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Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Latest Questions

Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 13, 2024In: स्वास्थ्य और ब्रह्मचर्य (Health and Brahmacharya)

ब्रह्मचर्य और योग का क्या संबंध है?

  • 1

ब्रह्मचर्य और योग का क्या संबंध है?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:00 pm

    ब्रह्मचर्य और योग का संबंध ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा के प्रमुख अंग हैं। ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और आत्म-संयम, अनुशासन और आत्मज्ञान के मार्ग को सरल बनाते हैं। ब्रह्मचर्य योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) में से एक है, जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्रRead more

    ब्रह्मचर्य और योग का संबंध

    ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा के प्रमुख अंग हैं। ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और आत्म-संयम, अनुशासन और आत्मज्ञान के मार्ग को सरल बनाते हैं। ब्रह्मचर्य योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) में से एक है, जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र में स्पष्ट रूप से वर्णित किया है।

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुशासन, विचारों की पवित्रता और ऊर्जा का संरक्षण है। योग का उद्देश्य भी आत्मा और परमात्मा का मिलन है, और ब्रह्मचर्य इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होता है।


    योग और ब्रह्मचर्य: एक दृष्टिकोण

    1. अष्टांग योग में ब्रह्मचर्य का स्थान

    महर्षि पतंजलि ने योग को आठ अंगों में विभाजित किया है:

    1. यम
    2. नियम
    3. आसन
    4. प्राणायाम
    5. प्रत्याहार
    6. धारणा
    7. ध्यान
    8. समाधि

    इनमें यम के अंतर्गत ब्रह्मचर्य को प्रमुख बताया गया है। यम वह नैतिक सिद्धांत हैं जो योग के अभ्यास में अनुशासन और नियंत्रण प्रदान करते हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करने से मन और शरीर की ऊर्जा संरक्षित रहती है, जो योग साधना में सहायक होती है।

    2. ऊर्जा का संरक्षण और दिशा

    योग में ऊर्जा को कुंडलिनी शक्ति के रूप में समझा जाता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यह ऊर्जा व्यर्थ नष्ट नहीं होती और साधक इसे ध्यान और समाधि के माध्यम से उच्चतर स्तर तक ले जा सकता है।

    3. शारीरिक और मानसिक शुद्धता

    योग का अभ्यास करने के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक है। ब्रह्मचर्य इस शुद्धता को बनाए रखने का मार्ग है। यह अनावश्यक भोग और विकारों से व्यक्ति को बचाकर योग के प्रति एकाग्रता को बढ़ाता है।


    योग और ब्रह्मचर्य के लाभ

    1. योगाभ्यास में सफलता

    योग के उच्च स्तर (जैसे ध्यान और समाधि) तक पहुंचने के लिए मन का स्थिर और शांत होना आवश्यक है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से मन स्थिर रहता है और योगाभ्यास में सफलता मिलती है।

    2. शरीर और मन का संतुलन

    ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही शरीर और मन को संतुलित रखते हैं। ब्रह्मचर्य शरीर में ऊर्जा का संरक्षण करता है, जबकि योग इस ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने में मदद करता है।

    3. ध्यान और आत्मचिंतन में सहायता

    ब्रह्मचर्य का पालन करने से ध्यान की एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह मन को भटकाव से बचाता है और आत्मचिंतन के मार्ग को सरल बनाता है।

    4. कुंडलिनी जागरण में सहायक

    योग का एक प्रमुख उद्देश्य कुंडलिनी शक्ति को जागृत करना है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यह ऊर्जा बिना किसी रुकावट के जागृत होती है और साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाती है।


    योग और ब्रह्मचर्य का वैज्ञानिक पक्ष

    1. शारीरिक ऊर्जा का संरक्षण

    आधुनिक विज्ञान मानता है कि संयमित जीवनशैली से शरीर की ऊर्जा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखा जा सकता है। ब्रह्मचर्य के पालन से शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखा जा सकता है, जिससे योग अभ्यास अधिक प्रभावी हो जाता है।

    2. मस्तिष्क पर प्रभाव

    योग और ब्रह्मचर्य दोनों मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मन शांत होता है और एकाग्रता में वृद्धि होती है, जो ध्यान और समाधि में सहायक है।


    ब्रह्मचर्य और योग का व्यवहारिक अनुप्रयोग

    1. दैनिक दिनचर्या में ब्रह्मचर्य का पालन:
      सात्विक आहार, संयमित जीवनशैली और सकारात्मक संगति का पालन करें।
    2. नियमित योगाभ्यास:
      आसन, प्राणायाम और ध्यान के नियमित अभ्यास से ब्रह्मचर्य का पालन आसान हो जाता है।
    3. विचारों की पवित्रता:
      सकारात्मक सोच और आत्मचिंतन से विचारों को शुद्ध रखें।
    4. इंद्रियों पर नियंत्रण:
      भौतिक इच्छाओं और भोग-विलास से बचने के लिए योग का सहारा लें।

    धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

    भारतीय ग्रंथों में ब्रह्मचर्य और योग का संबंध गहराई से वर्णित है। भगवद गीता और उपनिषदों में ब्रह्मचर्य को योग का अभिन्न अंग बताया गया है। महात्मा गांधी और अन्य महापुरुषों ने भी ब्रह्मचर्य को जीवन का मूल आधार माना है।


    निष्कर्ष

    ब्रह्मचर्य और योग एक-दूसरे के पूरक हैं। ब्रह्मचर्य व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, जबकि योग इस ऊर्जा को नियंत्रित और संचालित करने का साधन है। जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य और योग दोनों का पालन करता है, वह जीवन में शांति, संतुलन और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है। इन दोनों का संयोजन हमें अपने जीवन के उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर ले जाता है।

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Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य के लाभ

ब्रह्मचर्य का पालन करने से क्या लाभ होते हैं?

  • 1

ब्रह्मचर्य का पालन करने से क्या लाभ होते हैं?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:05 pm

    ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, मानसिक स्थिरता, और सच्ची आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की साधना है। इसे जीवन में अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में भी संतुलन और शाRead more

    ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, मानसिक स्थिरता, और सच्ची आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की साधना है। इसे जीवन में अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में भी संतुलन और शांति बनाए रखने में मदद करता है। इस लेख में, हम विस्तार से देखेंगे कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं।


    1. मानसिक संतुलन और स्थिरता

    • मानसिक स्वच्छता:
      ब्रह्मचर्य पालन के दौरान व्यक्ति अपने मन को अशांत विचारों से बचाता है। यह मानसिक स्वच्छता को बनाए रखता है और व्यक्ति को ध्यान और आत्मनियंत्रण में सक्षम बनाता है।
    • ध्यान की क्षमता:
      जब आप मन से अनावश्यक विचारों को दूर रखते हैं, तो ध्यान की क्षमता बढ़ती है। यह योग और ध्यान के अभ्यास में सहायक होता है।
    • आत्मसंयम:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में आत्मसंयम विकसित होता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता और सोचने की प्रक्रिया में स्पष्टता आती है।

    2. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

    • ऊर्जा का संरक्षण:
      ब्रह्मचर्य के पालन से व्यक्ति अपनी यौन ऊर्जा को बचाता है। यह ऊर्जा शरीर के अन्य अंगों में प्रवाहित होती है और समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
    • विकसित शक्ति और सहनशीलता:
      शारीरिक व्यायाम और योग के साथ ब्रह्मचर्य पालन करने से शरीर की सहनशीलता और ताकत बढ़ती है।
    • रोगों से बचाव:
      संयमित जीवनशैली से रोगों की संभावना कम होती है, क्योंकि यह शरीर के प्राकृतिक तंत्रों को मजबूत करता है।

