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ब्रह्मचर्य का परिचय

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33 Answers
6 Questions

Brahmacharya App: Self-Control, Peace, and Success Latest Questions

Vishnu Gupta
  • 1
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 11, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य किनके लिए बहुत कठिन है,और किनके लिए बहुत ही सरल है?

  • 1

  1. Rohit_kumar
    Rohit_kumar Pundit
    Added an answer on January 13, 2025 at 9:57 am

    आज के समय मै ब्रह्मचर्य सबके लिए ही कठिन है , किसी के लिए ज्यादा कठिन तो किसी के लिए कम कठिन।। ऐसे अगर नहीं होता तो आज हमारे चारों तरफ केवल ब्रह्मचारी ही दिखाई देते।। क्या ऐसा है? नहीं , तुम्हारे आस पास 100 लोग में से 10 ने इसका नाम सुना है , केवल नाम हे सुना है। बाकी 5 लोग लोग ये समझते है कि ब्रह्मRead more

    आज के समय मै ब्रह्मचर्य सबके लिए ही कठिन है , किसी के लिए ज्यादा कठिन तो किसी के लिए कम कठिन।। ऐसे अगर नहीं होता तो आज हमारे चारों तरफ केवल ब्रह्मचारी ही दिखाई देते।।

    क्या ऐसा है?

    नहीं , तुम्हारे आस पास 100 लोग में से 10 ने इसका नाम सुना है , केवल नाम हे सुना है। बाकी 5 लोग लोग ये समझते है कि ब्रह्मचर्य का मत केवल शादी न करना है(मै ऐसे लोगों से खूब मिल हूं।) ऐसे लोगों का साथ तुरन्त छोड़ देना , क्योंकि तुम उन्हें कभी भी ब्रह्मचर्य पालन नहीं करवा सकते , उल्टा वो तुम्हे भी पालन नहीं करने देंगे।

    –—•»

    1) मित्र 

    जिनके मित्र का समूह ब्रह्मचर्य पालन नहीं करता , वो खुद भी पालन नहीं कर पाएंगे।

    ऐसे मित्र ढूंढो जो ब्रह्मचर्य पालन करते हो , या फिर अकेले हो जाओ , अपने लक्ष्य को अपना दोस्त बनाओ।

    2) परिवार

    परिवार की बातों मै आओगे तो पालन नहीं कर पाओगे ,

    बेटा और दो रोटी खालों , पेट नहीं भरा होगा अभी (रात को भूख का 25% ही खान। है)

    • सुबह 4 बजे उठने की क्या जरूरत है, सो जाओ ठंड लग जाएगी।

    ये बात मान लोगे तो पालन नहीं कर पाओगे।

    कुछ बातों का विरोध करना पड़ेगा , तभी पालन हो पाएगा।

    3) खाद्य

    “HUNGER IS THE FIRST ELEMENT OF SELF DECIPLINE”

    अगर तुम ये कंट्रोल कर सकते हो कि क्या खाना है, कितना खाना है , तो तुम बाकी चीजें भी कंट्रोल कर लोगे।

    जो लोग अभी भी यही फंसे हुए है कि मांस खाना चाहिए कि नहीं , वो पालन नहीं कर पाएंगे।

    जिसने साग , सब्जियों को अपना मित्र बना लिया वो पालन कर ले जाएगा।

    4) डिसिप्लिन/कंसिस्टेंसी 

    सुबह उठने के बाद और रात सोने से पहले के 2–3 टास्क FIX होने चाहिए , ये नहीं की रोज उठने के बाद आधा घंटा यही सोचने मै लगा दिया कि आज योग पहले करे या व्यायाम।

    जैसे– उठना>शौच>व्यायाम>प्राणायाम , ईश तरह से रोज कुछ चीज है जो वही रहेंगी।

    जो लोग रोज व्यायाम, प्राणायाम करते है वो , लंबे समय तक ब्रह्मचर्य पालन कर सकते है।

    व्यायाम न करना= आलस।

    आलस = व्यायाम न करना।

    आलसी लोग ब्रह्मचर्य पालन नहीं कर पाएंगे ।

     

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Vishnu Gupta
  • 2
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 3, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो फैप ही ब्रह्मचर्य है?, अगर नहीं तो किस प्रकार अलग है?, बताइये।।

  • 2

  1. Manish
    Manish Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 3, 2025 at 3:22 pm

    नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है। लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है । ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नोRead more

    नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है।

    लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है ।

    ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नो फैप में जरूरी नहीं कि इन सब चीजों का विकास हो ।

    मुझे नो फैप के बारे में जानकारी नहीं है अतः मैं यहीं पर अपने उत्तर को विराम देता हूं।

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Vishnu Gupta
  • 1
Vishnu GuptaYogi
Asked: January 2, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है,कैसे ?,एक्सप्लेन करिये?

