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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success

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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Latest Questions

Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 13, 2024In: स्वास्थ्य और ब्रह्मचर्य (Health and Brahmacharya)

ब्रह्मचर्य और योग का क्या संबंध है?

  • 1

ब्रह्मचर्य और योग का क्या संबंध है?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:00 pm

    ब्रह्मचर्य और योग का संबंध ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा के प्रमुख अंग हैं। ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और आत्म-संयम, अनुशासन और आत्मज्ञान के मार्ग को सरल बनाते हैं। ब्रह्मचर्य योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) में से एक है, जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्रRead more

    ब्रह्मचर्य और योग का संबंध

    ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा के प्रमुख अंग हैं। ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और आत्म-संयम, अनुशासन और आत्मज्ञान के मार्ग को सरल बनाते हैं। ब्रह्मचर्य योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) में से एक है, जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र में स्पष्ट रूप से वर्णित किया है।

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुशासन, विचारों की पवित्रता और ऊर्जा का संरक्षण है। योग का उद्देश्य भी आत्मा और परमात्मा का मिलन है, और ब्रह्मचर्य इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होता है।


    योग और ब्रह्मचर्य: एक दृष्टिकोण

    1. अष्टांग योग में ब्रह्मचर्य का स्थान

    महर्षि पतंजलि ने योग को आठ अंगों में विभाजित किया है:

    1. यम
    2. नियम
    3. आसन
    4. प्राणायाम
    5. प्रत्याहार
    6. धारणा
    7. ध्यान
    8. समाधि

    इनमें यम के अंतर्गत ब्रह्मचर्य को प्रमुख बताया गया है। यम वह नैतिक सिद्धांत हैं जो योग के अभ्यास में अनुशासन और नियंत्रण प्रदान करते हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करने से मन और शरीर की ऊर्जा संरक्षित रहती है, जो योग साधना में सहायक होती है।

    2. ऊर्जा का संरक्षण और दिशा

    योग में ऊर्जा को कुंडलिनी शक्ति के रूप में समझा जाता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यह ऊर्जा व्यर्थ नष्ट नहीं होती और साधक इसे ध्यान और समाधि के माध्यम से उच्चतर स्तर तक ले जा सकता है।

    3. शारीरिक और मानसिक शुद्धता

    योग का अभ्यास करने के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक है। ब्रह्मचर्य इस शुद्धता को बनाए रखने का मार्ग है। यह अनावश्यक भोग और विकारों से व्यक्ति को बचाकर योग के प्रति एकाग्रता को बढ़ाता है।


    योग और ब्रह्मचर्य के लाभ

    1. योगाभ्यास में सफलता

    योग के उच्च स्तर (जैसे ध्यान और समाधि) तक पहुंचने के लिए मन का स्थिर और शांत होना आवश्यक है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से मन स्थिर रहता है और योगाभ्यास में सफलता मिलती है।

    2. शरीर और मन का संतुलन

    ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही शरीर और मन को संतुलित रखते हैं। ब्रह्मचर्य शरीर में ऊर्जा का संरक्षण करता है, जबकि योग इस ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने में मदद करता है।

    3. ध्यान और आत्मचिंतन में सहायता

    ब्रह्मचर्य का पालन करने से ध्यान की एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह मन को भटकाव से बचाता है और आत्मचिंतन के मार्ग को सरल बनाता है।

    4. कुंडलिनी जागरण में सहायक

    योग का एक प्रमुख उद्देश्य कुंडलिनी शक्ति को जागृत करना है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यह ऊर्जा बिना किसी रुकावट के जागृत होती है और साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाती है।


    योग और ब्रह्मचर्य का वैज्ञानिक पक्ष

    1. शारीरिक ऊर्जा का संरक्षण

    आधुनिक विज्ञान मानता है कि संयमित जीवनशैली से शरीर की ऊर्जा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखा जा सकता है। ब्रह्मचर्य के पालन से शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखा जा सकता है, जिससे योग अभ्यास अधिक प्रभावी हो जाता है।

    2. मस्तिष्क पर प्रभाव

    योग और ब्रह्मचर्य दोनों मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मन शांत होता है और एकाग्रता में वृद्धि होती है, जो ध्यान और समाधि में सहायक है।


    ब्रह्मचर्य और योग का व्यवहारिक अनुप्रयोग

    1. दैनिक दिनचर्या में ब्रह्मचर्य का पालन:
      सात्विक आहार, संयमित जीवनशैली और सकारात्मक संगति का पालन करें।
    2. नियमित योगाभ्यास:
      आसन, प्राणायाम और ध्यान के नियमित अभ्यास से ब्रह्मचर्य का पालन आसान हो जाता है।
    3. विचारों की पवित्रता:
      सकारात्मक सोच और आत्मचिंतन से विचारों को शुद्ध रखें।
    4. इंद्रियों पर नियंत्रण:
      भौतिक इच्छाओं और भोग-विलास से बचने के लिए योग का सहारा लें।

    धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

    भारतीय ग्रंथों में ब्रह्मचर्य और योग का संबंध गहराई से वर्णित है। भगवद गीता और उपनिषदों में ब्रह्मचर्य को योग का अभिन्न अंग बताया गया है। महात्मा गांधी और अन्य महापुरुषों ने भी ब्रह्मचर्य को जीवन का मूल आधार माना है।


    निष्कर्ष

    ब्रह्मचर्य और योग एक-दूसरे के पूरक हैं। ब्रह्मचर्य व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, जबकि योग इस ऊर्जा को नियंत्रित और संचालित करने का साधन है। जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य और योग दोनों का पालन करता है, वह जीवन में शांति, संतुलन और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है। इन दोनों का संयोजन हमें अपने जीवन के उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर ले जाता है।

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Rohit_kumar
  • 0
Rohit_kumarPundit
Asked: December 22, 2024In: ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन (Brahmacharya in Modern Life)

अपने ब्रह्मचर्य के शुरूवाती समय मे आपने किन पुस्तको का अध्यन किया था जिसने आपको अभी तक ब्रह्मचर्य मे बनाए रखा है।

  • 0

Apna anubhaw bataye🧘‍♂ Copy paste na kare🙏

question
  1. Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 24, 2024 at 9:58 am

    श्री राधे, अगर हम अपना अनुभव बताएं, जो हमने जाना है, तो सबसे पहले जब हम ब्रह्मचर्य के लिए थोड़ा सा सजग हुए थे, जब हमको ये एप और कम्युनिटी मिली थी जुलाई में, तब हमने कुछ ब्रह्मचर्य से रिलेटेड पुस्तकों का अध्ययन शुरु किया था, जिसमें एक प्रतीक प्रजापति की बुक थी, और एक थी ब्रह्मचर्य ही जीवन है, लेकिन अगRead more

    श्री राधे,

    अगर हम अपना अनुभव बताएं, जो हमने जाना है, तो सबसे पहले जब हम ब्रह्मचर्य के लिए थोड़ा सा सजग हुए थे, जब हमको ये एप और कम्युनिटी मिली थी जुलाई में, तब हमने कुछ ब्रह्मचर्य से रिलेटेड पुस्तकों का अध्ययन शुरु किया था, जिसमें एक प्रतीक प्रजापति की बुक थी, और एक थी ब्रह्मचर्य ही जीवन है, लेकिन अगर आपको सही बताएं तो शुरु शुरु में इनमें लिखी बातें आपको हवा हवाई लग सकती हैं।।

    इसलिए हमारा तो यही कहना है कि अगर आप शुरुआती फेज में हो, तो ब्रह्मचर्य की पुस्तकें ना पढ़कर आध्यात्मिक पुस्तक पढ़ें। जैसे हमने भी शुरुआत में ये दो ही पढ़ीं थी, लेकिन हमें जमा नहीं, तो हमने श्री ब्रह्म वैवर्त पुराण का अध्ययन शुरु किया, फिर श्री वाल्मीकि रामायण पढ़ी, और फिर श्रीमद भागवत लिखनी शुरु करी, जी हाँ हमने उसे पढ़ा नहीं बल्कि लिखना स्टार्ट किया, क्योंकि पूज्य महाराज जी रोज सुनाते थे और हम उसे रोज टाइप करते थे क्योंकि हम स्वयं को ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखना चाहते थे उस समय।

    फिर भागवत जी का प्रभाव हुआ, हमारी अध्यात्म में और रुचि बढ़ने लगी, ब्रह्मचर्य में स्थित रहने लगे, और जब यह स्थिरता आई तब जाकर फिर से ब्रह्मचर्य को समझना शुरु किया, और कार्य निरंतर प्रगति पर है।

    अब तो जगह जगह से ब्रह्मचर्य के बारे में और जानने की लालसा बनी रहती है, और जो नई चीज जहाँ से सीखता हूँ वो या तो इस पोर्टल पर जबाव में लिख देता हूँ या फिर pdf बना कर ग्रुप में डाल देता हूँ।

    मै जो भी कुछ लिखता हूँ, अपने मन से एक शब्द भी नहीं लिखता हूँ, बस जो कुछ गुरुजनो से, प्रबुद्ध जनों से जाना है, समझा है, लिख देता हूँ।

    आशा है आपको इस जबाब से मदद मिली होगी।।

    ।।राधे राधे।।

     

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Answer
Rohit_kumar
  • 1
Rohit_kumarPundit
Asked: December 19, 2024In: ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन (Brahmacharya in Modern Life)

सर्दी के मौसम मे दिनचर्या कैसी होनी चाहीए ? किताबी बाते ना बताए (Modern lifestyle को ध्यान मे रखे।)

  • 1

Sardi ke mausam ko dhyan nai rakhkar ke practical dincharya bataye jise aasani se follow kiya ja sake.

question
  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 19, 2024 at 1:25 pm

