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Porn aur social media ke addiction se kaise bachein?
bahut se app h jiske use karke social media se bacha ja sakta h jaise digital detox,regain and aur bhi bahut sare hai aur porn se bachne k liye meditation, phone par restriction laga k , phone se duri bana k kar sakte h ........................................................................... ....Read more
bahut se app h jiske use karke social media se bacha ja sakta h jaise digital detox,regain and aur bhi bahut sare hai aur porn se bachne k liye meditation, phone par restriction laga k , phone se duri bana k kar sakte h ………………………………………………………………… ………………………………………………………………………………………
Try kar sakte h isko
See lessब्रह्मचर्य के प्रभाव कितने दिन में दिखेंगे?
नमस्कार मित्रों, आज एक महत्वपूर्ण विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं और आज का हमारा विषय है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए कितने समय के बाद हमें उससे समुचित फायदे दिखने शुरू हो जाते हैं, तो पहले हमें समझना होगा कि ब्रह्मचर्य है क्या, क्योंकि पहले हमें यही पता होना चाहिए।। क्या है ब्रह्मचर्य? किसी एक इंद्रीRead more
नमस्कार मित्रों, आज एक महत्वपूर्ण विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं और आज का हमारा विषय है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए कितने समय के बाद हमें उससे समुचित फायदे दिखने शुरू हो जाते हैं, तो पहले हमें समझना होगा कि ब्रह्मचर्य है क्या, क्योंकि पहले हमें यही पता होना चाहिए।।
क्या है ब्रह्मचर्य?
किसी एक इंद्री पर ही निग्रह करके या फिर उसको रोक लेना मात्र ही ब्रह्मचर्य नहीं है, इसकी जो अवधारणा है वह बहुत व्यापक है, जब हम अपनी सभी इंद्रियों को नियंत्रित करते हैं, तभी जा करके हम अपनी जननेंद्रियों को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन इससे पूर्व ही अगर बात हो हमारी दृष्टि की, अगर उसमें पवित्रता नहीं है, हमारे कानों से जो हम सुनते हैं, उसमें शुद्धि नहीं है, उन पर नियंत्रण नहीं है तो फिर किस तरह से हम इस मुश्किल काम को एकदम से कर सकते हैं।।
उदाहरण से समझिये-
इसे ऐसे समझिये कि एक व्यक्ति जो कि पचास किलो वजन भी नहीं उठा सकता है, अब अगर उसके कंधों पर एकदम से सौ किलो वजन डाल दिया जाए तो उसे या तो कुछ ना कुछ शारीरिक नुकसान हो जाएगा या फिर हतोत्साहित हो जाएगा, लेकिन अगर उस वजन को धीरे-धीरे से बढ़ाने की कोशिश करें, जैसे कल पचास तो आज पचपन करें, इक्यावन करें तो वह सहज ही उस स्थिति में जा सकता है, तो इसी तरह से अगर हम अपनी जननेंद्रियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं, और ब्रह्मचर्य में प्रतिष्ठित होना चाहते हैं तो उसके लिए सीधी सी बात समझनी है कि हमें अपनी सभी
इंद्रियों के ऊपर नियंत्रण करना होगा।।
इन्द्रियों पर नियंत्रण कैसे हो-
सभी इंद्रियों पर नियंत्रण करने के लिए अष्टांग योग का मार्ग हमारे लिए हो सकता है या दूसरे बहुत सारे तरीके या हमारी संकल्प शक्ति हो सकती है, जो सबसे उचित और सही कार्य करने वाली होती है, अब जैसे एक संकल्प हमने किया और उस संकल्प को हमने लापरवाही से किया, बस लापरवाही से हमने इसे शुरू कर दिया तो समझ लीजिए कि आपकी संकल्प शक्ति उतनी ही कमज़ोर हो जाती है, लेकिन अगर आपने एक छोटा सा ही संकल्प किया, बहुत बड़ा संकल्प करने की शुरू में जरूरत नहीं होती है तो छोटा सा कोई संकल्प किया और उसको पूरे मन से पूरा करने की कोशिश की, फिर वह पूरा हुआ तो दूसरा संकल्प किया तो ऐसे ही हम अपने आप को परिपक्व कर सकते हैं।।
ब्रह्मचर्य में गलती-
अगर एक व्यक्ति कुछ समय तक ब्रह्मचारी रहता है लेकिन उसका ब्रह्मचर्य कैसा है, कि उसने अपने शरीर से किसी भी तरह के को कोई क्रिया नहीं की, अपने स्वभाव से अपने वीर्य को संरक्षित रखा, लेकिन मन में उसके विचार चलते रहे, मन में उस की तीव्र इच्छा चलती रही, तो अगर मानसिक रूप से वह उन कार्यों में संलग्न है तो उसको वहां पर ब्रह्मचारी नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि उसके मन में चिंतन तो वही चल रहा है, इसी कारण से उसका जो वीर्य है, वह उसके रक्त का हिस्सा नहीं बन पाएगा, वह उसके ब्लड में नहीं जा पाएगा, उसका वीर्य जो है, विरुद्ध हो जाएगा और फिर उसके बहुत सारे तरीके से बनेंगे जिससे कि वह बाहर निकलेगा, स्खलित हो जाएगा।।
स्वप्नदोष क्यों हो जाता है-
बहुत सारे भाई प्रश्न करते हैं कि हम चालीस दिन से ब्रह्मचर्य कर रहे हैं, या फिर हम पचास दिन से ब्रह्मचारी हैं लेकिन फिर भी स्वप्न दोष हो जाता है, शीघ्रपतन हो जाता है, और भी बहुत सारी समस्याएं हैं तो इसका कारण पीछे क्या है?
इसका कारण जो है वो भगवान ने गीता में बताया है, भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि आपके इंद्रियों के जो विषय हैं, आपने इंद्रियों को तो रोक लिया लेकिन विषयों को नहीं रोक पाए जैसे कि आप कहीं बाहर गए हुए हैं और आपका किसी स्टॉल को देख करके बर्गर खाने का मन करता है, पिज़्ज़ा खाने का मन करता है, लेकिन आप अपने मन को रोक लेते हैं, आप उस स्टॉल पर नहीं जाते हैं, वहां से पिज्जा नहीं खरीदते हैं और ना ही खाते हैं लेकिन मन में आपके वह जो भाव बना हुआ है वह इतना तीव्र हो जाता है कि आप घर भी आ जाते हैं फिर भी उस पिज्जे के बारे में, बर्गर के बारे में सोच रहे हैं आपको से जा रहे हैं तो जो निग्रह है यह उस स्तर का काम नहीं कर सकता है।।
जबरदस्ती नहीं करनी है-
इसी तरीके से जब आप ब्रह्मचारी होने का दावा तो करते हैं लेकिन मन से ब्रह्मचारी आप नहीं हो पाते, निरंतर मन में विचार चलते रहते हैं तो फिर आपको और ज्यादा समस्या बढ़ जाएगी, कारण क्या है कि आपने जबरदस्ती रोक तो दिया लेकिन वह कब तक रुका रहेगा, जैसे हम अपनी मुट्ठी को बंद करते हैं, और इस मुट्ठी को बंद करके ही रखता हूं, अब अगर बहुत कस के बंद करूंगा तो कितनी देर बंद रखूंगा एक मिनट, दो मिनट, दस मिनट, पंद्रह-बीस मिनट लेकिन थोड़ी ही देर बाद हमें इसको ढीला छोड़ना पड़ेगा, इसी तरह से आप अपने मन को बहुत ज्यादा प्रयास पूर्वक बाँध कर नहीं रख सकते, तो करना क्या होगा, साधना, इसी को साधना कहते हैं।।
साधना क्या है?