  • 1

  1. Vinay Gupta
    Vinay Gupta
    Added an answer on January 2, 2025 at 3:43 pm

    ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के अनुसार जीता है। इसके लिए इन्द्रियों का नियंत्रण, आहार-विहार का नियंत्रण, ध्यान और योग, और सेवा और परोपकार का पालन करना आवश्यक है।

    ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों के अनुसार जीता है। इसके लिए इन्द्रियों का नियंत्रण, आहार-विहार का नियंत्रण, ध्यान और योग, और सेवा और परोपकार का पालन करना आवश्यक है।

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Anonymous
  • 1
Anonymous
Asked: December 29, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

Kya Nightfall se Brahmacharya Toot Jata Hai?

  • 1

  1. Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta
    Added an answer on December 29, 2024 at 8:08 am

    स्वप्नदोष जब हमें होता है, जैसे कई बार हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, बहुत सारे भाई जिनके तीस दिन पूरे हुए हों, पंद्रह दिन पूरे हुए हों, चालीस दिन पूरे हुए हों या चार दिन पूरे हुए हों, और उन्हें बीच में स्वप्नदोष हो जाता है। स्वप्नदोष होते ही ऐसा लगता है कि हमारा ब्रह्मचर्य खंडित हो चुका है। अब हमेRead more

    स्वप्नदोष जब हमें होता है, जैसे कई बार हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, बहुत सारे भाई जिनके तीस दिन पूरे हुए हों, पंद्रह दिन पूरे हुए हों, चालीस दिन पूरे हुए हों या चार दिन पूरे हुए हों, और उन्हें बीच में स्वप्नदोष हो जाता है। स्वप्नदोष होते ही ऐसा लगता है कि हमारा ब्रह्मचर्य खंडित हो चुका है। अब हमें मैथुन कर लेना चाहिए और वीर्य का नाश कर देना चाहिए। इस तरीके की फीलिंग आने लगती है और ऐसा लगता है कि फिर से शुरुआत करनी चाहिए। कुछ इस तरीके की फीलिंग आती है।

    देखिए, आपको समझना होगा कि यह सारा खेल मन का होता है। कैसे? ज़रा मैं आपको उदाहरण दूंगा। उसे समझिए। कोई व्यक्ति है, चाहे आप हों या कोई और भी हो, सबके जीवन में सुख-दुख आता-जाता रहता है। किसी व्यक्ति के साथ पहले कभी बहुत बड़ा दुख हुआ हो, बहुत ही ज़्यादा बड़ा। उसका जो मतलब, जो एहसास है, वह बहुत ज़्यादा हुआ हो, और उन्हें तकलीफ हुई हो। उसे भूलने में काफी समय लग गया हो, काफी वक्त लग गया हो। लेकिन आज भी हम उस पुराने वक्त की बुरी यादें कई बार स्मृतियों में याद करते हैं कि ऐसा-ऐसा हुआ था मेरे साथ और मुझे बहुत तकलीफ हुई थी।

    लेकिन उस समय, जब वह हुआ था, तब उसे उस चीज़ का एहसास बहुत ज़्यादा रहता है। बहुत ज़्यादा तकलीफ होती है। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे, धीरे-धीरे वह एहसास कम होता जाता है। वह तकलीफ कम होती जाती है। पर आज हमें उसकी स्मृतियां याद रहती हैं। हम बुरे वक्त को पूरी तरीके से भूल नहीं सकते। उसकी स्मृतियां आज भी हमें याद होती हैं, लेकिन उतनी तकलीफ नहीं होती जितनी पहले, उस समय, जब वह चीज़ हमारे साथ हुई। उस समय जो हमें एहसास हुआ, उतनी तकलीफ आज नहीं होती।

    तो इस मन के खेल को समझने की कोशिश करें। इसी प्रकार से, देखिए, आपने जो भी काम पहले किया, जैसे हस्तमैथुन किया, तो लगातार शरीर और दिमाग का एक अभ्यास था। दिमाग को क्या पता है? दिमाग को यह पता है कि इस व्यक्ति ने लगातार अपनी ऊर्जा निकाली है। मेरी बात को समझिए। दिमाग को क्या लगता है? इसे लगता है कि इसने लगातार अपनी ऊर्जा निकाली है, तो यह आगे भी निकालेगा। और शरीर को भी अभ्यास है। शरीर को पता है कि यह अपनी ऊर्जा नीचे से निकालता आया है। तो यह अभ्यास बन चुका है।