    सर्दी के मौसम में दिनचर्या कुछ इस तरह से रखनी चाहिए, ताकि सेहत भी ठीक रहे और काम भी बेहतर हो। मैं आपको बताता हूं, अपनी दिनचर्या के हिसाब से अगर आप इसे आजमाए तो बढ़िया होगा। मैं सुबह सबसे पहले गुनगुना पानी पीता हूं, जिससे शरीर डिटॉक्स होता है और दिन की शुरुआत अच्छी होती है। फिर ब्रह्मचर्य ऐप का पहलाRead more

    सर्दी के मौसम में दिनचर्या कुछ इस तरह से रखनी चाहिए, ताकि सेहत भी ठीक रहे और काम भी बेहतर हो। मैं आपको बताता हूं, अपनी दिनचर्या के हिसाब से अगर आप इसे आजमाए तो बढ़िया होगा।

    मैं सुबह सबसे पहले गुनगुना पानी पीता हूं, जिससे शरीर डिटॉक्स होता है और दिन की शुरुआत अच्छी होती है। फिर ब्रह्मचर्य ऐप का पहला टास्क पूरा करता हूं, क्योंकि सुबह का समय मुझे सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव लगता है। इसके बाद हल्की स्ट्रेचिंग या योग करता हूं, ताकि शरीर भी चुस्त रहे।

    ऑफिस जाने के लिए सुबह 9 बजे तक तैयार हो जाता हूं। दिनभर ऑफिस के काम के बीच में मैं ब्रह्मचर्य ग्रुप पर डिस्कशन जरूर देखता हूं, इससे मन बना रहता है और दिनभर की ऊर्जा बनी रहती है। लंच में हमेशा हेल्दी खाना ही खाता हूं, फास्ट फूड से दूर रहता हूं। लंच के बाद मैं ब्रह्मचर्य ऐप का दूसरा टास्क पूरा करता हूं और फिर 10 मिनट की वॉक जरूर करता हूं, ताकि पाचन ठीक रहे।

    शाम को ब्रह्मचर्य ऐप का तीसरा टास्क पूरा करता हूं। कभी-कभी हल्की वॉक भी कर लेता हूं या फिर सूप पीता हूं, ताकि शरीर में गर्माहट बनी रहे। रात का डिनर हल्का और जल्दी करता हूं, ताकि रात को अच्छी नींद मिल सके। सोने से पहले ब्रह्मचर्य ग्रुप की चैट्स पढ़ता हूं, इससे मन शांत रहता है और दिन का समापन सही तरीके से होता है।

    सर्दी हो या गर्मी, यह रूटीन मुझे हमेशा फिट और फोकस्ड रखता है। अगर आप भी इसे अपनाएं, तो आपकी सेहत और काम दोनों बेहतर हो सकते हैं।

    अब ये कुछ suggestion है अगर अच्छा लगे । और अगर आप कर पाए तो आप जरूर करिए।

    👇👇👇👇

    सर्दी के मौसम में दिनचर्या को मॉडर्न लाइफस्टाइल के हिसाब से इस प्रकार डेवेलप किया जा सकता है। मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं, जो न सिर्फ आपके शरीर और दिमाग को सही रखें, बल्कि आपके काम को भी प्रभावित न करें।

    जल्दी उठें, लेकिन आराम से उठें – सर्दी में आलस्य बढ़ जाता है, लेकिन कोशिश करें कि सुबह जल्दी उठें। इसे थोड़ा हल्का रखें, सीधे बिस्तर से बाहर न कूंदें। गुनगुना पानी पीने से शरीर को ताजगी मिलती है।

    वर्कआउट और स्ट्रेचिंग – सर्दी में ज्यादा मेहनत करने का मन नहीं करता, लेकिन हल्की स्ट्रेचिंग या योगा जरूर करें। यह शरीर को गर्म और एक्टिव बनाए रखता है।

    हइड्रेटेड रहें – सर्दी में लोग पानी कम पीते हैं, लेकिन दिन में कम से कम 2-3 लीटर पानी पीने की आदत डालें। ग्रीन टी, सूप और हर्बल ड्रिंक्स भी फायदेमंद हो सकते हैं।

    स्मार्ट ड्रेसिंग – सर्दी में अपनी बॉडी को गर्म रखने के लिए लेयरिंग करें। ज्यादा गर्म कपड़े पहनने से बचें, ताकि अंदर से पसीना न आए और आप असहज महसूस न करें।

    पौष्टिक और गर्म खाना – फास्ट फूड से जितना दूर रह सकते हैं, उतना अच्छा। हल्का, गरम खाना जैसे खिचड़ी, सूप, स्टीम्ड वेजिटेबल्स या दाल-चावल पर ध्यान दें। यह शरीर को ऊर्जा देता है और ठंड से भी बचाता है।

    ब्रेक्स और शॉर्ट वॉक – लंबे समय तक बैठे रहना शरीर के लिए ठीक नहीं होता। ऑफिस में या घर पर छोटे ब्रेक लें और थोड़ी देर के लिए पैदल चलें। यह आपके दिमाग को ताजगी देगा।

    सोने से पहले आराम – सोने से पहले हल्की किताब पढ़ना, संगीत सुनना या रिलैक्सेशन तकनीकों का पालन करना बेहतर होता है, ताकि नींद अच्छी आए और अगले दिन ताजगी महसूस हो।

    डिजिटल डिटॉक्स – दिनभर मोबाइल या कंप्यूटर से चिपके रहने से आंखों और दिमाग पर दबाव बढ़ता है। रात को सोने से पहले एक घंटा स्क्रीन से दूर रहकर अपनी मानसिक स्थिति को आराम दें।

    इन सुझावों को अपनाकर आप सर्दी के मौसम में भी अपनी दिनचर्या को मॉडर्न लाइफस्टाइल के हि

    साब से मैनेज कर सकते हैं।

    आपका साथी शैलेंद्र विश्वकर्मा 🙏

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Satyam Kumar
  • 1
Satyam KumarVidyarthi (Scholar)
Asked: January 11, 2025In: चुनौतियाँ और समाधान

समाधान

  • 1

मैं 10 दिन तक ब्रह्मचर्य रहता हूं लेकिन उसके बाद आलस पन जकड़न जैसा होंजता है शरीर मनन विद्रोह करने लगता है इसका क्या करें और क्रोम पे ध्यानजात है पढ़ते वक्त क्या किया जाय

  1. Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 13, 2025 at 10:14 am

    रोज व्यायाम करो , करने का मन न करे फिर भी करो। मेरी नजर मै तो ये ही एकमात्र उपाय है जिससे मन को ये समझाया जा सकता है कि , मेहनत करना ब्रह्मचर्य के लिए जरूरी है। अगर 10 दिन व्यायाम करने के बाद भी फिर से तुम्हारा ब्रह्मचर्य टूटा है मतलब , तुम कोई हल्क फूल सा व्यायाम करते होगे। व्यायाम ऐसा होना चाहिए कRead more

    रोज व्यायाम करो , करने का मन न करे फिर भी करो। मेरी नजर मै तो ये ही एकमात्र उपाय है जिससे मन को ये समझाया जा सकता है कि , मेहनत करना ब्रह्मचर्य के लिए जरूरी है।

    अगर 10 दिन व्यायाम करने के बाद भी फिर से तुम्हारा ब्रह्मचर्य टूटा है मतलब , तुम कोई हल्क फूल सा व्यायाम करते होगे।

    व्यायाम ऐसा होना चाहिए कि करने के बाद 2 से 5 मिनिट तक ऐसा लगना चाहिए जैसे अपनी पूरी ताकत व्यायाम मै लगा दिया है , अब सारी मै कोई ताकत नहीं बची है।।

    आप प्रो. राममूर्ति दंड कुंभक के साथ लगाए, समय के साथ सांख्य बढ़ाते जाए।

    और वो chrome वाली समस्य के लिए ,

    मोबाइल मै setting होती है जिससे aap ko lock kiya ja sakta hai password se,,

    आप अपने किसी दोस्त या अपने घर मै किसी से App को lock करवा दे , लेकिन पासवर्ड केवल उन्हें ही पता रहने दे।। आप App का उपयोग ही नहीं कर पाएंगे , प्रॉब्लम solved।

    या फिर एक कागज पे password लिख के उसे एक envelope में पैक कर दो , उसपे लिखो कि जब तुम अपने goal को पा लोगे उसके बाद ये aap open होगा।

    Password छोटा नहीं होना चाहिए , rendom word का होना चाहिए जैसे–

    Jd98Kvw&916cnDKK01r46aG

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Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

  • 1

ब्रह्मचर्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

BrahmacharyaBrahmacharya Practice
  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 6:30 pm

    ब्रह्मचर्य एक ऐसा जीवन मार्ग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन पर आधारित है। यह संस्कृत शब्द "ब्रह्म" (ईश्वर या परम सत्य) और "चर्य" (आचरण या पालन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है "ब्रह्म के मार्ग पर चलना"। यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में संयम, अनुशासन और धRead more

    ब्रह्मचर्य एक ऐसा जीवन मार्ग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन पर आधारित है। यह संस्कृत शब्द “ब्रह्म” (ईश्वर या परम सत्य) और “चर्य” (आचरण या पालन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है “ब्रह्म के मार्ग पर चलना”। यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में संयम, अनुशासन और ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया है। ब्रह्मचर्य हमारे शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है और हमें उच्चतम सत्य को समझने में मदद करता है।


    ब्रह्मचर्य का अर्थ और परिभाषा

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं है, बल्कि यह इंद्रियों, भावनाओं और मन पर भी संयम स्थापित करने की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी ऊर्जा का संरक्षण करता है और उसे उच्च आध्यात्मिक उद्देश्यों की ओर मोड़ता है। ब्रह्मचर्य को चार प्रमुख आयामों में समझा जा सकता है:

