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Vishnu Gupta

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  1. Asked: December 26, 2024

    Kya Brahmacharya 30 Days me Effect Dikhata Hai?

    Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 26, 2024 at 10:39 am

    नमस्कार, हमारे बहुत से भाई ये कहते हैं कि तीस दिन हमने ब्रह्मचर्य पालन किया, हमें तो कोई खास फर्क दिखा नहीं,तो आज हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है।   तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करके कोई फायदा न मिलने पर आपकी स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है जैसे कोई इंसान तीस दिन बिना नमक के खाना खा ले और फिर सोच रहा हRead more

    नमस्कार, हमारे बहुत से भाई ये कहते हैं कि तीस दिन हमने ब्रह्मचर्य पालन किया, हमें तो कोई खास फर्क दिखा नहीं,तो आज हम जानेंगे कि ऐसा क्यों होता है।

     

    तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करके कोई फायदा न मिलने पर आपकी स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है जैसे कोई इंसान तीस दिन बिना नमक के खाना खा ले और फिर सोच रहा हो, अब यह जादू कब होगा। असल में ब्रह्मचर्य पालन का प्रचार ऐसा होता है जैसे इससे जिंदगी में सब कुछ बदल जाएगा—मसल्स आ जाएंगी, बाल झड़ने बंद हो जाएंगे, सिक्स पैक एब्स अपने आप प्रकट हो जाएंगे और आप दुनिया के अगले सुपर हीरो बन जाएंगे। लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो स्वाभाविक रूप से इंसान सोचता है, “भाई, ये कौन सा खेल चल रहा है?”

     

    पहले तो हम यह बात कर लेते हैं कि तीस दिन ब्रह्मचर्य पालन की हरकत कैसी रहती है आपकी। पहले हफ्ते में आपको लगेगा कि, “वाह, मैं दुनिया के सारे पापों से मुक्त हो गया हूं। अब तो मैं सीधे हिमालय पर जाकर सिद्धि प्राप्त करूंगा।” आप घर में इधर-उधर घूमते हैं जैसे आप कोई महान तपस्वी हैं। “नहीं भैया, अब मैं कोई भी काम करते वक्त विचलित नहीं होने वाला।” पहला हफ्ता तो जबरदस्त निकलता है। कोई अतरंगी ख्याल भी आता है तो आप उसे ऐसे टाल देते हैं जैसे उसने आपका बैंक बैलेंस चेक करने की कोशिश की हो। रोज सुबह उठकर आप सोचते हैं, “आज तो मेरा तेज बढ़ गया है, मेरे अंदर एक ऊर्जा का ज्वार उठ रहा है।” लेकिन असल में वो ऊर्जा कम और नींद ज्यादा होती है।

     

    अब बात आती है दूसरे हफ्ते की। अब तक आपके मन में सवाल उठने शुरू हो जाते हैं, “भैया, यह हो क्या रहा है? मैं इतना कुछ छोड़ रहा हूं, लेकिन कुछ हासिल तो हो।” फिर आपको धीरे-धीरे एहसास होने लगता है कि ब्रह्मचर्य पालन सिर्फ मानसिक व्यायाम नहीं, बल्कि धैर्य का इम्तिहान भी है। और धैर्य? वो तो, भाई साहब, आपके पास उतना ही है जितना एक बिल्ली के पास दूध का कटोरा देखते वक्त होता है। फिर आप खुद को समझाते हैं, “अरे नहीं, यह सिर्फ एक शुरुआत है। महान तपस्वी ने भी पहले हफ्ते में आलस महसूस किया होगा।” और यहीं पर आपकी कॉमिक यात्रा शुरू होती है।

     

    अब आता है तीसरा हफ्ता। अब तक आपका दिमाग भी मानो हनीमून पीरियड से बाहर आ चुका होता है। अब आप घर में जहां भी देखते हैं, वहां आपको विकर्ष नजर आता है। टीवी चालू करते ही अचानक से विज्ञापन में चॉकलेट खाने वाली मॉडल दिख जाती है। आप सोचते हैं, “अरे यार, ये चॉकलेट खाने वाली मॉडल का विज्ञापन ही क्यों बना? चॉकलेट तो वैसे भी नुकसान करती है।” रात में जब सोने जाते हैं तो दिमाग आपको याद दिलाता है, “तू कितने दिनों से ब्रह्मचारी बना हुआ है। कुछ मजा आ रहा है क्या? नहीं? तो चलो सोचते हैं।” बस यहीं से शुरू होती है मन के अंदर की महाभारत। अर्जुन आप हैं और आपका मन दुर्योधन जैसा है। वो आपको हर हालत में विचलित करने की कोशिश करता है।

     

    फिर आता है चौथा हफ्ता। अब तो आप ऐसा महसूस करने लगते हैं जैसे आप खुद से लड़ाई लड़ रहे हैं। शरीर कहता है, “छोड़ो यार, अब ये ब्रह्मचर्य व्रत खत्म करो।” दिमाग कहता है, “नहीं, बस कुछ दिन और। तुम्हें फायदा मिलेगा।” और दिल? दिल तो हमेशा बगल में बैठकर हंस रहा होता है। आप सोचते हैं, “इतने दिनों तक मस्तिष्क पर ब्रेक लगाई। अब तो किसी दैवीय शक्ति का वरदान मिलेगा। कोई तीसरी आंख खुलेगी।” लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। आपके हाथ में होता है सिर्फ मोबाइल और उस पर नोटिफिकेशन आ रहा होता है, “पाँच प्रतिशत बैटरी बची है।”

     

    फिर आप इंटरनेट पर ब्रह्मचर्य का सही फायदा सर्च करते हैं। लेकिन जो मिलता है वो सिर्फ कुछ फिलॉसॉफिकल बातें होती हैं। और आप देखते हैं कि असल में तो कुछ हुआ ही नहीं। फिर आप इस मुकाम पर पहुंचते हैं कि, “छोड़ो यार, चलो चलते हैं क्रोम ब्राउजर पर।” और ढूंढते हैं मियां खलीफा को। और फिर किसी खोपचे में जाकर कहानी शुरू हो जाती है।

     

    लेकिन रुकिए। आपको ऐसी हरकत करने की कोई जरूरत नहीं है। आपको ब्रह्मचर्य का फायदा शायद नहीं दिखेगा, लेकिन मजा इस बात में है कि आप खुद को तीस दिन तक किसी चैलेंज में रख पाए। वैसे भी सुपर हीरो बनने का कोई कोर्स तो होता नहीं। और जो भी हो, चाहे फायदा मिले या न मिले, यह अनुभव हमेशा याद रहेगा।

     

    तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने के फायदे मिलते हैं या नहीं, यह समझना ज़रूरी है। ब्रह्मचर्य के तीस दिनों के फायदे वैसे तो होते हैं, लेकिन ये फायदे सीधे तौर पर दिखाई नहीं देते। इसका कारण यह है कि ये फायदे कुछ ऐसे होते हैं जैसे कोई इंसान ग्रीन टी पीने के बाद सोच रहा हो कि अब एक महीने में उसे मार्वल का सुपर हीरो बना दिया जाएगा। असल में फायदे होते हैं, परंतु वे बहुत ही छोटे होते हैं। जैसे आपके दिमाग में थोड़ी शांति आना या फिर थोड़ा कम विचलित महसूस करना।

     

    मगर, हम इंसान तो तुरंत सुपर पावर की उम्मीद करने लगते हैं कि, “भाई, तीस दिन हो गए, अब तो कोई चमत्कार हो जाए।” लेकिन ब्रह्मचर्य का असर कुछ ऐसा नहीं होता कि आप सुबह उठें और अचानक बौद्ध भिक्षु जैसा महसूस करें।

     

    अब सवाल यह है कि फायदे कहां हैं? सोचिए, आप ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं और आपको लगता है कि, “अरे, मैंने तो अब तक दुनिया जीत ली है।” असल में आपका दिमाग आपको हल्का-फुल्का शांत करने के चक्कर में होता है। यह कुछ ऐसा है जैसे कोई इंसान बहुत दिनों तक मिठाई नहीं खाता और फिर उसे हल्की मिठास भी बहुत तीखी लगने लगती है। यही आपके साथ हो रहा है।

     

    लेकिन फायदा है, यकीन मानिए। अब मान लीजिए कि आप तीस दिन तक सफल रहे और आपको कोई बड़ा सुपर पावर नहीं मिला, फिर भी फायदा हुआ। कैसे? आपके अंदर धैर्य आया है। अरे, वह भी तो एक फायदा है। अब सोचिए, अगर आप इस दौरान नेटफ्लिक्स की कोई वेब सीरीज़ देख रहे होते तो धैर्य कहां से आता?

     

    एक और फायदा यह है कि आपको सेल्फ कंट्रोल मिला है। जैसे, आप अकेले घर में बैठे हैं और सोच रहे हैं कि पिज़्ज़ा ऑर्डर किया जाए। तभी आवाज आती है, “नहीं, मैं ब्रह्मचर्य पर हूं।” यही होता है सच्चा फायदा। हां, आपको मसल्स या सुपरपावर तो नहीं मिलीं, लेकिन आप पिज़्ज़ा से बच गए। इससे बड़ा फायदा और क्या होगा?

