो जाता है। और जो इसमें फंस जाता है, वह भोगी हो जाता है।

    9. मोबाइल से दूरी

    नौवें स्थान पर हमारा बिंदु है। एक बड़ी बीमारी है आज के समय में आपका फोन। आपके फोन में आज के समय में तो ऐसी स्थिति बन गई है कि आप कोई सही चीज भी देख रहे हैं, इस प्रकार का ऐड आ जाएगा, विज्ञापन आ जाएगा, जो कि पूरी तरह से गलत वेबसाइट्स पर ले जाने वाला और गलत तरीके के दृश्य आपको दिखाने वाला है। इस प्रकार की चीजें आपके सामने आ जाएंगी।

    आप इस फोन का ही सही प्रयोग कर सकते हैं तो आपका मंगल निश्चित रूप से होगा। कहीं ना कहीं बदलाव निश्चित रूप से होंगे। लेकिन इससे ही आप गलत प्रकार की फिल्में, गलत प्रकार के चित्र, इस तरीके की चीजें भी देख सकते हैं। तो आपको कम से कम प्रयोग इसका करना है और जितना प्रयोग करना है, आपको केवल सही चीजें ही देखनी हैं।

    बैठ कर के रील स्क्रॉल कर रहे हैं, इस प्रकार की चीजें निरंतर देख रहे हैं। पता भी नहीं चलता, घंटों का समय आपका खराब हो जाता है। इन चीजों से बिल्कुल बचें। कम से कम इसका प्रयोग करें। जितना प्रयोग करें, सार्थक प्रयोग करें।

    बाकी समय में भले ही एक छोटा फोन रख लें, जिसमें केवल आप फोन पर बात कर सकते हैं। लेकिन आपको एक नियम जरूर बनाना होगा कि इससे मुझे दूरी बनाए रखनी है और इसका उचित और सम्यक प्रयोग करना है। यह भी आज के समय के हिसाब से अनिवार्य है।

    10. स्वयं का मूल्यांकन

    अब दसवां हमारा यहां पर बिंदु है कि जो आपने यह पीछे के नौ बिंदु समझे हैं, क्या इनका पालन आप ठीक से कर रहे हैं? क्या इन गलतियों का आप सुधार कर रहे हैं? इस बात की जांच आपको रोज संध्या में करनी है। इन्हें सबको लिख लें, लिखकर के रख लें, और उसके बाद एक-एक करके इन सभी स्तरों पर सुधार करें। अपने आपको मजबूत करें और फिर अंतिम, जो हमने कहा, कि मूल्यांकन करें कि क्या आप ठीक से इन सब स्तरों पर कार्य कर रहे हैं।

    बस अगर इन दस गलतियों का सुधार आप कर लेते हैं और अगर इतना आपने कर लिया, तो आप यकीन मानिए, आपको कोई भ्रष्ट नहीं कर सकेगा। आप एक विशाल व्यक्तित्व वाले व्यक्ति होंगे और आप चाहे किसी भी स्थिति में आज फंसे हुए हैं, आप उससे बाहर भी आएंगे। आप इतने सक्षम हो जाएंगे कि आप अन्य व्यक्तियों को भी प्रेरित करेंगे इस मार्ग पर बढ़ने के लिए, उनके आचरण को सुधारने के लिए और अपने आप को सबल करने के लिए। तो इन चीजों का आपको ध्यान रखना है। हमने सरलता से ये चीजें आपको समझाने का प्रयास किया।

    अपेक्षा है कि पूरा मार्गदर्शन आपको ठीक से समझ आ भी गया होगा। तो आज के लिए आपके लिए यही मार्गदर्शन था। आपके प्रश्नों के आधार पर भविष्य में मार्गदर्शन अन्य भी होते रहेंगे। आज के लिए इतना ही, शेष चर्चा कल करेंगे।

    ।।राधे राधे।।

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Asked: January 14, 2025In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

How to quit masterbation

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93.04%Yes ( 107 voters )
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Main pichle 5 sal se masterbation kr raha hun Maine anek video or advise dekhe sb kiya but abhi tk kuch phatak nahi pada bar bar maan me gande khayal aane ke bade internet ke through gandi videos dekhkar ...

masterbation kaise chode
  1. Santos kumar
    Santos kumar
    Added an answer on February 5, 2025 at 2:41 am

    Bro bahut hi galat hai isko aasani se khatm kar sakte hain ya ek normal baat hai isliye Jyada tension mat lo     Agar tum bahut jyada addict Ho Jaisa ki tum bol rahe ho 5 Sal se addict ho to ise khatm karne ke liye Tumhen धीरे-धीरे khatm karna hoga Jaise pahle Tum Ek Saptah ke liye Nahin KRead more

    Bro bahut hi galat hai isko aasani se khatm kar sakte hain ya ek normal baat hai isliye Jyada tension mat lo

     

     

    Agar tum bahut jyada addict Ho Jaisa ki tum bol rahe ho 5 Sal se addict ho to ise khatm karne ke liye Tumhen धीरे-धीरे khatm karna hoga Jaise pahle Tum Ek Saptah ke liye Nahin Karoge Uske bad Ek Saptah do din ke liye Nahin Karoge aur uske baat ho sakta hai teen Saptah aur ek Mahina ke liye Nahin Karoge Aur धीरे-धीरे khatm Ho Jaega

     

     