    अब जब हम ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, तो पुरानी स्मृतियां कहीं न कहीं याद आती हैं। वे गंदे विचार बार-बार आपके दिमाग में आएंगे, जो पहले आते थे। आपके शरीर का जो अभ्यास है, वह उसे जारी रखेगा और आपको स्वप्नदोष होगा। लेकिन ब्रह्मचर्य भले ही आपका नहीं टूटेगा, लेकिन एक गलती आप शायद कर रहे हैं।

    तो उसे ज़रा ध्यान से देखिए। मेरे भाई, अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हो और किसी सोशल मीडिया पर कुछ देख रहे हो, आपके दिमाग में लगातार गंदे विचार आ रहे हैं। या आपने किसी को आकर्षण का केंद्र बना रखा है। आप उसके शरीर के बारे में सोच रहे हो। आप सोचना नहीं चाहते, लेकिन आपका मन आपको लगातार प्रेरित कर रहा है। और आप घर में खाली बैठे हुए हो। आपके पास कुछ करने को नहीं है।

    मेरी बात को ध्यान से समझिए। बार-बार रात में सोच रहे हैं। सोशल मीडिया चला रहे हैं। कोई न कोई गंदा अश्लील वीडियो आपके सामने आ गया। आपने देख लिया। अब उसकी छवि आपके दिमाग में बस गई है। अब वह छवि दिमाग में बस गई है और सुबह आपको नाइटफॉल हो जाता है।

    तो इसका मतलब यह है कि आप ब्रह्मचर्य पालन नहीं कर रहे हो। यानी आपने खुद छेड़छाड़ की है। नाइटफॉल होने के खुद संकेत दिए हैं। मेरी बात को ध्यान से समझना। देखो, एक कंडीशन यह है कि अगर आप ब्रह्मचर्य पालन कर रहे हो और अपनी दिनचर्या में कोई भी स्क्रोलिंग करते हो, कोई गंदा सोचते हो, किसी स्त्री के प्रति गंदा सोचते हो, उसके शरीर के प्रति गंदा सोचते हो, तो यह ब्रह्मचर्य नहीं कर रहे हो।

    देखो, आप गंदा सोच रहे हो। आप मोबाइल में गंदा देख रहे हो। रात में आपको दस-ग्यारह बजे तक सो जाना चाहिए, लेकिन आप नहीं सो रहे हो। आप स्क्रोलिंग कर रहे हो। आपने कुछ गलत देख लिया। अब आपके दिमाग में चिंगारी लग गई है। आपने खुद प्रेरित किया। आपने खुद अपनी उंगलियों से कुछ गलत देखा।

    ठीक है, हमारे बहुत से भाई कहते हैं कि हमने पोर्न देख लिया। हमने कोई बी-ग्रेड मूवी देख ली। हमने कोई मूवी देखी। उसमें कोई ऐसा सीन आ गया। तो आपने खुद ही देखा न? किसी ने आपको खोलकर तो नहीं दिखाया था। आपने खुद ही देखा और खुद ही प्रेरित किया। नाइटफॉल होने के लिए खुद ही प्रेरित किया।

    अपने आप को हस्तमैथुन करने के लिए प्रेरित किया। तो यह आपकी गलती है। इसमें आपका ब्रह्मचर्य टूटा ही माना जाएगा। ब्रह्मचर्य इसमें आपका टूट जाता है क्योंकि आप खुद प्रेरित कर रहे हो अपनी इंद्रियों को कि मैं कुछ गलत देखूं। फिर बाद में उसे रोककर सो जाऊं। और सुबह स्वप्नदोष हो जाए।

    तो फिर अपने आप से कहो कि मेरा ब्रह्मचर्य तो टूटा ही नहीं। तो ऐसा नहीं है। वह ब्रह्मचर्य टूट गया।

    कौन सा ब्रह्मचर्य नहीं टूटा है? कौन से स्वप्नदोष से नहीं टूटता? देखो, जिसमें आप कुछ नहीं कर रहे हो। आप सब नियमों का पालन कर रहे हो। आप रात में दस बजे सो जाते हो, सुबह जल्दी उठ जाते हो। ठीक है, आपके दिमाग में कोई भी ऐसा विचार आ भी रहा है, तो आप उसको इग्नोर कर रहे हो। आप उसको प्रबलता नहीं दे रहे हो।

