ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है,कैसे ?,एक्सप्लेन करिये?
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ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के अनुसार जीता है। इसके लिए इन्द्रियों का नियंत्रण, आहार-विहार का नियंत्रण, ध्यान और योग, और सेवा और परोपकार का पालन करना आवश्यक है।
बहचर्य – आत्म संयम एवं अध्यात्मिक की और अग्रसर रहना ही बहचर्य है बिना किसी काम उद्देवना बिना किसी काम भावना के रहना ही बहचर्य है
आहार – सात्विक आहार
दिनचर्या – नियमित या निर्मित दिनचर्या
ब्रह्मचर्य
यदि सबसे पहले हम बात करें ब्रह्मचर्य की तो ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल जनेंद्री को ही नियंत्रण करना नहीं है अपितु अपनी आंखों को , अपने कानों को , अपने मुख को तथा सबसे कठिन अपने मन को नियंत्रण में करने से है ।
आंखों पर नियंत्रण – आंखों से गंदी चीजें न देखना
कानों पर नियंत्रण- कानों से गलत बातें न सुन
मुख पर नियंत्रण – बोलो हमेशा मीठी वाणी, खाओ केवल सात्विक आहार।
मन पर नियंत्रण – सबसे कठिन जिस पर नियंत्रण करना है वो है मन पर ।लेकिन everything is possible in the world with the help of Parmpita परमेश्वर.
ब्रह्मचर्य जीवन जीने की पद्धति है ।
लेकिन कैसे ?
ऐसे समझिए ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में अनुशासन आता है
और हम इस बात से भली भांति परिचित है कि जीवन में अनुशासन का होना अनिवार्य है । यदि जीवन में अनुशासन आ जाए तो बहुत मुश्किल से मुश्किल काम व्यक्ति बड़ी आसानी से कर लेता है इस तरह हम कह सकते हैं कि ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है।
ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में शारीरिक व मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है और यदि व्यक्ति के शरीर में शारीरिक व मानसिक ऊर्जा का विकास होगा तो वो क्या से क्या कर सकता है बो हम बड़ी अच्छी तरह से समझते हैं।
ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता है जो कि जीवन जीने के साथ साथ मोक्ष के द्वार भी खोल देता है ।
इस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि ब्रह्मचर्य वास्तव में जीवन जीने की पद्धति है।
धन्यवाद ।
~मनीष
Brahmcharya hi jivan jine ke liye uttam marga hai Q ki brahmcharya k bina hamare sharir ka koi karya thik se pura nahi ho pata jaise khana thik se nahi pachta ,tarah tarah k bimariya hoti rahti h Q ki brahmcharya mein hi bimariyon se larne ki shamta hai brahmcharya hin purush apne jivan mein kuchh nahi karta uska focus , concentration power sab kuchh khatm ho jata hai sharir behan sa lagta hai..
Wahi brahmcharyi ka sharir mein apar bal, shakti aur jaha drishti lagaye wahi jakar chipak jata hai ek aseem utsah bina kuchh Kia bina hi chehra chamkata hai and jis kshetra mein jata hai waha safalta milti hai
Brahmachaya lifestyle is a process.
Its not just to retain the vital fluid of the body, else it is a lifestyle in which the physical expect, mental expect, spiritual expect of the life are explored.
To have a brahmachya life, one should be decipline and have a daily routine.