    1. शारीरिक संयम: शरीर को अनुशासन में रखना, अनावश्यक भोग से बचना।
    2. मानसिक संयम: विचारों को नियंत्रित रखना और नकारात्मक सोच से बचना।
    3. भावनात्मक संयम: क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या जैसे भावनाओं पर नियंत्रण।
    4. आध्यात्मिक संयम: जीवन के उच्च उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना।

    ब्रह्मचर्य का महत्व

    1. ऊर्जा का संरक्षण:
      ब्रह्मचर्य के माध्यम से व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को अनावश्यक रूप से व्यर्थ होने से बचा सकता है। आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का संतुलन बनाए रखना स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
    2. आत्मा की शुद्धि:
      ब्रह्मचर्य आत्मा को शुद्ध करता है और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह व्यक्ति को सांसारिक इच्छाओं से ऊपर उठाकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
    3. मानसिक शांति:
      ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। विचारों का नियंत्रण व्यक्ति को तनाव और चिंता से बचाता है।
    4. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक:
      ब्रह्मचर्य का पालन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह हृदय, मस्तिष्क और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
    5. ध्यान और योग में सहायक:
      ब्रह्मचर्य योग और ध्यान में गहरी एकाग्रता लाने में मदद करता है। यह ध्यान के माध्यम से आत्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।
    6. आध्यात्मिक उन्नति:
      ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के उच्च उद्देश्य को समझ पाता है। यह आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का मार्ग है।

    ब्रह्मचर्य के सिद्धांत

    ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है:

    1. विचारों की पवित्रता:
      अपने मन को सकारात्मक और पवित्र विचारों से भरें। अशुद्ध विचार ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    2. आहार और जीवनशैली:
      सादा और सात्विक भोजन करें। अधिक तली-भुनी और मसालेदार चीज़ों से बचें क्योंकि ये मन और शरीर को उत्तेजित करती हैं।
    3. ध्यान और योग का अभ्यास:
      नियमित ध्यान और योग करने से मन स्थिर होता है और इंद्रियों पर नियंत्रण बनता है।
    4. इंद्रियों का संयम:
      अपनी इंद्रियों को भोग-विलास से दूर रखें। अनावश्यक चीज़ों को देखने, सुनने या सोचने से बचें।
    5. सत्संग और अच्छी संगति:
      अच्छे विचारों और सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताने से ब्रह्मचर्य का पालन आसान हो जाता है।

    ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन

    आज के युग में, जब व्यक्ति हर तरफ से भौतिक और डिजिटल प्रलोभनों से घिरा हुआ है, ब्रह्मचर्य का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सोशल मीडिया, फिल्मों और विज्ञापनों के माध्यम से अनावश्यक उत्तेजना उत्पन्न होती है, जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक संतुलन को बिगाड़ सकती है।

    आधुनिक जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करने के उपाय:

    1. डिजिटल डिटॉक्स करें और केवल सकारात्मक सामग्री देखें।
    2. मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग सीमित करें।
    3. समय का प्रबंधन करें और अपनी दिनचर्या में अनुशासन लाएं।
    4. योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाएं।

    धार्मिक ग्रंथों में ब्रह्मचर्य का उल्लेख

    भगवद गीता:
    भगवद गीता में ब्रह्मचर्य को आत्मसंयम और ईश्वर भक्ति का मार्ग बताया गया है। गीता में कहा गया है कि आत्म-संयमित व्यक्ति ही सच्चे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।

    उपनिषद और वेद:
    उपनिषदों और वेदों में ब्रह्मचर्य को विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया गया है। प्राचीन गुरुकुल प्रणाली में ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य था।

    महात्मा गांधी का दृष्टिकोण:
    महात्मा गांधी ने ब्रह्मचर्य को जीवन का मूल आधार माना। उनका मानना था कि ब्रह्मचर्य के बिना कोई भी व्यक्ति आत्मिक उन्नति नहीं कर सकता।


    ब्रह्मचर्य पालन में आने वाली चुनौतियाँ

    1. मन का विचलन:
      मन को नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती है। विचारों को सकारात्मक बनाए रखना कठिन हो सकता है।
    2. आधुनिक प्रलोभन:
      आज की दुनिया में मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति अनावश्यक प्रलोभनों का शिकार हो जाता है।
    3. संगति:
      गलत संगति और वातावरण भी ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    4. धैर्य की कमी:
      ब्रह्मचर्य के पालन के लिए धैर्य और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है, जो कई लोगों में कमी होती है।

    समाधान:

    • ध्यान और योग का अभ्यास करें।
    • आत्म-नियंत्रण और अनुशासन पर ध्यान दें।
    • प्रलोभनों से दूर रहें और अपनी ऊर्जा को रचनात्मक कार्यों में लगाएं।
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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 20, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

2025 Me Gandi Video Dekhna Kaise Chhode?

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bad habitsBrahmacharyabrahmacharya challenge
  1. Ranjan
    Best Answer
    Ranjan Acharya ISKCON devotee
    Added an answer on December 21, 2024 at 4:21 am
    This answer was edited.

    गंदी वीडियो देखने की आदत को छोड़ने के लिए आपको अपनी दिनचर्या और आदतों में बदलाव लाना होगा। नीचे दिए गए उपाय आपकी मदद कर सकते हैं: मोबाइल पर नियंत्रण करें मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने से अश्लील सामग्री की ओर झुकाव बढ़ता है। अनावश्यक ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक करें। स्क्रीन टाइम सीमित करें और अपने फोनRead more

    गंदी वीडियो देखने की आदत को छोड़ने के लिए आपको अपनी दिनचर्या और आदतों में बदलाव लाना होगा। नीचे दिए गए उपाय आपकी मदद कर सकते हैं:

    मोबाइल पर नियंत्रण करें

    मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने से अश्लील सामग्री की ओर झुकाव बढ़ता है।

    • अनावश्यक ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक करें।
    • स्क्रीन टाइम सीमित करें और अपने फोन का उपयोग केवल जरूरी कामों के लिए करें।
    • रात में सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दें।

    नाम जप की आदत डालें

    मन को शुद्ध और स्थिर बनाने के लिए भगवान का नाम जप करना बहुत प्रभावी हो सकता है।

    • रोजाना कम से कम 15-20 मिनट हरि नाम या अपने ईष्टदेव का नाम जप करें।
    • इससे आपका मन सकारात्मक और शांत रहेगा, और अनैतिक विचारों से बचा जा सकेगा।

    OTT प्लेटफॉर्म्स डिलीट करें

    अगर आपका मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्लेटफॉर्म्स, जैसे Netflix या अन्य OTT ऐप्स, आपको अश्लील सामग्री दिखाने की ओर आकर्षित करते हैं, तो इन्हें तुरंत हटा दें।

    सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करें

    • फेसबुक, इंस्टाग्राम, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का कम से कम इस्तेमाल करें।
    • केवल उन लोगों और पेजों को फॉलो करें जो सकारात्मक और प्रेरणादायक सामग्री साझा करते हैं।
    • अपने सोशल मीडिया फीड को साफ रखें और खुद पर नियंत्रण रखें।

    सही संगति में रहें

    आपकी संगति का सीधा असर आपके विचारों और आदतों पर पड़ता है।

    • उन लोगों का साथ छोड़ें जो हमेशा अश्लील और अनैतिक बातों पर चर्चा करते हैं।
    • सकारात्मक और प्रेरणादायक लोगों के साथ समय बिताएं।

    आत्म-नियंत्रण विकसित करें

    ब्रह्मचर्य का पालन करना तभी संभव है जब आप अपने मन और इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकें।

    • छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करें, जैसे दिनभर की आदतों पर ध्यान देना।
    • नियमित अनुशासन अपनाएं और अपनी सोच को सही दिशा में मोड़ें।

    इन सुझावों को अमल में लाने से आप इस आदत को छोड़ सकते हैं। यह प्रक्रिया धैर्य और नियमित प्रयास मांगती है, लेकिन अगर आप ईमानदारी से प्रयास करेंगे, तो सफलता निश्चित है।

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Karan_160
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Karan_160
Asked: December 21, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

Netra ka brahmcharya kaise palan karen?

  • 0

netra ka brahmcharya kaise palan karen ??
  1. Ranjan
    Ranjan Acharya ISKCON devotee
    Added an answer on December 21, 2024 at 11:02 am

    Bg. 2.70 आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं समुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत् । तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे स शान्तिमाप्‍नोति न कामकामी ॥ ७० ॥ Translation A person who is not disturbed by the incessant flow of desires – that enter like rivers into the ocean, which is ever being filled but is always still – can aloRead more

    Bg. 2.70

    आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं
    समुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत् ।
    तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे
    स शान्तिमाप्‍नोति न कामकामी ॥ ७० ॥
    Translation

    A person who is not disturbed by the incessant flow of desires – that enter like rivers into the ocean, which is ever being filled but is always still – can alone achieve peace, and not the man who strives to satisfy such desires.

    You have to forget that the world will help you. Bahar ki cheezon ko dekh kar bhi andekha karna parega. Koi bahut exciting thing dekh kar.bhi stir Reyna hoga… Duniya to apne hisab se hi chalegi….and overall surrender to Krishna.

    Hare Krishna

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Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए?

  • 1

ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:04 pm

    ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए? ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है; यह जीवन के सभी पहलुओं में आत्म-संयम, अनुशासन और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। इसे सही तरीके से अपनाने के लिए उन चीजों और आदतों से बचना जरूरी है जो मन, शरीर और आत्मा को विचलित करती हैं। नीचे विस्तारRead more

    ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए?