     

    तो फायदा मिलता है, बस उसे ढूंढना पड़ता है। ये फायदे बाहरी नहीं होते, कोई चमत्कारी परिवर्तन की उम्मीद मत रखिए। असल में ब्रह्मचर्य आपको अपने आप पर काबू करना सिखाता है। यह कुछ ऐसा है जैसे ट्रेनिंग में बॉक्सर पहले महीनों तक पंचिंग बैग को मारते हैं और सोचते हैं, “यार, मैं किसी को क्यों नहीं गिरा पा रहा।” लेकिन वो ट्रेनिंग होती है।

     

    ब्रह्मचर्य भी आपके मानसिक पंचिंग बैग को मारने जैसा है। फायदा दिखेगा नहीं, लेकिन असर होगा। और अगर आपको लगता है कि कोई फायदा नहीं हुआ, तो भाई साहब, हो सकता है आपको थोड़ा और समय देना पड़े। रोम भी एक दिन में नहीं बना था और ब्रह्मचर्य से मांसपेशियां भी एक दिन में नहीं बनेंगी। थोड़ा समय तो लगेगा।

     

    आखिरकार, ब्रह्मचर्य के फायदे होते हैं, परंतु वे बहुत धीरे-धीरे आपकी जिंदगी में उतरते हैं। यह कुछ ऐसा है जैसे किसी ने चुपके से आपके नल में एक ऐसा फिल्टर लगा दिया हो, जो पानी की बूंद-बूंद को साफ कर रहा हो।

     

    तीस दिनों के बाद आप कह सकते हैं, “यार, फायदा तो हुआ, बस वो टेलीविजन एड जैसा नहीं है जहां चमक-दमक हो।” तो हिम्मत रखिए। और अगर आप तीस दिनों में कोई सुपर पावर नहीं पा सके, तो सोचिए, कम से कम आपके पास मजेदार कहानियां और अनुभव तो हैं। जैसे, “यार, मैंने तीस दिन ब्रह्मचर्य का पालन किया और कोई सुपर हीरो तो नहीं बना, पर हां, अब पिज़्ज़ा से जरूर बच जाता हूं।”

     

    तो भाइयों यही कहना चाहता हूँ,कि थोड़ा धैर्य रखना पड़ता है,तपना पड़ता है तब निखार आता है।

    आज के लिए इतना ही शेष चर्चा फिर कभी करेंगे।।

     

    ।।राधे राधे।।

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  2. Asked: December 23, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

    How to Practice Celibacy?

    Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 23, 2024 at 9:27 am
    This answer was edited.

    जब व्यक्ति को लगने लगता है कि मैं सही हूं, मैं कोई गलती नहीं कर रहा हूं, तो उस स्थिति में उस व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार के सुधार की कोई संभावना नहीं रहती है। जब व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि मैं कहां गलत हूं, तो जो गलती वह कर रहा है, उस गलती को वह लंबे समय तक नहीं कर पाएगा। उसके अंदर एक ग्लानिRead more

    जब व्यक्ति को लगने लगता है कि मैं सही हूं, मैं कोई गलती नहीं कर रहा हूं, तो उस स्थिति में उस व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार के सुधार की कोई संभावना नहीं रहती है। जब व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि मैं कहां गलत हूं, तो जो गलती वह कर रहा है, उस गलती को वह लंबे समय तक नहीं कर पाएगा। उसके अंदर एक ग्लानि का भाव आने लगेगा और उसे लगेगा कि इस स्तर पर सुधार करना है।

    वह उस स्तर पर सुधार कर भी लेगा। यानी कि अगर हमें किसी भी स्तर पर सुधार करना है, तो हमें ठीक-ठीक यह पता होना चाहिए कि हम गलती कहां कर रहे हैं।

    इसीलिए, अनेक बंधुओं से बात करने के बाद, उनको समझने के बाद, इस विषय के गहन विश्लेषण और शास्त्रों के स्वाध्याय के बाद हमने जो पाया है, वह दस गलतियां हम आपके साथ साझा कर रहे हैं जो कि ब्रह्मचर्य पालन में व्यक्ति करता है। अगर आप इस स्तर पर सुधार करते हैं, तो आपको बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

    अब हम आगे बढ़ते हैं और अपनी इन दस गलतियों को समझते हैं।

    1. भोगों में ही सुख है

    यहां पर सबसे पहली गलती यह है कि मन को व्यक्ति अपना हितैषी समझने लगता है और भोगों में ही सुख है, ऐसा वह समझने लगता है। इसे मैं एक उदाहरण से कहता हूं।

    आप समझें कि आपका कोई व्यक्ति अहित करना चाहता है, आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है और इसके लिए वह आपके पास आता है, बैठता है, घुलता-मिलता है और आपको समझने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब तक आपको नहीं पता है कि यह व्यक्ति मेरा अहित करने के लिए मेरे पास आता है।

    अब जो व्यक्ति आपके अहित के लिए आपके पास आ रहा है, उसके पास उठने-बैठने वाला एक व्यक्ति है जो कि आपका भी मित्र है। उसे पता चलता है कि अरे, यह व्यक्ति तो मेरे मित्र के पास इसलिए जाता है कि उसका अहित कर सके, उसे नुकसान पहुंचा सके, उसके मन में गलत चीजें भर सके।

    अब वह मित्र आपके पास आता है और बताता है कि अमुक व्यक्ति, जो आपके पास आजकल आ रहा है, वह आपका अहित करने के लिए आ रहा है, आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है। अब जैसे ही आपको यह पता चलेगा कि उस व्यक्ति की वास्तविकता क्या है, कि वह आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है, तो आप सचेत हो जाएंगे। और वह व्यक्ति जब दोबारा आपके पास आएगा, तो आप उसकी किसी भी बात पर विशेष ध्यान नहीं देंगे। भले ही आप उसकी बात सुन लें, लेकिन आपको पता होगा कि ये जितनी भी बातें हैं, यह सारी बातें मुझे नुकसान पहुंचाने के लिए ही की जा रही हैं।

    बिल्कुल इसी प्रकार आप समझें कि अगर आपको अपने मन की वास्तविकता का पता चल जाता है कि यह जितनी भी बातें आपको बताता है, सुझाव देता है और कहता है कि इस भोग में सुख है, वो मिल गया तो अगले भोग में सुख है, काम में सुख है, स्त्री का संपर्क मिल जाए तो उसमें सुख है, हस्तमैथुन आदि क्रियाओं में लगे रहो तो उसमें सुख है—तो ये सारी बातें आपका पतन कराने के लिए हैं।

    अगर ठीक-ठीक यह बात आपके मन में बैठ जाए और मन की वास्तविकता का आपको बोध हो जाए, तो आप मन के बहकावे में नहीं आएंगे। फिर जो भी सुझाव आपको यह मन देगा, उसे तुरंत ही अपने मस्तिष्क से हटा सकेंगे। इस बात को पक्का करके मन में बिठाना होगा कि मन के सुझाव पतन की तरफ ले जाने वाले हैं।

    जब तक यह सधता नहीं है… जब यह सध जाए, तो इसके ही सुझाव सकारात्मक हो जाते हैं। लेकिन वह एक साधक की स्थिति होती है। अभी आपको मन के सुझावों से बचना है।

    2. लापरवाही करना

    दूसरे स्थान पर जो गलती व्यक्ति करता है, वह है लापरवाही। यानी कि उसने ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू किया। अब उसने पहले जैसे, पहले एक हफ्ते में ही ब्रह्मचर्य उसका खंडित हो रहा था। अब उसने पंद्रह दिन तक ब्रह्मचर्य कर लिया। एक महीने तक ब्रह्मचर्य कर लिया।

    अब ऐसी स्थितियों में साधक लापरवाह हो जाता है कि, “अरे, मैं तो ब्रह्मचर्य कर ही लेता हूं। अब तो मुझे कोई समस्या नहीं है। अब तो मुझे काम के विकार सताते नहीं हैं।” लेकिन उसे नहीं पता है कि विकार समाप्त नहीं हो गए हैं। विकार प्रसुप्त अवस्था में हैं, अभी सोए हुए हैं।

    अब उनको कोई थोड़ा सा चित्र मिल जाए, कोई थोड़ा सा विचार मिल जाए, आलंबन मिल जाए, तो वो दोबारा खड़े हो जाएंगे और पूरे सक्रिय हो जाएंगे। आपको भ्रष्ट कर देंगे।

    तो आपको लापरवाह नहीं होना है। भले ही आपने एक महीना, दो महीना, पांच महीने का ब्रह्मचर्य कर लिया हो, लेकिन फिर भी उतना ही सचेत बने रहना है जितना सचेत आप ब्रह्मचर्य के पहले दिन और पहले संकल्प के समय में थे।

    तो अगर आप लापरवाह हो जाते हैं, तो आपका ब्रह्मचर्य नष्ट होगा ही होगा। और अगर सचेत, सजग बनकर के, सावधान रहकर के ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, तो आप आगे बढ़ जाएंगे। यह हमारी दूसरी गलती है।

