ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो फैप ही ब्रह्मचर्य है?, अगर नहीं तो किस प्रकार अलग है?, बताइये।।
ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो फैप ही ब्रह्मचर्य है?, अगर नहीं तो किस प्रकार अलग है?, बताइये।।
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ब्रह्मचर्य और NoFap (नोफैप) में कुछ समानताएँ हैं, लेकिन दोनों की परिभाषा, उद्देश्य , me antar hai
ब्रह्मचर्य एक गहरी आध्यात्मिक जीवनशैली है, जिसमें सभी प्रकार की यौन इच्छाओं से दूर रहना शामिल है।
NoFap एक आधुनिक मूवमेंट है, जो केवल अस्वस्थ यौन आदतों को छोड़ने पर केंद्रित करता है
ब्रह्मचर्य और नोफैप डोनो ही व्यक्तिगत अनुशासन और आत्मनियंत्रण से संबंध है लेकिन इनमें कुछ भेद है | ब्रम्हचर्य का उपदेश है कि व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों और विचारों पर नियन्त्रण करना होता है ताकि वो आध्यात्मिक प्रतिबंध के लिए और मोक्ष की प्राप्ति के लिए दूसरा और नो फैप एक आधुनिक आंदोलन है जिसमें व्यक्ति सिर्फ आपने योन विचारो पर रोक लगाने की कोशिश करता है |
ब्रह्मचर्य – काम इच्छाओं का त्याग एवं नियमित ध्यान एवं नियमित रूप से रहना एवं अपने इंद्रियों को जागृत करना गलत विचारो का त्याग ही बहचर्य है
No fab मे सिर्फ गलत क्रिया करने से रोकना सिख्या जाता है
ब्रम्हचर्या मे सारे चीज़ो पर सयीम रलहाना होता है
ब्रह्मचर्य और नो फैप में कई अंतर हैं। ब्रह्मचर्य आध्यात्मिक विकास और आत्म-नियंत्रण का मार्ग है, जिसका उद्देश्य जीवनभर नैतिकता का पालन करना है। यह धार्मिक परंपराओं में गहराई से निहित है।
वहीं, नो फैप एक आधुनिक आंदोलन है, जिसका लक्ष्य यौन स्वास्थ्य में सुधार और मानसिक स्पष्टता है। यह आमतौर पर निश्चित अवधि के लिए किया जाता है।
ब्रह्मचर्य एक स्थायी जीवनशैली का हिस्सा है, जबकि नो फैप व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित है।
ब्रह्मचर्य को समाज में सम्मानित माना जाता है, जबकि नो फैप को कुछ लोग संदेह की दृष्टि से देखते हैं।
No fap mein sirf kuchh dino k liye semen ko roka jaa sakta hai lekin jo manav brahmcharya ka palan karta hai usme ek aisa bal aata hai jisse ki woh kaam aadi par vijay paa leta hai aur yah sab bhagwan ka naam jap aur unki sharn mein rahte hua Kia jata hai
नोफैप का अर्थ होता है सिर्फ हस्थमैथुन और सेक्स को रोकना। इसमें स्वप्नदोष को सामान्य माना जाता है एवं उसमे हम पराई इस्त्री को कामुक दृष्टि से देख सकते है। इसमें संयम आदि की ज्यादी महत्वता नही होती। नोफैप एक व्यर्थ की चीज है।
वहीं दूसरी तरफ ब्रह्मचर्य जो काफी पवित्र है इसमें पूर्ण संयम के साथ स्त्री को कामुक दृष्टि से बिलकुल नहीं देखा जाता अगर देख लिया तो ब्रह्मचर्य टूट जाता है। इसमें वीर्य रक्षा की जाती है। वह अगर इसमें स्वप्नदोष हो जाए तो भी ब्रह्मचर्य टूट जाता है (ऐसा इसलिए क्योंकि स्वपन में भी आपको अपने मन पर नियंत्रण रखना होता है)।
नोफैप और ब्रह्मचर्य एक दूसरे से बहुत अलग है। नोफैप विदेश से भारत में आया है और ब्रह्मचर्य का उद्गम सनातन धर्म से हुआ है। ब्रह्मचर्य विद्यार्थियों के लिए तो अनिवार्य ही है और सनातन धर्म में ब्रह्मचर्य का 25 वर्ष तक पालन करना होता है। इसलिए नोफैप और ब्रह्मचर्य एक दूसरे से पूर्णता भिन्न है।
नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है।
लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है ।
ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नो फैप में जरूरी नहीं कि इन सब चीजों का विकास हो ।
मुझे नो फैप के बारे में जानकारी नहीं है अतः मैं यहीं पर अपने उत्तर को विराम देता हूं।
In no fap only semen retaintion is there which is forcefully. Here attention does not given to the mental purification, wrong throught. So, during no fab, one become restless , his mind being aggitated all time and after a certain time, he relaspe
But, in Bramhachya, not only semen retaintiom is there, but attention is given to its absorption in the body, mind in subtel from through physicall excercise, mental excercise and spritua excercise