    3. आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति

    • आत्मसाक्षात्कार:
      ब्रह्मचर्य पालन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा के साथ गहरे संबंध स्थापित करता है और आत्मसाक्षात्कार की ओर अग्रसर होता है।
    • आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह:
      ब्रह्मचर्य से प्राणायाम और ध्यान जैसी साधनाओं में मदद मिलती है, जो आपके मानसिक और आत्मिक ऊर्जाओं के प्रवाह को संतुलित करती हैं।
    • मोक्ष की ओर यात्रा:
      आत्मनियंत्रण और संयम के अभ्यास से व्यक्ति मोक्ष के पथ पर अग्रसर होता है, जो आत्मिक स्वतंत्रता और जीवन के सत्य को समझने में सहायक है।

    4. निर्णय क्षमता और आत्मविश्वास में वृद्धि

    • स्पष्ट सोच:
      संयमित जीवन जीने से निर्णय क्षमता में सुधार होता है। व्यक्ति उचित समय पर सही निर्णय ले पाता है।
    • आत्मविश्वास में वृद्धि:
      जब आप आत्मसंयमित होते हैं, तो आपके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। यह आपके आत्ममूल्य और आत्म-निर्णय पर आधारित होता है।

    5. सामाजिक संबंधों में संतुलन

    • सम्मान और प्रतिष्ठा:
      ब्रह्मचर्य पालन करने से समाज में व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है। समाज में अनुशासन और संयम की छवि बनती है।
    • सामंजस्यपूर्ण रिश्ते:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में सहनशीलता, समझदारी, और सहानुभूति विकसित होती है, जिससे रिश्तों में सामंजस्यपूर्णता बनी रहती है।
    • विश्वसनीयता:
      व्यक्ति की विश्वसनीयता बढ़ती है, क्योंकि वह संयमित जीवन जीने के आदर्शों को निभाता है।

    6. आत्म-ज्ञान और जागरूकता

    • आत्मनिरीक्षण:
      ब्रह्मचर्य पालन के दौरान व्यक्ति आत्मनिरीक्षण की प्रक्रिया में समय बिताता है। यह आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देता है।
    • वास्तविक आत्मा का ज्ञान:
      ब्रह्मचर्य के माध्यम से व्यक्ति बाह्य सुखों की ओर देखना छोड़ देता है और अपने सच्चे स्व पर ध्यान केंद्रित करता है।

    7. समय प्रबंधन और उत्पादकता

    • प्रश्नित समय:
      ब्रह्मचर्य पालन से अनावश्यक गतिविधियों की संभावना कम होती है, जिससे समय प्रबंधन बेहतर होता है।
    • उत्पादकता में वृद्धि:
      संयमित जीवनशैली से काम करने की क्षमता बढ़ती है और कार्यों में उच्च उत्पादकता प्राप्त होती है।

    8. संयम और आत्मनिर्णय की शक्ति

    • नियंत्रण की क्षमता:
      ब्रह्मचर्य से व्यक्ति अपनी इच्छाओं और मन के नियंत्रण में रखता है, जिससे उसकी निर्णय क्षमता मजबूत होती है।
    • जिम्मेदारी और आत्मनिर्णय:
      यह संयमित जीवन एक जिम्मेदारी की भावना को जागृत करता है, और व्यक्ति की आत्मनिर्णय की प्रक्रिया को सुसंगत बनाता है।

    9. परिपूर्ण जीवन की प्राप्ति

    • संतोष और सुख:
      ब्रह्मचर्य पालन से व्यक्ति बाहरी सुखों के चक्कर से मुक्त होता है और आंतरिक संतोष की प्राप्ति करता है।
    • सामंजस्यपूर्ण जीवन:
      संयमित जीवनशैली में हर पहलू – शरीर, मन, आत्मा, और समाज – में सामंजस्य स्थापित होता है।
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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: January 14, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

भगवत गीता के अध्याय-2 से आप को क्या सीख मिलती है?

  • 6

  1. JeetBhakat
    JeetBhakat Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 14, 2025 at 3:24 pm

    भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती है कि जिस व्यक्ति न मन और इंद्रियों को जीत लिया उनका ईश्वर को प्राप्त होने का पथ सरल हो जाता है, हमें सिर्फ अपने कर्मों पर और फल ईश्वर पर चोर देना चाहिए| भगवान श्री कृष्ण ये भी समझaते हैं कि आत्मा कभी मरती नहीं सिर्फ एक शरीर से दूसरे शरीर को जाती है |

    भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती है कि जिस व्यक्ति न मन और इंद्रियों को जीत लिया उनका ईश्वर को प्राप्त होने का पथ सरल हो जाता है, हमें सिर्फ अपने कर्मों पर और फल ईश्वर पर चोर देना चाहिए| भगवान श्री कृष्ण ये भी समझaते हैं कि आत्मा कभी मरती नहीं सिर्फ एक शरीर से दूसरे शरीर को जाती है |

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Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए किन आदतों को अपनाना चाहिए?

  • 1

ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए किन आदतों को अपनाना चाहिए?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:06 pm

    ब्रह्मचर्य का पालन एक जीवन जीने की शैली है, जो संयम, आत्मनियंत्रण और संतुलन पर आधारित है। यह न केवल यौन संयम का नाम है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक, और आत्मिक अनुशासन का एक व्यापक पहलू है। इसे जीवन में सफलतापूर्वक अपनाने के लिए कुछ विशेष आदतें आवश्यक होती हैं। इन आदतों को अपनाकर आप ब्रह्मचर्य के लाभोंRead more

    ब्रह्मचर्य का पालन एक जीवन जीने की शैली है, जो संयम, आत्मनियंत्रण और संतुलन पर आधारित है। यह न केवल यौन संयम का नाम है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक, और आत्मिक अनुशासन का एक व्यापक पहलू है। इसे जीवन में सफलतापूर्वक अपनाने के लिए कुछ विशेष आदतें आवश्यक होती हैं। इन आदतों को अपनाकर आप ब्रह्मचर्य के लाभों का अनुभव कर सकते हैं और एक स्वस्थ, स्थिर, और संतोषपूर्ण जीवन बिता सकते हैं।


    1. आत्मनियंत्रण (Self-Control)

    • विचारों पर नियंत्रण:
      ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप अपने विचारों पर नियंत्रण रखें। किसी भी प्रकार की अनावश्यक सोच या अशुद्ध विचारों को मन से बाहर निकालने की प्रक्रिया में आत्मनियंत्रण की आवश्यकता होती है।
    • संयमित इच्छाएं:
      ब्रह्मचर्य का पालन करते समय व्यक्ति अपनी इच्छाओं को संयमित करता है। यह किसी भी प्रकार की गहरी यौन इच्छाओं, असामान्य गतिविधियों, और अनावश्यक भोग-विलास से बचने में मदद करता है।

    2. नियमित ध्यान और प्राणायाम

    • ध्यान (Meditation):
      • प्रातःकाल या संध्याकाल में नियमित ध्यान करने से मन शांत होता है और मानसिक संतुलन बनाए रहता है।
      • यह आपके मन की गहराई तक पहुंचने में मदद करता है और आत्मिक जागरूकता को बढ़ावा देता है।
    • प्राणायाम (Breathing Exercises):
      • प्राणायाम जैसे नाड़ी शोधन, भस्त्रिका आदि शरीर और मन के नियंत्रण में सहायक होते हैं।
      • प्राणायाम से ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में होता है और मानसिक संतुलन कायम होता है।

    3. संतोषजनक आहार की आदत

    • सादा भोजन:
      • संयमित जीवन जीने के लिए सादा, पौष्टिक और स्वाभाविक भोजन करना महत्वपूर्ण है।
      • तला-भुना भोजन, मसालेदार पदार्थ, और अनावश्यक मिठाई से बचना चाहिए।
      • फलों, हरी सब्जियों, और साबुत अनाजों से भरपूर भोजन करें।
    • समय पर भोजन:
      • नियमित समय पर भोजन करना चाहिए, ताकि पाचन क्रिया संतुलित बनी रहे।