In the routine he/she must include the daily excercise for atleast 1 hour and also spiritual practices like meditation , nam jap should be included in the daily routine. Otherwise, he/she can be deviated within few days
ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जो संयम, आत्म-नियंत्रण और साधना पर आधारित है। इसका अर्थ केवल यौन संयम नहीं है, बल्कि यह एक समग्र जीवनशैली है जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास शामिल होता
ब्रह्मचर्य के प्रमुख तत्व:
1 संयम: ब्रह्मचर्य का सबसे महत्वपूर्ण पहलू संयम है। यह न केवल यौन संबंधों पर नियंत्रण रखता है, बल्कि शारीरिक इच्छाओं और भावनाओं पर भी नियंत्रण की आवश्यकता है।
2 आध्यात्मिक साधना: ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले व्यक्ति नियमित रूप से ध्यान, योग, प्राणायाम और अन्य साधनाओं में लिप्त रहते हैं। यह उन्हें मानसिक स्पष्टता और शांति प्रदान करता है।
3.स्वास्थ्य और पोषण संतुलित आहार और नियमित व्यायाम का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। यह शरीर को स्वस्थ रखता है और ऊर्जा का संचार करता है।
4. ज्ञान की खोज: ब्रह्मचारी व्यक्ति ज्ञान की खोज में संलग्न रहते हैं, चाहे वह आध्यात्मिक ज्ञान हो या सांसारिक। यह अध्ययन और विचार में गहराई लाने में मदद करता है।
5. सेवा और सहयोग: ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले अक्सर समाज की सेवा में लगे रहते हैं। यह न केवल उन्हें दूसरों के प्रति समर्पित बनाता है, बल्कि आत्म-संतोष भी प्रदान करता है।
लाभ:
-आध्यात्मिक विकास: ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
-शारीरिक स्वास्थ्य: इससे ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और मानसिक स्पष्टता मिलती है।
-सामाजिक संबंध: जब व्यक्ति अपने इच्छाओं पर नियंत्रण रखता है, तो वह बेहतर सामाजिक संबंध विकसित कर सकता है।
इस प्रकार, ब्रह्मचर्य केवल एक जीवनशैली नहीं, बल्कि एक गहन साधना है, जो व्यक्ति को आत्म-ज्ञान, संतोष और समर्पण की ओर ले जाती है।
ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के अनुसार जीता है। यहाँ कुछ मुख्य बातें हैं जो ब्रह्मचर्य जीवन जीने की पद्धति को दर्शाती हैं:
ब्रह्मचर्य के मुख्य सिद्धांत
1. *इन्द्रियों का नियंत्रण*: ब्रह्मचर्य जीवन में व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को नियंत्रित करता है, जैसे कि आंख, कान, जीभ, नाक और त्वचा।
2. *विषयों से दूरी*: ब्रह्मचर्य जीवन में व्यक्ति विषयों से दूरी बनाता है, जैसे कि सेक्स, शराब, जुआ आदि।
3. *आध्यात्मिक अभ्यास*: ब्रह्मचर्य जीवन में व्यक्ति आध्यात्मिक अभ्यास करता है, जैसे कि ध्यान, योग, प्रार्थना आदि।
4. *नैतिक मूल्यों का पालन*: ब्रह्मचर्य जीवन में व्यक्ति नैतिक मूल्यों का पालन करता है, जैसे कि सत्य, अहिंसा, अस्तेय आदि।
5. *सेवा और त्याग*: ब्रह्मचर्य जीवन में व्यक्ति सेवा और त्याग की भावना को अपनाता है, जैसे कि दूसरों की सेवा करना, अपने स्वार्थ को त्यागना आदि।
ब्रह्मचर्य जीवन के लाभ
1. *आध्यात्मिक विकास*: ब्रह्मचर्य जीवन से आध्यात्मिक विकास होता है।
2. *मानसिक शांति*: ब्रह्मचर्य जीवन से मानसिक शांति मिलती है।
3. *शारीरिक स्वास्थ्य*: ब्रह्मचर्य जीवन से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
4. *नैतिक मूल्यों का विकास*: ब्रह्मचर्य जीवन से नैतिक मूल्यों का विकास होता है।
5. *आत्म-साक्षरता*: ब्रह्मचर्य जीवन से आत्म-साक्षरता मिलती है।
ब्रह्मचर्य जीवन की चुनौतियाँ
1. *इन्द्रियों का नियंत्रण*: ब्रह्मचर्य जीवन में इन्द्रियों का नियंत्रण करना एक बड़ी चुनौती है।
2. *विषयों का आकर्षण*: ब्रह्मचर्य जीवन में विषयों का आकर्षण एक बड़ी चुनौती है।
3. *आध्यात्मिक अभ्यास*: ब्रह्मचर्य जीवन में आध्यात्मिक अभ्यास करना एक बड़ी चुनौती है।
4. *नैतिक मूल्यों का पालन*: ब्रह्मचर्य जीवन में नैतिक मूल्यों का पालन करना एक बड़ी चुनौती है।
5. *सेवा और त्याग*: ब्रह्मचर्य जीवन में सेवा और त्याग की भावना को अपना
ना एक बड़ी चुनौती है।