    आप कुछ भी छेड़छाड़ नहीं कर रहे हो। मोबाइल में भी आप अच्छा ही देख रहे हो, अध्यात्म के वीडियो देख रहे हो, ब्रह्मचर्य के वीडियो देख रहे हो। तो भी कोई परेशानी की बात नहीं है। और अगर आपको तब भी स्वप्नदोष हो रहा है, तो इस कंडीशन में आपका ब्रह्मचर्य नहीं टूटा। जी हां, क्योंकि आपने अपनी इंद्रियों को प्रेरित नहीं किया। यह तो बस अपने अभ्यास से हो रहा है, शरीर के अभ्यास से हो रहा है।

    आपके दिमाग को जो भी पुराना अभ्यास है, उसके कारण हो रहा है। अब आपको अपना अभ्यास बदलना है, और आपने अपना अभ्यास बदलने की शुरुआत कर दी है। आपने प्रेरित नहीं किया, आपने जो है अभ्यास बदलने की शुरुआत कर दी है। और इसी बीच अगर स्वप्नदोष हो रहा है, तो उससे ब्रह्मचर्य नहीं टूटा।

    लेकिन यह कंडीशन है जिसमें आप खुद प्रेरित कर रहे हो। खुद मोबाइल में कुछ गलत देख रहे हो, कुछ स्क्रोलिंग कर रहे हो। सोशल मीडिया में कुछ गलत आ गया आपके सामने, और फिर आप कह रहे हो, सुबह नाइटफॉल हो गया। फिर आप अपने आप से कह रहे हो कि मेरा तो ब्रह्मचर्य टूटा ही नहीं। तो आप गलतफहमी में हो।

    क्योंकि बस ऐसी ही गलतफहमी में आप रोज फिर ऐसी स्क्रोलिंग करेंगे। गलत-सलत चीज देख लेंगे। और आपका ब्रह्मचर्य जो है टूट जाएगा। और आपको लगेगा कि नहीं टूटा। तो आपको फायदे फिर नहीं मिलेंगे।

    तो समझना यह है कि प्रेरित नहीं करना है। अपने आप को पूरी तरह अनुशासन से चलाना है, नियम से चलना है। मोबाइल में कुछ भी गलत नहीं देखना है। ब्रह्मचर्य के, अध्यात्म के वीडियो आपको देखने हैं। ठीक है। अगर आप पूरी तरीके से ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हो, तो ब्रह्मचर्य के वीडियो देखो।

    हर एक चीज में नियम जरूरी है। और ब्रह्मचर्य में सावधानी रखना बहुत ज्यादा जरूरी है। यह बात ध्यान रखना। कुछ भी गलत स्क्रोलिंग नहीं करना है। कुछ भी गलत वीडियो नहीं देखना है। नंगे, गंदे, भद्दी कॉमेडी नहीं देखनी है।

    अगर ज्यादा गाली-गलौच वाले वीडियो आदि ऐसी चीजें देखोगे, तो भी नाइटफॉल होने का खतरा रहेगा। और आप खुद प्रेरित कर रहे हो कि मुझे नाइटफॉल हो। तो वह ब्रह्मचर्य टूटा ही माना जाएगा।

    बात समझ में आ रही है? कुछ भी गलत मत देखो। अपने आप को गलत तरीके से प्रेरित मत करो। ऐसा अभ्यास बनाओ कि कुछ नई-नई चीजें, जिससे आपकी दिन-पर-दिन उन्नति हो। ऐसे काम करोगे, तो अगर स्वप्नदोष हो भी जाता है अभ्यास के कारण, तो ब्रह्मचर्य आपका टूटा नहीं माना जाएगा।

    कुछ भी गलत मत देखो। सिर्फ अच्छा देखो। अच्छे वीडियो देखो। तो अगर आपको स्वप्नदोष जैसा कुछ होगा भी, तो भी कोई दिक्कत नहीं है। ठीक है। तो आपका ब्रह्मचर्य नहीं टूटेगा। आप लगातार आगे बढ़ सकते हो।

    बस अपने आप को प्रेरित मत करना गलत चीज देखने के लिए। ठीक है। तो मेरे भाई, ध्यान रखना इस बात का। उम्मीद करता हूं, आपको पूरा अच्छे से समझ में आया होगा। कोई सवाल हो तो पूछिएगा।

    मिलते हैं अगले जवाब में। तब तक के लिए राधे-राधे।

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Vishnu Gupta
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Vishnu GuptaYogi
Asked: December 19, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का क्या सम्बन्ध है?