    4. नींद और जागने की नियमित आदतें

    • समय पर सोना और जागना:
      • ब्रह्मचर्य के पालन में नींद का विशेष महत्व है।
      • सोने और जागने के समय को नियमित रखें (रात 10 बजे सोना और सुबह 4 या 5 बजे जागना)।
      • यह आत्मनियंत्रण के अभ्यास में सहायक होता है और स्वास्थ्य को बनाए रखता है।
    • गहरी नींद:
      • पर्याप्त और गहरी नींद मानसिक संतुलन और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

    5. संयमित जीवनशैली (Disciplined Lifestyle)

    • व्यायाम और योग:
      • नियमित योग और व्यायाम शरीर की ताकत बढ़ाते हैं और मानसिक स्थिरता प्रदान करते हैं।
      • योग जैसे आसनों से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में होता है और मन शांत रहता है।
    • प्रश्नित दिनचर्या:
      • दिन की शुरुआत, मध्य और समापन समय का प्रबंधन अच्छी तरह से करें।
      • हर कार्य के लिए समय तय करें और उसे नियमितता के साथ निभाएं।

    6. सच्ची सृजनशीलता और शिक्षा पर ध्यान

    • पढ़ाई और ज्ञानार्जन:
      • ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए समय का सही उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
      • अच्छी किताबें पढ़ने, ज्ञान के विषयों में रुचि लेने, और शिक्षाप्रद सामग्री से संपर्क रखने की आदत बनानी चाहिए।
      • यह आपकी सोचने की क्षमता, आलोचनात्मक दृष्टिकोण और बुद्धिमत्ता को विकसित करता है।
    • सृजनात्मक गतिविधियाँ:
      • कला, लेखन, संगीत या विज्ञान के क्षेत्र में सृजनात्मक गतिविधियों में भाग लें।
      • ये गतिविधियाँ मानसिक संतुलन बनाए रखती हैं और आत्मनियंत्रण की शक्ति को मजबूत बनाती हैं।

    7. नियमित स्व-मूल्यांकन (Self-Reflection)

    • हर दिन का अवलोकन:
      • प्रतिदिन के कार्यों और विचारों का अवलोकन करें कि आपने ब्रह्मचर्य के मूल नियमों का पालन किया या नहीं।
      • आत्ममूल्यांकन से व्यक्ति में आत्म-जागरूकता और साक्षात्कार की प्रक्रिया होती है।
    • आत्मसंवाद:
      • आत्मसंवाद के माध्यम से आप अपनी कमजोरियों और ताकतों को पहचान सकते हैं।
      • यह आत्मनियंत्रण की प्रक्रिया को मजबूत बनाता है।

    8. सकारात्मक संगति (Positive Company)

    • सच्चे मित्र:
      • ऐसे मित्रों के साथ समय बिताएं जो संयमित जीवन जीने के महत्व को समझते हैं।
      • सकारात्मक संगति से आत्मनियंत्रण की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
    • ज्ञान से जुड़ाव:
      • संतों, योगियों, और शिक्षकों से नियमित संपर्क बनाए रखें।
      • ऐसे लोग ज्ञान, अनुभव, और सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

    9. संयमित मीडिया उपयोग (Media Discipline)

    • अधिक स्क्रीन समय से बचाव:
      • टीवी, मोबाइल, और इंटरनेट के अत्यधिक उपयोग से समय की बर्बादी होती है।
      • इन उपकरणों का उपयोग सीमित समय में करना चाहिए।
    • सकारात्मक सामग्री का अवलोकन:
      • ऐसे वीडियो, किताबें, और लेख पढ़ें जो आपकी आत्मा और मन की उन्नति में सहायक हों।
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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 26, 2024

Kya Brahmacharya 30 Days me Effect Dikhata Hai?

  • 0

  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 26, 2024 at 10:39 am

    नमस्कार, हमारे बहुत से भाई ये कहते हैं कि तीस दिन हमने ब्रह्मचर्य पालन किया, हमें तो कोई खास फर्क दिखा नहीं,तो आज हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है।   तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करके कोई फायदा न मिलने पर आपकी स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है जैसे कोई इंसान तीस दिन बिना नमक के खाना खा ले और फिर सोच रहा हRead more

    नमस्कार, हमारे बहुत से भाई ये कहते हैं कि तीस दिन हमने ब्रह्मचर्य पालन किया, हमें तो कोई खास फर्क दिखा नहीं,तो आज हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है।

     

    तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करके कोई फायदा न मिलने पर आपकी स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है जैसे कोई इंसान तीस दिन बिना नमक के खाना खा ले और फिर सोच रहा हो, अब यह जादू कब होगा। असल में ब्रह्मचर्य पालन का प्रचार ऐसा होता है जैसे इससे जिंदगी में सब कुछ बदल जाएगा—मसल्स आ जाएंगी, बाल झड़ने बंद हो जाएंगे, सिक्स पैक एब्स अपने आप प्रकट हो जाएंगे और आप दुनिया के अगले सुपर हीरो बन जाएंगे। लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो स्वाभाविक रूप से इंसान सोचता है, “भाई, ये कौन सा खेल चल रहा है?”

     

    पहले तो हम यह बात कर लेते हैं कि तीस दिन ब्रह्मचर्य पालन की हरकत कैसी रहती है आपकी। पहले हफ्ते में आपको लगेगा कि, “वाह, मैं दुनिया के सारे पापों से मुक्त हो गया हूं। अब तो मैं सीधे हिमालय पर जाकर सिद्धि प्राप्त करूंगा।” आप घर में इधर-उधर घूमते हैं जैसे आप कोई महान तपस्वी हैं। “नहीं भैया, अब मैं कोई भी काम करते वक्त विचलित नहीं होने वाला।” पहला हफ्ता तो जबरदस्त निकलता है। कोई अतरंगी ख्याल भी आता है तो आप उसे ऐसे टाल देते हैं जैसे उसने आपका बैंक बैलेंस चेक करने की कोशिश की हो। रोज सुबह उठकर आप सोचते हैं, “आज तो मेरा तेज बढ़ गया है, मेरे अंदर एक ऊर्जा का ज्वार उठ रहा है।” लेकिन असल में वो ऊर्जा कम और नींद ज्यादा होती है।

     

    अब बात आती है दूसरे हफ्ते की। अब तक आपके मन में सवाल उठने शुरू हो जाते हैं, “भैया, यह हो क्या रहा है? मैं इतना कुछ छोड़ रहा हूं, लेकिन कुछ हासिल तो हो।” फिर आपको धीरे-धीरे एहसास होने लगता है कि ब्रह्मचर्य पालन सिर्फ मानसिक व्यायाम नहीं, बल्कि धैर्य का इम्तिहान भी है। और धैर्य? वो तो, भाई साहब, आपके पास उतना ही है जितना एक बिल्ली के पास दूध का कटोरा देखते वक्त होता है। फिर आप खुद को समझाते हैं, “अरे नहीं, यह सिर्फ एक शुरुआत है। महान तपस्वी ने भी पहले हफ्ते में आलस महसूस किया होगा।” और यहीं पर आपकी कॉमिक यात्रा शुरू होती है।

     

    अब आता है तीसरा हफ्ता। अब तक आपका दिमाग भी मानो हनीमून पीरियड से बाहर आ चुका होता है। अब आप घर में जहां भी देखते हैं, वहां आपको विकर्ष नजर आता है। टीवी चालू करते ही अचानक से विज्ञापन में चॉकलेट खाने वाली मॉडल दिख जाती है। आप सोचते हैं, “अरे यार, ये चॉकलेट खाने वाली मॉडल का विज्ञापन ही क्यों बना? चॉकलेट तो वैसे भी नुकसान करती है।” रात में जब सोने जाते हैं तो दिमाग आपको याद दिलाता है, “तू कितने दिनों से ब्रह्मचारी बना हुआ है। कुछ मजा आ रहा है क्या? नहीं? तो चलो सोचते हैं।” बस यहीं से शुरू होती है मन के अंदर की महाभारत। अर्जुन आप हैं और आपका मन दुर्योधन जैसा है। वो आपको हर हालत में विचलित करने की कोशिश करता है।