    3. निराशा

    तीसरे स्थान पर आती है निराशा। हम इस बात को बड़ा देखते हैं कि, अरे मुझे तो बार-बार स्वप्न दोष हो जाता है। मुझे तो बार-बार काम के वेग सताते हैं। मैंने तो गलत आहार ले लिया। मैं तो अब इतना दुर्बल हो गया हूं। मेरा शरीर ठीक होना मुश्किल है। मुझे तो धातु रोग की समस्या है।

    इस तरीके से बहुत सारे विचार व्यक्ति के मन में निरंतर चलते रहते हैं और वह मन के तल पर कमजोर होना शुरू हो जाता है। जितना वह कमजोर होगा, उतना ही मन उसके ऊपर हावी हो जाएगा और गलत तरीके के विचारों में उसे फंसा लेगा।

    आत्मबल ही मन को हराने का साधन है। अगर आप निराश हो जाएंगे तो आपको कोई नहीं बचा सकेगा, क्योंकि यह बल अंदर से मिलता है। यह बाहरी विषय वस्तु नहीं है। तो आपको समझना है कि चाहे जो भी स्थिति हो, अगर मैं आज से ठीक चलता हूं तो मैं पुनः अपने आप को सक्षम बना सकता हूं।

    और यही सच भी है। ऐसा नहीं है कि यह कोई काल्पनिक बात है। यही सच है। जो सच है बस उसको स्वीकार करना है। आपके शरीर के अंदर बहुत अद्भुत क्षमता है।

    ब्रह्मचर्य एक विशेष शक्ति है, एक विशेष बल है। इसको आप जब धारण करेंगे, भले ही आपकी आयु बीस साल हो, पच्चीस हो या तीस हो या उससे अधिक हो, आपको इससे लाभ मिलेंगे ही मिलेंगे। यहां तक कि अगर पचास या साठ साल की आयु है, ब्रह्मचर्य तो तब भी लाभ देता है, तब भी प्रभाव दिखाता है।

    तो आपको निराश नहीं होना है, हताश नहीं होना है और पूरे आत्मबल के साथ इस मार्ग पर आगे बढ़ना है। निराशा और हताशा को जीवन में स्थान ना दें। यह हमारा तीसरा विषय हुआ।

    4. साधनों का सहारा ना लेना

    चौथे स्थान पर है, ब्रह्मचर्य को पुष्ट करने वाले साधनों का सहारा न लेना। हमारे योगियों ने कई ऐसे तरीके बताए हैं, जो इस मार्ग में आपकी सहायता कर सकते हैं।

    सबसे पहला है शौच (शुचिता)। शुचिता की बात आती है, तो सबसे पहले शरीर को साफ रखना शुरू करें। दिन में दो बार अच्छे से स्नान करें। यदि आपने व्यायाम किया, पसीना निकला, तो शरीर की सफाई हुई। अन्य प्रकारों से भी जितना हो सके, शरीर को साफ रखें। धीरे-धीरे नाम जप, ध्यान, स्वाध्याय आदि के माध्यम से मन की सफाई करनी है। इस प्रकार शौच अनिवार्य है।

    दूसरे स्थान पर आता है प्रत्याहार, यानी इंद्रियों को अंतर्मुखी करना। जब आपके भीतर जो आनंद है, वह आपको अनुभव होना शुरू हो जाएगा, तो बाहरी विषयों के आकर्षण में कमी पड़ने लगेगी। उदाहरण के लिए, हमारे योगी, तपस्वी, ऋषि आदि परम आनंदित रहते थे। क्या वे बाहरी विषयों से जुड़कर आनंदित रहते थे? आप कहेंगे नहीं, क्योंकि बाहरी विषय तो उनके पास कुछ भी नहीं होते थे। तो आनंद कहां से था? आनंद था आंतरिक। यानी, ऐसा कुछ विषय भी है, जो आपको अंदर से ही आनंदित करता है।

    जब उस स्रोत से आप जुड़ना शुरू कर देंगे और परमात्मा के नाम, ध्यान, नाम जप, पूजा, कीर्तन, मनन आदि साधनों में रुचि आनी शुरू हो जाएगी, तो आपका आकर्षण बाहरी विषयों से कट जाएगा। अंतर्मन के आनंद का अनुभव हो जाने पर प्रत्याहार एक अच्छा साधन बनता है। तीसरे स्थान पर है स्वाध्याय। जब आप महापुरुषों की वाणी को पढ़ते हैं, शास्त्रों को पढ़ते हैं, भगवान के शब्दों को पढ़ते हैं, तो आपको स्पष्टता होती है और आपका भ्रम नष्ट होता है। यह भ्रम कि भोगों में ही सुख है, या इन्हें प्राप्त कर लेना ही जीवन में पूरी तरह संतुष्टि पाने का मार्ग है, टूट जाएगा। जब भ्रम टूटेगा, तो आप सही मार्ग पर अग्रसर होने लगेंगे।

    अंत में आता है ईश्वर-प्रधानता। अपने आप को परमात्मा के अधीन समझकर उनके चरणों में समर्पित करें और इस जीवन को जीएं।

    यदि इन साधनों का प्रयोग आपने कर लिया, तो ब्रह्मचर्य बड़ा सरल हो जाएगा, बहुत सरल। आपको इन साधनों को अपने जीवन में अपनाना है और इनका सहारा लेना है। जब आपकी जिज्ञासा बनेगी, तब आप इन्हें जानने का प्रयास करेंगे और मार्गदर्शन भी प्राप्त करते जाएंगे।

    लेकिन जिज्ञासा और प्रयास तो होना चाहिए, तभी आपको मार्ग मिलेगा। यह हमारी चौथी गलती है कि ब्रह्मचर्य को पुष्ट करने वाले साधनों का व्यक्ति प्रयोग नहीं करता है।

    5. आतुरता

    पांचवें स्थान पर आती है आतुरता। हमने कितने बंधुओं को देखा जो कहते हैं कि, “मुझे तो एक महीना हो गया, मुझे तो कोई भी लाभ दिखाई नहीं दे रहे हैं। मुझे तो दो महीने हो गए, अब तक कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया।”

    पहली बात तो यह है कि पहले बदलाव होते हैं आंतरिक तल पर, विचारों के तल पर। शांति आनी शुरू हो जाती है, सहजता आनी शुरू हो जाती है। जो ग्लानी का भाव था, वह खत्म होना शुरू हो जाता है। आंतरिक तल पर बदलाव आते हैं, उनको अनुभव करो।

    फिर सूक्ष्म तलों पर, शारीरिक तल पर बदलाव आते हैं, जो आप शुरुआती समय में अनुभव नहीं कर पाएंगे। आप थोड़ा धैर्य रखें। एक वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन निरंतर करें, फिर आपको स्पष्ट अंतर देखने को मिलेंगे।

    लेकिन जो यह आतुरता है, इसके कारण व्यक्ति को लगता है कि, “अरे, मुझे तो कोई लाभ नहीं मिल रहे हैं। मैं तो कुछ गलत कर रहा हूं। दूसरे लोग जैसा कहते हैं, वैसे प्रभाव तो नहीं है।”

    इस अधीरता के कारण, आतुरता के कारण वह फिर से ब्रह्मचर्य नाश करना शुरू कर देता है। उसका पतन हो जाता है। तो इस स्तर पर भी आपको ध्यान देना है कि आतुरता नहीं होनी चाहिए।

    6. परिवेश का परिवर्तन

    छठे स्थान पर है परिवेश का परिवर्तन। जैसे कि आप किसी एकांत कमरे में हैं और आपको काम का वेग सताने लगे। आप किसी ऐसे स्थान पर हैं, जहां आप लंबे समय तक अकेले ही लेटे हुए हैं। तमोगुणी वृत्तियां बढ़ रही हैं, काम के विचार आने लगे। अब उस स्थान पर न रुकें, उस परिवेश में न रुकें।

    या फिर आप कुछ ऐसे लोगों का संग कर रहे हैं, किसी ऐसी मंडली में बैठे हुए हैं, जहां पर गलत प्रकार की बातें होनी शुरू हो जाती हैं। इस प्रकार की स्थिति बनने लगती है, तो उस मंडली में न बैठे रहें। स्थान का परिवर्तन करें, क्योंकि स्थान की एक ऊर्जा होती है। अगर कोई स्थान आपको नकारात्मक स्थिति में ले जा रहा है, तो वहां से उठकर तुरंत चलना शुरू कर दें। किसी दूसरे स्थान पर चले जाएं, किसी दूसरे कक्ष में चले जाएं। जहां पर कोई हो, ऐसे स्थान पर चले जाएं। यदि आपके पास कोई पार्क आदि है, तो वहां चले जाएं।

    इस स्थिति को जब आप बदलेंगे, तो मनोदशा पर भी उसका प्रभाव पड़ेगा। एक पीरियड होता है, जब काम का वेग आता है। उस वेग का एक समय होता है। उस समय को जब आप क्रॉस कर जाएंगे, तो आप उस वेग से बच जाएंगे। अगर ऐसा आप करते हैं, तो इससे भी आपको लाभ देखने को मिलेगा।