  • 0

ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का क्या सम्बन्ध है?

  1. Vishnu Gupta
    Best Answer
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 19, 2024 at 10:08 am

    नमस्कार मित्रों, आज हम बात करने वाले हैं कि ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता यानी स्प्रिचुएलिटी इन दोनों पक्ष में क्या सम्बन्ध है और दोनों एक दूसरे के ऊपर निर्भर कैसे हैं, इस विषय पर आज हम चर्चा करने वाले हैं।। कई मित्रों के ऐसे प्रश्न आते रहते हैं, कि हम ब्रह्मचर्य पालन करने का सोच तो लेते हैं, संकल्प तोRead more

    नमस्कार मित्रों, आज हम बात करने वाले हैं कि ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता यानी स्प्रिचुएलिटी इन दोनों पक्ष में क्या सम्बन्ध है और दोनों एक दूसरे के ऊपर निर्भर कैसे हैं, इस विषय पर आज हम चर्चा करने वाले हैं।।

    कई मित्रों के ऐसे प्रश्न आते रहते हैं, कि हम ब्रह्मचर्य पालन करने का सोच तो लेते हैं, संकल्प तो कर लेते हैं, मगर बाद में हो नहीं पाता, और कुछ भी मन में गलत आने से वो संकल्प टूट जाता है, कोई हस्त क्रिया कर देता है, कोई गंदी वीडियो देख लेता है जिससे फिर उसे नाईट फॉल हो जाता है, मतलब किसी ना किसी तरीके से ब्रह्मचर्य का नाश हो जाता है।।

    तो मित्रों, ये मै अपने खुद के अनुभव से कह रहा हूँ कि केवल और केवल आध्यात्मिकता ही एकमात्र ऐसी स्थिति है जिससे ब्रह्मचर्य पालन आसान हो जाता है, कैसे आसान हो जाता है?, अगर मै ये कहूँ कि मन को वश में रखिए, मन को काबू में रखिये, मन में गलत विचार नहीं आने चाहिए, तो कैसे नहीं आएंगे, वो तो आएंगे।।

    अब जैसे आप किसी बच्चे से कहो कि बेटा, ये तलवार है, ये चाकू है, ये छुरी है, इसे हाथ मत लगाना तो क्या वो राजी से मानेगा?, अगर बच्चा सड़क पर जा रहा है, तो आप उसे प्यार से नहीं समझाओगे कि इधर आ जाओ, बल्कि खींच कर ले आओगे, क्योंकि आप भी जानते हो कि बच्चा है, अगर वो तेज गति से रोड की तरफ जा रहा है, तो आपके केवल कहने से वापस नहीं आ जाएगा, उसे आपको खींच कर लाना पड़ेगा।।

    इसी तरह आपका मन है, सालों तक आपने हस्तमैथुन किया, गंदी वीडियोज देखीं, गंदा संग किया, तो उसका परिणाम तो एक ना एक दिन आएगा, अच्छी आदत का भी आता है और बुरी आदत का भी आता है, परिणाम सबका सामने आता है, तो जिन्होंने सालों तक हस्तमैथुन किया है वो ये सोचते हैं कि वीर्यनाश तो बहुत हो ही गया है, सब कुछ खत्म हो ही गया है, अब अगर ब्रह्मचर्य से कुछ फायदा मिलता है तो पालन कर लेंगे, उनको गारंटी देने वाला चाहिए होता है।।

    तो मन में सालों तक अगर गंदा चिंतन चला है, तो गंदे विचार मन में कभी ना कभी आएंगे ही, आप कितना भी प्रयास कर लो, विचारों को आने से थोड़े ही रोक पाओगे क्योंकि सालों साल आपका चिंतन खराब रहा है, अब मन में कुछ विचार आ गया तो उसको रोक तो नहीं सकते ना,कैसे रोकोगे?