    Aur suno broken video Dekha Tha Sandeep Maheshwari ka usmein bahut hi Achcha se bataya tha addiction ke bare mein Jaise Kisi ka phone addiction hai aur addiction Hai masturbate addiction Hai reduction hai

     

    Ine Sabhi addiction ka matlab hai ki Uske pass bahut jyada Samay Hai Uske pass koi Gol Nahin Hai To Agar tumhare pass koi Bada aur realistic Achcha Gol Nahin Hai To Tum ine Sab chij Mein indulge ho Gaye Hain

     

     

    Aur dusra Sandeep Maheshwari Bole the ki agar tum apne addiction se Jitna maja Milta Hai utna maja Agar Kisi dusre chij Se milane Lage to Tumhara yah addiction Khud per Khud Hi chhut Jaega jaise ki agar tum abhi student ho to Tumhara Gol Hona chahie ki Hamen top karna hai pura

     

    Aur man Lagan Se padhaai Karke Agar Main hi Maja karna hai

     

     

    Aur Jaise Tumhen p*** dekhne Ka Khyal Aaya man mein gande vichar Aaye To Tum Ek Hi chij kar sakte hain vah hai ki Iske alava Hamen kya maja mil sakta hai Jaise Tumhen Koi itwar ki video Pasand Hogi ya use Samay Tum brahmcharya ke related video dekh sakti ho jisse Kafi Jyada Tumhen help hoga

     

     

    Aur mere Khyal se Teesra Baat yah hai ki jo bhi thought aata hai vah temporary hota hai Kuchh Samay ke liye hota hai to Jab Bhi Aisa thought Aaye ki Hamen karna hai to Tum bus Yahi karo ki 30 minut ka timer lagao aur apne Koi dusra Karya Mein Lag Jao jisse yah धीरे-धीरे ya vichar Hai Jo khatm Ho Jaega

     

     

     

    Last Mein Main Itna hi Kahana chahta hun ki bahut bada Tumhara Gol Hona chahie bus yah sab chij Tumhen attract Nahin Karega Agar Gol Hoga Tumhare to

     

    Aur Main Ab personally ek baat Kahana chahta hun ki agar tum humko yah sab ka thought Aaye To Tum Ek South film ya Bollywood film start kar do Shuru Se Lekar ant Tak dekho aur vah film motivation wala film Hona chahie Jaise mission mangal mission Raniganj Aisi film Hona chahie isase Tumhen motivation aur Milega aur ek film pura dekhne ke bad tum apne kam karne Lagna to yah sab chij khatm ho jaega धीरे-धीरे Bharosa chij khatm ho jaega

     

     

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Asked: December 26, 2024

Kya Brahmacharya 30 Days me Effect Dikhata Hai?

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  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 26, 2024 at 10:39 am

    नमस्कार, हमारे बहुत से भाई ये कहते हैं कि तीस दिन हमने ब्रह्मचर्य पालन किया, हमें तो कोई खास फर्क दिखा नहीं,तो आज हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है।   तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करके कोई फायदा न मिलने पर आपकी स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है जैसे कोई इंसान तीस दिन बिना नमक के खाना खा ले और फिर सोच रहा हRead more

    नमस्कार, हमारे बहुत से भाई ये कहते हैं कि तीस दिन हमने ब्रह्मचर्य पालन किया, हमें तो कोई खास फर्क दिखा नहीं,तो आज हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है।

     

    तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करके कोई फायदा न मिलने पर आपकी स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है जैसे कोई इंसान तीस दिन बिना नमक के खाना खा ले और फिर सोच रहा हो, अब यह जादू कब होगा। असल में ब्रह्मचर्य पालन का प्रचार ऐसा होता है जैसे इससे जिंदगी में सब कुछ बदल जाएगा—मसल्स आ जाएंगी, बाल झड़ने बंद हो जाएंगे, सिक्स पैक एब्स अपने आप प्रकट हो जाएंगे और आप दुनिया के अगले सुपर हीरो बन जाएंगे। लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो स्वाभाविक रूप से इंसान सोचता है, “भाई, ये कौन सा खेल चल रहा है?”

     

    पहले तो हम यह बात कर लेते हैं कि तीस दिन ब्रह्मचर्य पालन की हरकत कैसी रहती है आपकी। पहले हफ्ते में आपको लगेगा कि, “वाह, मैं दुनिया के सारे पापों से मुक्त हो गया हूं। अब तो मैं सीधे हिमालय पर जाकर सिद्धि प्राप्त करूंगा।” आप घर में इधर-उधर घूमते हैं जैसे आप कोई महान तपस्वी हैं। “नहीं भैया, अब मैं कोई भी काम करते वक्त विचलित नहीं होने वाला।” पहला हफ्ता तो जबरदस्त निकलता है। कोई अतरंगी ख्याल भी आता है तो आप उसे ऐसे टाल देते हैं जैसे उसने आपका बैंक बैलेंस चेक करने की कोशिश की हो। रोज सुबह उठकर आप सोचते हैं, “आज तो मेरा तेज बढ़ गया है, मेरे अंदर एक ऊर्जा का ज्वार उठ रहा है।” लेकिन असल में वो ऊर्जा कम और नींद ज्यादा होती है।

     