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है; यह जीवन के सभी पहलुओं में आत्म-संयम, अनुशासन और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। इसे सही तरीके से अपनाने के लिए उन चीजों और आदतों से बचना जरूरी है जो मन, शरीर और आत्मा को विचलित करती हैं। नीचे विस्तार से चर्चा की गई है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए।


    1. असंयमित विचारों से बचाव

    • नकारात्मक विचार:
      नकारात्मक सोच जैसे ईर्ष्या, क्रोध, द्वेष और अहंकार से बचें। ये मानसिक अशांति का कारण बनते हैं और ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं।
    • यौन विचार:
      यौन विचारों और कल्पनाओं से बचें, क्योंकि ये ऊर्जा का ह्रास करते हैं। मन को शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखने के लिए ध्यान और आत्मचिंतन का सहारा लें।

    2. अनुचित संगति और वातावरण से बचाव

    • असंयमी मित्रता:
      ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखें जो असंयमित जीवनशैली का प्रचार करते हों। संगति का हमारे मन और विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
    • नकारात्मक वातावरण:
      नकारात्मक और अशांत वातावरण जैसे हिंसा, भोग-विलास, या अनुचित कार्यक्रमों से बचें। ऐसे स्थानों पर रहने से मन विचलित हो सकता है।

    3. अपशब्दों और अनुचित भाषा से बचाव

    • भाषा की शुद्धता:
      अश्लील, अपमानजनक या नकारात्मक भाषा का उपयोग न करें। इसका प्रभाव आपके मन और भावनाओं पर पड़ता है।
    • आचरण में संयम:
      न केवल शब्दों बल्कि व्यवहार में भी संयम रखें। विनम्रता और सौम्यता ब्रह्मचर्य का हिस्सा हैं।

    4. अनियमित दिनचर्या से बचाव

    • सोने और जागने का समय:
      देर रात तक जागने और सुबह देर से उठने की आदत से बचें। नियमित दिनचर्या शरीर और मन को संतुलित रखती है।
    • आलस्य और कामचोरी:
      आलस्य और अनुशासनहीनता ब्रह्मचर्य के शत्रु हैं। हमेशा सक्रिय और सतर्क रहने का प्रयास करें।

    5. असंयमित भोजन और पेय पदार्थों से बचाव

    • मसालेदार और तामसिक आहार:
      तामसिक आहार जैसे मांस, मदिरा, मसालेदार और भारी भोजन मन और शरीर में अशांति पैदा कर सकते हैं। सात्विक आहार अपनाएं, जिसमें फल, सब्जियां और हल्का भोजन शामिल हो।
    • अत्यधिक कैफीन और नशे से बचें:
      चाय, कॉफी, शराब और अन्य मादक पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि ये मन को उत्तेजित करते हैं और ब्रह्मचर्य का पालन कठिन बनाते हैं।

    6. मनोरंजन के असंयमित साधनों से बचाव

    • अश्लील सामग्री से दूरी:
      अश्लील वीडियो, किताबें, और अन्य सामग्री से बचें, क्योंकि ये मन को विचलित करती हैं और ब्रह्मचर्य के नियमों का उल्लंघन करती हैं।
    • अनावश्यक सोशल मीडिया:
      सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग और अनावश्यक चैटिंग से बचें। यह समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी करता है।

    7. इंद्रियों के भोग से बचाव

    • दृश्य:
      जो चीजें मन को विचलित कर सकती हैं, जैसे अनैतिक दृश्य, उनसे बचें। ध्यान रखें कि जो आप देखते हैं, उसका गहरा प्रभाव आपके विचारों पर पड़ता है।
    • श्रवण:
      ऐसे गीत और वार्तालाप सुनने से बचें जो कामुकता या नकारात्मकता को बढ़ावा देते हों।
    • स्पर्श:
      अनावश्यक और अनुचित शारीरिक संपर्क से बचें। इंद्रियों को नियंत्रित रखना ब्रह्मचर्य का मूल है।

    8. मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता से बचाव

    • अत्यधिक भावुकता:
      अत्यधिक भावुकता, चाहे वह प्रेम, क्रोध, या दुःख हो, मन को कमजोर कर सकती है।
    • अति-संबंध:
      अत्यधिक जुड़ाव और आसक्ति से बचें, चाहे वह परिवार, मित्र, या समाज से हो। यह मन को स्थिर रखने में मदद करता है।

    9. आलस्य और आत्म-अनुशासन की कमी से बचाव

    • आलस्य:
      आलस्य ब्रह्मचर्य के पालन में सबसे बड़ी बाधा है। नियमित व्यायाम और योग करें।
    • अनुशासन की कमी:
      ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए आत्म-अनुशासन जरूरी है। अपने दैनिक जीवन में नियम और अनुशासन का पालन करें।

    10. आत्म-आलोचना और आत्म-संदेह से बचाव

    • आत्म-संदेह:
      यह सोचना कि आप ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सकते, मन को कमजोर करता है। सकारात्मक सोच बनाए रखें।
    • आत्म-आलोचना:
      गलतियां करने पर खुद को कठोरता से न आंकें। अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ें।

    ब्रह्मचर्य पालन के लिए सहायक उपाय

    1. योग और ध्यान का अभ्यास करें:
      यह मन को शांत करता है और आत्म-संयम में मदद करता है।
    2. सकारात्मक संगति:
      अच्छे और अनुशासित लोगों की संगति में रहें।
    3. सात्विक जीवनशैली:
      भोजन, दिनचर्या, और विचारों में सात्विकता अपनाएं।
    4. आत्मचिंतन:
      दिन में कुछ समय आत्मचिंतन और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए निकालें।

    निष्कर्ष

    ब्रह्मचर्य का पालन एक साधना है, जिसे सही तरीके से अपनाने के लिए संयम और अनुशासन जरूरी है। यदि आप उपरोक्त चीजों से बचते हैं और सही दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो ब्रह्मचर्य का पालन न केवल आपके जीवन को संतुलित और शांत बनाएगा, बल्कि आपको आत्मज्ञान के मार्ग पर भी ले जाएगा।

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Asked: December 21, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

2025 Me Brahmacharya Ke Liye Kuchh Sujhav

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Brahmacharya
  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 21, 2024 at 11:16 am

    2025 - एक नई शुरुआत क्या आपने सोचा है कि 2025 में ब्रह्मचर्य आपकी जिंदगी कैसे बदल सकता है?, क्या आप भी अपने जीवन में सफलता शांति और आत्म नियंत्रण लाना चाहते हैं?, लेकिन समझ नहीं पा रहे कि ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत कैसे करें?, क्या होगा अगर मैं कहूं कि यही एक आदत आपको दूसरों से अलग बना सकती है और वोRead more