    अब इसका क्या समाधान हो, तो जैसा मैने ऊपर बताया कि केवल अध्यात्म ही इससे निकलने का मार्ग है, अगर मन कोई गलत विचार चल रहा है तो उसके बिल्कुल अपोजिट, उसके बिल्कुल विपरीत विचार अपने मन में लाएंगे।

    यदि आप शास्त्र स्वाध्याय करते हो, अच्छी अच्छी पुस्तकें पढ़ते हो, चाहे जिस ईश्वर में आपकी श्रद्धा है अगर उसका नित्य सुमिरन करते हो, तो आपमें आस्तिकता जागने लगेगी, एक अलग ही शक्ति आपके अंदर आने लगेगी।।

    जैसे आप जब महापुरुषों के चरित्र पढ़ेंगे तो सोचेंगे कि कैसे उन्होंने राष्ट्र सेवा में अपना जीवन खपा दिया, कितने कष्ट खुद झेले, और पूरे जीवन परमार्थ किया लेकिन दूसरी तरफ आप हो कि खुद से लड़ नहीं पा रहे हो, गंदी आदत नहीं छोड़ पा रहे हो, हस्तमैथुन आदि क्रियाओं में ही फंसे हुए हो, कहाँ उन महापुरुषों का जीवन, और कहाँ आपका जीवन है।।

    अरे भाई आपको सुधारने के लिए कोई दूसरा थोड़ी आएगा, कोई दूसरा थोड़े ही आपका हस्तमैथुन छुड़वाने आएगा, कोई दूसरा आके आपका स्वप्नदोष ठीक नहीं करेगा, आपको खुद को ही सुधारना है, आपको खुद को अगर बचना है तो थोड़ा संभल जाना पड़ेगा।।

    अब जब आप अध्यात्म की तरफ बढोगे तो धीरे धीरे अच्छी बातें आपके मन में आना शुरु हो जाएंगी, अच्छे विचार आना शुरु हो जाएंगे, क्योंकि आपका मन एक मोबाइल जैसा नहीं है कि गलत विचार भरे हैं तो डिलीट बटन प्रेस करो सब ख़त्म, ऐसा नहीं है, गलत विचार अगर खत्म करने हैं तो उसके ठीक विपरीत यानी अध्यात्म की तरफ आगे बढ़ना होगा, जैसे जैसे आप अध्यात्म की तरफ आगे बढोगे, वैसे वैसे अच्छे विचार आपके मन में आते जाएंगे और गलत विचार स्वतः ही ख़त्म होते चले जाएंगे।।

    और लास्ट में आपको अनुभूति होगी, ये मै नहीं कह रहा हूँ, आपको स्वयं ही ये अनुभूति होगी कि वास्तव में असली जीवन तो ये है, मुझे ऐसे जीना चाहिए था, मै कितनी खराब जिंदगी जी रहा था उस वक्त, और शायद मै ऐसे जी लिया होता, अगर कुछ साल पहले ही मुझे ब्रह्मचर्य की महत्ता समझ आ गई होती तो मेरा जीवन कितना धन्य हो गया होता
    मगर फिर भी अभी समय नहीं निकला है, आपको समझ आ गया है तो इस मार्ग पर चलना शुरु कर दीजिए, आपके लिए गोल्डन चान्स है, अपना जीवन बदलिए।।

    और यदि अभी आपने ये समय गँवा दिया तो आने वाला समय, बहुत ही बदतर, बहुत ही खतरनाक होगा आपके लिए, ये आप सोच लीजिए।।

    तो अच्छी पुस्तकों का आपको स्वाध्याय करना है, शास्त्रों का अध्ययन करना है, महापुरुषों की जीवनी पढ़नी है, क्योंकि हर शास्त्र में चाहें आप किसी भी भगवान में मानते हो, संयमित जीवन और ब्रह्मचर्य का उल्लेख मिलता है, ये तो केवल राक्षसों में नहींं मिलता क्योंकि उनका भोजन भी तामसिक होता है, महापुरुषों और देवताओं में ये दुर्गुण नहीं पाए जाते।।

    अब बहुत से बंधु कहते हैं कि हम खुद को रोक नहीं पाते हैं,कैसे रोकें?, अरे ये कैसे रोकें का क्या मतलब है भाई, तुम खुद को बचाना चाह रहे हो पर बचा नहीं पा रहे हो, जब तुम खुद को ही नहीं बचा पा रहे तो अपने परिवार की रक्षा कैसे करोगे?, अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर सकोगे?, यदि आपने खुद को ही नहीं बचाया फिर दुसरों के लिए कुछ करने की क्या उम्मीद कर सकते हो खुद से?, कुछ नहीं कर सकते।।

    तो अपने आप को बदलिए, अपना जीवन स्तर सुधारिए, जब आपका जीवन बदलने लगेगा तो दूसरों का जीवन तो ऑटोमेटिक ही बदल सकते हो।।