    स्थान का परिवर्तन भी कई बार आपको उस वेग से बचा सकता है। अगर आप वहीं रुकते हैं और उस वेग में ही, उस काम में ही रस लेना शुरू कर देते हैं, तो फिर आप निश्चित रूप से भ्रष्ट हो जाएंगे। धीरे-धीरे वह वृत्ति इतनी बढ़ेगी कि आपको वह गलत क्रिया करने पर विवश कर ही देगी। इस बात का भी ध्यान रखना है।

    7. ब्रह्मचर्य की अवधारणा

    सातवें स्थान पर है कि ब्रह्मचर्य का आपको सही अर्थ पता होना चाहिए। यहां पर दो शब्द हैं: “ब्रह्म”, यानी कि सर्वोच्च सत्ता, पारब्रह्म, परमेश्वर; और “चर्या”, जिसका अर्थ है ऐसा आचरण जो आपको भगवान की तरफ ले जाता हो। यही ब्रह्मचर्य है।

    अब, अगर आपकी जिव्हा बहुत अधिक अनियंत्रित हो जाती है और बार-बार आपको गलत प्रकार के पदार्थों को खाने के लिए प्रेरित करती है, तो आप ब्रह्मचर्य का नाश कर रहे हैं। क्योंकि आप उस मार्ग पर जा रहे हैं जो कि आपको परमात्मा से विमुख करता है, उनके सम्मुख नहीं।

    इस तरीके से जब आप देखेंगे और इस पर गहनता से सोचेंगे, तो एक-एक इंद्री का आपको समझ आ जाएगा कि ये सारी इंद्रियां ही हमें भटका रही हैं। ये सारी इंद्रियां ही हमें पतन की ओर ले जा रही हैं और प्रभु से विमुख कर रही हैं।

    तब आपको समझ आएगा कि एक इंद्री पर संयम कर लेना मात्र ही ब्रह्मचर्य नहीं है। ब्रह्मचर्य है “सर्व इंद्रिय संयम”। जो हमने कई बार बताया है, ब्रह्मचर्य का अर्थ वही है।

    जब आपको यह समझ आ जाएगा, तो आप बहुत सावधान हो जाएंगे और आप हर एक इंद्री को रोकेंगे। जब हर एक इंद्री को रोकेंगे, तो मन को लगेगा कि यह तो बड़ा सावधान व्यक्ति हो गया है। यह तो हर स्थान से मुझे काट रहा है। यह तो हर स्थान पर मेरे सम्मुख खड़ा हो जाता है।

    धीरे-धीरे जो मन आपका शत्रु है, वह आपका मित्र होने लगेगा। क्योंकि मन का स्वभाव है चलना। अब, जब आप उसे गलत स्थान पर नहीं चलने दे रहे हैं, तो स्वाभाविक ही वह सही स्थान पर चलना शुरू कर देगा।

    यकीन मानिए, ऐसा ही होता है। हमने अनुभव किया है। इससे भी आपके जीवन में बड़े बदलाव होंगे और आपको एक अलग ही मार्ग प्राप्त हो जाएगा। तो ब्रह्मचर्य की व्यापक अवधारणा को समझना यह भी जरूरी हो जाता है।

    8. वेगों को सहन करना

    आठवें स्थान पर है काम के वेग को सहन करना। भगवान ने कहा है कि काम, क्रोध आदि के वेगों को जो सह जाता है, वही योगी है, वही सुखी है। तो आपको समझना है कि भगवान ने कहा है कि वेगों को सहना है। यानी कि भगवान भी यह कह रहे हैं कि वेग आएंगे जरूर, बस तू उसे सह जाना। तू उसमें फंसना मत।

    अगर वेग आया और आपने संकल्पबद्ध होकर, एकाग्रचित होकर, चिंतन के माध्यम से पूर्व के अपने अनुभवों को देख कर, उस भोग को दुख देने वाला समझ कर, उस भोग का, उस वेग का त्याग कर दिया, तो समझें कि आप उससे आगे बढ़ गए।

    जितनी बार आप ऐसा करेंगे, वेग को सह जाएंगे, उतना आपका आत्मबल बढ़ेगा और मन कमजोर होने लगेगा। आप उस स्थिति से निश्चित रूप से बाहर आ जाएंगे।

    वेगों को सहन करना ब्रह्मचर्य के मार्ग में अनिवार्य बिंदु है। ऐसा कोई नहीं है जिसे यह वेग नहीं सताते, जब वह अपने शुरुआती समय में होता है। लेकिन जो इसे सह जाता है, वह साधक हो जाता है। और जो इसमें फंस जाता है, वह भोगी हो जाता है।

    9. मोबाइल से दूरी

    नौवें स्थान पर हमारा बिंदु है। एक बड़ी बीमारी है आज के समय में आपका फोन। आपके फोन में आज के समय में तो ऐसी स्थिति बन गई है कि आप कोई सही चीज भी देख रहे हैं, इस प्रकार का ऐड आ जाएगा, विज्ञापन आ जाएगा, जो कि पूरी तरह से गलत वेबसाइट्स पर ले जाने वाला और गलत तरीके के दृश्य आपको दिखाने वाला है। इस प्रकार की चीजें आपके सामने आ जाएंगी।

    आप इस फोन का ही सही प्रयोग कर सकते हैं तो आपका मंगल निश्चित रूप से होगा। कहीं ना कहीं बदलाव निश्चित रूप से होंगे। लेकिन इससे ही आप गलत प्रकार की फिल्में, गलत प्रकार के चित्र, इस तरीके की चीजें भी देख सकते हैं। तो आपको कम से कम प्रयोग इसका करना है और जितना प्रयोग करना है, आपको केवल सही चीजें ही देखनी हैं।

    बैठ कर के रील स्क्रॉल कर रहे हैं, इस प्रकार की चीजें निरंतर देख रहे हैं। पता भी नहीं चलता, घंटों का समय आपका खराब हो जाता है। इन चीजों से बिल्कुल बचें। कम से कम इसका प्रयोग करें। जितना प्रयोग करें, सार्थक प्रयोग करें।

    बाकी समय में भले ही एक छोटा फोन रख लें, जिसमें केवल आप फोन पर बात कर सकते हैं। लेकिन आपको एक नियम जरूर बनाना होगा कि इससे मुझे दूरी बनाए रखनी है और इसका उचित और सम्यक प्रयोग करना है। यह भी आज के समय के हिसाब से अनिवार्य है।

    10. स्वयं का मूल्यांकन

    अब दसवां हमारा यहां पर बिंदु है कि जो आपने यह पीछे के नौ बिंदु समझे हैं, क्या इनका पालन आप ठीक से कर रहे हैं? क्या इन गलतियों का आप सुधार कर रहे हैं? इस बात की जांच आपको रोज संध्या में करनी है। इन्हें सबको लिख लें, लिखकर के रख लें, और उसके बाद एक-एक करके इन सभी स्तरों पर सुधार करें। अपने आपको मजबूत करें और फिर अंतिम, जो हमने कहा, कि मूल्यांकन करें कि क्या आप ठीक से इन सब स्तरों पर कार्य कर रहे हैं।

    बस अगर इन दस गलतियों का सुधार आप कर लेते हैं और अगर इतना आपने कर लिया, तो आप यकीन मानिए, आपको कोई भ्रष्ट नहीं कर सकेगा। आप एक विशाल व्यक्तित्व वाले व्यक्ति होंगे और आप चाहे किसी भी स्थिति में आज फंसे हुए हैं, आप उससे बाहर भी आएंगे। आप इतने सक्षम हो जाएंगे कि आप अन्य व्यक्तियों को भी प्रेरित करेंगे इस मार्ग पर बढ़ने के लिए, उनके आचरण को सुधारने के लिए और अपने आप को सबल करने के लिए। तो इन चीजों का आपको ध्यान रखना है। हमने सरलता से ये चीजें आपको समझाने का प्रयास किया।

    अपेक्षा है कि पूरा मार्गदर्शन आपको ठीक से समझ आ भी गया होगा। तो आज के लिए आपके लिए यही मार्गदर्शन था। आपके प्रश्नों के आधार पर भविष्य में मार्गदर्शन अन्य भी होते रहेंगे। आज के लिए इतना ही, शेष चर्चा कल करेंगे।

    ।।राधे राधे।।

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  3. Asked: December 22, 2024In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

    Brahmacharya Ko Follow Kaise Kare?

    Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 22, 2024 at 11:17 am
    This answer was edited.