     

    फिर आता है चौथा हफ्ता। अब तो आप ऐसा महसूस करने लगते हैं जैसे आप खुद से लड़ाई लड़ रहे हैं। शरीर कहता है, “छोड़ो यार, अब ये ब्रह्मचर्य व्रत खत्म करो।” दिमाग कहता है, “नहीं, बस कुछ दिन और। तुम्हें फायदा मिलेगा।” और दिल? दिल तो हमेशा बगल में बैठकर हंस रहा होता है। आप सोचते हैं, “इतने दिनों तक मस्तिष्क पर ब्रेक लगाई। अब तो किसी दैवीय शक्ति का वरदान मिलेगा। कोई तीसरी आंख खुलेगी।” लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। आपके हाथ में होता है सिर्फ मोबाइल और उस पर नोटिफिकेशन आ रहा होता है, “पाँच प्रतिशत बैटरी बची है।”

     

    फिर आप इंटरनेट पर ब्रह्मचर्य का सही फायदा सर्च करते हैं। लेकिन जो मिलता है वो सिर्फ कुछ फिलॉसॉफिकल बातें होती हैं। और आप देखते हैं कि असल में तो कुछ हुआ ही नहीं। फिर आप इस मुकाम पर पहुंचते हैं कि, “छोड़ो यार, चलो चलते हैं क्रोम ब्राउजर पर।” और ढूंढते हैं मियां खलीफा को। और फिर किसी खोपचे में जाकर कहानी शुरू हो जाती है।

     

    लेकिन रुकिए। आपको ऐसी हरकत करने की कोई जरूरत नहीं है। आपको ब्रह्मचर्य का फायदा शायद नहीं दिखेगा, लेकिन मजा इस बात में है कि आप खुद को तीस दिन तक किसी चैलेंज में रख पाए। वैसे भी सुपर हीरो बनने का कोई कोर्स तो होता नहीं। और जो भी हो, चाहे फायदा मिले या न मिले, यह अनुभव हमेशा याद रहेगा।

     

    तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने के फायदे मिलते हैं या नहीं, यह समझना ज़रूरी है। ब्रह्मचर्य के तीस दिनों के फायदे वैसे तो होते हैं, लेकिन ये फायदे सीधे तौर पर दिखाई नहीं देते। इसका कारण यह है कि ये फायदे कुछ ऐसे होते हैं जैसे कोई इंसान ग्रीन टी पीने के बाद सोच रहा हो कि अब एक महीने में उसे मार्वल का सुपर हीरो बना दिया जाएगा। असल में फायदे होते हैं, परंतु वे बहुत ही छोटे होते हैं। जैसे आपके दिमाग में थोड़ी शांति आना या फिर थोड़ा कम विचलित महसूस करना।

     

    मगर, हम इंसान तो तुरंत सुपर पावर की उम्मीद करने लगते हैं कि, “भाई, तीस दिन हो गए, अब तो कोई चमत्कार हो जाए।” लेकिन ब्रह्मचर्य का असर कुछ ऐसा नहीं होता कि आप सुबह उठें और अचानक बौद्ध भिक्षु जैसा महसूस करें।

     

    अब सवाल यह है कि फायदे कहां हैं? सोचिए, आप ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं और आपको लगता है कि, “अरे, मैंने तो अब तक दुनिया जीत ली है।” असल में आपका दिमाग आपको हल्का-फुल्का शांत करने के चक्कर में होता है। यह कुछ ऐसा है जैसे कोई इंसान बहुत दिनों तक मिठाई नहीं खाता और फिर उसे हल्की मिठास भी बहुत तीखी लगने लगती है। यही आपके साथ हो रहा है।

     

    लेकिन फायदा है, यकीन मानिए। अब मान लीजिए कि आप तीस दिन तक सफल रहे और आपको कोई बड़ा सुपर पावर नहीं मिला, फिर भी फायदा हुआ। कैसे? आपके अंदर धैर्य आया है। अरे, वह भी तो एक फायदा है। अब सोचिए, अगर आप इस दौरान नेटफ्लिक्स की कोई वेब सीरीज़ देख रहे होते तो धैर्य कहां से आता?

     

    एक और फायदा यह है कि आपको सेल्फ कंट्रोल मिला है। जैसे, आप अकेले घर में बैठे हैं और सोच रहे हैं कि पिज़्ज़ा ऑर्डर किया जाए। तभी आवाज आती है, “नहीं, मैं ब्रह्मचर्य पर हूं।” यही होता है सच्चा फायदा। हां, आपको मसल्स या सुपरपावर तो नहीं मिलीं, लेकिन आप पिज़्ज़ा से बच गए। इससे बड़ा फायदा और क्या होगा?

     

    तो फायदा मिलता है, बस उसे ढूंढना पड़ता है। ये फायदे बाहरी नहीं होते, कोई चमत्कारी परिवर्तन की उम्मीद मत रखिए। असल में ब्रह्मचर्य आपको अपने आप पर काबू करना सिखाता है। यह कुछ ऐसा है जैसे ट्रेनिंग में बॉक्सर पहले महीनों तक पंचिंग बैग को मारते हैं और सोचते हैं, “यार, मैं किसी को क्यों नहीं गिरा पा रहा।” लेकिन वो ट्रेनिंग होती है।

     

    ब्रह्मचर्य भी आपके मानसिक पंचिंग बैग को मारने जैसा है। फायदा दिखेगा नहीं, लेकिन असर होगा। और अगर आपको लगता है कि कोई फायदा नहीं हुआ, तो भाई साहब, हो सकता है आपको थोड़ा और समय देना पड़े। रोम भी एक दिन में नहीं बना था और ब्रह्मचर्य से मांसपेशियां भी एक दिन में नहीं बनेंगी। थोड़ा समय तो लगेगा।

     

    आखिरकार, ब्रह्मचर्य के फायदे होते हैं, परंतु वे बहुत धीरे-धीरे आपकी जिंदगी में उतरते हैं। यह कुछ ऐसा है जैसे किसी ने चुपके से आपके नल में एक ऐसा फिल्टर लगा दिया हो, जो पानी की बूंद-बूंद को साफ कर रहा हो।

     

    तीस दिनों के बाद आप कह सकते हैं, “यार, फायदा तो हुआ, बस वो टेलीविजन एड जैसा नहीं है जहां चमक-दमक हो।” तो हिम्मत रखिए। और अगर आप तीस दिनों में कोई सुपर पावर नहीं पा सके, तो सोचिए, कम से कम आपके पास मजेदार कहानियां और अनुभव तो हैं। जैसे, “यार, मैंने तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन किया और कोई सुपर हीरो तो नहीं बना, पर हां, अब पिज़्ज़ा से जरूर बच जाता हूं।”

     

    तो भाइयों यही कहना चाहता हूँ,कि थोड़ा धैर्य रखना पड़ता है,तपना पड़ता है तब निखार आता है।

    आज के लिए इतना ही शेष चर्चा फिर कभी करेंगे।।

     

    ।।राधे राधे।।

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Asked: December 20, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

Raat me dirty thoughts se kaise bache?

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Brahmacharyahastmaithun
  1. Ranjan
    Ranjan Acharya ISKCON devotee
    Added an answer on December 21, 2024 at 8:21 am
    This answer was edited.

