Maine 7 saal tak masterbation kiya h pr ab chhodna chahta hu , kya brahmacharya se shi ho jaaunga umr 19
ब्रह्मचर्य और योग का संबंध ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा के प्रमुख अंग हैं। ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और आत्म-संयम, अनुशासन और आत्मज्ञान के मार्ग को सरल बनाते हैं। ब्रह्मचर्य योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) में से एक है, जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्रRead more
ब्रह्मचर्य और योग का संबंध
ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा के प्रमुख अंग हैं। ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और आत्म-संयम, अनुशासन और आत्मज्ञान के मार्ग को सरल बनाते हैं। ब्रह्मचर्य योग के आठ अंगों (अष्टांग योग) में से एक है, जिसे महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र में स्पष्ट रूप से वर्णित किया है।
ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल यौन संयम नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुशासन, विचारों की पवित्रता और ऊर्जा का संरक्षण है। योग का उद्देश्य भी आत्मा और परमात्मा का मिलन है, और ब्रह्मचर्य इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होता है।
योग और ब्रह्मचर्य: एक दृष्टिकोण
1. अष्टांग योग में ब्रह्मचर्य का स्थान
महर्षि पतंजलि ने योग को आठ अंगों में विभाजित किया है:
- यम
- नियम
- आसन
- प्राणायाम
- प्रत्याहार
- धारणा
- ध्यान
- समाधि
इनमें यम के अंतर्गत ब्रह्मचर्य को प्रमुख बताया गया है। यम वह नैतिक सिद्धांत हैं जो योग के अभ्यास में अनुशासन और नियंत्रण प्रदान करते हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करने से मन और शरीर की ऊर्जा संरक्षित रहती है, जो योग साधना में सहायक होती है।
2. ऊर्जा का संरक्षण और दिशा
योग में ऊर्जा को कुंडलिनी शक्ति के रूप में समझा जाता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यह ऊर्जा व्यर्थ नष्ट नहीं होती और साधक इसे ध्यान और समाधि के माध्यम से उच्चतर स्तर तक ले जा सकता है।
3. शारीरिक और मानसिक शुद्धता
योग का अभ्यास करने के लिए शारीरिक और मानसिक शुद्धता आवश्यक है। ब्रह्मचर्य इस शुद्धता को बनाए रखने का मार्ग है। यह अनावश्यक भोग और विकारों से व्यक्ति को बचाकर योग के प्रति एकाग्रता को बढ़ाता है।
योग और ब्रह्मचर्य के लाभ
1. योगाभ्यास में सफलता
योग के उच्च स्तर (जैसे ध्यान और समाधि) तक पहुंचने के लिए मन का स्थिर और शांत होना आवश्यक है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से मन स्थिर रहता है और योगाभ्यास में सफलता मिलती है।
2. शरीर और मन का संतुलन
ब्रह्मचर्य और योग दोनों ही शरीर और मन को संतुलित रखते हैं। ब्रह्मचर्य शरीर में ऊर्जा का संरक्षण करता है, जबकि योग इस ऊर्जा को सही दिशा में उपयोग करने में मदद करता है।
3. ध्यान और आत्मचिंतन में सहायता
ब्रह्मचर्य का पालन करने से ध्यान की एकाग्रता में वृद्धि होती है। यह मन को भटकाव से बचाता है और आत्मचिंतन के मार्ग को सरल बनाता है।
4. कुंडलिनी जागरण में सहायक
योग का एक प्रमुख उद्देश्य कुंडलिनी शक्ति को जागृत करना है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से यह ऊर्जा बिना किसी रुकावट के जागृत होती है और साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाती है।
योग और ब्रह्मचर्य का वैज्ञानिक पक्ष
1. शारीरिक ऊर्जा का संरक्षण
आधुनिक विज्ञान मानता है कि संयमित जीवनशैली से शरीर की ऊर्जा और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखा जा सकता है। ब्रह्मचर्य के पालन से शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखा जा सकता है, जिससे योग अभ्यास अधिक प्रभावी हो जाता है।
2. मस्तिष्क पर प्रभाव
योग और ब्रह्मचर्य दोनों मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ब्रह्मचर्य के अभ्यास से मन शांत होता है और एकाग्रता में वृद्धि होती है, जो ध्यान और समाधि में सहायक है।