    ब्रह्मचर्य का संकल्प तो आज के समय में अधिकांश युवा करते हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि कितने उस संकल्प को निभा पाते हैं। हमें अनेक प्रश्न प्राप्त होते हैं कि हम संकल्प करते हैं, लेकिन जैसे ही एक निश्चित समय अवधि पूरी होती है—चाहे वह दस दिन हो, पंद्रह दिन हो, एक महीना हो, दो महीने हो, या पाँच महीने—तो हमRead more

    ब्रह्मचर्य का संकल्प तो आज के समय में अधिकांश युवा करते हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि कितने उस संकल्प को निभा पाते हैं। हमें अनेक प्रश्न प्राप्त होते हैं कि हम संकल्प करते हैं, लेकिन जैसे ही एक निश्चित समय अवधि पूरी होती है—चाहे वह दस दिन हो, पंद्रह दिन हो, एक महीना हो, दो महीने हो, या पाँच महीने—तो हमारी मन:स्थिति में फिर से वही विचार, वही चीजें चलनी शुरू हो जाती हैं।

    हम ऐसा अनुभव करते हैं जैसे हम इन स्थितियों के दास हैं। यह वास्तविकता है कि जब व्यक्ति मानसिक कैद में होता है, तो वह अपनी आदतों और अपनी लत का गुलाम हो जाता है। उसकी स्थिति ऐसी ही होगी, जैसे एक व्यक्ति जेल में बंद होता है। वह जो भी व्यवहार करता है, उसे चारदीवारी के अंदर करता है।

    लेकिन अगर उसके मन में यह इच्छा जागे कि वह इस चारदीवारी से बाहर जाए, तो उसके लिए यह संभव नहीं होता, क्योंकि उसके मार्ग में बहुत सारे अवरोध होते हैं।

    अनुशासन ही आधार है

    यदि उसे कैद से समय से पहले बाहर जाना है, तो उसके पास एक ही अवसर होता है और वह है अनुशासन। अगर वह अनुशासित रहता है, तो उसकी कैद की सीमा कम कर दी जाती है और वह समय से पहले ही वहां से बाहर आ सकता है।

    इसी प्रकार, जो व्यक्ति मानसिक विचारों की स्थितियों का कैदी हो गया है, लतों में फंस गया है, और ब्रह्मचर्य में स्थित नहीं हो पा रहा है, तो उसके जीवन में अनुशासन के बिना यह बात पक्की समझ लें कि इन स्थितियों से उसका बाहर आ पाना असंभव हो जाएगा।

    यदि हमारा प्रत्येक नवयुवक इन मानसिक स्थितियों से उबर पाए और इस जाल से बाहर निकल पाए, तो वह मानसिक स्तर पर स्वतंत्र हो सकता है। मानसिक स्वतंत्रता प्राप्त कर लेने के बाद वह अपने जीवन के प्रत्येक पक्ष को नियंत्रित कर सकता है और उसे अपने अनुसार संचालित कर सकता है।

    क्यों करना है ब्रह्मचर्य?

    दूसरे स्तर पर हमारा उद्देश्य है कि आप अपनी संस्कृति की चीजों को, सिद्धांतों को अपने जीवन में लेकर आएं। अगर ऐसा करते हैं, तो आप निश्चित रूप से इस संकल्पना को पूरा कर सकते हैं। हमने अनुभव किया है कि हमें जो बाधा होती है ब्रह्मचर्य के संकल्प में, वह लगभग बीस दिन और इक्कीस दिन का समय है।

    पंद्रह दिन बीस दिन तक तो हम स्थिर रह पाते हैं, लेकिन ये जो दो-तीन दिन आगे के होते हैं, ये बड़े कठिन होते हैं। इसमें हम स्थिर नहीं रह पाते। इसका कारण क्या है? इसे हम समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है। इसे आप एक उदाहरण से समझें। जैसे एक किसान होता है, वह किसान जब अपने खेत में पानी चलाता है,

    तो उससे पहले वह एक चीज जरूर करता है कि जो मेड होती है, जो घेराव होता है उसके खेत का, उस मेड को वह ठीक प्रकार से जांच लेता है कि वह ठीक तो है, कमजोर तो नहीं है, कहीं से टूटी हुई तो नहीं है। एक बार जांच जरूर कर लेता है। फिर उसके बाद वह खेत में पानी शुरू कर देता है। और जब पानी शुरू हो जाता है, तब भी वह ऐसी लापरवाही नहीं करता कि फिर वह जाकर के देखे ही नहीं। वह बीच में भी जाता है और मेड के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है कि कहीं से कोई रिसाव तो नहीं है, कहीं से कोई कटाव तो नहीं है, कहीं पानी बाहर तो नहीं निकल रहा है।

    और यह जरूरी है। पहले निरीक्षण करता है, बीच में भी निरीक्षण करता है और जब तक वह यह आश्वस्त नहीं हो जाता इस विषय में कि हां, अब सब जगह ठीक से पानी चल रहा है, बाहर नहीं निकल रहा है, तब तक वह उसकी जांच करता है।

    सतत निरीक्षण जरूरी है

    इसी प्रकार से प्रत्येक व्यक्ति को भी जरूरी है। जब कोई भी हमारा नवयुवक एक संकल्प करता है, तो उसे यह देखना होगा कि उसके उस संकल्प का आधार क्या है। अगर कोई मोटिवेशन मात्र आधार है या फिर ग्लानि आधार है, या आपने कुछ ऐसा किया और उसके बाद आपको लगा कि यह तो व्यर्थ है, मैं दोबारा ऐसा नहीं करूंगा और आपने कोई विचार नहीं किया, केवल भावनाएं आपके मन में कुछ चल रही हैं, तो बड़ा कठिन हो जाएगा

    आपके लिए ब्रह्मचर्य। अगर मोटिवेशन है कि कोई वीडियो आपने देख ली या किसी व्यक्ति ने कहा कि तुम मूर्ख हो, तुम्हारा जीवन नष्ट हो जाएगा, पतन हो जाएगा, तुम कहीं के नहीं रहोगे। फिर तुम मोटिवेट हो गए और आपने ब्रह्मचर्य का संकल्प किया, तो ब्रह्मचर्य का संकल्प दृढ़ नहीं हो पाएगा। अब करना क्या पड़ेगा? तो आपको भी निरीक्षण करना पड़ेगा।

    जैसे वह किसान उस क्यारी के चारों ओर घूमके पहले देखता है कि पानी ठीक से चल रहा है कि नहीं, कहीं मेड कमजोर तो नहीं है। इसी प्रकार से आपको भी अपनी स्थितियों को देखना पड़ेगा, अपने जीवन को देखना पड़ेगा। आपको अपना विश्लेषण, मूल्यांकन करना होगा कि मैंने अब तक क्या किया। क्या मेरे जीवन की दिशा ठीक है? मुझे किस प्रकार से इस दिशा को बेहतर बनाना है। और केवल ब्रह्मचर्य का संकल्प ही नहीं लेना, साथ ही साथ अपने जीवन को ऐसी दिशा भी देनी है, जिसमें कि आप अपना लक्ष्य रखते हैं।

    कोई व्यवसाय का संकल्प है, कोई आपका लक्ष्य है। जैसे राष्ट्र सेवा है, आध्यात्मिक प्रगति है, योगी प्रगति है। तो कोई भी एक ऐसा विषय जिसमें कि पूर्ण तन्मयता के साथ आप अपने आप को लगा के रखें, ऐसी स्थिति भी होनी चाहिए। जब आप देखते हैं और अपने जीवन का यह आधार बना लेते हैं कि मैं ब्रह्मचर्य का संकल्प इसलिए कर रहा हूं, उसके बाद इसकी बहुत अधिक संभावना है कि आप अब उसी स्थिति में दृढ़ स्थित हो पाएंगे।

    दूसरे स्थान पर जब आपने संकल्प कर लिया, तो उसके बाद भी अपने जीवन को देखते रहना है। उसके बाद भी सभी स्थितियों का मूल्यांकन करते रहना है। हमने देखा है कि बस संकल्प कर लिया कि मैं एक वर्ष का संकल्प करता हूं, लेकिन फिर कुछ ही दिनों बाद अनेक लोग यह कहने लग जाते हैं कि हम नहीं कर पाए, हम नहीं कर पाए। तो क्यों नहीं कर पाए? उसका कारण सीधा सा यह है कि आपने एक संकल्प करने के बाद सजगता नहीं रखी।

    जीवन की व्यवस्था और उन चीजों का मूल्यांकन नहीं किया कि क्या मेरे जीवन में मेरे रूटीन ठीक हैं? क्या मेरे जीवन का अनुशासन ठीक है? क्या मेरा आहार ठीक है? क्या मेरा दृष्टिकोण, विचार ठीक है? क्या मेरा संगठन ठीक है, जिन लोगों के साथ मैं रहता हूं? अगर इन चीजों पर आपने दृष्टि नहीं डाली, तो बड़ा कठिन हो जाएगा। तो कहने का मतलब है कि आपको संकल्प करने के बाद भी सजग रहना ही होगा। यह हमारा दूसरा बिंदु है।

    अपना लक्ष्य निर्धारित करें

    और तीसरे स्थान पर महत्वपूर्ण है कि जब एक किसान खेत में पानी ले जा रहा है, तो पानी कब बाहर आना शुरू होता है या मेड कब टूटनी शुरू होती है। जब पानी का स्तर कुछ बढ़ना शुरू हो जाता है, जब मेड के ऊपर दबाव आना शुरू हो जाता है, तभी वह टूट सकती है।