    कोई भी पुस्तक आपको व्याभिचारी, दुष्ट प्रवृत्ति का नहीं बनाएगी, हर पुस्तक में ब्रह्मचर्य का, संयमित जीवन का वर्णन है, हर शास्त्र में मित्र कैसा हो, पत्नी कैसी हो, पति कैसा हो, पुत्र कैसा हो सबकी मर्यादाओं का वर्णन है और शास्त्रों में वर्णित धर्म की मर्यादाओं को जो लांघते हैं वही लास्ट में दर दर की ठोकरें खाते हैं, वही भटकते फिरते हैं, और जो अपने धर्म के अनुसार, अपने शास्त्रों की मर्यादाओं के अनुसार चलते हैं वही उन्नति करते चले जाते हैं, इसलिए आधुनिकता के साथ साथ अध्यात्म पर भी पकड़ बनानी जरूरी है।।

    क्योंकि साइंस भी आप तभी समझ पाएंगे जब आपके माइंड में वो पावर हो, आपकी मेमोरी तीक्ष्ण हो पर अगर आपका दिमाग ही ठीक से नहीं चल रहा है तो आधुनिकता किस काम की रह जाएगी।।

    तो हमारे कहने का मतलब बस इतना ही है कि शास्त्र पढ़िए, महापुरुषों की जीवनी पढ़िए, क्योंकि जब आप शास्त्रों को पढ़ेंगे तो आप जानेंगे कि महापुरुषों ने कैसे आचरण किए, आप किस लिए इस दुनिया में आए हो, आपका लक्ष्य क्या है, आपको क्या करना है और आप किस तरह अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो।।

    तो यदि आप धर्म से थोड़े से भी जुड़ेंगे, अध्यात्मिकता से थोड़े से भी जुड़ेंगे तो सब जान जाएंगे, फिर आनंद अंदर से ही आपके फूटने लगेगा, अंदर से प्रसन्नता आएगी, फिर किसी काम में आप पीछे नहीं रहोगे, कोई भी कार्य सामने आ जाए आपके अंदर भय नहीं रहेगा, डर नहीं रह जाएगा।।

    जब आपने अपनी प्राण ऊर्जा को संभाल लिया है, उसका संचय कर लिया है फिर आपको कोई नीचे नहीं गिरा सकता,कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता।।

    तो आप से एक बार फिर यही कहना है कि शास्त्र स्वाध्याय कीजिए, अध्यात्म से जुड़िये, धर्म से जुड़िये क्योंकि बिना अध्यात्म ब्रह्मचर्य सम्भव नहीं है।।

    ।।राधे राधे।।

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Anonymous
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Anonymous
Asked: December 13, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

ब्रह्मचर्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

  • 1

ब्रह्मचर्य क्या है और इसका महत्व क्या है?

BrahmacharyaBrahmacharya Practice
  1. shailendrapedia
    Best Answer
    shailendrapedia Contributor
    Added an answer on December 13, 2024 at 6:30 pm

    ब्रह्मचर्य एक ऐसा जीवन मार्ग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन पर आधारित है। यह संस्कृत शब्द "ब्रह्म" (ईश्वर या परम सत्य) और "चर्य" (आचरण या पालन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है "ब्रह्म के मार्ग पर चलना"। यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में संयम, अनुशासन और धRead more

    ब्रह्मचर्य एक ऐसा जीवन मार्ग है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन पर आधारित है। यह संस्कृत शब्द “ब्रह्म” (ईश्वर या परम सत्य) और “चर्य” (आचरण या पालन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है “ब्रह्म के मार्ग पर चलना”। यह केवल यौन संयम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में संयम, अनुशासन और ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया है। ब्रह्मचर्य हमारे शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है और हमें उच्चतम सत्य को समझने में मदद करता है।


    ब्रह्मचर्य का अर्थ और परिभाषा

    ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं है, बल्कि यह इंद्रियों, भावनाओं और मन पर भी संयम स्थापित करने की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी ऊर्जा का संरक्षण करता है और उसे उच्च आध्यात्मिक उद्देश्यों की ओर मोड़ता है। ब्रह्मचर्य को चार प्रमुख आयामों में समझा जा सकता है:

    1. शारीरिक संयम: शरीर को अनुशासन में रखना, अनावश्यक भोग से बचना।
    2. मानसिक संयम: विचारों को नियंत्रित रखना और नकारात्मक सोच से बचना।
    3. भावनात्मक संयम: क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या जैसे भावनाओं पर नियंत्रण।
    4. आध्यात्मिक संयम: जीवन के उच्च उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना।