    Sone  se pehle koi acchi kitab parle. For example, shlok from Gita or Krishna book of Srila Prabhupad. Stop mobile use 1 hour before sleep. Allow brain to relax. Do not watch TV or videos which are exciting..   The formula is simple-   GIGO- GARBAGE IN, GARBAGE OUT   JO ANDAR JAEGA WOHI NIKLEGA   HARead more

    Sone  se pehle koi acchi kitab parle. For example, shlok from Gita or Krishna book of Srila Prabhupad. Stop mobile use 1 hour before sleep. Allow brain to relax. Do not watch TV or videos which are exciting..   The formula is simple-   GIGO- GARBAGE IN, GARBAGE OUT   JO ANDAR JAEGA WOHI NIKLEGA   HARE KRISHNA

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Asked: December 29, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

Kya Nightfall se Brahmacharya Toot Jata Hai?

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  1. Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta
    Added an answer on December 29, 2024 at 8:08 am

    स्वप्नदोष जब हमें होता है, जैसे कई बार हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, बहुत सारे भाई जिनके तीस दिन पूरे हुए हों, पंद्रह दिन पूरे हुए हों, चालीस दिन पूरे हुए हों या चार दिन पूरे हुए हों, और उन्हें बीच में स्वप्नदोष हो जाता है। स्वप्नदोष होते ही ऐसा लगता है कि हमारा ब्रह्मचर्य खंडित हो चुका है। अब हमेRead more

    स्वप्नदोष जब हमें होता है, जैसे कई बार हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, बहुत सारे भाई जिनके तीस दिन पूरे हुए हों, पंद्रह दिन पूरे हुए हों, चालीस दिन पूरे हुए हों या चार दिन पूरे हुए हों, और उन्हें बीच में स्वप्नदोष हो जाता है। स्वप्नदोष होते ही ऐसा लगता है कि हमारा ब्रह्मचर्य खंडित हो चुका है। अब हमें मैथुन कर लेना चाहिए और वीर्य का नाश कर देना चाहिए। इस तरीके की फीलिंग आने लगती है और ऐसा लगता है कि फिर से शुरुआत करनी चाहिए। कुछ इस तरीके की फीलिंग आती है।

    देखिए, आपको समझना होगा कि यह सारा खेल मन का होता है। कैसे? ज़रा मैं आपको उदाहरण दूंगा। उसे समझिए। कोई व्यक्ति है, चाहे आप हों या कोई और भी हो, सबके जीवन में सुख-दुख आता-जाता रहता है। किसी व्यक्ति के साथ पहले कभी बहुत बड़ा दुख हुआ हो, बहुत ही ज़्यादा बड़ा। उसका जो मतलब, जो एहसास है, वह बहुत ज़्यादा हुआ हो, और उन्हें तकलीफ हुई हो। उसे भूलने में काफी समय लग गया हो, काफी वक्त लग गया हो। लेकिन आज भी हम उस पुराने वक्त की बुरी यादें कई बार स्मृतियों में याद करते हैं कि ऐसा-ऐसा हुआ था मेरे साथ और मुझे बहुत तकलीफ हुई थी।

    लेकिन उस समय, जब वह हुआ था, तब उसे उस चीज़ का एहसास बहुत ज़्यादा रहता है। बहुत ज़्यादा तकलीफ होती है। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे, धीरे-धीरे वह एहसास कम होता जाता है। वह तकलीफ कम होती जाती है। पर आज हमें उसकी स्मृतियां याद रहती हैं। हम बुरे वक्त को पूरी तरीके से भूल नहीं सकते। उसकी स्मृतियां आज भी हमें याद होती हैं, लेकिन उतनी तकलीफ नहीं होती जितनी पहले, उस समय, जब वह चीज़ हमारे साथ हुई। उस समय जो हमें एहसास हुआ, उतनी तकलीफ आज नहीं होती।

    तो इस मन के खेल को समझने की कोशिश करें। इसी प्रकार से, देखिए, आपने जो भी काम पहले किया, जैसे हस्तमैथुन किया, तो लगातार शरीर और दिमाग का एक अभ्यास था। दिमाग को क्या पता है? दिमाग को यह पता है कि इस व्यक्ति ने लगातार अपनी ऊर्जा निकाली है। मेरी बात को समझिए। दिमाग को क्या लगता है? इसे लगता है कि इसने लगातार अपनी ऊर्जा निकाली है, तो यह आगे भी निकालेगा। और शरीर को भी अभ्यास है। शरीर को पता है कि यह अपनी ऊर्जा नीचे से निकालता आया है। तो यह अभ्यास बन चुका है।

    अब जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, तो पुरानी स्मृतियां कहीं न कहीं याद आती हैं। वे गंदे विचार बार-बार आपके दिमाग में आएंगे, जो पहले आते थे। आपके शरीर का जो अभ्यास है, वह उसे जारी रखेगा और आपको स्वप्नदोष होगा। लेकिन ब्रह्मचर्य भले ही आपका नहीं टूटेगा, लेकिन एक गलती आप शायद कर रहे हैं।

    तो उसे ज़रा ध्यान से देखिए। मेरे भाई, अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हो और किसी सोशल मीडिया पर कुछ देख रहे हो, आपके दिमाग में लगातार गंदे विचार आ रहे हैं। या आपने किसी को आकर्षण का केंद्र बना रखा है। आप उसके शरीर के बारे में सोच रहे हो। आप सोचना नहीं चाहते, लेकिन आपका मन आपको लगातार प्रेरित कर रहा है। और आप घर में खाली बैठे हुए हो। आपके पास कुछ करने को नहीं है।

    मेरी बात को ध्यान से समझिए। बार-बार रात में सोच रहे हैं। सोशल मीडिया चला रहे हैं। कोई न कोई गंदा अश्लील वीडियो आपके सामने आ गया। आपने देख लिया। अब उसकी छवि आपके दिमाग में बस गई है। अब वह छवि दिमाग में बस गई है और सुबह आपको नाइटफॉल हो जाता है।

    तो इसका मतलब यह है कि आप ब्रह्मचर्य पालन नहीं कर रहे हो। यानी आपने खुद छेड़छाड़ की है। नाइटफॉल होने के खुद संकेत दिए हैं। मेरी बात को ध्यान से समझना। देखो, एक कंडीशन यह है कि अगर आप ब्रह्मचर्य पालन कर रहे हो और अपनी दिनचर्या में कोई भी स्क्रोलिंग करते हो, कोई गंदा सोचते हो, किसी स्त्री के प्रति गंदा सोचते हो, उसके शरीर के प्रति गंदा सोचते हो, तो यह ब्रह्मचर्य नहीं कर रहे हो।

    देखो, आप गंदा सोच रहे हो। आप मोबाइल में गंदा देख रहे हो। रात में आपको दस-ग्यारह बजे तक सो जाना चाहिए, लेकिन आप नहीं सो रहे हो। आप स्क्रोलिंग कर रहे हो। आपने कुछ गलत देख लिया। अब आपके दिमाग में चिंगारी लग गई है। आपने खुद प्रेरित किया। आपने खुद अपनी उंगलियों से कुछ गलत देखा।

    ठीक है, हमारे बहुत से भाई कहते हैं कि हमने पोर्न देख लिया। हमने कोई बी-ग्रेड मूवी देख ली। हमने कोई मूवी देखी। उसमें कोई ऐसा सीन आ गया। तो आपने खुद ही देखा न? किसी ने आपको खोलकर तो नहीं दिखाया था। आपने खुद ही देखा और खुद ही प्रेरित किया। नाइटफॉल होने के लिए खुद ही प्रेरित किया।

    अपने आप को हस्तमैथुन करने के लिए प्रेरित किया। तो यह आपकी गलती है। इसमें आपका ब्रह्मचर्य टूटा ही माना जाएगा। ब्रह्मचर्य इसमें आपका टूट जाता है क्योंकि आप खुद प्रेरित कर रहे हो अपनी इंद्रियों को कि मैं कुछ गलत देखूं। फिर बाद में उसे रोककर सो जाऊं। और सुबह स्वप्नदोष हो जाए।