    2025 – एक नई शुरुआत
    क्या आपने सोचा है कि 2025 में ब्रह्मचर्य आपकी जिंदगी कैसे बदल सकता है?, क्या आप भी अपने जीवन में सफलता शांति और आत्म नियंत्रण लाना चाहते हैं?, लेकिन समझ नहीं पा रहे कि ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत कैसे करें?, क्या होगा अगर मैं कहूं कि यही एक आदत आपको दूसरों से अलग बना सकती है और वो शक्ति दे सकती है जो आज के 95% लोग प्रायः खो चुके हैं?, क्या होगा जब आप अपनी स्किल्स को निखार रहे होंगे, अपने सपनों को साकार कर रहे होंगे, सोचिए 2025 का दिसंबर जब आएगा तो आप खुद को एक नई ऊंचाई पर देखेंगे, जबकि बाकी लोग वहीं होंगे जहां वे आज हैं, तो 2025 में ब्रह्मचर्य अपनाना सिर्फ एक आदत नहीं बल्कि आपकी जिंदगी को बदलने वाला कदम हो सकता है, लोग सोचते हैं कि ब्रह्मचर्य का मतलब त्याग है, जैसे दोस्तों से दूरी बनाना, मस्ती से दूर रहना लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है, असल में ब्रह्मचर्य आपको वो ताकत देता है, जिससे आप अपनी जिंदगी की हर ऊंचाई को छू सकते हैं, तो आज मैं आपको बताने वाला हूं कि वो सबसे बड़ी बड़ी गलती जो ज्यादातर लोग ब्रह्मचर्य की शुरुआत में करते हैं, और सबसे खास बात कैसे आप इस घोर कलयुग में ब्रह्मचर्य को अपनाकर सफलता की ओर बढ़ सकते हैं, अगर आप यह सोचते हैं कि ब्रह्मचर्य सिर्फ योगियों और सन्यासियों के लिए हैं तो इस जबाब को पूरा पढ़िए, आपको पता चलेगा कि यह साधारण इंसानों के लिए भी एक सुपर पावर की तरह काम करता है, तो क्या आप तैयार हैं अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी छलांग लगाने के लिए क्योंकि आखिर में जीत उन्हीं की होती है जो खुद को जीतना जानते हैं तो आइए 2025 को अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ बनाते हैं।।
    आज मैं आपको तीन ऐसे गहरे और महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर ले चलूंगा, जो आपके ब्रह्मचर्य के सफर को आसान और प्रेरणादायक बना देंगे, पहले पॉइंट में हम जानेंगे कि ब्रह्मचर्य से मिलने वाली ऊर्जा को सही दिशा में कैसे लगाया जाए क्योंकि जब यह ऊर्जा सही जगह लगती है तो आपकी मेहनत और सफलता का परिणाम कई गुना बढ़ जाता है, और दूसरे पॉइंट में हम बात करेंगे ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत कैसे करें क्योंकि शुरुआत ही सबसे कठिन होती है, लेकिन एक बार सही तरीके से कदम उठाने पर यह सफर ना केवल आसान होता है बल्कि आनंद से भरा भी होता है, फिर तीसरे पॉइंट में सबसे जरूरी ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत में लोग जो गलतियां करते हैं वे कौन सी हैं, क्योंकि अक्सर लोग इन्हीं गलतियों की वजह से हार मान लेते हैं और उनका संकल्प टूट जाता है तो मैं आपको इनसे बचने के ऐसे तरीके बताऊंगा जो आपके ब्रह्मचर्य पालन को मजबूत बना देंगी, तो दोस्तों अगर आप अपनी जिंदगी को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं, अपने भीतर की शक्ति को पहचानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए क्योंकि जो बातें मैं आज आपसे सांझा करूंगा वे ना केवल आपके विचारों को बदलेगी बल्कि आपके जीवन को भी एक नई दिशा देंगी।।
    ब्रह्मचर्य की ऊर्जा का सही प्रयोग
    चलिए शुरुआत करते हैं पहले पॉइंट में हम बात करेंगे कि इस ऊर्जा को सही दिशा में कैसे लगाया जाए क्योंकि सही दिशा में यह ऊर्जा आपके सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत रखती है, लेकिन अगर यह गलत दिशा में चली गई तो यह आपको आलस गुस्सा और मानसिक अशांति की तरफ धकेल सकती है, गलत दिशा का मतलब है इसे अनावश्यक चीजों में खर्च करना जैसे बेवजह का मनोरंजन फिजूल की आदतें या ऐसी गतिविधियां जो आपके लक्ष्य से भटका दें इसलिए इसे सही दिशा में लगाना बेहद जरूरी है, आपको इसे अपने लक्ष्य, अपने जुनून और अपने आत्म विकास के कामों में लगाना है, तो यह ना केवल आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाएगी, बल्कि आपको मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी देगी तो दोस्तों इस पॉइंट को ध्यान से समझिए, क्योंकि यह आपकी सफलता और असफलता के बीच का सबसे बड़ा फर्क पैदा कर सकता है।।
    चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं ब्रह्मचर्य की ऊर्जा को सही दिशा में कैसे लगाएं, सोचिए आप सुबह उठते ही सबसे पहला काम क्या करते हैं, मोबाइल उठाकर शायद कुछ रील्स देखते हैं, लोगों की लाइफ स्टाइल चेक करते हैं और फिर अपने दिमाग में यह सोचकर दिन शुरू करते हैं कि काश मेरी लाइफ भी ऐसी होती, अब इस पर थोड़ा रुक
    कर सोचें, क्या ये आपकी गलती है?, नहीं ये इंसान की आदत बन चुकी है और यह आदत हमें ना केवल मानसिक रूप से कमजोर कर रही है बल्कि हमारे समय और ऊर्जा को भी चुरा रही है, आजकल सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म बन गया है जो आपकी खुशी फोकस और आत्मविश्वास को खत्म कर रहा है जिससे आपकी जीवन ऊर्जा भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है, आपकी आत्मा और शरीर की ऊर्जा सोशल मीडिया के इस जाल में फंसकर खत्म हो रही है, सोचिए अगर आप रोजाना इंस्टाग्राम पर दो घंटे बर्बाद करते हैं तो साल भर में आप लगभग सात सौ तीस घंटे बर्बाद कर रहे हैं, इतने समय में आप एक नई स्किल सीख सकते थे, खुद को बेहतर बना सकते थे या अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दे सकते थे।।
    अब सवाल आता है कि क्या हम इस जाल से बाहर निकल सकते हैं?, तो इसका जवाब है हां लेकिन इसके लिए आपको अपनी पूरी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को सही दिशा में लगाना होगा, और यही है ब्रह्मचर्य की ताकत, ब्रह्मचर्य का मतलब केवल शारीरिक संयम नहीं है, यह मानसिक और भावनात्मक संयम का भी नाम है, इसका मतलब है अपनी ऊर्जा को बचाकर उसे सही दिशा में लगाना, जरा सोचिए अगर आप वो सारी ऊर्जा जो आप सोशल मीडिया और इंस्टाग्राम में लगाकर बर्बाद कर रहे हैं अगर उसे अपने लक्ष्य पर केंद्रित कर दें तो आप कहाँ पहुंच सकते हैं, ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए आपका फोकस तेज होगा, आपके सोचने की क्षमता बढ़ेगी, आप अपने जीवन के हर पहलू पर एक नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे, इंस्टाग्राम पर समय बिताने की बजाय उसे लिमिट करें, अपने फोन में ऐसे एप्स रखें जो आपके आत्मविकास में मदद करें, हर दिन पंद्रह मिनट से ज्यादा इंस्टाग्राम ना चलाएं, सुबह उठते ही मोबाइल से दूरी बनाएं, मैडिटेशन और योगभ्यास करें, अपने दिन की प्लानिंग करें, अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं, पढ़ाई, नई स्किल्स और फिटनेस पर फोकस करें, अपने लक्ष्य को प्राथमिकता दें, अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं रखें, अनावश्यक इच्छाओं और विकर्षणों से बचें, खुद को बेहतर बनाने में अपनी ऊर्जा लगाएं, ब्रह्मचर्य को अपनाने वाले महान व्यक्तियों की सफलता की कहानियां हमेशा प्रेरणा देती हैं।।
    स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और कई अन्य ने इस पथ का अनुसरण किया और दुनिया में अपने नाम की छाप छोड़ी, सोचिए अगर वे कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं कर सकते हो, तो 2025 आपके लिए एक नया अध्याय हो सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब आप सोशल मीडिया और फिजूल की चीजों से दूरी बनाकर अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाते हैं, ब्रह्मचर्य को अपनाकर आप ना केवल अपने जीवन को एक नई दिशा देंगे बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनेंगे, एक बात उन लड़कों को भी समझाना चाहता हूं जो लड़कियों के पीछे पागल हो रहे हैं और अपना कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं, आज का युवा वर्ग अपनी सबसे कीमती चीज समय और ऊर्जा लड़कियों के पीछे भागने और क्षणिक आकर्षण में बर्बाद कर रहा है, सोशल मीडिया के इस युग में प्यार और रिश्ते का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है, यह घोर कलयुग का समय है जहां असली प्यार की संभावना लगभग खत्म हो गई है, लड़के जो अपनी ऊर्जा को महान कार्यों में लगा सकते हैं वह इसे बर्बाद कर रहे हैं, प्रोफाइल ग्लैमरस तस्वीरें और परफेक्ट रिलेशनशिप के दिखावे ने लड़कों को ऐसा महसूस कराया है कि प्यार ही सब कुछ है, हर पोस्ट पर लाइक और कमेंट करने का जुनून मैसेज का इंतजार करते हुए, कीमती समय की बर्बादी, अपने आप को साबित करने की बेकार कोशिशें तो यह समझना जरूरी है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाले रिश्ते और प्यार अक्सर नकली होते हैं, असली जिंदगी में यह परफेक्ट रिलेशनशिप बहुत कम होते हैं।।
    लड़कों के लिए लड़कियों का शारीरिक आकर्षण सबसे बड़ा जाल बन गया है, लड़के अपनी ऊर्जा और ध्यान केवल बाहरी सुंदरता पर केंद्रित कर देते हैं, वे भूल जाते हैं कि बाहरी सुंदरता क्षणिक है और असली मूल्य चरित्र, आदतें और लक्ष्य में होता है, दूसरों से तुलना करने की बेवकूफी कि उसके पास गर्लफ्रेंड है तो मेरे पास क्यों नहीं, यह सोच लड़कों को मानसिक तनाव में डालती है इस तुलना के कारण वे खुद को कम आंकने लगते हैं, और ध्यान भटकने लगता है, लड़के लड़कियों के बारे में सोचते हुए उन्हें मैसेज करते हुए और उनके साथ समय बिताने की कोशिश करते हुए अपना दिन बर्बाद कर देते हैं।।