जब हम साध रहे हैं अपनी किसी वृत्ति को, बार बार, हमारा मन तो उधर जाता है लेकिन हम खींचकर लाते हैं, अपने मन को और प्रतिष्ठित करते हैं, वही साधना है, और यही साधना हमें निरंतर करनी होती है, उसके बाद ही आपका मन अब स्वभाव से ही उधर नहीं जाएगा, कारण क्या है कि आपने अपनी सात्विक वृत्ति को बढ़ा दिया है।।
अब आपको आपके शरीर को वह समय मिलेगा फिर वह कैसे काम करेगा, पहले रस बनाएगा फिर रक्त बनाएगा, फिर मांस, फिर मेद, फिर अस्थि, फिर मज्जा और फिर क्या बनता है शुक्र बनता है, तो जो यह विधान शास्त्रों में बताया गया है यह
पूर्ण सत्य है, इसको अगर मेडिकल साइंस कुछ भी कहती है या फिर लोग ही भ्रमित करने की कोशिश करते हैं तो वह आप उसे पूर्णता अस्वीकार करें, क्योंकि हमारे ऋषि मुनी, एक वैज्ञानिक से भी बड़ी भूमिका निभाकर के गए हैं क्योंकि उन्होंने केवल शारीरिक स्तर पर ही काम नहीं किया बल्कि मानसिक स्तर पर भी किया, मनुष्य को पूर्ण स्वस्थ बनाने के लिए, क्योंकि मन के भाव उनके यही थे कि सबका कल्याण हो तो वह सब चीजों से ऊपर उठकर के केवल कल्याण के लिए ही कार्य करते थे
तो जब अब आपने इन सब चीजों को धारण करते
हुए अपने मन को साध लिया, फिर जो रस बना और उस रस से जो रक्त बना, तो उस रक्त की गुणवत्ता अब ऊंची हो गई क्योंकि उसमें वह जो स्पर्म है वह पहले से ही मिला हुआ है, अब क्योंकि आपने लंबे समय से ब्रह्मचर्य को प्रतिष्ठित किया है तो फिर रक्त की गुणवत्ता बनी, और वही रक्त एक एक सैल तक गया और एक एक सैल तक जाकर उसने सही न्यूट्रीशन पहुँचाया और वही फिर जब दिमाग में गया तो दिमाग के लिए वह एक ऐसी मेधा शक्ति और एक ओजस देने वाला बनता है जिससे कि आप अपने जीवन में कुछ अभूतपूर्व कार्य कर सकते हैं।।
ब्रह्मचर्य के प्रभाव-
आप उदाहरण देखें, महर्षि विवेकानंद का अगर आप उदाहरण देखते हैं तो उनकी किस तरह की स्मृति उनके विकसित हो गई थी, अगर दयानंद सरस्वती का उदाहरण लेते हैं तो देखो कैसा बल उनके शरीर में आ गया था, तो कारण क्या था उसके पीछे कि उन्होंने लंबे समय तक ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान किया था जिससे कि शरीर को वह समय मिला कि वह वीर्य को रक्त के साथ मिला सके।।
ये एकदम से नहीं मिलता है, कुछ समय तक तो वह एक जगह पर स्टोर रहता है, उसके बाद उसमें एक ऊर्जा विकसित होती है, उसके बाद जा करके वह हमारे शरीर का हिस्सा बनता है, इसलिए पहले ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान कराया जाता था, वैसी शिक्षा दी जाती थी, हमारी वैदिक परंपरा में गुरुकुल होते थे, उनका यही विधान था, गुरुकुल में विद्यार्थी जो होता था, उसमें उस तरह के संस्कार ही विकसित नहीं होते थे जिससे कि वह कुमार्गगामी हो वह पूरी तरह से एकाग्र रहता था और पच्चीस वर्ष, बीस वर्ष तक उसे ऐसे ही रखा जाता था।।
अब पच्चीस वर्ष तक क्या होता है, कि हमारे दिमाग की जो फ्रंटल कोर्टेक्स होती हैं, उनका पूरा विकास हो जाता है और जो फ्रंटल कोर्टेक्स होती है, यही हमारे दिमाग को विकसित करने में, हमारी पर्सनैलिटी को डेवलप करने के लिए, हमारे अंदर कॉन्फिडेंस को बूस्ट करने के लिए, हमारी स्मृति को विकसित करने के लिए, हमें एक सफल व्यक्ति बनाने के लिए उत्तरदाई होती है, तो हमने वहीं पर काम किया और वहीं से हमने अपने आपको पूरी तरह से साध लिया।।
तो यही कारण था कि गुरुकुल परंपरा जब तक थी, तब तक इस प्रकार के ऋषियों ने, ऐसे विद्वानों ने, ऐसे प्रचंड योग्यताओं के धनी व्यक्तियों ने जन्म लिया और इस मानव जाति का कल्याण किया और उन्हीं के किए गए कार्यों के कारण ही हम अपने आपको सुरक्षित अनुभव करते हैं, उन्हीं की वजह से ही हमारी संस्कृति आज भी जीवित है ऐसा हम समझ सकते हैं।।
आज हम बहुत सारी ऐसी आदत में पड़े हुए हैं कि हम अपने आप को थोड़ा सा साधते है, लेकिन कुछ समय बाद फिर से बहुत सारे कारण उनके पास आ जाते हैं और वह फिर से उसी मार्ग पर आगे बढ़ने लगते हैं, कारण क्या है कि बहुत सुलभ हो गई हैं चीजें, अब अगर आप टीवी खोलते हैं तो आपको वैसे ही दृश्य मिलते हैं, जो आपको इस तरफ प्रेरित करेंगे, आप फोन चलाते हैं, भले ही आप अच्छा भी कुछ देख रहे हैं लेकिन फिर भी बीच-बीच में आकर के बहुत सारी चीजें आपको भटकाने की कोशिश करती हैं तो इसलिए हमें अब बहुत सजगता की जरूरत पड़ गई है, वह सजगता कैसे आएगी जब इंटरनेट से बचेंगे।।
डोपामाइन क्या होता है?