    तो फिर अपने आप से कहो कि मेरा ब्रह्मचर्य तो टूटा ही नहीं। तो ऐसा नहीं है। वह ब्रह्मचर्य टूट गया।

    कौन सा ब्रह्मचर्य नहीं टूटा है? कौन से स्वप्नदोष से नहीं टूटता? देखो, जिसमें आप कुछ नहीं कर रहे हो। आप सब नियमों का पालन कर रहे हो। आप रात में दस बजे सो जाते हो, सुबह जल्दी उठ जाते हो। ठीक है, आपके दिमाग में कोई भी ऐसा विचार आ भी रहा है, तो आप उसको इग्नोर कर रहे हो। आप उसको प्रबलता नहीं दे रहे हो।

    आप कुछ भी छेड़छाड़ नहीं कर रहे हो। मोबाइल में भी आप अच्छा ही देख रहे हो, अध्यात्म के वीडियो देख रहे हो, ब्रह्मचर्य के वीडियो देख रहे हो। तो भी कोई परेशानी की बात नहीं है। और अगर आपको तब भी स्वप्नदोष हो रहा है, तो इस कंडीशन में आपका ब्रह्मचर्य नहीं टूटा। जी हां, क्योंकि आपने अपनी इंद्रियों को प्रेरित नहीं किया। यह तो बस अपने अभ्यास से हो रहा है, शरीर के अभ्यास से हो रहा है।

    आपके दिमाग को जो भी पुराना अभ्यास है, उसके कारण हो रहा है। अब आपको अपना अभ्यास बदलना है, और आपने अपना अभ्यास बदलने की शुरुआत कर दी है। आपने प्रेरित नहीं किया, आपने जो है अभ्यास बदलने की शुरुआत कर दी है। और इसी बीच अगर स्वप्नदोष हो रहा है, तो उससे ब्रह्मचर्य नहीं टूटा।

    लेकिन यह कंडीशन है जिसमें आप खुद प्रेरित कर रहे हो। खुद मोबाइल में कुछ गलत देख रहे हो, कुछ स्क्रोलिंग कर रहे हो। सोशल मीडिया में कुछ गलत आ गया आपके सामने, और फिर आप कह रहे हो, सुबह नाइटफॉल हो गया। फिर आप अपने आप से कह रहे हो कि मेरा तो ब्रह्मचर्य टूटा ही नहीं। तो आप गलतफहमी में हो।

    क्योंकि बस ऐसी ही गलतफहमी में आप रोज फिर ऐसी स्क्रोलिंग करेंगे। गलत-सलत चीज देख लेंगे। और आपका ब्रह्मचर्य जो है टूट जाएगा। और आपको लगेगा कि नहीं टूटा। तो आपको फायदे फिर नहीं मिलेंगे।

    तो समझना यह है कि प्रेरित नहीं करना है। अपने आप को पूरी तरह अनुशासन से चलाना है, नियम से चलना है। मोबाइल में कुछ भी गलत नहीं देखना है। ब्रह्मचर्य के, अध्यात्म के वीडियो आपको देखने हैं। ठीक है। अगर आप पूरी तरीके से ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हो, तो ब्रह्मचर्य के वीडियो देखो।

    हर एक चीज में नियम जरूरी है। और ब्रह्मचर्य में सावधानी रखना बहुत ज्यादा जरूरी है। यह बात ध्यान रखना। कुछ भी गलत स्क्रोलिंग नहीं करना है। कुछ भी गलत वीडियो नहीं देखना है। नंगे, गंदे, भद्दी कॉमेडी नहीं देखनी है।

    अगर ज्यादा गाली-गलौच वाले वीडियो आदि ऐसी चीजें देखोगे, तो भी नाइटफॉल होने का खतरा रहेगा। और आप खुद प्रेरित कर रहे हो कि मुझे नाइटफॉल हो। तो वह ब्रह्मचर्य टूटा ही माना जाएगा।

    बात समझ में आ रही है? कुछ भी गलत मत देखो। अपने आप को गलत तरीके से प्रेरित मत करो। ऐसा अभ्यास बनाओ कि कुछ नई-नई चीजें, जिससे आपकी दिन-पर-दिन उन्नति हो। ऐसे काम करोगे, तो अगर स्वप्नदोष हो भी जाता है अभ्यास के कारण, तो ब्रह्मचर्य आपका टूटा नहीं माना जाएगा।

    कुछ भी गलत मत देखो। सिर्फ अच्छा देखो। अच्छे वीडियो देखो। तो अगर आपको स्वप्नदोष जैसा कुछ होगा भी, तो भी कोई दिक्कत नहीं है। ठीक है। तो आपका ब्रह्मचर्य नहीं टूटेगा। आप लगातार आगे बढ़ सकते हो।

    बस अपने आप को प्रेरित मत करना गलत चीज देखने के लिए। ठीक है। तो मेरे भाई, ध्यान रखना इस बात का। उम्मीद करता हूं, आपको पूरा अच्छे से समझ में आया होगा। कोई सवाल हो तो पूछिएगा।

    मिलते हैं अगले जवाब में। तब तक के लिए राधे-राधे।

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Rohit_kumar
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Rohit_kumarPundit
Asked: December 20, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

ब्रह्मचर्य पालन से प्राप्त ऊर्जा को सही दिशा कैसे दे ? (ऊर्जा) इसे अपनी पढाइ मे कैसे लगाउ ?

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question
  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 20, 2024 at 2:11 am

    @rohit_kumar ji ब्रह्मचर्य पालन से मिलने वाली ऊर्जा को सही दिशा देना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह ऊर्जा आपकी पढ़ाई और लक्ष्य हासिल करने में बहुत मदद कर सकती है। सबसे पहले इसे पहचानना और समझना जरूरी है। जब आप अपने मन और शरीर पर नियंत्रण रखते हैं, तो यह ऊर्जा धीरे-धीरे आपके भीतर एक स्थिर शक्ति के रूप मेंRead more

    @rohit_kumar ji ब्रह्मचर्य पालन से मिलने वाली ऊर्जा को सही दिशा देना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह ऊर्जा आपकी पढ़ाई और लक्ष्य हासिल करने में बहुत मदद कर सकती है। सबसे पहले इसे पहचानना और समझना जरूरी है। जब आप अपने मन और शरीर पर नियंत्रण रखते हैं, तो यह ऊर्जा धीरे-धीरे आपके भीतर एक स्थिर शक्ति के रूप में जमा होती है। इसे संभालना और सही जगह पर लगाना आपकी सफलता की कुंजी है।

    अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं, तो सबसे जरूरी है कि रेगुलर पढ़ाई का रूटीन बनाएं और उसे बनाए रखें। बिनाConsistency के कोई भी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है। हर दिन एक निश्चित समय पर पढ़ाई शुरू करें और अपने शेड्यूल में पढ़ाई को सबसे ऊपर रखें। अगर आपका मन पढ़ाई से भटकने लगे, तो तुरंत एक छोटे टॉपिक पर ध्यान केंद्रित करें। यह आपको वापस ट्रैक पर लाएगा।

    इसके साथ ही, माता-पिता की सेवा करना न भूलें। उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में स्थिरता और शांति बनी रहती है, जो पढ़ाई और अन्य कामों में मदद करती है। उनका सम्मान करें और उनके लिए समय निकालें। यह आपकी मानसिक ऊर्जा को भी बढ़ाता है।

    अभी सर्दी का समय है, तो इस मौसम के हिसाब से भी अपनी दिनचर्या बनाना जरूरी है। सुबह गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। इससे शरीर अंदर से गर्म रहता है और ऊर्जा बनी रहती है। पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में गर्म चाय, ग्रीन टी या सूप लें, ताकि शरीर हाइड्रेटेड और सक्रिय रहे। ठंड में आलस स्वाभाविक है, लेकिन छोटे-छोटे ब्रेक लेकर खुद को एक्टिव रखें।