    इसी प्रकार से जो आपका यह प्रश्न रहता है कि हम संकल्प करते हैं लेकिन एक सीमा तक जाने के बाद वह संकल्प मजबूत नहीं रहता, हम भ्रमित होने शुरू हो जाते हैं। तो इसका कारण है कि यह एक ऊर्जा है। जब आप ब्रह्मचर्य करते हैं तो यह आपके पास रक्षित होनी, इकट्ठी होनी शुरू हो जाती है और जब इसका आंतरिक दबाव बनता है, तब उसको सहन करना, तब उसको व्यवस्थित रखना, संतुलित रखना यह एक चुनौती का विषय निश्चित रूप से होता है।

    तो आपकी जो यह ऊर्जा संग्रहित हो रही है, यह आपको प्रेरित करेगी ही। हमने पहले ही आपको कहा है कि आपको अपने लिए एक अच्छा, सकारात्मक लक्ष्य भी रखना है और पूर्ण उत्साहित रहना है उस लक्ष्य के प्रति। जब आप ऐसा करेंगे तो आपके पास अब कोई एक ऐसा विषय होगा, जिसमें आप इस ब्रह्मचर्य रूपी ऊर्जा का प्रयोग कर सकते हैं।

    क्योंकि निष्क्रिय व्यक्ति कभी भी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सकता। हमारे योगी, हमारे ऋषि, हमारे ब्रह्मचारी इसीलिए स्थित रह पाते थे क्योंकि उनके पास सार्थक लक्ष्य और अनुशासन बहुत पक्का होता था। जीवन में अगर अनुशासन है और सही दिशा में उस ऊर्जा का प्रयोग करने की क्षमता है, तो यह ऊर्जा आपके लिए बहुत अच्छे तरीके से, बहुत सर्जनात्मक कार्य कर सकती है।

    और अगर दिशा देने का मार्ग नहीं है, तो यह आपके लिए भारी भी बन सकती है, आपके लिए पतन का कारण भी बन सकती है। आप बार-बार भ्रष्ट होते रहेंगे, ग्लानि से भरते रहेंगे। तो आपके पास इसको दिशा देने का माध्यम भी होना चाहिए। इसीलिए हम कई बार आपको योग अभ्यास बताते हैं, कई बार ध्यान के अभ्यास बताते हैं, शांभवी आदि, त्राटक आदि दूसरे अभ्यास बताते हैं।

    क्योंकि जब तक आपके पास आपके जीवन में सार्थक चीज नहीं है, तब तक कठिनाई ही रहेगी।

    निष्कर्ष

    तो, हमने जो ये तीन चीजें आपको बताई हैं:

    पहली है संकल्प करने से पहले उस संकल्प का एक आधार बनाना।

    दूसरी है, संकल्प करने के बाद भी उस संकल्प का निरंतर निरीक्षण करते रहना, जीवन का निरंतर निरीक्षण करते रहना।

    तीसरी बात यह है कि जो हमारे बंधु कहते हैं कि हम बीस दिन, इक्कीस दिन ही चलता है। क्योंकि व्यक्ति को लगने लगता है जैसे पंद्रह दिन होते हैं या सोलह दिन होते हैं, तो उसे लगने लगता है कि अब तो काफी समय हो गया है। अब जैसे ही उसके मन में यह विकल्प बन जाता है कि काफी समय हो गया है, तो यहीं से उसका मन लापरवाही की स्थिति में चला जाता है और संकल्प पक्का नहीं रहता। फिर उसके लिए वे तीन, चार, पाँच दिन आगे बड़े मुश्किल हो जाते हैं और इक्कीस दिन में यह उसके लिए बड़ा भारी हो जाता है इतना निभा पाना।

    और वह भ्रष्ट हो जाता है। तो, इसी प्रकार आप इन स्थितियों को समझें। यह भी समझें कि जिस व्यक्ति को मन की सही समझ नहीं है, तो वह जीवन के किसी भी बिंदु पर सफल नहीं हो सकता। मन की समझ होना जरूरी है। जब आप दृढ़ रहेंगे, आप एकाग्र रहेंगे, तभी ठीक प्रकार से सभी अपने संकल्पों को पूरा कर पाएंगे।

    इसीलिए, हम बार-बार अपने साथियों को यौगिक मार्ग की एक जो प्रेरणा देते हैं, या फिर जो हमारे अध्यात्म और योग के अंतर्गत गूढ़ मनोविज्ञान के विषय में बातें कही गई हैं, उन्हें आप तक अग्रेषित करते हैं। जिससे कि आप उनसे सीख करके, उनका प्रयोग करके, मन, विचार और वृत्तियों के विषय में समझ रखें और उनसे सचेत रहें, सजग रहें।

    ।। राधे राधे ।।

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  4. Asked: December 21, 2024In: चुनौतियाँ और समाधान

    2025 Me Brahmacharya Ke Liye Kuchh Sujhav

    Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 21, 2024 at 11:16 am

    2025 - एक नई शुरुआत क्या आपने सोचा है कि 2025 में ब्रह्मचर्य आपकी जिंदगी कैसे बदल सकता है?, क्या आप भी अपने जीवन में सफलता शांति और आत्म नियंत्रण लाना चाहते हैं?, लेकिन समझ नहीं पा रहे कि ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत कैसे करें?, क्या होगा अगर मैं कहूं कि यही एक आदत आपको दूसरों से अलग बना सकती है और वोRead more