    पढ़ाई के समय का इस्तेमाल मैसेज लिखने में, करियर प्लानिंग के समय का इस्तेमाल डेटिंग प्लान बनाने में होता है और फिर नतीजा यह निकल कर आता है कि उनकी पढ़ाई करियर और व्यक्तिगत विकास ठहर जाता है, मनुष्य की ऊर्जा असीमित होती है लेकिन इसे सही दिशा में उपयोग करना जरूरी है, जब लड़के अपनी ऊर्जा को प्यार और रिश्तों में बर्बाद करते हैं तो उनके पास जीवन के असली उद्देश्यों के लिए कुछ नहीं बचता, लड़कियों के पीछे भागने और बार-बार अस्वीकृति पाने से लड़कों का आत्मसम्मान कम हो जाता है, यह उनके मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालता है, तो इस समय में प्यार ज्यादातर स्वार्थ इच्छाओं और दिखावे पर आधारित है, लोग रिश्तों में केवल अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए आते हैं, घोर कलयुग में सच्चा प्यार मिलना लगभग असंभव है, आज के रिश्ते अक्सर अस्थिर और क्षणिक होते हैं, सच्चे प्यार की तलाश में लोग अपने जीवन के कीमती साल बर्बाद कर देते हैं, प्यार का भ्रम आपके जीवन को गहरी निराशा और असफलता में डाल सकता है तो 2025 में इस भ्रम से बचकर आप अपने जीवन में असली खुशियों और सफलता को पा सकते हैं, अपनी ऊर्जा को बचाकर सही दिशा में लगाना यह केवल शारीरिक संयम नहीं है, बल्कि मन और आत्मा का नियंत्रण है।।
    ब्रह्मचर्य आपकी ऊर्जा को बचाकर उसे पढ़ाई करियर और व्यक्तिगत विकास में लगाने का मार्ग प्रदान करता है, जब आप अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पाते हैं तो आप अपने जीवन के हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, ब्रह्मचर्य आपको आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्रदान करता है, यह आपको हर परिस्थिति में शांत और स्थिर रहने में मदद करता है, तो आप अपना समय और ऊर्जा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में लगाएं, हर दिन कुछ नया सीखें और अपने कौशल को निखारें, ब्रह्मचर्य अपनाएं, भ्रम से बचें, लड़कियों के पीछे भागने और प्यार के झूठे भ्रम में फंसने से बचें, अपनी ऊर्जा और समय को पहचाने और इसे अपने जीवन के असली उद्देश्य को प्राप्त करने में लगाएं।।
    ब्रह्मचर्य की शुरुआत
    अब जानते हैं कि, ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत कैसे करें?, ब्रह्मचर्य एक प्राचीन और शक्तिशाली जीवन शैली है जो आत्मज्ञान, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है, इस पथ पर चलने का निर्णय ना केवल आपके जीवन को समृद्ध बनाएगा बल्कि आपको अपने वास्तविक उद्देश्य को जानने और समझने में भी मदद करेगा, इस मार्गदर्शिका में हम ब्रह्मचर्य के पालन की शुरुआत से लेकर इसके लाभों तक कदम दर कदम प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप इसे अपनी जीवन शैली में प्रभावी ढंग से शामिल कर सकें।।
    ब्रह्मचर्य का शाब्दिक अर्थ होता है ब्रह्म के साथ चलना या ब्रह्म के साथ रहना तो यह एक ऐसी जीवन शैली है, जो संयम, आत्म नियंत्रण और आपकी आंतरिक शक्तियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने पर आधारित है, यह केवल यौन संयम तक ही सीमित नहीं है बल्कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वच्छता और संतुलन का भी प्रतीक है, ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति में ऊर्जा का संचार होता है, मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ता है। यह एक आत्मनिर्भर और जागरूक जीवन जीने की क्षमता प्रदान करता है।।
    अब इसकी शुरुआत कैसे करनी है, जब आप ब्रह्मचर्य का पालन शुरू करने का निर्णय लेते हैं तो सबसे पहले आपको मानसिक रूप से तैयार होना होगा, यह एक साधना है और जैसे किसी भी बड़े कार्य के लिए मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है वैसे ही ब्रह्मचर्य के पालन के लिए भी मानसिक तैयारी अनिवार्य है, तो इसके लिए आप अपना एक उद्देश्य स्पष्ट करें, पहले आपको यह समझना होगा कि आपको ब्रह्मचर्य का पालन क्यों करना है?, क्या आप अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को बेहतर तरीके से उपयोग करना चाहते हैं?, क्या आप आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं?, अपने उद्देश्य को समझना आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा, फिर अपना एक लक्ष्य तय करें कि ब्रह्मचर्य का पालन करने के दौरान आपके लक्ष्य क्या होंगे?, क्या आप खुद को अधिक शारीरिक रूप से स्वस्थ देखना चाहते हैं या आपको मानसिक स्पष्टता प्राप्त करनी है, इस तरह के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आपको अपने प्रयासों को सही दिशा में लगाना होगा। ब्रह्मचर्य का पालन करने में जीवन शैली में बड़े बदलाव की आवश्यकता होती है, ये एक साधना है जो केवल मानसिक नहीं बल्कि शारीरिक और सामाजिक स्तर पर भी प्रभाव डालती है इसीलिए आपको अपनी दिनचर्या में कुछ प्रमुख बदलाव करने होंगे।।
    जिसमें से पहला है व्यायाम और योग, शारीरिक व्यायाम आपके शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता है, जब आप ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तो यह आवश्यक है कि आप अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं तो नियमित व्यायाम और योग से आपकी शारीरिक स्थिति बेहतर होती है और मानसिक संतुलन भी बना रहता है, दूसरा है संतुलित आहार, एक अच्छा आहार आपके शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करता है, ब्रह्मचर्य के दौरान आपको हल्का और पौष्टिक भोजन करना चाहिए जो आपके शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता हो और आपकी ऊर्जा को सही दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता हो, तीसरा है ध्यान और साधना, ध्यान और साधना ब्रह्मचर्य का अभिन्न हिस्सा है यह मानसिक शांति और स्पष्टता लाने के साथ-साथ मानसिक नियंत्रण भी विकसित करता है आपको प्रतिदिन ध्यान करने का अभ्यास करना चाहिए, यह आपकी मानसिक स्थिति को मजबूत बनाए रखेगा, चौथा है नकारात्मक विचारों से बचें, ब्रह्मचर्य का पालन करते समय आपको अपनी मानसिक स्थिति को सकारात्मक बनाए रखना होगा, नकारात्मक विचारों और भावनाओं को नियंत्रण में रखना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है इसके लिए आपको अपनी मानसिकता पर लगातार काम करना होगा और सकारात्मक सोच को अपनाना होगा, पांचवा है सकारात्मक वातावरण, ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए आपको ऐसे वातावरण में रहना चाहिए जो सकारात्मक हो, ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो आपकी ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं और आपको अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने में मदद करते हैं, छठा है विचारों पर नियंत्रण, सामाजिक जीवन में हमें कई प्रकार के विचारों और व्यवहारों का सामना करना पड़ता है तो इन विचारों और प्रभावों को समझदारी से नियंत्रित करना चाहिए ताकि वे आपके उद्देश्य के खिलाफ ना जाएं।।
    ब्रह्मचर्य का पालन करने में आत्म नियंत्रण और संयम की आवश्यकता होती है, यहाँ ना केवल यौन इच्छाओं पर नियंत्रण का सवाल है बल्कि आपके जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी आत्म नियंत्रण की आवश्यकता होती है, शारीरिक इच्छाओं पर नियंत्रण पाना आसान नहीं होता लेकिन इसके लिए ध्यान और साधना की मदद से संयम बनाए रखना संभव है बस आपको यह समझना होगा कि यह इच्छाएं सिर्फ क्षणिक होती हैं और इनसे निकलने की शक्ति आपके भीतर है।
    केवल शारीरिक इच्छाएं ही नहीं बल्कि मानसिक इच्छाओं पर भी नियंत्रण रखना आवश्यक है, यदि आप किसी चीज के लिए बहुत ज्यादा इच्छाएं रखते हैं तो यह आपके मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है, आपको अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है, ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए अनुशासन और नियमितता की अत्यधिक आवश्यकता है क्योंकि बिना अनुशासन के आप इस पथ पर सही तरीके से नहीं चल सकते, जिसमें से पहला है नित्य की एक दिनचर्या बनाएं, एक निश्चित दिनचर्या अपनाएं जिसमें आपकी शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक आवश्यकताएं पूरी
    होती हो। नियमित समय पर सोना, उठना, व्यायाम करना, ध्यान लगाना और अच्छे आहार का सेवन करना जरूरी है, दूसरा है विराम और विश्राम क्योंकि ब्रह्मचर्य का पालन करते समय आपको अपनी ऊर्जा को सही तरीके से प्रबंधित करना होगा तो यह आवश्यक है कि आप अपनी ऊर्जा का उचित उपयोग करें और सही समय पर विश्राम भी करें। किसी भी नई जीवन शैली को अपनाते समय चुनौतियां आना स्वाभाविक है तो ब्रह्मचर्य के पालन के दौरान भी कई प्रकार की मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें से पहला है सोच का परिवर्तन, शुरुआत में आपको अपनी पुराने आदतों और सोच को
    छोड़ने में कठिनाई हो सकती है, लेकिन इस यात्रा का उद्देश्य ही खुद को बेहतर बनाना है, ना कि पुराने आदतों को बनाए रखना, दूसरा है मनुष्य के स्वाभाविक उतार चढ़ाव कभी-कभी आपके मन में संकोच या निराशा भी आ सकती है लेकिन यह पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है इसलिए महत्त्वपूर्ण यह है कि आप अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ते रहें।।