ब्रह्मचर्य और योग का व्यवहारिक अनुप्रयोग
- दैनिक दिनचर्या में ब्रह्मचर्य का पालन:
सात्विक आहार, संयमित जीवनशैली और सकारात्मक संगति का पालन करें। - नियमित योगाभ्यास:
आसन, प्राणायाम और ध्यान के नियमित अभ्यास से ब्रह्मचर्य का पालन आसान हो जाता है। - विचारों की पवित्रता:
सकारात्मक सोच और आत्मचिंतन से विचारों को शुद्ध रखें। - इंद्रियों पर नियंत्रण:
भौतिक इच्छाओं और भोग-विलास से बचने के लिए योग का सहारा लें।
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
भारतीय ग्रंथों में ब्रह्मचर्य और योग का संबंध गहराई से वर्णित है। भगवद गीता और उपनिषदों में ब्रह्मचर्य को योग का अभिन्न अंग बताया गया है। महात्मा गांधी और अन्य महापुरुषों ने भी ब्रह्मचर्य को जीवन का मूल आधार माना है।
निष्कर्ष
ब्रह्मचर्य और योग एक-दूसरे के पूरक हैं। ब्रह्मचर्य व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, जबकि योग इस ऊर्जा को नियंत्रित और संचालित करने का साधन है। जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य और योग दोनों का पालन करता है, वह जीवन में शांति, संतुलन और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है। इन दोनों का संयोजन हमें अपने जीवन के उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर ले जाता है।
See less
बात कुछ ऐसी है कि , जब तक आप केवल recovery को ध्यान में रखकर ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे तब तक आप पूर्ण रूप से इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे। कुछ दिन बिताने के बाद आप व्याकुल हो जाएंगे कि , अरे आज इतने दिन हो गए फिर भी मुझे कोई फर्क नहीं दिख रहा।। ज्यादा तर लोग यही मात खा जाते है , आप अपने बाहरी शरीर को देRead more
बात कुछ ऐसी है कि , जब तक आप केवल recovery को ध्यान में रखकर ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे तब तक आप पूर्ण रूप से इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे। कुछ दिन बिताने के बाद आप व्याकुल हो जाएंगे कि , अरे आज इतने दिन हो गए फिर भी मुझे कोई फर्क नहीं दिख रहा।।
ज्यादा तर लोग यही मात खा जाते है , आप अपने बाहरी शरीर को देख के अंदाजा लगाएंगे जो कि सबसे बड़ी भूल है। आपने आज से बहुत समय पहले गलत क्रिया करनी शुरू की थी , आपका शरीर पहले भीतर भीतर से खोखला होने लगा था और अब जाकर आपकी बाहरी अवस्था ऐसी हो गए है जिसने आपको ब्रह्मचर्य के द्वार पर सिर झुकाने को मजबूर कर दिया है।।
इसीलिए शरीर की मरमत का का कार्य भी पहले अंदरूनी भाग से शुरू होगा ।।
इसे 3 चरणों में समझ सकते है_
1) मरम्मत – सबसे ज्यादा समय इसी प्रक्रिया मै लगेगा , नब्ज नारियां ,मांसपेशियां पोषण ग्रहण करेंगी, ।(120–240 दिन) सबसे मुश्किल समय।
2) नॉर्मलाइजेशन – आपका स्वास्थ्य एक साधारण व्यक्ति की तरह हो जाएगा।(240_300दिन)
3) ब्रह्मचारी – आप एक साधारण पुरुष से ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे , आप अपने बल को महसूस कर पाएंगे।(365–400 दिन)
*आपकी शारीरिक स्थिति के अनुसार ये समय अलग अलग हो सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात।
• 1–30 दिन सा समय सबसे कठिन होगा , इसलिए नहीं क्योंकि आपको परिश्रम करना होगा , बल्कि इसलिए क्योंकि – आपको ऐसा लगने लगेगा कि अब तो शरीर की शक्ति वापस आ ही गई है , चलो फिर वही काम दोहराते है जिसने ईश अवस्था में पहुंचाया था।।।
brahmacharya एक दिनचर्या है , लेकिन कुछ मूर्ख लोग इसे कोई दवाई मानते है , जब स्वास्थ्य बिगड़ेगा तब दवा लेने से आराम मिलेगा😁 ऐसा समझते है , 90 दिन पूरा करने के बाद ये आपकी पहचान बन जाएगा।। लोग आपको इसी से पहचाने लगेंगे ,, कहेंगे कि वो फलाने का लड़का सर्दी गर्मी बरसात हर मौसम में दौड़ और व्यायाम करते देख जाता है।
लोग आपकी मिसाल अपने बच्चों को देंगे , अगर आपने ठीक से पालन कर लिए तो।
जय श्री राम 🙏
धन्यवाद 🙏
See less