    अब बात आती है दूसरे हफ्ते की। अब तक आपके मन में सवाल उठने शुरू हो जाते हैं, “भैया, यह हो क्या रहा है? मैं इतना कुछ छोड़ रहा हूं, लेकिन कुछ हासिल तो हो।” फिर आपको धीरे-धीरे एहसास होने लगता है कि ब्रह्मचर्य पालन सिर्फ मानसिक व्यायाम नहीं, बल्कि धैर्य का इम्तिहान भी है। और धैर्य? वो तो, भाई साहब, आपके पास उतना ही है जितना एक बिल्ली के पास दूध का कटोरा देखते वक्त होता है। फिर आप खुद को समझाते हैं, “अरे नहीं, यह सिर्फ एक शुरुआत है। महान तपस्वी ने भी पहले हफ्ते में आलस महसूस किया होगा।” और यहीं पर आपकी कॉमिक यात्रा शुरू होती है।

     

    अब आता है तीसरा हफ्ता। अब तक आपका दिमाग भी मानो हनीमून पीरियड से बाहर आ चुका होता है। अब आप घर में जहां भी देखते हैं, वहां आपको विकर्ष नजर आता है। टीवी चालू करते ही अचानक से विज्ञापन में चॉकलेट खाने वाली मॉडल दिख जाती है। आप सोचते हैं, “अरे यार, ये चॉकलेट खाने वाली मॉडल का विज्ञापन ही क्यों बना? चॉकलेट तो वैसे भी नुकसान करती है।” रात में जब सोने जाते हैं तो दिमाग आपको याद दिलाता है, “तू कितने दिनों से ब्रह्मचारी बना हुआ है। कुछ मजा आ रहा है क्या? नहीं? तो चलो सोचते हैं।” बस यहीं से शुरू होती है मन के अंदर की महाभारत। अर्जुन आप हैं और आपका मन दुर्योधन जैसा है। वो आपको हर हालत में विचलित करने की कोशिश करता है।

     

    फिर आता है चौथा हफ्ता। अब तो आप ऐसा महसूस करने लगते हैं जैसे आप खुद से लड़ाई लड़ रहे हैं। शरीर कहता है, “छोड़ो यार, अब ये ब्रह्मचर्य व्रत खत्म करो।” दिमाग कहता है, “नहीं, बस कुछ दिन और। तुम्हें फायदा मिलेगा।” और दिल? दिल तो हमेशा बगल में बैठकर हंस रहा होता है। आप सोचते हैं, “इतने दिनों तक मस्तिष्क पर ब्रेक लगाई। अब तो किसी दैवीय शक्ति का वरदान मिलेगा। कोई तीसरी आंख खुलेगी।” लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। आपके हाथ में होता है सिर्फ मोबाइल और उस पर नोटिफिकेशन आ रहा होता है, “पाँच प्रतिशत बैटरी बची है।”

     

    फिर आप इंटरनेट पर ब्रह्मचर्य का सही फायदा सर्च करते हैं। लेकिन जो मिलता है वो सिर्फ कुछ फिलॉसॉफिकल बातें होती हैं। और आप देखते हैं कि असल में तो कुछ हुआ ही नहीं। फिर आप इस मुकाम पर पहुंचते हैं कि, “छोड़ो यार, चलो चलते हैं क्रोम ब्राउजर पर।” और ढूंढते हैं मियां खलीफा को। और फिर किसी खोपचे में जाकर कहानी शुरू हो जाती है।

     

    लेकिन रुकिए। आपको ऐसी हरकत करने की कोई जरूरत नहीं है। आपको ब्रह्मचर्य का फायदा शायद नहीं दिखेगा, लेकिन मजा इस बात में है कि आप खुद को तीस दिन तक किसी चैलेंज में रख पाए। वैसे भी सुपर हीरो बनने का कोई कोर्स तो होता नहीं। और जो भी हो, चाहे फायदा मिले या न मिले, यह अनुभव हमेशा याद रहेगा।

     

    तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने के फायदे मिलते हैं या नहीं, यह समझना ज़रूरी है। ब्रह्मचर्य के तीस दिनों के फायदे वैसे तो होते हैं, लेकिन ये फायदे सीधे तौर पर दिखाई नहीं देते। इसका कारण यह है कि ये फायदे कुछ ऐसे होते हैं जैसे कोई इंसान ग्रीन टी पीने के बाद सोच रहा हो कि अब एक महीने में उसे मार्वल का सुपर हीरो बना दिया जाएगा। असल में फायदे होते हैं, परंतु वे बहुत ही छोटे होते हैं। जैसे आपके दिमाग में थोड़ी शांति आना या फिर थोड़ा कम विचलित महसूस करना।

     

    मगर, हम इंसान तो तुरंत सुपर पावर की उम्मीद करने लगते हैं कि, “भाई, तीस दिन हो गए, अब तो कोई चमत्कार हो जाए।” लेकिन ब्रह्मचर्य का असर कुछ ऐसा नहीं होता कि आप सुबह उठें और अचानक बौद्ध भिक्षु जैसा महसूस करें।

     

    अब सवाल यह है कि फायदे कहां हैं? सोचिए, आप ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं और आपको लगता है कि, “अरे, मैंने तो अब तक दुनिया जीत ली है।” असल में आपका दिमाग आपको हल्का-फुल्का शांत करने के चक्कर में होता है। यह कुछ ऐसा है जैसे कोई इंसान बहुत दिनों तक मिठाई नहीं खाता और फिर उसे हल्की मिठास भी बहुत तीखी लगने लगती है। यही आपके साथ हो रहा है।

     

    लेकिन फायदा है, यकीन मानिए। अब मान लीजिए कि आप तीस दिन तक सफल रहे और आपको कोई बड़ा सुपर पावर नहीं मिला, फिर भी फायदा हुआ। कैसे? आपके अंदर धैर्य आया है। अरे, वह भी तो एक फायदा है। अब सोचिए, अगर आप इस दौरान नेटफ्लिक्स की कोई वेब सीरीज़ देख रहे होते तो धैर्य कहां से आता?