    इसके अलावा, अपने शरीर को गर्म रखने के लिए सही कपड़े पहनें। ज्यादा भारी कपड़े पहनने से भी बचें, क्योंकि वे असहजता पैदा कर सकते हैं। ध्यान और मेडिटेशन करें, ताकि मानसिक शांति बनी रहे और सर्दी के आलस्य को दूर किया जा सके।

    डिजिटल विकर्षण (जैसे मोबाइल और सोशल मीडिया) से बचना भी जरूरी है। पढ़ाई के समय मोबाइल को दूर रखें और खुद से यह सवाल करें कि “क्या यह समय बर्बाद करना मेरे लक्ष्य को पाने में मदद करेगा?” इस सवाल का जवाब ही आपको सही दिशा दिखाएगा।

    छोटे-छोटे ब्रेक लेना भी जरूरी है। हर घंटे 5-10 मिनट का ब्रेक लें और इस दौरान टहल लें या हल्का व्यायाम करें। यह आपकी ऊर्जा को रिफ्रेश करेगा।

    सबसे जरूरी बात, अपनी पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी और अवसर समझें। माता-पिता के प्रति कृतज्ञता और पढ़ाई के प्रति समर्पण से आपकी ब्रह्मचर्य की ऊर्जा सही दिशा में लगेगी और आपके जीवन को सकारात्मक रूप से बदल देगी।

    इस विषय में हम सभी विवेकानंद जी से प्रेरणा ले सकते है🙏

    ब्रह्मचर्य और ऊर्जा के सही उपयोग का सबसे प्रेरणादायक उदाहरण स्वामी विवेकानंद का है। उन्होंने अपनी युवावस्था में ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन किया और इसे अपने शारीरिक और मानसिक विकास का आधार बनाया। उनके अनुसार, ब्रह्मचर्य के पालन से एक व्यक्ति अपनी सभी शक्तियों को केंद्रित कर सकता है और असाधारण कार्य कर सकता है।

    स्वामी विवेकानंद का मानना था कि ब्रह्मचर्य से प्राप्त ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर कोई भी अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा था, “जो युवा ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, वे किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।” उनकी स्मरण शक्ति, सीखने की क्षमता और अद्भुत आत्मविश्वास का कारण उनका ब्रह्मचर्य और अनुशासित जीवनशैली थी।

    उन्होंने इस ऊर्जा को अपने ज्ञान और ध्यान में लगाया। यही कारण है कि उन्होंने भारतीय संस्कृति और वेदांत के ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाया। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम अपने मन और शरीर को नियंत्रित करें और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं, तो हम असंभव को भी संभव कर सकते हैं।

    • स्वामी विवेकानंद का यह उदाहरण हमें प्रेरित करता है कि ब्रह्मचर्य का पालन और माता-पिता की सेवा के साथ पढ़ाई और लक्ष्य को प्राथमिकता देकर हम भी अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।
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Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए?

  • 1

ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए?

  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 7:04 pm

    ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए? ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है; यह जीवन के सभी पहलुओं में आत्म-संयम, अनुशासन और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। इसे सही तरीके से अपनाने के लिए उन चीजों और आदतों से बचना जरूरी है जो मन, शरीर और आत्मा को विचलित करती हैं। नीचे विस्तारRead more

    ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए?

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है; यह जीवन के सभी पहलुओं में आत्म-संयम, अनुशासन और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। इसे सही तरीके से अपनाने के लिए उन चीजों और आदतों से बचना जरूरी है जो मन, शरीर और आत्मा को विचलित करती हैं। नीचे विस्तार से चर्चा की गई है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए।


    1. असंयमित विचारों से बचाव

    • नकारात्मक विचार:
      नकारात्मक सोच जैसे ईर्ष्या, क्रोध, द्वेष और अहंकार से बचें। ये मानसिक अशांति का कारण बनते हैं और ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं।
    • यौन विचार:
      यौन विचारों और कल्पनाओं से बचें, क्योंकि ये ऊर्जा का ह्रास करते हैं। मन को शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखने के लिए ध्यान और आत्मचिंतन का सहारा लें।

    2. अनुचित संगति और वातावरण से बचाव

    • असंयमी मित्रता:
      ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखें जो असंयमित जीवनशैली का प्रचार करते हों। संगति का हमारे मन और विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
    • नकारात्मक वातावरण:
      नकारात्मक और अशांत वातावरण जैसे हिंसा, भोग-विलास, या अनुचित कार्यक्रमों से बचें। ऐसे स्थानों पर रहने से मन विचलित हो सकता है।

    3. अपशब्दों और अनुचित भाषा से बचाव

    • भाषा की शुद्धता:
      अश्लील, अपमानजनक या नकारात्मक भाषा का उपयोग न करें। इसका प्रभाव आपके मन और भावनाओं पर पड़ता है।
    • आचरण में संयम:
      न केवल शब्दों बल्कि व्यवहार में भी संयम रखें। विनम्रता और सौम्यता ब्रह्मचर्य का हिस्सा हैं।

    4. अनियमित दिनचर्या से बचाव

    • सोने और जागने का समय:
      देर रात तक जागने और सुबह देर से उठने की आदत से बचें। नियमित दिनचर्या शरीर और मन को संतुलित रखती है।
    • आलस्य और कामचोरी:
      आलस्य और अनुशासनहीनता ब्रह्मचर्य के शत्रु हैं। हमेशा सक्रिय और सतर्क रहने का प्रयास करें।

    5. असंयमित भोजन और पेय पदार्थों से बचाव

    • मसालेदार और तामसिक आहार:
      तामसिक आहार जैसे मांस, मदिरा, मसालेदार और भारी भोजन मन और शरीर में अशांति पैदा कर सकते हैं। सात्विक आहार अपनाएं, जिसमें फल, सब्जियां और हल्का भोजन शामिल हो।
    • अत्यधिक कैफीन और नशे से बचें:
      चाय, कॉफी, शराब और अन्य मादक पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि ये मन को उत्तेजित करते हैं और ब्रह्मचर्य का पालन कठिन बनाते हैं।

    6. मनोरंजन के असंयमित साधनों से बचाव

    • अश्लील सामग्री से दूरी:
      अश्लील वीडियो, किताबें, और अन्य सामग्री से बचें, क्योंकि ये मन को विचलित करती हैं और ब्रह्मचर्य के नियमों का उल्लंघन करती हैं।
    • अनावश्यक सोशल मीडिया:
      सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग और अनावश्यक चैटिंग से बचें। यह समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी करता है।

    7. इंद्रियों के भोग से बचाव

    • दृश्य:
      जो चीजें मन को विचलित कर सकती हैं, जैसे अनैतिक दृश्य, उनसे बचें। ध्यान रखें कि जो आप देखते हैं, उसका गहरा प्रभाव आपके विचारों पर पड़ता है।
    • श्रवण:
      ऐसे गीत और वार्तालाप सुनने से बचें जो कामुकता या नकारात्मकता को बढ़ावा देते हों।
    • स्पर्श:
      अनावश्यक और अनुचित शारीरिक संपर्क से बचें। इंद्रियों को नियंत्रित रखना ब्रह्मचर्य का मूल है।

    8. मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता से बचाव

    • अत्यधिक भावुकता:
      अत्यधिक भावुकता, चाहे वह प्रेम, क्रोध, या दुःख हो, मन को कमजोर कर सकती है।
    • अति-संबंध:
      अत्यधिक जुड़ाव और आसक्ति से बचें, चाहे वह परिवार, मित्र, या समाज से हो। यह मन को स्थिर रखने में मदद करता है।