एक बहुत साइंटिफिक रिसर्च भी आज के समय में हो रही है और आज उसे सब लोग स्वीकार कर रहे हैं, वो क्या है कि अगर आप एक पोर्न देखते हैं, जो अश्लील फिल्में आप देखते हैं तो आपके दिमाग से जो सीक्रेशन होता है जो एक हैप्पीनेस वाला हार्मोन होता है डोपामाइन वो बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, वह दो गुनी, तीन गुनी मात्रा में निकलने लगता है, अब जब आपके दिमाग में जैसे ही डोपामाइन का सर्कुलेशन बढ़ता है, तीन गुना चार गुना होता है तो आप बड़ा अच्छा अनुभव करते हैं, उन पोर्न फिल्मों को या अश्लील चित्रों को देखते हुए, लेकिन अब आपके दिमाग में डोपामाइन का लेवल है वह एक बार बढ गया तो वह दिमाग के लिए उतना ही मांग करने लगता है कि वह तीन गुना ही मुझे मिले, फिर क्या स्थिति हो जाती है कि जो आपका स्वभाविक जीवन है, उसमें भी आप खुश नहीं रह पाते हैं क्योंकि जब आप एक अश्लील फिल्म देख रहे थे तब तो डोपामाइन बहुत ज्यादा निकला और अब वह कम निकल रहा है तो आपको कोई खुशी अनुभव नहीं हो रही क्योंकि आदत बन चुकी है कि डोपामाइन ज्यादा निकले यानी कि अगर आप इन फिल्मों को देखते हैं तो यह समझ लें कि सीधा-सीधा आप अपनी डोपामाइन के लेवल को डिसबैलेंस कर रहे हैं क्योंकि आप इस तरह की आदत डाल रहे हैं कि वह बहुत ज्यादा मात्रा में क्रिएट हो तभी आपको खुशी का अनुभव कराए, इससे आपका स्वभाविक जीवन प्रभावित हो जाएगा, आप खुश नहीं रह पायेंगे।।
ब्रह्मचर्य के प्रभाव कब दिखेंगे-
अगर आपने लगभग दस दिन, पंद्रह दिन ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान किया, फिर आप वहां से हट गए, फिर आपने पाँच दिन किया, फिर आप हट गए, फिर आपने पंद्रह दिन किया तो इससे आपको लाभ नहीं होगा, लाभ कब होगा, जब आप दीर्घ काल तक करेंगे क्योंकि इसको समय लगता है, जब हम भोजन ग्रहण करते हैं तो उसको वहां से उस प्रोसेस तक पहुंचने में और एक प्योर फॉर्म में स्पर्म का निर्माण होने में समय लगता है, अब वह बन गया और बनते ही रक्त का हिस्सा नहीं बनेगा, आपके दिमाग तक नहीं चलेगा वह ऊर्ध्व में गमन नहीं करेगा, उसका अधो गमन ही होता रहेगा क्योंकि पूर्ववत आदतें भी बहुत ज्यादा मैटर करती हैं, लेकिन जब लंबे समय तक आप बनाए रखेंगे इस आदत को तो, आप की मेध शक्ति विकसित होंगी और कुछ ही दिनों के बाद लगभग लगभग चालीस दिनों का तो बेसिक टाइम रहता है जो वहां तक बनने का प्रोसेस है, वह होगा और उसके बाद जब वह आपके शरीर का हिस्सा बनेगा, तो साठ, पैंसठ दिन के अंतर्गत ही आप ऐसे अभूतपूर्व अपने जीवन में बदलाव देखेंगे कि आपकी भाषा शैली अच्छी हो जाएगी, आपके शब्दों का उच्चारण अच्छे से होगा जबान लड़खड़ाएगी नहीं, आपकी त्वचा पर चमक दिखाई देगी, आपके बालों पर एक विशेष प्रकार के प्रभाव दिखेंगे और आपके पूरे शरीर में एक ऊर्जा आ जाएगी, किसी भी कार्य को करने में आप अधिक क्षमता के साथ और योग्यता के साथ कर सकेंगे, आपकी स्मृति अच्छी हो जाएगी और आप अपने जीवन में अधिक सकारात्मक अनुभव करेंगे, और अपने आप को अब वैचारिक स्तर पर भी एक सही दिशा दे सकेंगे, आपका मन अब भटकेगा नहीं क्योंकि आपने अपनी उन इंद्रियों को अब साध लिया है।।
तो आप ऐसा समझे कि अगर आपने ब्रह्मचर्य को
प्रतिष्ठित किया तो केवल आपने शारीरिक लाभ नहीं पहुंचाया है अपने आप को बल्कि आप ने अपने जीवन को दिशा दे दी है, आपने अपनी सभी योग्यताओं का विकास कर लिया है, अब हर एक लक्ष्य आपके लिए सहज और सुलभ हो गया है ऐसा आप मान लें, ऐसा आप अनुभव करेंगे।।
इसी का नाम ब्रह्मचर्य है-
इसीलिए इतना जोर देते हुए ब्रह्मचर्य के ऊपर महर्षि पतंजलि ने भी उसको अष्टांग योग के अंतर्गत रखा है क्योंकि उन्हें पता है कि समाधि की भी जो उच्च
अवस्था है वहां तक पहुंचने के लिए, वहाँ भी इस ब्रह्मचर्य की और इस वीर्य की आवश्यकता होगी।।
ऐसा आप समझ लें कि हमारी सामान्य इडा और पिंगला नाडियां ही चलती हैं लेकिन सुषुम्ना में अगर आपको ऊर्जा को प्रवाहित करना है तो वह एक लंबी साधना तो है ही, लेकिन उसके लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो है ब्रह्मचर्य, और वीर्य ही ऐसा है, उसी से वह एक ऊर्जा जागृत होती है, जिससे की हठ योग में भी सिद्धि प्राप्त होती है तो ऐसे बहुत सारे फैक्ट हैं, ऐसे बहुत सारी साइंटिफिक रिसर्च हैं, ऐसे बहुत सारे हमारे आयुर्वेद, शास्त्रों में बताया गया है, अध्यात्म में बताया गया है जिससे कि स्पष्ट रूप से इस ब्रह्मचर्य की उपयोगिता अनुभव कर सकते हैं।।
आप अपने जीवन में आप स्वयं देखें, इसे अपने जीवन में प्रयोग करके देखें, अगर आपने उचित प्रकार से एक बार प्रयोग कर लिया तो आपको इतना अच्छा सकारात्मक इसका परिणाम मिलेगा कि आप पुनः पुनः फिर इसी को ही अपने जीवन में बनाए रखने की कोशिश करेंगे, और आप बनाएं ही रखेंगे ऐसे मेरी अपेक्षा भी है और ऐसी मैं ईश्वर से कामना करता हूं।।
।। राधे राधे।।
See lessकभी-कभी ब्रह्मचर्य के रास्ते पर चलने में असमर्थता महसूस होती है, तो ऐसे समय में क्या करना चाहिए?
Kuch bhi ho lekin , apni dincharya mat chorna. Sabhi kaam apne nirdharit samay se karna kyu ki aaj tumhe asamrth mahsoos ho raha to kal ho sakta hai tumhara brahmacharya toot hee jaye.. Lekin agar tum apne dincharya pe date rahe to ho sakta hai tum paar nikal jao. Shree krishna ne kaha hai- -> MaRead more
Kuch bhi ho lekin , apni dincharya mat chorna. Sabhi kaam apne nirdharit samay se karna kyu ki aaj tumhe asamrth mahsoos ho raha to kal ho sakta hai tumhara brahmacharya toot hee jaye..
Lekin agar tum apne dincharya pe date rahe to ho sakta hai tum paar nikal jao.
Shree krishna ne kaha hai-
-> Man ke behkawe mai na , ish man ko apna daas bana le.
Man ko apna daas keval nirantarta(consistency) se hee banaya ja sakta hai..
*Jo niyamit vyayam(samay ka paband banayega) aur pranayam(Man pe kabu pana sikhayega) karenge, unhe ish tarah ke sawal nahi puchne padte.
Dhanyabaad🙏
See lessहम लोग ब्रह्मचर्य को पूर्ण रूप से ऊर्ध्वगामी कैसे बना सकते हैं ?