     

    एक और फायदा यह है कि आपको सेल्फ कंट्रोल मिला है। जैसे, आप अकेले घर में बैठे हैं और सोच रहे हैं कि पिज़्ज़ा ऑर्डर किया जाए। तभी आवाज आती है, “नहीं, मैं ब्रह्मचर्य पर हूं।” यही होता है सच्चा फायदा। हां, आपको मसल्स या सुपरपावर तो नहीं मिलीं, लेकिन आप पिज़्ज़ा से बच गए। इससे बड़ा फायदा और क्या होगा?

     

    तो फायदा मिलता है, बस उसे ढूंढना पड़ता है। ये फायदे बाहरी नहीं होते, कोई चमत्कारी परिवर्तन की उम्मीद मत रखिए। असल में ब्रह्मचर्य आपको अपने आप पर काबू करना सिखाता है। यह कुछ ऐसा है जैसे ट्रेनिंग में बॉक्सर पहले महीनों तक पंचिंग बैग को मारते हैं और सोचते हैं, “यार, मैं किसी को क्यों नहीं गिरा पा रहा।” लेकिन वो ट्रेनिंग होती है।

     

    ब्रह्मचर्य भी आपके मानसिक पंचिंग बैग को मारने जैसा है। फायदा दिखेगा नहीं, लेकिन असर होगा। और अगर आपको लगता है कि कोई फायदा नहीं हुआ, तो भाई साहब, हो सकता है आपको थोड़ा और समय देना पड़े। रोम भी एक दिन में नहीं बना था और ब्रह्मचर्य से मांसपेशियां भी एक दिन में नहीं बनेंगी। थोड़ा समय तो लगेगा।

     

    आखिरकार, ब्रह्मचर्य के फायदे होते हैं, परंतु वे बहुत धीरे-धीरे आपकी जिंदगी में उतरते हैं। यह कुछ ऐसा है जैसे किसी ने चुपके से आपके नल में एक ऐसा फिल्टर लगा दिया हो, जो पानी की बूंद-बूंद को साफ कर रहा हो।

     

    तीस दिनों के बाद आप कह सकते हैं, “यार, फायदा तो हुआ, बस वो टेलीविजन एड जैसा नहीं है जहां चमक-दमक हो।” तो हिम्मत रखिए। और अगर आप तीस दिनों में कोई सुपर पावर नहीं पा सके, तो सोचिए, कम से कम आपके पास मजेदार कहानियां और अनुभव तो हैं। जैसे, “यार, मैंने तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन किया और कोई सुपर हीरो तो नहीं बना, पर हां, अब पिज़्ज़ा से जरूर बच जाता हूं।”

     

    तो भाइयों यही कहना चाहता हूँ,कि थोड़ा धैर्य रखना पड़ता है,तपना पड़ता है तब निखार आता है।

    आज के लिए इतना ही शेष चर्चा फिर कभी करेंगे।।

     

    ।।राधे राधे।।

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Answer
Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 10, 2025

बिना भगवत कृपा के ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना संभव नहीं है, तो आप किस तरह भगवान से प्रार्थना करते हों?, कितनी देर नाम जप करते हों?

  • 2

  1. Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 11, 2025 at 5:15 am

    सबसे पहले सुबह उठते ही एक बार "जय श्री राम" ,  नाम लेना भूल न जाऊ इसके लिए मैने लॉक स्क्रीन पे "राम दरबार" का wallpaper लगा रखा है, अलार्म बंद करने के बाद सीधे श्री राम , बजरंगबली के दर्शन हो जाते है। स्नान करने के बाद जब पूजा की तैयारी कर रहा होता हु, तो मन मै राम राम जपता हु , जल अर्पण करके अगरबत्Read more

    सबसे पहले सुबह उठते ही एक बार “जय श्री राम” ,  नाम लेना भूल न जाऊ इसके लिए मैने लॉक स्क्रीन पे “राम दरबार” का wallpaper लगा रखा है, अलार्म बंद करने के बाद सीधे श्री राम , बजरंगबली के दर्शन हो जाते है।

    स्नान करने के बाद जब पूजा की तैयारी कर रहा होता हु, तो मन मै राम राम जपता हु , जल अर्पण करके अगरबत्ती दिखाने तक।

    भोजन का पहला निवाला , प्रभु का नाम लेकर ग्रहण करता हु।(सुबह/दोपहर/शाम)

    संध्या समय(5–5:30) ध्यान करने के बाद , Task 2 ko पूरा करता हु , जिसमें 108 बार नाम जप करना होता है।

    बिस्तर पर जाने के बाद मन मै निरंतर नाम जप , जबतक नींद न आ जाए।

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 14, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

भगवत गीता के अध्याय-2 से आप को क्या सीख मिलती है?