    ब्रह्मचर्य का पालन करना, एक उच्चतम जीवन शैली है जो आत्म नियंत्रण संयम और आंतरिक शांति की ओर ले जाता है, यह ना केवल आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है बल्कि आपके जीवन के उद्देश्य को भी स्पष्ट करता है, शुरुआत में कठिनाइयां आ सकती हैं लेकिन आपकी प्रतिबद्धता और निरंतरता से आप सफलता की ओर बढ़ सकते हैं, आपके इस मार्गदर्शन में जो भी प्रेरणा और दिशा मिली है वह आपके जीवन को नई दिशा देने के लिए काफी है। याद रखें ब्रह्मचर्य कोई अंत नहीं है, ये एक निरंतर यात्रा है जो आपको अपने भीतर की शक्तियों और ऊर्जा को पहचानने का अवसर देती है।।
    ब्रह्मचर्य में होने वाली गलतियाँ
    अब जानते हैं कि ब्रह्मचर्य पालन में लोग अक्सर कौन सी गलती करते हैं जिससे कि उनका ब्रह्मचर्य ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाता है, ब्रह्मचर्य पालन एक साधना है जो अनुशासन और आत्म संयम की मजबूत नींव पर टिकती है, इसे केवल काम वासना से बचने तक सीमित समझना गलत है, यह विचार भावना और कर्म में पवित्रता को बनाए रखने का एक जीवन दर्शन है, हालांकि इसे शुरू करना जितना कठिन लगता है, उतना ही कठिन इसे लंबे समय तक टिकाए रखना होता है, इसमें ज्यादातर लोग ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो उनके ब्रह्मचर्य पालन को कमजोर कर देती हैं तो इन गलतियों को समझना और उनसे बचने के उपायों को अपनाना ही सफलता की कुंजी है तो आइये विस्तार से समझते हैं कि इंसान किन गलतियों के कारण असफल होते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता सकता है।।
    जब कोई व्यक्ति ब्रह्मचर्य पालन शुरू करता है तो अक्सर उसके पास इसका ठोस उद्देश्य नहीं होता, वे या तो समाज के प्रभाव में आकर इसे अपनाते हैं या किसी अस्थाई प्रेरणा से उत्साहित होकर आ जाते हैं, तो जब तक आपके पास एक स्पष्ट और ठोस उद्देश्य नहीं होगा तब तक आप इस साधना में सफल नहीं हो सकते, ब्रह्मचर्य पालन का अर्थ केवल इच्छाओं को दबाना नहीं है बल्कि उन्हें नियंत्रित करके अपने ऊर्जा स्तर को ऊंचा उठाना है, ब्रह्मचर्य का उद्देश्य तय करना इसलिए जरूरी है क्योंकि जब आप कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं तो वही उद्देश्य आपको टिकाए रखता है अब यदि आप का उद्देश्य अस्पष्ट है तो आप हर बार खुद को कमजोर पाते हैं तो इसका उपाय यह है कि शुरुआत में ही लिख लें कि आप ब्रह्मचर्य का पालन क्यों करना चाहते हैं?,अब हर दिन सुबह या रात इसे पढ़ें और अपने मन में गहराई से बैठा लें, जब भी संदेह उत्पन्न हो तो इसे अपने मन में दोहराएं। ब्रह्मचर्य पालन के दौरान आत्मनिरीक्षण का बहुत महत्व है यदि आप अपनी कमजोरियों और आदतों को नहीं समझते हैं तो आप बार-बार उन्हीं समस्याओं का सामना करेंगे, अक्सर लोग अपनी इच्छाओं और भावनाओं को दबाने का प्रयास करते हैं बजाय इसके कि वे उन्हें समझने और नियंत्रित करने का प्रयास करें तो समझना जरूरी है कि इच्छाएं मानव स्वभाव का हिस्सा है और इन्हें दबाने की बजाय इनकी जड़ों को समझना चाहिए।।
    हर दिन आत्म निरीक्षण करें, डायरी लिखें और अपने विचारों भावनाओं और क्रियाओं का विश्लेषण करें, जब आप यह जान जाते हैं कि कौन सी परिस्थिति आपको कमजोर बनाती है तो आप उनसे बचने का प्रयास कर सकते हैं, संगति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर सीधा पड़ता है यदि आपके आसपास के लोग आपको प्रेरित करने की बजाय प्रलोभन में डालते हैं तो आपका ब्रह्मचर्य पालन कमजोर पड़ जाएगा तो गलत संगति में रहने वाले लोग अक्सर आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि ब्रह्मचर्य पालन तो व्यर्थ है, वे आपको नकारात्मकता से भर देते हैं और आपके मन में शंका उत्पन्न करते हैं, इससे बचने के लिए अपने आसपास ऐसे लोगों को रखें जो आपके विचारों और सिद्धांतों का सम्मान करते हो, यदि ऐसा संभव ना हो तो सत्संग का सहारा लें, प्रेरणादायक किताबें पढ़ें, सकारात्मक वीडियो देखें और उन लोगों से जुड़ें जो इस मार्ग पर चल रहे हैं। ब्रह्मचर्य पालन में अनुशासन सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है यदि आपकी दिनचर्या अव्यवस्थित है तो आपका मन आसानी से भटक जाएगा क्योंकि अनुशासन हीनता आलस्य को जन्म देती है और आलस्य ही आपके मन को नकारात्मक विचारों और प्रलोभन की ओर ले जाता है तो सुबह जल्दी उठने और रात को समय पर सोने की आदत डालें, अपने दिन का एक निश्चित कार्यक्रम बनाएं और उस पर अडिग रहे, सुबह का समय ध्यान योग और प्रार्थना के लिए सबसे उपयुक्त होता है तो यह गतिविधियां आपके मन को स्थिर और सकारात्मक बनाए रखती हैं। अधिकतर लोग ब्रह्मचर्य पालन के दौरान अपनी इच्छाओं को दबाने की कोशिश करते हैं लेकिन यह केवल अस्थाई समाधान है, दबाई गई इच्छाएं समय के साथ और अधिक ताकतवर होकर लौटती हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि जब आप किसी इच्छा को लंबे समय तक दबाते हैं तो एक समय ऐसा आता है जब आप उस पर से पूरी तरह नियंत्रण खो देते हैं, इच्छाओं को नियंत्रित करने का तरीका यह है कि सबसे पहले उन्हें स्वीकार करें और यह समझे कि ये क्षणिक हैं और इनके पीछे भागना आपको दीर्घकालिक दुख ही देगा, इसके बाद अपने विचारों को सकारात्मक दिशा में मोड़ें जैसे ही कोई नकारात्मक विचार आए तुरंत किसी रचनात्मक कार्य में लग जाएं जैसे ध्यान और प्राणायाम जैसी तकनीकों का उपयोग करें जो आपके मन को स्थिर और शांत रखते हैं, भोजन और जीवन शैली का सीधा असर मन और शरीर पर पड़ता है तो यदि आप तामसिक या गरिष्ठ भोजन करते हैं तो आपका शरीर भारी और आलसी महसूस करेगा, यह स्थिति आपको नकारात्मक विचारों की ओर ले जाती है, अपने भोजन को सात्विक और सरल बनाएं, शाकाहारी और पौष्टिक भोजन आपके शरीर और मन को शुद्ध करता है। इसके साथ ही नियमित व्यायाम और योग करें, शारीरिक सक्रियता से मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, आज के युग में सोशल मीडिया और इंटरनेट सबसे बड़े प्रलोभन बन चुके हैं, अश्लील वीडियो और नकारात्मक विचार आसानी से उपलब्ध हैं जो आपके ब्रह्मचर्य पालन को कमजोर कर सकते हैं तो तकनीक का उपयोग केवल आवश्यक कार्यों के लिए ही करें और अपने मोबाइल और कंप्यूटर में ऐसे फिल्टर लगाएं जो नकारात्मक चीजों को ब्लॉक कर सके, इसके अलावा हर सप्ताह एक दिन डिजिटल डिटॉक्स करें यानी पूरे दिन इंटरनेट और मोबाइल से दूर रहें, जब तक आप प्रेरित नहीं रहेंगे तब तक आपका ब्रह्मचर्य पालन टिक नहीं पाएगा, प्रेरणा की कमी से साधक बीच में ही हार मान लेते हैं तो इससे बचने के लिए नियमित रूप से प्रेरणादायक किताबें पढ़ें और वीडियो देखें, उन लोगों की कहानियां सुने जिन्होंने ब्रह्मचर्य पालन के माध्यम से अपने जीवन को बेहतर बनाया है। इसके अलावा अपने उन उद्देश्यों को बार-बार याद करें और हर दिन खुद को प्रेरित करें, ब्रह्मचर्य पालन कोई आसान कार्य नहीं है लेकिन यदि आप दृढ़ संकल्प, अनुशासन और आत्म नियंत्रण के साथ इस मार्ग पर चलते हैं तो यह आपके जीवन को शुद्धता शांति और सफलता से भर देगा।।
    याद रखें, यह यात्रा लंबी है और इसमें धैर्य सबसे बड़ा हथियार है तो अपनी गलतियों को पहचाने, उनसे सीखें और हर दिन बेहतर बनने का प्रयास करें, ब्रह्मचर्य केवल एक साधना नहीं बल्कि आपके जीवन को उच्चतम शिखर तक पहुंचाने का मार्ग है, ब्रह्मचर्य का पालन करने का मतलब खुद को खोना नहीं बल्कि खुद को पाना है, आपके विचार आपकी सबसे बड़ी ताकत है इन्हें अपनी दिशा में मोड़ें और फिर देखिए कि कैसे चमत्कार होते हैं।।
    हर दिन एक नई शुरुआत हैं, यदि कल फिसल गए तो आज फिर से खड़े हो जाइए, आपके छोटे-छोटे प्रयास ही आपके बड़े सपनों को हकीकत में बदलते हैं, हर संघर्ष आपको मजबूत बनाता है और हर त्याग आपको महानता की ओर ले जाता है, संसार में सच्चा आनंद पाने के लिए पहले अपनी आत्मा को शुद्ध करना सीखें, सफलता केवल मेहनत से नहीं मिलती बल्कि इच्छाओं पर नियंत्रण और फोकस से मिलती है, जब आपका मन स्थिर और शांत होता है तो आप किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं, सच्ची सफलता वह है जो आपकी आत्मा को संतोष दे तो ब्रह्मचर्य से आप अपनी ऊर्जा को अपने सपनों को पूरा करने में लगा सकते हैं, सफलता कोई चमत्कार नहीं है बस यह अनुशासन और त्याग का ही परिणाम है, जो अपनी इच्छाओं पर विजय पाता है वही अपने जीवन को सच्चे अर्थों में जीता है।।
    ब्रह्मचर्य वह शक्ति है जो आपके हर सपने को साकार कर सकती है, ब्रह्मचर्य वह सीढ़ी है जो आपको संसार की अशांति से निकालकर आत्मिक शांति तक ले जाती है, आपका असली उद्देश्य अपनी आत्मा को पहचानना है और ब्रह्मचर्य इसका सबसे सशक्त माध्यम है, आध्यात्मिकता का मार्ग कठिन हो सकता है लेकिन यह अनमोल है तो 2025 आपका एक ऐसा साल बन सकता है जो आपकी जिंदगी बदल सकता है, ब्रह्मचर्य का पालन आपके अंदर ऐसी ऊर्जा और आत्मविश्वास लाएगा जो आपको हर लक्ष्य तक पहुंचाएगा, अगर आपने ठान लिया तो यह साल आपके लिए एक नई शुरुआत होगी, जहां आपका मन और शरीर एक नए आयाम में प्रवेश करेगा।।
    तो आइये एक नई शुरुआत करते हैं, हम साथ मिलकर 2025 को अपने जीवन का सबसे सफल और पवित्र साल बनाएंगे।।
    ।।राधे राधे।।