हम ब्रह्मचर्य को पूर्ण रूप से ऊर्ध्वगामी कैसे बना सकते हैं? ब्रह्मचर्य को पूर्ण रूप से ऊर्ध्वगामी बनाना मतलब अपनी ऊर्जा को ऐसे उच्च स्तर पर ले जाना, जहां वह केवल मानसिक और शारीरिक बल ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक बल का भी स्रोत बन जाए। इसके लिए प्रैक्टिकल उपाय और उदाहरण मददगार साबित हो सकते हैं। श्रद्धाRead more
हम ब्रह्मचर्य को पूर्ण रूप से ऊर्ध्वगामी कैसे बना सकते हैं?
ब्रह्मचर्य को पूर्ण रूप से ऊर्ध्वगामी बनाना मतलब अपनी ऊर्जा को ऐसे उच्च स्तर पर ले जाना, जहां वह केवल मानसिक और शारीरिक बल ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक बल का भी स्रोत बन जाए। इसके लिए प्रैक्टिकल उपाय और उदाहरण मददगार साबित हो सकते हैं।
श्रद्धा और भक्ति का सहारा लें (उदाहरण: प्रेमानंद जी महाराज)
प्रेमानंद जी महाराज, जिनकी दोनों किडनी फेल हो चुकी थीं, फिर भी उन्होंने राधा रानी की भक्ति और ब्रह्मचर्य की शक्ति से अपने जीवन को संभाला। उन्होंने जप-तप और भक्ति से अपने भीतर इतनी ऊर्जा उत्पन्न की कि आज भी वे स्वस्थ और ऊर्जावान दिखते हैं। इससे हम यह सीख सकते हैं कि अपनी ऊर्जा को ईश्वर की भक्ति में लगाकर उसे ऊर्ध्वगामी बनाया जा सकता है।
माता-पिता की सेवा करें
माता-पिता की सेवा करने से हमारे कर्मों में पवित्रता आती है। जब आप अपने माता-पिता की सेवा करते हैं, तो आपके अंदर कृतज्ञता और सकारात्मकता बढ़ती है। यह मन को स्थिर और शुद्ध बनाती है, जिससे ब्रह्मचर्य की ऊर्जा अपने आप उच्च स्तर पर जाती है।
योग और प्राणायाम को अपनाएं
योग और प्राणायाम ऊर्जा को नियंत्रित और ऊर्ध्वगामी बनाने का सबसे प्रभावी साधन है। नियमित योगासन जैसे शीर्षासन, सर्वांगासन, और प्राणायाम (जैसे अनुलोम-विलोम, कपालभाति) करने से शरीर और मन दोनों मजबूत होते हैं।
उदाहरण: कई संत और योगी, जैसे बाबा रामदेव, अपनी ऊर्जा को योग के माध्यम से ऊर्ध्वगामी बनाकर जीवन में असाधारण सफलता हासिल कर चुके हैं।
मानसिक और शारीरिक मजबूती (उदाहरण: देसी टार्जन)
देसी टार्जन (राजेंद्र सिंह) अपने अनुशासन, साधना और प्राकृतिक जीवनशैली के कारण आज भी एक मिसाल हैं। उन्होंने ब्रह्मचर्य और कठिन अभ्यास से अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को इस तरह ऊर्ध्वगामी बनाया कि वे असंभव कार्य कर सकते हैं। उनकी सादगी और कठिन जीवनशैली यह बताती है कि संयम और साधना से आप अपने अंदर अद्भुत शक्ति उत्पन्न कर सकते हैं।
सकारात्मक आदतें अपनाएं
जप-तप करें: नियमित रूप से भगवान के नाम का जाप या मंत्र साधना करें। यह आपकी मानसिक शक्ति को ऊर्ध्वगामी बनाता है।
डिसिप्लिन रखें: दिनचर्या को अनुशासन में रखें। सुबह जल्दी उठें, गुनगुना पानी पिएं और दिन की शुरुआत एक सकारात्मक सोच के साथ करें।
विचारों पर नियंत्रण रखें: अनावश्यक विचारों और विकर्षणों से बचें।
Most Important 👇👇
अपने जीवन का उद्देश्य तय करें
आपकी ब्रह्मचर्य ऊर्जा तभी ऊर्ध्वगामी हो सकती है, जब आप उसे किसी उच्च लक्ष्य की ओर ले जाएं।
सबसे पहले आप अपने जीवन में एक लक्ष्य बनावे और उसको पाने में अपनी पूर्ण शक्ति लगा दे । इस भाव से आप ब्रह्मचर्य को भी बनाए रखेंगे और अपने लक्ष्य को भी प्राप्त करेंगे।
जैसे स्वामी विवेकानंद ने अपनी ऊर्जा को मानवता की सेवा और वेदांत के प्रचार में लगाया।
इन प्रैक्टिकल तरीकों और उदाहरणों को अपने जीवन में अपनाकर आप ब्रह्मचर्य को न केवल बचा सकते हैं, बल्कि उसे ऊर्ध्वगामी बनाकर अपने जीवन को सार्थक और सफल बना सकते हैं।
ये सब आपको करना पड़ेगा, सिर्फ पढ़कर यह सब खत्म नहीं हो जाएगा। अगर आप 2025 में ब्रह्मचर्य को ऊर्ध्वगामी बनाना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट करके प्रण लें और इसे अपने जीवन में अमल करें।
See lessब्रह्मचर्य पालन से प्राप्त ऊर्जा को सही दिशा कैसे दे ? (ऊर्जा) इसे अपनी पढाइ मे कैसे लगाउ ?