  • 6

  1. JeetBhakat
    JeetBhakat Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 14, 2025 at 3:24 pm

    भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती है कि जिस व्यक्ति न मन और इंद्रियों को जीत लिया उनका ईश्वर को प्राप्त होने का पथ सरल हो जाता है, हमें सिर्फ अपने कर्मों पर और फल ईश्वर पर चोर देना चाहिए| भगवान श्री कृष्ण ये भी समझaते हैं कि आत्मा कभी मरती नहीं सिर्फ एक शरीर से दूसरे शरीर को जाती है |

    भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती है कि जिस व्यक्ति न मन और इंद्रियों को जीत लिया उनका ईश्वर को प्राप्त होने का पथ सरल हो जाता है, हमें सिर्फ अपने कर्मों पर और फल ईश्वर पर चोर देना चाहिए| भगवान श्री कृष्ण ये भी समझaते हैं कि आत्मा कभी मरती नहीं सिर्फ एक शरीर से दूसरे शरीर को जाती है |

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Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 13, 2024In: स्वास्थ्य और ब्रह्मचर्य (Health and Brahmacharya)

ब्रह्मचर्य और योग का क्या संबंध है?

  • 1

ब्रह्मचर्य और योग का क्या संबंध है?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:00 pm

    ब्रह्मचर्य और योग का संबंध ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा के प्रमुख अंग हैं। ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और आत्म-संयम, अनुशासन और आत्मज्ञान के मार्ग को सरल बनाते हैं। ब्रह्मचर्य योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) में से एक है, जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्रRead more

    ब्रह्मचर्य और योग का संबंध

    ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा के प्रमुख अंग हैं। ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और आत्म-संयम, अनुशासन और आत्मज्ञान के मार्ग को सरल बनाते हैं। ब्रह्मचर्य योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) में से एक है, जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र में स्पष्ट रूप से वर्णित किया है।

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुशासन, विचारों की पवित्रता और ऊर्जा का संरक्षण है। योग का उद्देश्य भी आत्मा और परमात्मा का मिलन है, और ब्रह्मचर्य इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होता है।


    योग और ब्रह्मचर्य: एक दृष्टिकोण

    1. अष्टांग योग में ब्रह्मचर्य का स्थान

    महर्षि पतंजलि ने योग को आठ अंगों में विभाजित किया है:

    1. यम
    2. नियम
    3. आसन
    4. प्राणायाम
    5. प्रत्याहार
    6. धारणा
    7. ध्यान
    8. समाधि

    इनमें यम के अंतर्गत ब्रह्मचर्य को प्रमुख बताया गया है। यम वह नैतिक सिद्धांत हैं जो योग के अभ्यास में अनुशासन और नियंत्रण प्रदान करते हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करने से मन और शरीर की ऊर्जा संरक्षित रहती है, जो योग साधना में सहायक होती है।

    2. ऊर्जा का संरक्षण और दिशा

    योग में ऊर्जा को कुंडलिनी शक्ति के रूप में समझा जाता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यह ऊर्जा व्यर्थ नष्ट नहीं होती और साधक इसे ध्यान और समाधि के माध्यम से उच्चतर स्तर तक ले जा सकता है।

    3. शारीरिक और मानसिक शुद्धता

    योग का अभ्यास करने के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक है। ब्रह्मचर्य इस शुद्धता को बनाए रखने का मार्ग है। यह अनावश्यक भोग और विकारों से व्यक्ति को बचाकर योग के प्रति एकाग्रता को बढ़ाता है।


    योग और ब्रह्मचर्य के लाभ

    1. योगाभ्यास में सफलता

    योग के उच्च स्तर (जैसे ध्यान और समाधि) तक पहुंचने के लिए मन का स्थिर और शांत होना आवश्यक है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से मन स्थिर रहता है और योगाभ्यास में सफलता मिलती है।

    2. शरीर और मन का संतुलन

    ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही शरीर और मन को संतुलित रखते हैं। ब्रह्मचर्य शरीर में ऊर्जा का संरक्षण करता है, जबकि योग इस ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने में मदद करता है।

    3. ध्यान और आत्मचिंतन में सहायता

    ब्रह्मचर्य का पालन करने से ध्यान की एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह मन को भटकाव से बचाता है और आत्मचिंतन के मार्ग को सरल बनाता है।

    4. कुंडलिनी जागरण में सहायक

    योग का एक प्रमुख उद्देश्य कुंडलिनी शक्ति को जागृत करना है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यह ऊर्जा बिना किसी रुकावट के जागृत होती है और साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाती है।


    योग और ब्रह्मचर्य का वैज्ञानिक पक्ष

    1. शारीरिक ऊर्जा का संरक्षण

    आधुनिक विज्ञान मानता है कि संयमित जीवनशैली से शरीर की ऊर्जा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखा जा सकता है। ब्रह्मचर्य के पालन से शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखा जा सकता है, जिससे योग अभ्यास अधिक प्रभावी हो जाता है।

    2. मस्तिष्क पर प्रभाव

    योग और ब्रह्मचर्य दोनों मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मन शांत होता है और एकाग्रता में वृद्धि होती है, जो ध्यान और समाधि में सहायक है।


    ब्रह्मचर्य और योग का व्यवहारिक अनुप्रयोग

    1. दैनिक दिनचर्या में ब्रह्मचर्य का पालन:
      सात्विक आहार, संयमित जीवनशैली और सकारात्मक संगति का पालन करें।
    2. नियमित योगाभ्यास:
      आसन, प्राणायाम और ध्यान के नियमित अभ्यास से ब्रह्मचर्य का पालन आसान हो जाता है।
    3. विचारों की पवित्रता:
      सकारात्मक सोच और आत्मचिंतन से विचारों को शुद्ध रखें।
    4. इंद्रियों पर नियंत्रण:
      भौतिक इच्छाओं और भोग-विलास से बचने के लिए योग का सहारा लें।

    धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

    भारतीय ग्रंथों में ब्रह्मचर्य और योग का संबंध गहराई से वर्णित है। भगवद गीता और उपनिषदों में ब्रह्मचर्य को योग का अभिन्न अंग बताया गया है। महात्मा गांधी और अन्य महापुरुषों ने भी ब्रह्मचर्य को जीवन का मूल आधार माना है।


    निष्कर्ष

    ब्रह्मचर्य और योग एक-दूसरे के पूरक हैं। ब्रह्मचर्य व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, जबकि योग इस ऊर्जा को नियंत्रित और संचालित करने का साधन है। जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य और योग दोनों का पालन करता है, वह जीवन में शांति, संतुलन और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है। इन दोनों का संयोजन हमें अपने जीवन के उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर ले जाता है।

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: December 22, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

Brahmacharya Ko Follow Kaise Kare?

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  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 22, 2024 at 11:17 am
    This answer was edited.

    ब्रह्मचर्य का संकल्प तो आज के समय में अधिकांश युवा करते हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि कितने उस संकल्प को निभा पाते हैं। हमें अनेक प्रश्न प्राप्त होते हैं कि हम संकल्प करते हैं, लेकिन जैसे ही एक निश्चित समय अवधि पूरी होती है—चाहे वह दस दिन हो, पंद्रह दिन हो, एक महीना हो, दो महीने हो, या पाँच महीने—तो हमRead more

    ब्रह्मचर्य का संकल्प तो आज के समय में अधिकांश युवा करते हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि कितने उस संकल्प को निभा पाते हैं। हमें अनेक प्रश्न प्राप्त होते हैं कि हम संकल्प करते हैं, लेकिन जैसे ही एक निश्चित समय अवधि पूरी होती है—चाहे वह दस दिन हो, पंद्रह दिन हो, एक महीना हो, दो महीने हो, या पाँच महीने—तो हमारी मन:स्थिति में फिर से वही विचार, वही चीजें चलनी शुरू हो जाती हैं।

    हम ऐसा अनुभव करते हैं जैसे हम इन स्थितियों के दास हैं। यह वास्तविकता है कि जब व्यक्ति मानसिक कैद में होता है, तो वह अपनी आदतों और अपनी लत का गुलाम हो जाता है। उसकी स्थिति ऐसी ही होगी, जैसे एक व्यक्ति जेल में बंद होता है। वह जो भी व्यवहार करता है, उसे चारदीवारी के अंदर करता है।

    लेकिन अगर उसके मन में यह इच्छा जागे कि वह इस चारदीवारी से बाहर जाए, तो उसके लिए यह संभव नहीं होता, क्योंकि उसके मार्ग में बहुत सारे अवरोध होते हैं।

    अनुशासन ही आधार है

    यदि उसे कैद से समय से पहले बाहर जाना है, तो उसके पास एक ही अवसर होता है और वह है अनुशासन। अगर वह अनुशासित रहता है, तो उसकी कैद की सीमा कम कर दी जाती है और वह समय से पहले ही वहां से बाहर आ सकता है।

    इसी प्रकार, जो व्यक्ति मानसिक विचारों की स्थितियों का कैदी हो गया है, लतों में फंस गया है, और ब्रह्मचर्य में स्थित नहीं हो पा रहा है, तो उसके जीवन में अनुशासन के बिना यह बात पक्की समझ लें कि इन स्थितियों से उसका बाहर आ पाना असंभव हो जाएगा।

    यदि हमारा प्रत्येक नवयुवक इन मानसिक स्थितियों से उबर पाए और इस जाल से बाहर निकल पाए, तो वह मानसिक स्तर पर स्वतंत्र हो सकता है। मानसिक स्वतंत्रता प्राप्त कर लेने के बाद वह अपने जीवन के प्रत्येक पक्ष को नियंत्रित कर सकता है और उसे अपने अनुसार संचालित कर सकता है।

    क्यों करना है ब्रह्मचर्य?

    दूसरे स्तर पर हमारा उद्देश्य है कि आप अपनी संस्कृति की चीजों को, सिद्धांतों को अपने जीवन में लेकर आएं। अगर ऐसा करते हैं, तो आप निश्चित रूप से इस संकल्पना को पूरा कर सकते हैं। हमने अनुभव किया है कि हमें जो बाधा होती है ब्रह्मचर्य के संकल्प में, वह लगभग बीस दिन और इक्कीस दिन का समय है।

    पंद्रह दिन बीस दिन तक तो हम स्थिर रह पाते हैं, लेकिन ये जो दो-तीन दिन आगे के होते हैं, ये बड़े कठिन होते हैं। इसमें हम स्थिर नहीं रह पाते। इसका कारण क्या है? इसे हम समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है। इसे आप एक उदाहरण से समझें। जैसे एक किसान होता है, वह किसान जब अपने खेत में पानी चलाता है,