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 11, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

अठारह दिन अठारह अध्याय

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  1. Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on January 11, 2025 at 3:15 pm

    अध्याय-1 कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्य निरीक्षण धृतराष्ट्र ने कहा: हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पांडु के पुत्रों ने क्या किया? संजय ने कहा: हे राजन! पांडुपुत्रों द्वारा सेना की रचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे: "हे आचार्Read more

    अध्याय-1 कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्य निरीक्षण

    धृतराष्ट्र ने कहा: हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पांडु के पुत्रों ने क्या किया?

    संजय ने कहा: हे राजन! पांडुपुत्रों द्वारा सेना की रचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे:

    “हे आचार्य! पांडुपुत्रों की विशाल सेना को देखें, जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपद के पुत्र ने इतने कौशल से व्यवस्थित किया है। इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं। यथा, महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद। इनके साथ ही धृष्टकेतु, चेकितान, काशिराज, पुरूजित, कुंतीभोज तथा शैव्य जैसे महान शक्तिशाली योद्धा भी हैं।

    पराक्रमी युधामन्यु, अत्यंत शक्तिशाली उत्तमौजा, सुभद्रा का पुत्र तथा द्रौपदी के पुत्र—यह सभी महारथी हैं। किंतु हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! आपकी सूचना के लिए मैं अपनी सेना के उन नायकों के विषय में बताना चाहूंगा, जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण हैं। मेरी सेना में स्वयं आप, भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वथामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरीश्रवा आदि हैं, जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं।

    और ऐसे अनेक वीर भी हैं, जो मेरे लिए अपना जीवन त्याग करने के लिए उद्यत हैं। वे विविध प्रकार के हथियारों से सुसज्जित हैं और युद्ध विद्या में निपुण हैं। हमारी शक्ति अपरिमेय है और हम सब पितामह द्वारा भली भाँति संरक्षित हैं, जबकि पांडवों की शक्ति भीम द्वारा भली भाँति संरक्षित होकर भी सीमित है।

    अतः सैन्यव्यूह में अपने-अपने मोर्चों पर खड़े रहकर आप सभी भीष्म पितामह को पूरी-पूरी सहायता दें।”

    तब कुरुवंश के वयोवृद्ध, परम प्रतापी एवं वृद्ध पितामह ने सिंह गर्जन की सी ध्वनि करने वाले अपने शंख को उच्च स्वर में बजाया, जिससे दुर्योधन को हर्ष हुआ। तत्पश्चात शंख, नगाड़े, बिगुल, तुरही तथा सिंह सहसा एक साथ बज उठे। वह समवेत स्वर अत्यंत कोलाहलपूर्ण था।

    दूसरी ओर, श्वेत घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले विशाल रथ पर आसीन कृष्ण तथा अर्जुन ने अपने-अपने दिव्य शंख बजाए। भगवान कृष्ण ने अपना पांचजन्य शंख बजाया, अर्जुन ने देवदत्त शंख तथा अति भोजी एवं अति मानवीय कार्य करने वाले भीम ने पौंड्र नामक भयंकर शंख बजाया।

    हे राजन! कुंतीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अपना अनंत विजय नामक शंख बजाया, तथा नकुल और सहदेव ने सुघोष एवं मणिपुष्पक शंख बजाए। महान धनुर्धर काशिराज, परम योद्धा शिखंडी, धृष्टद्युम्न, विराट, अजेय सात्यकि, द्रुपद, द्रौपदी के पुत्र तथा सुभद्रा के महाबाहु पुत्र आदि सब ने अपने-अपने शंख बजाए।

    इन विभिन्न शंखों की ध्वनि कोलाहलपूर्ण बन गई, जो आकाश तथा पृथ्वी को शब्दायमान करती हुई धृतराष्ट्र के पुत्रों के हृदय को विदीर्ण करने लगी। उस समय, हनुमान से अंकित ध्वजा लगे रथ पर आसीन पांडुपुत्र अर्जुन अपना धनुष उठाकर तीर चलाने के लिए उद्यत हुआ।

    हे राजन! धृतराष्ट्र के पुत्रों को व्यूह में खड़ा देखकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से यह वचन कहे:
    “अर्जुन ने कहा: हे अच्युत! कृपा करके मेरा रथ दोनों सेनाओं के बीच ले चलिए, जिससे मैं यहाँ उपस्थित युद्ध की अभिलाषा रखने वालों को और शस्त्रों की इस महान परीक्षा में जिनसे मुझे संघर्ष करना है, उन्हें देख सकूँ। मुझे उन लोगों को देखने दीजिए जो यहाँ पर धृतराष्ट्र के दुर्बुद्धि पुत्र दुर्योधन को प्रसन्न करने की इच्छा से लड़ने के लिए आए हुए हैं।”

    संजय ने कहा: हे भरतवंशी! अर्जुन द्वारा इस प्रकार संबोधित किए जाने पर भगवान कृष्ण ने दोनों दलों के बीच में उस उत्तम रथ को लाकर खड़ा कर दिया। भीष्म, द्रोण तथा विश्वभर के अन्य समस्त राजाओं के सामने भगवान ने कहा:
    “हे पार्थ! यहाँ पर एकत्र सारे कुरुओं को देखो।”

    अर्जुन ने वहाँ पर दोनों पक्षों की सेनाओं के मध्य में अपने चाचा, ताऊ, पितामह, गुरुओं, मामा, भाइयों, पुत्रों, पौत्रों, मित्रों, ससुर और शुभचिंतकों को भी देखा। जब कुंतीपुत्र अर्जुन ने मित्रों तथा संबंधियों की इन विभिन्न श्रेणियों को देखा, तो वह करुणा से अभिभूत हो गया और इस प्रकार बोला:

    “अर्जुन ने कहा: हे कृष्ण! इस प्रकार युद्ध की इच्छा रखने वाले अपने मित्रों तथा संबंधियों को अपने समक्ष उपस्थित देखकर मेरे शरीर के अंग काँप रहे हैं और मेरा मुख सूख रहा है। मेरा सारा शरीर काँप रहा है, मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं। मेरा धनुष मेरे हाथ से सरक रहा है और मेरी त्वचा जल रही है।

    मैं यहाँ अब और अधिक खड़ा रहने में असमर्थ हूँ। मैं अपने को भूल रहा हूँ और मेरा सिर चकरा रहा है। हे कृष्ण! मुझे तो केवल अमंगल के कारण दिख रहे हैं।

    हे कृष्ण! इस युद्ध में अपने ही स्वजनों का वध करने से न तो मुझे कोई अच्छाई दिखती है और न ही मैं उससे किसी प्रकार की विजय, राज्य या सुख की इच्छा रखता हूँ। हे गोविंद! हमें राज्य, सुख अथवा इस जीवन से क्या लाभ? क्योंकि जिन सारे लोगों के लिए हम उन्हें चाहते हैं, वे ही इस युद्धभूमि में खड़े हैं।

    हे मधुसूदन! जब गुरुजन, पितृगण, पुत्रगण, पितामह, मामा, ससुर, पौत्रगण, साले तथा अन्य सारे संबंधी अपना-अपना धन एवं प्राण देने के लिए तत्पर हैं और मेरे समक्ष खड़े हैं, तो फिर मैं इन सबको क्यों मारना चाहूँगा, भले ही वे मुझे क्यों न मार डालें।

    हे जीवों के पालक! मैं इन सबों से लड़ने को तैयार नहीं, भले ही बदले में मुझे तीनों लोक क्यों न मिलते हों, इस पृथ्वी की तो बात ही छोड़ दें। भला धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें कौन-सी प्रसन्नता मिलेगी? यदि हम ऐसे आततायियों का वध करते हैं, तो हम पर पाप चढ़ेगा।

    अतः यह उचित नहीं होगा कि हम धृतराष्ट्र के पुत्रों तथा उनके मित्रों का वध करें। हे लक्ष्मीपति कृष्ण! इससे हमें क्या लाभ होगा? और अपने ही कुटुंबियों को मारकर हम किस प्रकार सुखी हो सकते हैं?

    हे जनार्दन! यद्यपि लोभ से अविभूत चित्त वाले ये लोग अपने परिवार को मारने या अपने मित्रों से द्रोह करने में कोई दोष नहीं देखते, किंतु हम लोग जो परिवार के विनष्ट करने में अपराध देख सकते हैं, ऐसे पापकर्मों में क्यों प्रवृत्त हों?

    कुल का नाश होने पर सनातन कुलपरंपरा नष्ट हो जाती है और इस तरह शेष कुल भी अधर्म में प्रवृत्त हो जाता है। हे कृष्ण! जब कुल में अधर्म प्रमुख हो जाता है, तो कुल की स्त्रियाँ दूषित हो जाती हैं और स्त्रीत्व के पतन से, हे वृष्णवंशी! अवांछित संतानें उत्पन्न होती हैं।

    और अवांछित संतानों की वृद्धि से निश्चय ही परिवार के लिए तथा पारिवारिक परंपरा को विनष्ट करने वालों के लिए नारकीय जीवन उत्पन्न होता है। ऐसे पतित कुलों के पुरखे गिर जाते हैं, क्योंकि उन्हें जल तथा पिंडदान देने की क्रियाएँ समाप्त हो जाती हैं।

    जो लोग कुलपरंपरा को विनष्ट करते हैं और इस तरह अवांछित संतानों को जन्म देते हैं, उनके दुष्कर्म से समस्त प्रकार की सामुदायिक योजनाएँ तथा पारिवारिक कल्याण कार्य विनष्ट हो जाते हैं।

    हे प्रजापालक कृष्ण! मैंने गुरु परंपरा से सुना है कि जो लोग कुलधर्म का विनाश करते हैं, वे सदैव नरक में वास करते हैं। ओहो! कितनी आश्चर्य की बात है कि हम सब जघन्य पापकर्म करने के लिए उद्यत हो रहे हैं। राज्य, सुख भोगने की इच्छा से प्रेरित होकर हम अपने ही संबंधियों को मारने पर तुले हैं।

    यदि शस्त्रधारी धृतराष्ट्र के पुत्र मुझे निहत्थे तथा रणभूमि में प्रतिरोध न करने वाले को मारें, तो यह मेरे लिए श्रेयस्कर होगा।”

    संजय ने कहा: युद्धभूमि में इस प्रकार कहकर अर्जुन ने अपना धनुष तथा बाण एक ओर रख दिया और शोक संतप्त चित्त से रथ के आसन पर बैठ गया।

    ।।बोलिये श्री कृष्ण चंद्र भगवान की जय।।

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