@rohit_kumar ji ब्रह्मचर्य पालन से मिलने वाली ऊर्जा को सही दिशा देना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह ऊर्जा आपकी पढ़ाई और लक्ष्य हासिल करने में बहुत मदद कर सकती है। सबसे पहले इसे पहचानना और समझना जरूरी है। जब आप अपने मन और शरीर पर नियंत्रण रखते हैं, तो यह ऊर्जा धीरे-धीरे आपके भीतर एक स्थिर शक्ति के रूप मेंRead more
@rohit_kumar ji ब्रह्मचर्य पालन से मिलने वाली ऊर्जा को सही दिशा देना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह ऊर्जा आपकी पढ़ाई और लक्ष्य हासिल करने में बहुत मदद कर सकती है। सबसे पहले इसे पहचानना और समझना जरूरी है। जब आप अपने मन और शरीर पर नियंत्रण रखते हैं, तो यह ऊर्जा धीरे-धीरे आपके भीतर एक स्थिर शक्ति के रूप में जमा होती है। इसे संभालना और सही जगह पर लगाना आपकी सफलता की कुंजी है।
अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं, तो सबसे जरूरी है कि रेगुलर पढ़ाई का रूटीन बनाएं और उसे बनाए रखें। बिनाConsistency के कोई भी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है। हर दिन एक निश्चित समय पर पढ़ाई शुरू करें और अपने शेड्यूल में पढ़ाई को सबसे ऊपर रखें। अगर आपका मन पढ़ाई से भटकने लगे, तो तुरंत एक छोटे टॉपिक पर ध्यान केंद्रित करें। यह आपको वापस ट्रैक पर लाएगा।
इसके साथ ही, माता-पिता की सेवा करना न भूलें। उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में स्थिरता और शांति बनी रहती है, जो पढ़ाई और अन्य कामों में मदद करती है। उनका सम्मान करें और उनके लिए समय निकालें। यह आपकी मानसिक ऊर्जा को भी बढ़ाता है।
अभी सर्दी का समय है, तो इस मौसम के हिसाब से भी अपनी दिनचर्या बनाना जरूरी है। सुबह गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। इससे शरीर अंदर से गर्म रहता है और ऊर्जा बनी रहती है। पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में गर्म चाय, ग्रीन टी या सूप लें, ताकि शरीर हाइड्रेटेड और सक्रिय रहे। ठंड में आलस स्वाभाविक है, लेकिन छोटे-छोटे ब्रेक लेकर खुद को एक्टिव रखें।
इसके अलावा, अपने शरीर को गर्म रखने के लिए सही कपड़े पहनें। ज्यादा भारी कपड़े पहनने से भी बचें, क्योंकि वे असहजता पैदा कर सकते हैं। ध्यान और मेडिटेशन करें, ताकि मानसिक शांति बनी रहे और सर्दी के आलस्य को दूर किया जा सके।
डिजिटल विकर्षण (जैसे मोबाइल और सोशल मीडिया) से बचना भी जरूरी है। पढ़ाई के समय मोबाइल को दूर रखें और खुद से यह सवाल करें कि “क्या यह समय बर्बाद करना मेरे लक्ष्य को पाने में मदद करेगा?” इस सवाल का जवाब ही आपको सही दिशा दिखाएगा।
छोटे-छोटे ब्रेक लेना भी जरूरी है। हर घंटे 5-10 मिनट का ब्रेक लें और इस दौरान टहल लें या हल्का व्यायाम करें। यह आपकी ऊर्जा को रिफ्रेश करेगा।
सबसे जरूरी बात, अपनी पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी और अवसर समझें। माता-पिता के प्रति कृतज्ञता और पढ़ाई के प्रति समर्पण से आपकी ब्रह्मचर्य की ऊर्जा सही दिशा में लगेगी और आपके जीवन को सकारात्मक रूप से बदल देगी।
इस विषय में हम सभी विवेकानंद जी से प्रेरणा ले सकते है🙏
ब्रह्मचर्य और ऊर्जा के सही उपयोग का सबसे प्रेरणादायक उदाहरण स्वामी विवेकानंद का है। उन्होंने अपनी युवावस्था में ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन किया और इसे अपने शारीरिक और मानसिक विकास का आधार बनाया। उनके अनुसार, ब्रह्मचर्य के पालन से एक व्यक्ति अपनी सभी शक्तियों को केंद्रित कर सकता है और असाधारण कार्य कर सकता है।
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि ब्रह्मचर्य से प्राप्त ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर कोई भी अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा था, “जो युवा ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, वे किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।” उनकी स्मरण शक्ति, सीखने की क्षमता और अद्भुत आत्मविश्वास का कारण उनका ब्रह्मचर्य और अनुशासित जीवनशैली थी।
उन्होंने इस ऊर्जा को अपने ज्ञान और ध्यान में लगाया। यही कारण है कि उन्होंने भारतीय संस्कृति और वेदांत के ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाया। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हम अपने मन और शरीर को नियंत्रित करें और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं, तो हम असंभव को भी संभव कर सकते हैं।
सर्दी के मौसम मे दिनचर्या कैसी होनी चाहीए ? किताबी बाते ना बताए (Modern lifestyle को ध्यान मे रखे।)
सर्दी का मौसम आते ही हमारे शरीर और मन में कई बदलाव होते हैं, और इसके हिसाब से हमारी दिनचर्या को थोड़ा एडजस्ट करना जरूरी हो जाता है। खासकर आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल में, जब हम बहुत सारी टेक्नोलॉजी और अन्य बाहरी दबावों से घिरे रहते हैं, तो सर्दी में अपनी दिनचर्या को सही ढंग से सेट करना और भी महत्वपूर्णRead more
सर्दी का मौसम आते ही हमारे शरीर और मन में कई बदलाव होते हैं, और इसके हिसाब से हमारी दिनचर्या को थोड़ा एडजस्ट करना जरूरी हो जाता है। खासकर आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल में, जब हम बहुत सारी टेक्नोलॉजी और अन्य बाहरी दबावों से घिरे रहते हैं, तो सर्दी में अपनी दिनचर्या को सही ढंग से सेट करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। तो, आइए जानते हैं कुछ practical टिप्स, जो आपको सर्दी के मौसम में अपनी दिनचर्या को बेहतर बनाने में मदद करेंगे:
1.सुबह जल्दी उठें, लेकिन बिना घबराए
सर्दी में सुबह उठने का मन नहीं करता, लेकिन इसे एक आदत बनाना जरूरी है। ठंड के मौसम में सूर्योदय थोड़ा देरी से होता है, तो आप थोड़ा और आराम से उठ सकते हैं, लेकिन कोशिश करें कि सूर्योदय से पहले उठ जाएं। इस समय ताजगी महसूस होती है और दिन की शुरुआत भी अच्छी होती है।
आलस्य से बचें: सर्दी में बैड से बाहर निकलना कठिन हो सकता है, लेकिन उठकर हल्की स्ट्रेचिंग या योग करें ताकि शरीर में ऊर्जा का संचार हो।
गुनगुने पानी से शुरुआत: सुबह उठकर गुनगुने पानी का सेवन करें। यह आपके शरीर को हाइड्रेटेड रखेगा और पाचन में मदद करेगा।
2.सही खुराक का ध्यान रखें
सर्दी में ताजे फल, सब्जियां और गर्म खाने का खास ध्यान रखें। शरीर को ऊर्जा और गर्मी की आवश्यकता होती है, और इस मौसम में सुप (सूप), गर्म दूध, हॉट चॉकलेट, खिचड़ी, हलवा जैसी चीजें शरीर को अंदर से गर्म रखती हैं।
पोषक तत्वों का ध्यान रखें: विटामिन C से भरपूर फल जैसे संतरा, कीवी, या आमला आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखते हैं।
सुपरफूड्स का सेवन करें: अदरक, हल्दी, लहसुन और शहद जैसी चीजें सर्दी में अत्यधिक फायदेमंद होती हैं क्योंकि ये शरीर को गर्म रखते हैं और इम्यूनिटी बढ़ाते हैं।
हल्का और सादा भोजन करें: सर्दी में भारी भोजन से बचें, क्योंकि शरीर पर अधिक दबाव पड़ता है। हल्के भोजन से शरीर को आराम मिलता है।
3.वर्कआउट और फिजिकल एक्टिविटी
सर्दी में बाहर जाने का मन कम करता है, लेकिन शारीरिक गतिविधियां बहुत जरूरी हैं। इसे अपने दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
इनडोर वर्कआउट: अगर बाहर ठंड बहुत ज्यादा है, तो आप इनडोर एक्सरसाइज कर सकते हैं, जैसे योग, डांस, या हल्के कार्डियो एक्सरसाइज।
सुबह की धूप: जितना हो सके, सुबह की धूप में बाहर जाएं। यह न सिर्फ आपके शरीर को गर्मी देती है, बल्कि विटामिन D का भी अच्छा स्रोत है।
स्ट्रेचिंग और योग: स्ट्रेचिंग से मसल्स रिलैक्स होते हैं और योग से मानसिक शांति मिलती है। इससे शरीर में लचीलापन आता है और आपको ठंड में अकड़न महसूस नहीं होती।
4.मानसिक शांति और आराम
सर्दी में शरीर थोडा आलसी और सुस्त महसूस कर सकता है, लेकिन मानसिक शांति बनाए रखना बहुत जरूरी है।
ध्यान (Meditation): रोज़ थोड़ा समय ध्यान या प्राणायाम के लिए निकालें। यह न सिर्फ शरीर को आराम देता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