    2025 – एक नई शुरुआत
    क्या आपने सोचा है कि 2025 में ब्रह्मचर्य आपकी जिंदगी कैसे बदल सकता है?, क्या आप भी अपने जीवन में सफलता शांति और आत्म नियंत्रण लाना चाहते हैं?, लेकिन समझ नहीं पा रहे कि ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत कैसे करें?, क्या होगा अगर मैं कहूं कि यही एक आदत आपको दूसरों से अलग बना सकती है और वो शक्ति दे सकती है जो आज के 95% लोग प्रायः खो चुके हैं?, क्या होगा जब आप अपनी स्किल्स को निखार रहे होंगे, अपने सपनों को साकार कर रहे होंगे, सोचिए 2025 का दिसंबर जब आएगा तो आप खुद को एक नई ऊंचाई पर देखेंगे, जबकि बाकी लोग वहीं होंगे जहां वे आज हैं, तो 2025 में ब्रह्मचर्य अपनाना सिर्फ एक आदत नहीं बल्कि आपकी जिंदगी को बदलने वाला कदम हो सकता है, लोग सोचते हैं कि ब्रह्मचर्य का मतलब त्याग है, जैसे दोस्तों से दूरी बनाना, मस्ती से दूर रहना लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है, असल में ब्रह्मचर्य आपको वो ताकत देता है, जिससे आप अपनी जिंदगी की हर ऊंचाई को छू सकते हैं, तो आज मैं आपको बताने वाला हूं कि वो सबसे बड़ी बड़ी गलती जो ज्यादातर लोग ब्रह्मचर्य की शुरुआत में करते हैं, और सबसे खास बात कैसे आप इस घोर कलयुग में ब्रह्मचर्य को अपनाकर सफलता की ओर बढ़ सकते हैं, अगर आप यह सोचते हैं कि ब्रह्मचर्य सिर्फ योगियों और सन्यासियों के लिए हैं तो इस जबाब को पूरा पढ़िए, आपको पता चलेगा कि यह साधारण इंसानों के लिए भी एक सुपर पावर की तरह काम करता है, तो क्या आप तैयार हैं अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी छलांग लगाने के लिए क्योंकि आखिर में जीत उन्हीं की होती है जो खुद को जीतना जानते हैं तो आइए 2025 को अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ बनाते हैं।।
    आज मैं आपको तीन ऐसे गहरे और महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर ले चलूंगा, जो आपके ब्रह्मचर्य के सफर को आसान और प्रेरणादायक बना देंगे, पहले पॉइंट में हम जानेंगे कि ब्रह्मचर्य से मिलने वाली ऊर्जा को सही दिशा में कैसे लगाया जाए क्योंकि जब यह ऊर्जा सही जगह लगती है तो आपकी मेहनत और सफलता का परिणाम कई गुना बढ़ जाता है, और दूसरे पॉइंट में हम बात करेंगे ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत कैसे करें क्योंकि शुरुआत ही सबसे कठिन होती है, लेकिन एक बार सही तरीके से कदम उठाने पर यह सफर ना केवल आसान होता है बल्कि आनंद से भरा भी होता है, फिर तीसरे पॉइंट में सबसे जरूरी ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत में लोग जो गलतियां करते हैं वे कौन सी हैं, क्योंकि अक्सर लोग इन्हीं गलतियों की वजह से हार मान लेते हैं और उनका संकल्प टूट जाता है तो मैं आपको इनसे बचने के ऐसे तरीके बताऊंगा जो आपके ब्रह्मचर्य पालन को मजबूत बना देंगी, तो दोस्तों अगर आप अपनी जिंदगी को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं, अपने भीतर की शक्ति को पहचानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए क्योंकि जो बातें मैं आज आपसे सांझा करूंगा वे ना केवल आपके विचारों को बदलेगी बल्कि आपके जीवन को भी एक नई दिशा देंगी।।
    ब्रह्मचर्य की ऊर्जा का सही प्रयोग
    चलिए शुरुआत करते हैं पहले पॉइंट में हम बात करेंगे कि इस ऊर्जा को सही दिशा में कैसे लगाया जाए क्योंकि सही दिशा में यह ऊर्जा आपके सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत रखती है, लेकिन अगर यह गलत दिशा में चली गई तो यह आपको आलस गुस्सा और मानसिक अशांति की तरफ धकेल सकती है, गलत दिशा का मतलब है इसे अनावश्यक चीजों में खर्च करना जैसे बेवजह का मनोरंजन फिजूल की आदतें या ऐसी गतिविधियां जो आपके लक्ष्य से भटका दें इसलिए इसे सही दिशा में लगाना बेहद जरूरी है, आपको इसे अपने लक्ष्य, अपने जुनून और अपने आत्म विकास के कामों में लगाना है, तो यह ना केवल आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाएगी, बल्कि आपको मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी देगी तो दोस्तों इस पॉइंट को ध्यान से समझिए, क्योंकि यह आपकी सफलता और असफलता के बीच का सबसे बड़ा फर्क पैदा कर सकता है।।
    चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं ब्रह्मचर्य की ऊर्जा को सही दिशा में कैसे लगाएं, सोचिए आप सुबह उठते ही सबसे पहला काम क्या करते हैं, मोबाइल उठाकर शायद कुछ रील्स देखते हैं, लोगों की लाइफ स्टाइल चेक करते हैं और फिर अपने दिमाग में यह सोचकर दिन शुरू करते हैं कि काश मेरी लाइफ भी ऐसी होती, अब इस पर थोड़ा रुक
    कर सोचें, क्या ये आपकी गलती है?, नहीं ये इंसान की आदत बन चुकी है और यह आदत हमें ना केवल मानसिक रूप से कमजोर कर रही है बल्कि हमारे समय और ऊर्जा को भी चुरा रही है, आजकल सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म बन गया है जो आपकी खुशी फोकस और आत्मविश्वास को खत्म कर रहा है जिससे आपकी जीवन ऊर्जा भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है, आपकी आत्मा और शरीर की ऊर्जा सोशल मीडिया के इस जाल में फंसकर खत्म हो रही है, सोचिए अगर आप रोजाना इंस्टाग्राम पर दो घंटे बर्बाद करते हैं तो साल भर में आप लगभग सात सौ तीस घंटे बर्बाद कर रहे हैं, इतने समय में आप एक नई स्किल सीख सकते थे, खुद को बेहतर बना सकते थे या अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दे सकते थे।।
    अब सवाल आता है कि क्या हम इस जाल से बाहर निकल सकते हैं?, तो इसका जवाब है हां लेकिन इसके लिए आपको अपनी पूरी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को सही दिशा में लगाना होगा, और यही है ब्रह्मचर्य की ताकत, ब्रह्मचर्य का मतलब केवल शारीरिक संयम नहीं है, यह मानसिक और भावनात्मक संयम का भी नाम है, इसका मतलब है अपनी ऊर्जा को बचाकर उसे सही दिशा में लगाना, जरा सोचिए अगर आप वो सारी ऊर्जा जो आप सोशल मीडिया और इंस्टाग्राम में लगाकर बर्बाद कर रहे हैं अगर उसे अपने लक्ष्य पर केंद्रित कर दें तो आप कहाँ पहुंच सकते हैं, ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए आपका फोकस तेज होगा, आपके सोचने की क्षमता बढ़ेगी, आप अपने जीवन के हर पहलू पर एक नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे, इंस्टाग्राम पर समय बिताने की बजाय उसे लिमिट करें, अपने फोन में ऐसे एप्स रखें जो आपके आत्मविकास में मदद करें, हर दिन पंद्रह मिनट से ज्यादा इंस्टाग्राम ना चलाएं, सुबह उठते ही मोबाइल से दूरी बनाएं, मैडिटेशन और योगभ्यास करें, अपने दिन की प्लानिंग करें, अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं, पढ़ाई, नई स्किल्स और फिटनेस पर फोकस करें, अपने लक्ष्य को प्राथमिकता दें, अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं रखें, अनावश्यक इच्छाओं और विकर्षणों से बचें, खुद को बेहतर बनाने में अपनी ऊर्जा लगाएं, ब्रह्मचर्य को अपनाने वाले महान व्यक्तियों की सफलता की कहानियां हमेशा प्रेरणा देती हैं।।
    स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और कई अन्य ने इस पथ का अनुसरण किया और दुनिया में अपने नाम की छाप छोड़ी, सोचिए अगर वे कर सकते हैं तो आप क्यों नहीं कर सकते हो, तो 2025 आपके लिए एक नया अध्याय हो सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब आप सोशल मीडिया और फिजूल की चीजों से दूरी बनाकर अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाते हैं, ब्रह्मचर्य को अपनाकर आप ना केवल अपने जीवन को एक नई दिशा देंगे बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनेंगे, एक बात उन लड़कों को भी समझाना चाहता हूं जो लड़कियों के पीछे पागल हो रहे हैं और अपना कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं, आज का युवा वर्ग अपनी सबसे कीमती चीज समय और ऊर्जा लड़कियों के पीछे भागने और क्षणिक आकर्षण में बर्बाद कर रहा है, सोशल मीडिया के इस युग में प्यार और रिश्ते का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है, यह घोर कलयुग का समय है जहां असली प्यार की संभावना लगभग खत्म हो गई है, लड़के जो अपनी ऊर्जा को महान कार्यों में लगा सकते हैं वह इसे बर्बाद कर रहे हैं, प्रोफाइल ग्लैमरस तस्वीरें और परफेक्ट रिलेशनशिप के दिखावे ने लड़कों को ऐसा महसूस कराया है कि प्यार ही सब कुछ है, हर पोस्ट पर लाइक और कमेंट करने का जुनून मैसेज का इंतजार करते हुए, कीमती समय की बर्बादी, अपने आप को साबित करने की बेकार कोशिशें तो यह समझना जरूरी है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाले रिश्ते और प्यार अक्सर नकली होते हैं, असली जिंदगी में यह परफेक्ट रिलेशनशिप बहुत कम होते हैं।।
    लड़कों के लिए लड़कियों का शारीरिक आकर्षण सबसे बड़ा जाल बन गया है, लड़के अपनी ऊर्जा और ध्यान केवल बाहरी सुंदरता पर केंद्रित कर देते हैं, वे भूल जाते हैं कि बाहरी सुंदरता क्षणिक है और असली मूल्य चरित्र, आदतें और लक्ष्य में होता है, दूसरों से तुलना करने की बेवकूफी कि उसके पास गर्लफ्रेंड है तो मेरे पास क्यों नहीं, यह सोच लड़कों को मानसिक तनाव में डालती है इस तुलना के कारण वे खुद को कम आंकने लगते हैं, और ध्यान भटकने लगता है, लड़के लड़कियों के बारे में सोचते हुए उन्हें मैसेज करते हुए और उनके साथ समय बिताने की कोशिश करते हुए अपना दिन बर्बाद कर देते हैं।।