    तो उससे पहले वह एक चीज जरूर करता है कि जो मेड होती है, जो घेराव होता है उसके खेत का, उस मेड को वह ठीक प्रकार से जांच लेता है कि वह ठीक तो है, कमजोर तो नहीं है, कहीं से टूटी हुई तो नहीं है। एक बार जांच जरूर कर लेता है। फिर उसके बाद वह खेत में पानी शुरू कर देता है। और जब पानी शुरू हो जाता है, तब भी वह ऐसी लापरवाही नहीं करता कि फिर वह जाकर के देखे ही नहीं। वह बीच में भी जाता है और मेड के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है कि कहीं से कोई रिसाव तो नहीं है, कहीं से कोई कटाव तो नहीं है, कहीं पानी बाहर तो नहीं निकल रहा है।

    और यह जरूरी है। पहले निरीक्षण करता है, बीच में भी निरीक्षण करता है और जब तक वह यह आश्वस्त नहीं हो जाता इस विषय में कि हां, अब सब जगह ठीक से पानी चल रहा है, बाहर नहीं निकल रहा है, तब तक वह उसकी जांच करता है।

    सतत निरीक्षण जरूरी है

    इसी प्रकार से प्रत्येक व्यक्ति को भी जरूरी है। जब कोई भी हमारा नवयुवक एक संकल्प करता है, तो उसे यह देखना होगा कि उसके उस संकल्प का आधार क्या है। अगर कोई मोटिवेशन मात्र आधार है या फिर ग्लानि आधार है, या आपने कुछ ऐसा किया और उसके बाद आपको लगा कि यह तो व्यर्थ है, मैं दोबारा ऐसा नहीं करूंगा और आपने कोई विचार नहीं किया, केवल भावनाएं आपके मन में कुछ चल रही हैं, तो बड़ा कठिन हो जाएगा

    आपके लिए ब्रह्मचर्य। अगर मोटिवेशन है कि कोई वीडियो आपने देख ली या किसी व्यक्ति ने कहा कि तुम मूर्ख हो, तुम्हारा जीवन नष्ट हो जाएगा, पतन हो जाएगा, तुम कहीं के नहीं रहोगे। फिर तुम मोटिवेट हो गए और आपने ब्रह्मचर्य का संकल्प किया, तो ब्रह्मचर्य का संकल्प दृढ़ नहीं हो पाएगा। अब करना क्या पड़ेगा? तो आपको भी निरीक्षण करना पड़ेगा।

    जैसे वह किसान उस क्यारी के चारों ओर घूमके पहले देखता है कि पानी ठीक से चल रहा है कि नहीं, कहीं मेड कमजोर तो नहीं है। इसी प्रकार से आपको भी अपनी स्थितियों को देखना पड़ेगा, अपने जीवन को देखना पड़ेगा। आपको अपना विश्लेषण, मूल्यांकन करना होगा कि मैंने अब तक क्या किया। क्या मेरे जीवन की दिशा ठीक है? मुझे किस प्रकार से इस दिशा को बेहतर बनाना है। और केवल ब्रह्मचर्य का संकल्प ही नहीं लेना, साथ ही साथ अपने जीवन को ऐसी दिशा भी देनी है, जिसमें कि आप अपना लक्ष्य रखते हैं।

    कोई व्यवसाय का संकल्प है, कोई आपका लक्ष्य है। जैसे राष्ट्र सेवा है, आध्यात्मिक प्रगति है, योगी प्रगति है। तो कोई भी एक ऐसा विषय जिसमें कि पूर्ण तन्मयता के साथ आप अपने आप को लगा के रखें, ऐसी स्थिति भी होनी चाहिए। जब आप देखते हैं और अपने जीवन का यह आधार बना लेते हैं कि मैं ब्रह्मचर्य का संकल्प इसलिए कर रहा हूं, उसके बाद इसकी बहुत अधिक संभावना है कि आप अब उसी स्थिति में दृढ़ स्थित हो पाएंगे।

    दूसरे स्थान पर जब आपने संकल्प कर लिया, तो उसके बाद भी अपने जीवन को देखते रहना है। उसके बाद भी सभी स्थितियों का मूल्यांकन करते रहना है। हमने देखा है कि बस संकल्प कर लिया कि मैं एक वर्ष का संकल्प करता हूं, लेकिन फिर कुछ ही दिनों बाद अनेक लोग यह कहने लग जाते हैं कि हम नहीं कर पाए, हम नहीं कर पाए। तो क्यों नहीं कर पाए? उसका कारण सीधा सा यह है कि आपने एक संकल्प करने के बाद सजगता नहीं रखी।

    जीवन की व्यवस्था और उन चीजों का मूल्यांकन नहीं किया कि क्या मेरे जीवन में मेरे रूटीन ठीक हैं? क्या मेरे जीवन का अनुशासन ठीक है? क्या मेरा आहार ठीक है? क्या मेरा दृष्टिकोण, विचार ठीक है? क्या मेरा संगठन ठीक है, जिन लोगों के साथ मैं रहता हूं? अगर इन चीजों पर आपने दृष्टि नहीं डाली, तो बड़ा कठिन हो जाएगा। तो कहने का मतलब है कि आपको संकल्प करने के बाद भी सजग रहना ही होगा। यह हमारा दूसरा बिंदु है।

    अपना लक्ष्य निर्धारित करें

    और तीसरे स्थान पर महत्वपूर्ण है कि जब एक किसान खेत में पानी ले जा रहा है, तो पानी कब बाहर आना शुरू होता है या मेड कब टूटनी शुरू होती है। जब पानी का स्तर कुछ बढ़ना शुरू हो जाता है, जब मेड के ऊपर दबाव आना शुरू हो जाता है, तभी वह टूट सकती है।