    ब्रह्मचर्य का महत्व

    1. ऊर्जा का संरक्षण:
      ब्रह्मचर्य के माध्यम से व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को अनावश्यक रूप से व्यर्थ होने से बचा सकता है। आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का संतुलन बनाए रखना स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
    2. आत्मा की शुद्धि:
      ब्रह्मचर्य आत्मा को शुद्ध करता है और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह व्यक्ति को सांसारिक इच्छाओं से ऊपर उठाकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
    3. मानसिक शांति:
      ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। विचारों का नियंत्रण व्यक्ति को तनाव और चिंता से बचाता है।
    4. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक:
      ब्रह्मचर्य का पालन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह हृदय, मस्तिष्क और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
    5. ध्यान और योग में सहायक:
      ब्रह्मचर्य योग और ध्यान में गहरी एकाग्रता लाने में मदद करता है। यह ध्यान के माध्यम से आत्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।
    6. आध्यात्मिक उन्नति:
      ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन के उच्च उद्देश्य को समझ पाता है। यह आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का मार्ग है।

    ब्रह्मचर्य के सिद्धांत

    ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है:

    1. विचारों की पवित्रता:
      अपने मन को सकारात्मक और पवित्र विचारों से भरें। अशुद्ध विचार ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    2. आहार और जीवनशैली:
      सादा और सात्विक भोजन करें। अधिक तली-भुनी और मसालेदार चीज़ों से बचें क्योंकि ये मन और शरीर को उत्तेजित करती हैं।
    3. ध्यान और योग का अभ्यास:
      नियमित ध्यान और योग करने से मन स्थिर होता है और इंद्रियों पर नियंत्रण बनता है।
    4. इंद्रियों का संयम:
      अपनी इंद्रियों को भोग-विलास से दूर रखें। अनावश्यक चीज़ों को देखने, सुनने या सोचने से बचें।
    5. सत्संग और अच्छी संगति:
      अच्छे विचारों और सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताने से ब्रह्मचर्य का पालन आसान हो जाता है।

    ब्रह्मचर्य और आधुनिक जीवन

    आज के युग में, जब व्यक्ति हर तरफ से भौतिक और डिजिटल प्रलोभनों से घिरा हुआ है, ब्रह्मचर्य का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सोशल मीडिया, फिल्मों और विज्ञापनों के माध्यम से अनावश्यक उत्तेजना उत्पन्न होती है, जो व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक संतुलन को बिगाड़ सकती है।

    आधुनिक जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करने के उपाय:

    1. डिजिटल डिटॉक्स करें और केवल सकारात्मक सामग्री देखें।
    2. मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग सीमित करें।
    3. समय का प्रबंधन करें और अपनी दिनचर्या में अनुशासन लाएं।
    4. योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाएं।

    धार्मिक ग्रंथों में ब्रह्मचर्य का उल्लेख

    भगवद गीता:
    भगवद गीता में ब्रह्मचर्य को आत्मसंयम और ईश्वर भक्ति का मार्ग बताया गया है। गीता में कहा गया है कि आत्म-संयमित व्यक्ति ही सच्चे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।

    उपनिषद और वेद:
    उपनिषदों और वेदों में ब्रह्मचर्य को विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया गया है। प्राचीन गुरुकुल प्रणाली में ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य था।

    महात्मा गांधी का दृष्टिकोण:
    महात्मा गांधी ने ब्रह्मचर्य को जीवन का मूल आधार माना। उनका मानना था कि ब्रह्मचर्य के बिना कोई भी व्यक्ति आत्मिक उन्नति नहीं कर सकता।


    ब्रह्मचर्य पालन में आने वाली चुनौतियाँ

    1. मन का विचलन:
      मन को नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती है। विचारों को सकारात्मक बनाए रखना कठिन हो सकता है।
    2. आधुनिक प्रलोभन:
      आज की दुनिया में मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति अनावश्यक प्रलोभनों का शिकार हो जाता है।
    3. संगति:
      गलत संगति और वातावरण भी ब्रह्मचर्य के मार्ग में बाधा डालते हैं।
    4. धैर्य की कमी:
      ब्रह्मचर्य के पालन के लिए धैर्य और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है, जो कई लोगों में कमी होती है।

    समाधान:

    • ध्यान और योग का अभ्यास करें।
    • आत्म-नियंत्रण और अनुशासन पर ध्यान दें।
    • प्रलोभनों से दूर रहें और अपनी ऊर्जा को रचनात्मक कार्यों में लगाएं।
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