    9. आलस्य और आत्म-अनुशासन की कमी से बचाव

    • आलस्य:
      आलस्य ब्रह्मचर्य के पालन में सबसे बड़ी बाधा है। नियमित व्यायाम और योग करें।
    • अनुशासन की कमी:
      ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए आत्म-अनुशासन जरूरी है। अपने दैनिक जीवन में नियम और अनुशासन का पालन करें।

    10. आत्म-आलोचना और आत्म-संदेह से बचाव

    • आत्म-संदेह:
      यह सोचना कि आप ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सकते, मन को कमजोर करता है। सकारात्मक सोच बनाए रखें।
    • आत्म-आलोचना:
      गलतियां करने पर खुद को कठोरता से न आंकें। अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ें।

    ब्रह्मचर्य पालन के लिए सहायक उपाय

    1. योग और ध्यान का अभ्यास करें:
      यह मन को शांत करता है और आत्म-संयम में मदद करता है।
    2. सकारात्मक संगति:
      अच्छे और अनुशासित लोगों की संगति में रहें।
    3. सात्विक जीवनशैली:
      भोजन, दिनचर्या, और विचारों में सात्विकता अपनाएं।
    4. आत्मचिंतन:
      दिन में कुछ समय आत्मचिंतन और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए निकालें।

    निष्कर्ष

    ब्रह्मचर्य का पालन एक साधना है, जिसे सही तरीके से अपनाने के लिए संयम और अनुशासन जरूरी है। यदि आप उपरोक्त चीजों से बचते हैं और सही दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो ब्रह्मचर्य का पालन न केवल आपके जीवन को संतुलित और शांत बनाएगा, बल्कि आपको आत्मज्ञान के मार्ग पर भी ले जाएगा।

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Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

  • 1

ब्रह्मचर्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

BrahmacharyaBrahmacharya Practice
  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 6:30 pm

    ब्रह्मचर्य एक ऐसा जीवन मार्ग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन पर आधारित है। यह संस्कृत शब्द "ब्रह्म" (ईश्वर या परम सत्य) और "चर्य" (आचरण या पालन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है "ब्रह्म के मार्ग पर चलना"। यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में संयम, अनुशासन और धRead more

    ब्रह्मचर्य एक ऐसा जीवन मार्ग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन पर आधारित है। यह संस्कृत शब्द “ब्रह्म” (ईश्वर या परम सत्य) और “चर्य” (आचरण या पालन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है “ब्रह्म के मार्ग पर चलना”। यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में संयम, अनुशासन और ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया है। ब्रह्मचर्य हमारे शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है और हमें उच्चतम सत्य को समझने में मदद करता है।


    ब्रह्मचर्य का अर्थ और परिभाषा

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं है, बल्कि यह इंद्रियों, भावनाओं और मन पर भी संयम स्थापित करने की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी ऊर्जा का संरक्षण करता है और उसे उच्च आध्यात्मिक उद्देश्यों की ओर मोड़ता है। ब्रह्मचर्य को चार प्रमुख आयामों में समझा जा सकता है:

    1. शारीरिक संयम: शरीर को अनुशासन में रखना, अनावश्यक भोग से बचना।
    2. मानसिक संयम: विचारों को नियंत्रित रखना और नकारात्मक सोच से बचना।
    3. भावनात्मक संयम: क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या जैसे भावनाओं पर नियंत्रण।
    4. आध्यात्मिक संयम: जीवन के उच्च उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना।

    ब्रह्मचर्य का महत्व

    1. ऊर्जा का संरक्षण:
      ब्रह्मचर्य के माध्यम से व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को अनावश्यक रूप से व्यर्थ होने से बचा सकता है। आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का संतुलन बनाए रखना स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
    2. आत्मा की शुद्धि:
      ब्रह्मचर्य आत्मा को शुद्ध करता है और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह व्यक्ति को सांसारिक इच्छाओं से ऊपर उठाकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
    3. मानसिक शांति:
      ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। विचारों का नियंत्रण व्यक्ति को तनाव और चिंता से बचाता है।
    4. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक:
      ब्रह्मचर्य का पालन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह हृदय, मस्तिष्क और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
    5. ध्यान और योग में सहायक:
      ब्रह्मचर्य योग और ध्यान में गहरी एकाग्रता लाने में मदद करता है। यह ध्यान के माध्यम से आत्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।
    6. आध्यात्मिक उन्नति:
      ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के उच्च उद्देश्य को समझ पाता है। यह आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का मार्ग है।

    ब्रह्मचर्य के सिद्धांत

    ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है:

    1. विचारों की पवित्रता:
      अपने मन को सकारात्मक और पवित्र विचारों से भरें। अशुद्ध विचार ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    2. आहार और जीवनशैली:
      सादा और सात्विक भोजन करें। अधिक तली-भुनी और मसालेदार चीज़ों से बचें क्योंकि ये मन और शरीर को उत्तेजित करती हैं।
    3. ध्यान और योग का अभ्यास:
      नियमित ध्यान और योग करने से मन स्थिर होता है और इंद्रियों पर नियंत्रण बनता है।
    4. इंद्रियों का संयम:
      अपनी इंद्रियों को भोग-विलास से दूर रखें। अनावश्यक चीज़ों को देखने, सुनने या सोचने से बचें।
    5. सत्संग और अच्छी संगति:
      अच्छे विचारों और सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताने से ब्रह्मचर्य का पालन आसान हो जाता है।

    ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन

    आज के युग में, जब व्यक्ति हर तरफ से भौतिक और डिजिटल प्रलोभनों से घिरा हुआ है, ब्रह्मचर्य का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सोशल मीडिया, फिल्मों और विज्ञापनों के माध्यम से अनावश्यक उत्तेजना उत्पन्न होती है, जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक संतुलन को बिगाड़ सकती है।

    आधुनिक जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करने के उपाय:

    1. डिजिटल डिटॉक्स करें और केवल सकारात्मक सामग्री देखें।
    2. मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग सीमित करें।
    3. समय का प्रबंधन करें और अपनी दिनचर्या में अनुशासन लाएं।
    4. योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाएं।

    धार्मिक ग्रंथों में ब्रह्मचर्य का उल्लेख

    भगवद गीता:
    भगवद गीता में ब्रह्मचर्य को आत्मसंयम और ईश्वर भक्ति का मार्ग बताया गया है। गीता में कहा गया है कि आत्म-संयमित व्यक्ति ही सच्चे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।

    उपनिषद और वेद:
    उपनिषदों और वेदों में ब्रह्मचर्य को विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया गया है। प्राचीन गुरुकुल प्रणाली में ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य था।

    महात्मा गांधी का दृष्टिकोण:
    महात्मा गांधी ने ब्रह्मचर्य को जीवन का मूल आधार माना। उनका मानना था कि ब्रह्मचर्य के बिना कोई भी व्यक्ति आत्मिक उन्नति नहीं कर सकता।


    ब्रह्मचर्य पालन में आने वाली चुनौतियाँ

    1. मन का विचलन:
      मन को नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती है। विचारों को सकारात्मक बनाए रखना कठिन हो सकता है।
    2. आधुनिक प्रलोभन:
      आज की दुनिया में मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति अनावश्यक प्रलोभनों का शिकार हो जाता है।
    3. संगति:
      गलत संगति और वातावरण भी ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    4. धैर्य की कमी:
      ब्रह्मचर्य के पालन के लिए धैर्य और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है, जो कई लोगों में कमी होती है।

    समाधान:

    • ध्यान और योग का अभ्यास करें।
    • आत्म-नियंत्रण और अनुशासन पर ध्यान दें।
    • प्रलोभनों से दूर रहें और अपनी ऊर्जा को रचनात्मक कार्यों में लगाएं।
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  • Vishnu Gupta

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  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, ...

    • 10 Answers
  • Vishnu Gupta

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