    इसी प्रकार से जो आपका यह प्रश्न रहता है कि हम संकल्प करते हैं लेकिन एक सीमा तक जाने के बाद वह संकल्प मजबूत नहीं रहता, हम भ्रमित होने शुरू हो जाते हैं। तो इसका कारण है कि यह एक ऊर्जा है। जब आप ब्रह्मचर्य करते हैं तो यह आपके पास रक्षित होनी, इकट्ठी होनी शुरू हो जाती है और जब इसका आंतरिक दबाव बनता है, तब उसको सहन करना, तब उसको व्यवस्थित रखना, संतुलित रखना यह एक चुनौती का विषय निश्चित रूप से होता है।

    तो आपकी जो यह ऊर्जा संग्रहित हो रही है, यह आपको प्रेरित करेगी ही। हमने पहले ही आपको कहा है कि आपको अपने लिए एक अच्छा, सकारात्मक लक्ष्य भी रखना है और पूर्ण उत्साहित रहना है उस लक्ष्य के प्रति। जब आप ऐसा करेंगे तो आपके पास अब कोई एक ऐसा विषय होगा, जिसमें आप इस ब्रह्मचर्य रूपी ऊर्जा का प्रयोग कर सकते हैं।

    क्योंकि निष्क्रिय व्यक्ति कभी भी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सकता। हमारे योगी, हमारे ऋषि, हमारे ब्रह्मचारी इसीलिए स्थित रह पाते थे क्योंकि उनके पास सार्थक लक्ष्य और अनुशासन बहुत पक्का होता था। जीवन में अगर अनुशासन है और सही दिशा में उस ऊर्जा का प्रयोग करने की क्षमता है, तो यह ऊर्जा आपके लिए बहुत अच्छे तरीके से, बहुत सर्जनात्मक कार्य कर सकती है।

    और अगर दिशा देने का मार्ग नहीं है, तो यह आपके लिए भारी भी बन सकती है, आपके लिए पतन का कारण भी बन सकती है। आप बार-बार भ्रष्ट होते रहेंगे, ग्लानि से भरते रहेंगे। तो आपके पास इसको दिशा देने का माध्यम भी होना चाहिए। इसीलिए हम कई बार आपको योग अभ्यास बताते हैं, कई बार ध्यान के अभ्यास बताते हैं, शांभवी आदि, त्राटक आदि दूसरे अभ्यास बताते हैं।

    क्योंकि जब तक आपके पास आपके जीवन में सार्थक चीज नहीं है, तब तक कठिनाई ही रहेगी।

    निष्कर्ष

    तो, हमने जो ये तीन चीजें आपको बताई हैं:

    पहली है संकल्प करने से पहले उस संकल्प का एक आधार बनाना।

    दूसरी है, संकल्प करने के बाद भी उस संकल्प का निरंतर निरीक्षण करते रहना, जीवन का निरंतर निरीक्षण करते रहना।

    तीसरी बात यह है कि जो हमारे बंधु कहते हैं कि हम बीस दिन, इक्कीस दिन ही चलता है। क्योंकि व्यक्ति को लगने लगता है जैसे पंद्रह दिन होते हैं या सोलह दिन होते हैं, तो उसे लगने लगता है कि अब तो काफी समय हो गया है। अब जैसे ही उसके मन में यह विकल्प बन जाता है कि काफी समय हो गया है, तो यहीं से उसका मन लापरवाही की स्थिति में चला जाता है और संकल्प पक्का नहीं रहता। फिर उसके लिए वे तीन, चार, पाँच दिन आगे बड़े मुश्किल हो जाते हैं और इक्कीस दिन में यह उसके लिए बड़ा भारी हो जाता है इतना निभा पाना।

    और वह भ्रष्ट हो जाता है। तो, इसी प्रकार आप इन स्थितियों को समझें। यह भी समझें कि जिस व्यक्ति को मन की सही समझ नहीं है, तो वह जीवन के किसी भी बिंदु पर सफल नहीं हो सकता। मन की समझ होना जरूरी है। जब आप दृढ़ रहेंगे, आप एकाग्र रहेंगे, तभी ठीक प्रकार से सभी अपने संकल्पों को पूरा कर पाएंगे।

    इसीलिए, हम बार-बार अपने साथियों को यौगिक मार्ग की एक जो प्रेरणा देते हैं, या फिर जो हमारे अध्यात्म और योग के अंतर्गत गूढ़ मनोविज्ञान के विषय में बातें कही गई हैं, उन्हें आप तक अग्रेषित करते हैं। जिससे कि आप उनसे सीख करके, उनका प्रयोग करके, मन, विचार और वृत्तियों के विषय में समझ रखें और उनसे सचेत रहें, सजग रहें।

    ।। राधे राधे ।।

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  • Vishnu Gupta

    आप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास ...

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  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, ...

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  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो ...

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  • Ranjan Ghosh
    Ranjan Ghosh added an answer Adhyatma aur naam jap ke Bina Brahmacharya sambhar nahin hain...Aaj… April 29, 2025 at 11:59 am
  • Santos kumar
    Santos kumar added an answer Bro bahut hi galat hai isko aasani se khatm kar… February 5, 2025 at 2:41 am
  • JeetBhakat
    JeetBhakat added an answer भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती… January 14, 2025 at 3:24 pm

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