आलस्य से बचें: सर्दी में आलस्य आना सामान्य है, लेकिन अपने कामों को टालने से बचें। एक अच्छी दिनचर्या बनाए रखने से मानसिक स्थिति भी बेहतर रहती है।
5.हाइड्रेशन पर ध्यान दें
सर्दी में प्यास कम लगती है, लेकिन हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी है। गुनगुना पानी, हर्बल चाय, या सूप का सेवन करें।
हॉट ड्रिंक्स: सर्दी में ग्रीन टी, अदरक-नींबू चाय या हल्दी दूध पीने से शरीर गर्म रहता है और इम्यूनिटी भी मजबूत होती है।
पानी पीने की आदत: भले ही आपको प्यास कम लगे, फिर भी दिनभर पानी पीने की आदत डालें।
6.सुनिश्चित करें कि आप अच्छी नींद ले रहे हैं
सर्दी के मौसम में रात को जल्दी नींद आती है, और सुबह देर से उठने का मन करता है। हालांकि, पर्याप्त नींद जरूरी है।
सही समय पर सोएं: सर्दी में रात जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालें। इससे आपका शरीर पूरी तरह से रिचार्ज हो पाएगा।
संतुलित वातावरण: कमरे का तापमान ऐसा रखें कि आपको न ज्यादा ठंड न ज्यादा गर्मी लगे। ज्यादा ठंड या गर्मी से नींद पर असर पड़ सकता है।
7.सर्दी के मौसम में खुद को गर्म रखें
सर्दी में शरीर को गर्म रखने के लिए आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
लाइट गर्म कपड़े: सर्दी में हल्के और आरामदायक गर्म कपड़े पहनें, ताकि आपको आरामदायक महसूस हो।
हीटर और ब्लैंकेट: अगर आपके पास हीटर है तो उसे कम तापमान पर इस्तेमाल करें। साथ ही, ब्लैंकेट का इस्तेमाल करें ताकि रात को आराम से सो सकें।
8.स्वच्छता का ध्यान रखें
सर्दी में कीटाणु जल्दी फैल सकते हैं, इसलिए अपनी स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
मास्क और सैनिटाइजेशन: सर्दी में फ्लू और अन्य रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनें और हाथों को नियमित रूप से धोएं।
हवादार कमरे: घर के कमरे को अच्छे से वेंटिलेटेड रखें ताकि हवा का प्रवाह बना रहे और बैक्टीरिया न फैलें।
निष्कर्ष:
सर्दी के मौसम में अपनी दिनचर्या को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन अगर आप इन छोटे-छोटे बदलावों को अपनी दिनचर्या में शामिल करेंगे, तो आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। मॉडर्न लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए, यह जरूरी है कि हम अपनी सेहत को प्राथमिकता दें, और मौसम के अनुसार अपनी आदतों को थोड़ा एडजस्ट करें।
As soon as the winter season arrives, many changes take place in our body and mind, and it becomes necessary to adjust our routine a little according to this. Especially in today’s modern lifestyle, when we are surrounded by a lot of technology and other external pressures, it becomes even more important to set your routine correctly in winter. So, let’s know some practical tips, which will help you to improve your routine in the winter season:
1. Get up early in the morning, but without panic
In winter, one does not feel like getting up in the morning, but it is important to make it a habit. In the cold season, sunrise is a little late, so you can get up a little more comfortably, but try to get up before sunrise. At this time one feels fresh and the day starts well.
Avoid laziness: It may be difficult to get out of bed in winter, but get up and do light stretching or yoga so that the body gets energized.
Start with lukewarm water: Drink lukewarm water after waking up in the morning. This will keep your body hydrated and help in digestion.
2.Take care of the right diet
Take special care of eating fresh fruits, vegetables and warm food in winter. The body needs energy and heat, and in this season things like soup, hot milk, hot chocolate, khichdi, halwa keep the body warm from inside.
Take care of nutrients: Fruits rich in vitamin C like orange, kiwi, or amla keep your immune system strong.
Consume superfoods: Things like ginger, turmeric, garlic and honey are highly beneficial in winter as they keep the body warm and increase immunity.
Eat light and simple food: Avoid heavy food in winter, as there is more pressure on the body. Light food gives rest to the body.
3.Workout and physical activity
Winter makes you feel less like going out, but physical activities are very important. Make it a part of your routine.
Indoor workout: If it is very cold outside, you can do indoor exercises, such as yoga, dance, or light cardio exercises.
Morning sunlight: Go out in the morning sunlight as much as possible. It not only gives warmth to your body, but is also a good source of vitamin D.
Stretching and yoga: Stretching relaxes the muscles and yoga gives mental peace. This brings flexibility in the body and you do not feel stiff in the cold.
4. Mental peace and comfort
The body may feel a little lazy and sluggish in winter, but it is very important to maintain mental peace.
Meditation: Take out some time every day for meditation or pranayama. It not only relaxes the body, but also provides mental peace.
Avoid laziness: It is normal to feel lazy in winter, but avoid postponing your work. Maintaining a good routine also keeps the mental state better.
5. Focus on hydration
You feel less thirsty in winter, but it is very important to stay hydrated. Drink lukewarm water, herbal tea, or soup.
Hot drinks: Drinking green tea, ginger-lemon tea or turmeric milk in winter keeps the body warm and also strengthens immunity.
Water drinking habit: Even if you feel less thirsty, make it a habit to drink water throughout the day.
6. Make sure you are getting good sleep
In winter, one falls asleep early at night, and feels like waking up late in the morning. However, adequate sleep is necessary.
Sleep at the right time: Make it a habit to sleep early at night and wake up early in the morning in winter. This will allow your body to recharge completely.
Balanced environment: Keep the room temperature such that you neither feel too cold nor too hot. Too much cold or heat can affect sleep.
7. Keep yourself warm in winter
You should take some precautions to keep the body warm in winter.
Light warm clothes: Wear light and comfortable warm clothes in winter, so that you feel comfortable.
Heaters and blankets: If you have a heater, use it on low temperature. Also, use a blanket so that you can sleep comfortably at night.
8. Take care of hygiene
Germs can spread quickly in winter, so it is very important to take care of your hygiene.
Masks and sanitization: The risk of spreading flu and other diseases increases in winter, so wear a mask in public places and wash hands regularly.
Ventilated rooms: Keep the rooms of the house well ventilated so that air flow remains and bacteria does not spread.
Conclusion:
See lessIt can be challenging to maintain a healthy and balanced routine during the winter season, but if you include these small changes in your routine, your physical and mental health will be better. Keeping in mind the modern lifestyle, it is important that we give priority to our health, and adjust our habits a little according to the season.
ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का क्या सम्बन्ध है?
ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का गहरा संबंध है। ब्रह्मचर्य का अर्थ है इंद्रियों को वश में करना और अपनी ऊर्जा को आध्यात्मिक विकास की ओर मोड़ना। ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति को कई आध्यात्मिक लाभ हो सकते हैं: 1. *मन की शांति*: ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मन शांत और एकाग्र होता है, जिससे आध्यात्मिRead more
ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का गहरा संबंध है। ब्रह्मचर्य का अर्थ है इंद्रियों को वश में करना और अपनी ऊर्जा को आध्यात्मिक विकास की ओर मोड़ना।
ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति को कई आध्यात्मिक लाभ हो सकते हैं:
1. *मन की शांति*: ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मन शांत और एकाग्र होता है, जिससे आध्यात्मिक अनुभवों की प्राप्ति होती है।
2. *ऊर्जा का संचयन*: ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति की ऊर्जा संचित होती है, जिससे वह आध्यात्मिक अभ्यासों में अधिक समय और ऊर्जा लगा सकता है।
3. *इंद्रियों का नियंत्रण*: ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति की इंद्रियाँ नियंत्रित होती हैं, जिससे वह आध्यात्मिक मार्ग पर अधिक स्थिर रहता है।
4. *आत्म-ज्ञान*: ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति को आत्म-ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे वह अपने जीवन के उद्देश्य और मूल्यों को समझने में सक्षम होता है।
अध्यात्म के संदर्भ में, ब्रह्मचर्य का अभ्यास व्यक्ति को निम्नलिखित आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित करने में मदद करता है:
1. *निर्वैरता*: ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति निर्वैरता की भावना विकसित करता है, जिससे वह दूसरों के प्रति अधिक सहानुभूति और करुणा का अनुभव करता है।
2. *निष्कामता*: ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति निष्कामता की भावना विकसित करता है, जिससे वह अपने कार्यों में अधिक निस्वार्थता और समर्पण का अनुभव करता है।
3. *आत्म-निरीक्षण*: ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति आत्म-निरीक्षण की क्षमता विकसित करता है, जिससे वह अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों को अधिक स्पष्टता से देख सकता है।
इस प्रकार, ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का संबंध बहुत गहरा है। ब्रह्मचर्य के अभ्यास से व्यक्ति आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित कर सकता है और अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और सार्थक बना सकता है।
See lessब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए किन आदतों को अपनाना चाहिए?
ब्रह्मचर्य का पालन एक जीवन जीने की शैली है, जो संयम, आत्मनियंत्रण और संतुलन पर आधारित है। यह न केवल यौन संयम का नाम है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक, और आत्मिक अनुशासन का एक व्यापक पहलू है। इसे जीवन में सफलतापूर्वक अपनाने के लिए कुछ विशेष आदतें आवश्यक होती हैं। इन आदतों को अपनाकर आप ब्रह्मचर्य के लाभोंRead more
ब्रह्मचर्य का पालन एक जीवन जीने की शैली है, जो संयम, आत्मनियंत्रण और संतुलन पर आधारित है। यह न केवल यौन संयम का नाम है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक, और आत्मिक अनुशासन का एक व्यापक पहलू है। इसे जीवन में सफलतापूर्वक अपनाने के लिए कुछ विशेष आदतें आवश्यक होती हैं। इन आदतों को अपनाकर आप ब्रह्मचर्य के लाभों का अनुभव कर सकते हैं और एक स्वस्थ, स्थिर, और संतोषपूर्ण जीवन बिता सकते हैं।
1. आत्मनियंत्रण (Self-Control)
ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप अपने विचारों पर नियंत्रण रखें। किसी भी प्रकार की अनावश्यक सोच या अशुद्ध विचारों को मन से बाहर निकालने की प्रक्रिया में आत्मनियंत्रण की आवश्यकता होती है।
ब्रह्मचर्य का पालन करते समय व्यक्ति अपनी इच्छाओं को संयमित करता है। यह किसी भी प्रकार की गहरी यौन इच्छाओं, असामान्य गतिविधियों, और अनावश्यक भोग-विलास से बचने में मदद करता है।
2. नियमित ध्यान और प्राणायाम
3. संतोषजनक आहार की आदत
4. नींद और जागने की नियमित आदतें
5. संयमित जीवनशैली (Disciplined Lifestyle)
6. सच्ची सृजनशीलता और शिक्षा पर ध्यान
7. नियमित स्व-मूल्यांकन (Self-Reflection)
8. सकारात्मक संगति (Positive Company)
9. संयमित मीडिया उपयोग (Media Discipline)
ब्रह्मचर्य का पालन करने से क्या लाभ होते हैं?
ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, मानसिक स्थिरता, और सच्ची आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की साधना है। इसे जीवन में अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में भी संतुलन और शाRead more
ब्रह्मचर्य केवल यौन संयम का नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में आत्म-नियंत्रण, अनुशासन, मानसिक स्थिरता, और सच्ची आत्मा के साथ संबंध स्थापित करने की साधना है। इसे जीवन में अपनाने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता, और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि यह सामाजिक जीवन में भी संतुलन और शांति बनाए रखने में मदद करता है। इस लेख में, हम विस्तार से देखेंगे कि ब्रह्मचर्य का पालन करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं।
1. मानसिक संतुलन और स्थिरता
ब्रह्मचर्य पालन के दौरान व्यक्ति अपने मन को अशांत विचारों से बचाता है। यह मानसिक स्वच्छता को बनाए रखता है और व्यक्ति को ध्यान और आत्मनियंत्रण में सक्षम बनाता है।
जब आप मन से अनावश्यक विचारों को दूर रखते हैं, तो ध्यान की क्षमता बढ़ती है। यह योग और ध्यान के अभ्यास में सहायक होता है।
ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में आत्मसंयम विकसित होता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता और सोचने की प्रक्रिया में स्पष्टता आती है।
2. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
ब्रह्मचर्य के पालन से व्यक्ति अपनी यौन ऊर्जा को बचाता है। यह ऊर्जा शरीर के अन्य अंगों में प्रवाहित होती है और समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
शारीरिक व्यायाम और योग के साथ ब्रह्मचर्य पालन करने से शरीर की सहनशीलता और ताकत बढ़ती है।
संयमित जीवनशैली से रोगों की संभावना कम होती है, क्योंकि यह शरीर के प्राकृतिक तंत्रों को मजबूत करता है।
3. आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति
ब्रह्मचर्य पालन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आत्मा के साथ गहरे संबंध स्थापित करता है और आत्मसाक्षात्कार की ओर अग्रसर होता है।
ब्रह्मचर्य से प्राणायाम और ध्यान जैसी साधनाओं में मदद मिलती है, जो आपके मानसिक और आत्मिक ऊर्जाओं के प्रवाह को संतुलित करती हैं।
आत्मनियंत्रण और संयम के अभ्यास से व्यक्ति मोक्ष के पथ पर अग्रसर होता है, जो आत्मिक स्वतंत्रता और जीवन के सत्य को समझने में सहायक है।
4. निर्णय क्षमता और आत्मविश्वास में वृद्धि
संयमित जीवन जीने से निर्णय क्षमता में सुधार होता है। व्यक्ति उचित समय पर सही निर्णय ले पाता है।
जब आप आत्मसंयमित होते हैं, तो आपके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। यह आपके आत्ममूल्य और आत्म-निर्णय पर आधारित होता है।
5. सामाजिक संबंधों में संतुलन
ब्रह्मचर्य पालन करने से समाज में व्यक्ति का सम्मान बढ़ता है। समाज में अनुशासन और संयम की छवि बनती है।
ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में सहनशीलता, समझदारी, और सहानुभूति विकसित होती है, जिससे रिश्तों में सामंजस्यपूर्णता बनी रहती है।
व्यक्ति की विश्वसनीयता बढ़ती है, क्योंकि वह संयमित जीवन जीने के आदर्शों को निभाता है।
6. आत्म-ज्ञान और जागरूकता
ब्रह्मचर्य पालन के दौरान व्यक्ति आत्मनिरीक्षण की प्रक्रिया में समय बिताता है। यह आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देता है।
ब्रह्मचर्य के माध्यम से व्यक्ति बाह्य सुखों की ओर देखना छोड़ देता है और अपने सच्चे स्व पर ध्यान केंद्रित करता है।
7. समय प्रबंधन और उत्पादकता
ब्रह्मचर्य पालन से अनावश्यक गतिविधियों की संभावना कम होती है, जिससे समय प्रबंधन बेहतर होता है।
संयमित जीवनशैली से काम करने की क्षमता बढ़ती है और कार्यों में उच्च उत्पादकता प्राप्त होती है।
8. संयम और आत्मनिर्णय की शक्ति
ब्रह्मचर्य से व्यक्ति अपनी इच्छाओं और मन के नियंत्रण में रखता है, जिससे उसकी निर्णय क्षमता मजबूत होती है।
यह संयमित जीवन एक जिम्मेदारी की भावना को जागृत करता है, और व्यक्ति की आत्मनिर्णय की प्रक्रिया को सुसंगत बनाता है।
9. परिपूर्ण जीवन की प्राप्ति
ब्रह्मचर्य पालन से व्यक्ति बाहरी सुखों के चक्कर से मुक्त होता है और आंतरिक संतोष की प्राप्ति करता है।
संयमित जीवनशैली में हर पहलू – शरीर, मन, आत्मा, और समाज – में सामंजस्य स्थापित होता है।
ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए?
ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए? ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है; यह जीवन के सभी पहलुओं में आत्म-संयम, अनुशासन और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। इसे सही तरीके से अपनाने के लिए उन चीजों और आदतों से बचना जरूरी है जो मन, शरीर और आत्मा को विचलित करती हैं। नीचे विस्तारRead more
ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए?
ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है; यह जीवन के सभी पहलुओं में आत्म-संयम, अनुशासन और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। इसे सही तरीके से अपनाने के लिए उन चीजों और आदतों से बचना जरूरी है जो मन, शरीर और आत्मा को विचलित करती हैं। नीचे विस्तार से चर्चा की गई है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते समय किन चीजों से बचना चाहिए।
1. असंयमित विचारों से बचाव
नकारात्मक सोच जैसे ईर्ष्या, क्रोध, द्वेष और अहंकार से बचें। ये मानसिक अशांति का कारण बनते हैं और ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं।
यौन विचारों और कल्पनाओं से बचें, क्योंकि ये ऊर्जा का ह्रास करते हैं। मन को शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखने के लिए ध्यान और आत्मचिंतन का सहारा लें।
2. अनुचित संगति और वातावरण से बचाव
ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखें जो असंयमित जीवनशैली का प्रचार करते हों। संगति का हमारे मन और विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
नकारात्मक और अशांत वातावरण जैसे हिंसा, भोग-विलास, या अनुचित कार्यक्रमों से बचें। ऐसे स्थानों पर रहने से मन विचलित हो सकता है।
3. अपशब्दों और अनुचित भाषा से बचाव
अश्लील, अपमानजनक या नकारात्मक भाषा का उपयोग न करें। इसका प्रभाव आपके मन और भावनाओं पर पड़ता है।
न केवल शब्दों बल्कि व्यवहार में भी संयम रखें। विनम्रता और सौम्यता ब्रह्मचर्य का हिस्सा हैं।
4. अनियमित दिनचर्या से बचाव
देर रात तक जागने और सुबह देर से उठने की आदत से बचें। नियमित दिनचर्या शरीर और मन को संतुलित रखती है।
आलस्य और अनुशासनहीनता ब्रह्मचर्य के शत्रु हैं। हमेशा सक्रिय और सतर्क रहने का प्रयास करें।
5. असंयमित भोजन और पेय पदार्थों से बचाव
तामसिक आहार जैसे मांस, मदिरा, मसालेदार और भारी भोजन मन और शरीर में अशांति पैदा कर सकते हैं। सात्विक आहार अपनाएं, जिसमें फल, सब्जियां और हल्का भोजन शामिल हो।
चाय, कॉफी, शराब और अन्य मादक पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि ये मन को उत्तेजित करते हैं और ब्रह्मचर्य का पालन कठिन बनाते हैं।
6. मनोरंजन के असंयमित साधनों से बचाव
अश्लील वीडियो, किताबें, और अन्य सामग्री से बचें, क्योंकि ये मन को विचलित करती हैं और ब्रह्मचर्य के नियमों का उल्लंघन करती हैं।
सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग और अनावश्यक चैटिंग से बचें। यह समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी करता है।
7. इंद्रियों के भोग से बचाव
जो चीजें मन को विचलित कर सकती हैं, जैसे अनैतिक दृश्य, उनसे बचें। ध्यान रखें कि जो आप देखते हैं, उसका गहरा प्रभाव आपके विचारों पर पड़ता है।
ऐसे गीत और वार्तालाप सुनने से बचें जो कामुकता या नकारात्मकता को बढ़ावा देते हों।
अनावश्यक और अनुचित शारीरिक संपर्क से बचें। इंद्रियों को नियंत्रित रखना ब्रह्मचर्य का मूल है।
8. मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता से बचाव
अत्यधिक भावुकता, चाहे वह प्रेम, क्रोध, या दुःख हो, मन को कमजोर कर सकती है।
अत्यधिक जुड़ाव और आसक्ति से बचें, चाहे वह परिवार, मित्र, या समाज से हो। यह मन को स्थिर रखने में मदद करता है।
9. आलस्य और आत्म-अनुशासन की कमी से बचाव
आलस्य ब्रह्मचर्य के पालन में सबसे बड़ी बाधा है। नियमित व्यायाम और योग करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए आत्म-अनुशासन जरूरी है। अपने दैनिक जीवन में नियम और अनुशासन का पालन करें।
10. आत्म-आलोचना और आत्म-संदेह से बचाव
यह सोचना कि आप ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सकते, मन को कमजोर करता है। सकारात्मक सोच बनाए रखें।
गलतियां करने पर खुद को कठोरता से न आंकें। अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ें।
ब्रह्मचर्य पालन के लिए सहायक उपाय
यह मन को शांत करता है और आत्म-संयम में मदद करता है।
अच्छे और अनुशासित लोगों की संगति में रहें।
भोजन, दिनचर्या, और विचारों में सात्विकता अपनाएं।
दिन में कुछ समय आत्मचिंतन और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए निकालें।
निष्कर्ष
ब्रह्मचर्य का पालन एक साधना है, जिसे सही तरीके से अपनाने के लिए संयम और अनुशासन जरूरी है। यदि आप उपरोक्त चीजों से बचते हैं और सही दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो ब्रह्मचर्य का पालन न केवल आपके जीवन को संतुलित और शांत बनाएगा, बल्कि आपको आत्मज्ञान के मार्ग पर भी ले जाएगा।
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