    पढ़ाई के समय का इस्तेमाल मैसेज लिखने में, करियर प्लानिंग के समय का इस्तेमाल डेटिंग प्लान बनाने में होता है और फिर नतीजा यह निकल कर आता है कि उनकी पढ़ाई करियर और व्यक्तिगत विकास ठहर जाता है, मनुष्य की ऊर्जा असीमित होती है लेकिन इसे सही दिशा में उपयोग करना जरूरी है, जब लड़के अपनी ऊर्जा को प्यार और रिश्तों में बर्बाद करते हैं तो उनके पास जीवन के असली उद्देश्यों के लिए कुछ नहीं बचता, लड़कियों के पीछे भागने और बार-बार अस्वीकृति पाने से लड़कों का आत्मसम्मान कम हो जाता है, यह उनके मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालता है, तो इस समय में प्यार ज्यादातर स्वार्थ इच्छाओं और दिखावे पर आधारित है, लोग रिश्तों में केवल अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए आते हैं, घोर कलयुग में सच्चा प्यार मिलना लगभग असंभव है, आज के रिश्ते अक्सर अस्थिर और क्षणिक होते हैं, सच्चे प्यार की तलाश में लोग अपने जीवन के कीमती साल बर्बाद कर देते हैं, प्यार का भ्रम आपके जीवन को गहरी निराशा और असफलता में डाल सकता है तो 2025 में इस भ्रम से बचकर आप अपने जीवन में असली खुशियों और सफलता को पा सकते हैं, अपनी ऊर्जा को बचाकर सही दिशा में लगाना यह केवल शारीरिक संयम नहीं है, बल्कि मन और आत्मा का नियंत्रण है।।
    ब्रह्मचर्य आपकी ऊर्जा को बचाकर उसे पढ़ाई करियर और व्यक्तिगत विकास में लगाने का मार्ग प्रदान करता है, जब आप अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पाते हैं तो आप अपने जीवन के हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, ब्रह्मचर्य आपको आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्रदान करता है, यह आपको हर परिस्थिति में शांत और स्थिर रहने में मदद करता है, तो आप अपना समय और ऊर्जा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में लगाएं, हर दिन कुछ नया सीखें और अपने कौशल को निखारें, ब्रह्मचर्य अपनाएं, भ्रम से बचें, लड़कियों के पीछे भागने और प्यार के झूठे भ्रम में फंसने से बचें, अपनी ऊर्जा और समय को पहचाने और इसे अपने जीवन के असली उद्देश्य को प्राप्त करने में लगाएं।।
    ब्रह्मचर्य की शुरुआत
    अब जानते हैं कि, ब्रह्मचर्य पालन की शुरुआत कैसे करें?, ब्रह्मचर्य एक प्राचीन और शक्तिशाली जीवन शैली है जो आत्मज्ञान, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है, इस पथ पर चलने का निर्णय ना केवल आपके जीवन को समृद्ध बनाएगा बल्कि आपको अपने वास्तविक उद्देश्य को जानने और समझने में भी मदद करेगा, इस मार्गदर्शिका में हम ब्रह्मचर्य के पालन की शुरुआत से लेकर इसके लाभों तक कदम दर कदम प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप इसे अपनी जीवन शैली में प्रभावी ढंग से शामिल कर सकें।।
    ब्रह्मचर्य का शाब्दिक अर्थ होता है ब्रह्म के साथ चलना या ब्रह्म के साथ रहना तो यह एक ऐसी जीवन शैली है, जो संयम, आत्म नियंत्रण और आपकी आंतरिक शक्तियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने पर आधारित है, यह केवल यौन संयम तक ही सीमित नहीं है बल्कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वच्छता और संतुलन का भी प्रतीक है, ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति में ऊर्जा का संचार होता है, मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ता है। यह एक आत्मनिर्भर और जागरूक जीवन जीने की क्षमता प्रदान करता है।।
    अब इसकी शुरुआत कैसे करनी है, जब आप ब्रह्मचर्य का पालन शुरू करने का निर्णय लेते हैं तो सबसे पहले आपको मानसिक रूप से तैयार होना होगा, यह एक साधना है और जैसे किसी भी बड़े कार्य के लिए मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है वैसे ही ब्रह्मचर्य के पालन के लिए भी मानसिक तैयारी अनिवार्य है, तो इसके लिए आप अपना एक उद्देश्य स्पष्ट करें, पहले आपको यह समझना होगा कि आपको ब्रह्मचर्य का पालन क्यों करना है?, क्या आप अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को बेहतर तरीके से उपयोग करना चाहते हैं?, क्या आप आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं?, अपने उद्देश्य को समझना आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा, फिर अपना एक लक्ष्य तय करें कि ब्रह्मचर्य का पालन करने के दौरान आपके लक्ष्य क्या होंगे?, क्या आप खुद को अधिक शारीरिक रूप से स्वस्थ देखना चाहते हैं या आपको मानसिक स्पष्टता प्राप्त करनी है, इस तरह के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आपको अपने प्रयासों को सही दिशा में लगाना होगा। ब्रह्मचर्य का पालन करने में जीवन शैली में बड़े बदलाव की आवश्यकता होती है, ये एक साधना है जो केवल मानसिक नहीं बल्कि शारीरिक और सामाजिक स्तर पर भी प्रभाव डालती है इसीलिए आपको अपनी दिनचर्या में कुछ प्रमुख बदलाव करने होंगे।।
    जिसमें से पहला है व्यायाम और योग, शारीरिक व्यायाम आपके शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता है, जब आप ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तो यह आवश्यक है कि आप अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं तो नियमित व्यायाम और योग से आपकी शारीरिक स्थिति बेहतर होती है और मानसिक संतुलन भी बना रहता है, दूसरा है संतुलित आहार, एक अच्छा आहार आपके शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करता है, ब्रह्मचर्य के दौरान आपको हल्का और पौष्टिक भोजन करना चाहिए जो आपके शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता हो और आपकी ऊर्जा को सही दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता हो, तीसरा है ध्यान और साधना, ध्यान और साधना ब्रह्मचर्य का अभिन्न हिस्सा है यह मानसिक शांति और स्पष्टता लाने के साथ-साथ मानसिक नियंत्रण भी विकसित करता है आपको प्रतिदिन ध्यान करने का अभ्यास करना चाहिए, यह आपकी मानसिक स्थिति को मजबूत बनाए रखेगा, चौथा है नकारात्मक विचारों से बचें, ब्रह्मचर्य का पालन करते समय आपको अपनी मानसिक स्थिति को सकारात्मक बनाए रखना होगा, नकारात्मक विचारों और भावनाओं को नियंत्रण में रखना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है इसके लिए आपको अपनी मानसिकता पर लगातार काम करना होगा और सकारात्मक सोच को अपनाना होगा, पांचवा है सकारात्मक वातावरण, ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए आपको ऐसे वातावरण में रहना चाहिए जो सकारात्मक हो, ऐसे लोगों के साथ समय बिताएं जो आपकी ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं और आपको अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने में मदद करते हैं, छठा है विचारों पर नियंत्रण, सामाजिक जीवन में हमें कई प्रकार के विचारों और व्यवहारों का सामना करना पड़ता है तो इन विचारों और प्रभावों को समझदारी से नियंत्रित करना चाहिए ताकि वे आपके उद्देश्य के खिलाफ ना जाएं।।
    ब्रह्मचर्य का पालन करने में आत्म नियंत्रण और संयम की आवश्यकता होती है, यहाँ ना केवल यौन इच्छाओं पर नियंत्रण का सवाल है बल्कि आपके जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी आत्म नियंत्रण की आवश्यकता होती है, शारीरिक इच्छाओं पर नियंत्रण पाना आसान नहीं होता लेकिन इसके लिए ध्यान और साधना की मदद से संयम बनाए रखना संभव है बस आपको यह समझना होगा कि यह इच्छाएं सिर्फ क्षणिक होती हैं और इनसे निकलने की शक्ति आपके भीतर है।
    केवल शारीरिक इच्छाएं ही नहीं बल्कि मानसिक इच्छाओं पर भी नियंत्रण रखना आवश्यक है, यदि आप किसी चीज के लिए बहुत ज्यादा इच्छाएं रखते हैं तो यह आपके मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है, आपको अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है, ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए अनुशासन और नियमितता की अत्यधिक आवश्यकता है क्योंकि बिना अनुशासन के आप इस पथ पर सही तरीके से नहीं चल सकते, जिसमें से पहला है नित्य की एक दिनचर्या बनाएं, एक निश्चित दिनचर्या अपनाएं जिसमें आपकी शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक आवश्यकताएं पूरी
    होती हो। नियमित समय पर सोना, उठना, व्यायाम करना, ध्यान लगाना और अच्छे आहार का सेवन करना जरूरी है, दूसरा है विराम और विश्राम क्योंकि ब्रह्मचर्य का पालन करते समय आपको अपनी ऊर्जा को सही तरीके से प्रबंधित करना होगा तो यह आवश्यक है कि आप अपनी ऊर्जा का उचित उपयोग करें और सही समय पर विश्राम भी करें। किसी भी नई जीवन शैली को अपनाते समय चुनौतियां आना स्वाभाविक है तो ब्रह्मचर्य के पालन के दौरान भी कई प्रकार की मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें से पहला है सोच का परिवर्तन, शुरुआत में आपको अपनी पुराने आदतों और सोच को
    छोड़ने में कठिनाई हो सकती है, लेकिन इस यात्रा का उद्देश्य ही खुद को बेहतर बनाना है, ना कि पुराने आदतों को बनाए रखना, दूसरा है मनुष्य के स्वाभाविक उतार चढ़ाव कभी-कभी आपके मन में संकोच या निराशा भी आ सकती है लेकिन यह पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है इसलिए महत्त्वपूर्ण यह है कि आप अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ते रहें।।
    ब्रह्मचर्य का पालन करना, एक उच्चतम जीवन शैली है जो आत्म नियंत्रण संयम और आंतरिक शांति की ओर ले जाता है, यह ना केवल आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है बल्कि आपके जीवन के उद्देश्य को भी स्पष्ट करता है, शुरुआत में कठिनाइयां आ सकती हैं लेकिन आपकी प्रतिबद्धता और निरंतरता से आप सफलता की ओर बढ़ सकते हैं, आपके इस मार्गदर्शन में जो भी प्रेरणा और दिशा मिली है वह आपके जीवन को नई दिशा देने के लिए काफी है। याद रखें ब्रह्मचर्य कोई अंत नहीं है, ये एक निरंतर यात्रा है जो आपको अपने भीतर की शक्तियों और ऊर्जा को पहचानने का अवसर देती है।।
    ब्रह्मचर्य में होने वाली गलतियाँ
    अब जानते हैं कि ब्रह्मचर्य पालन में लोग अक्सर कौन सी गलती करते हैं जिससे कि उनका ब्रह्मचर्य ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाता है, ब्रह्मचर्य पालन एक साधना है जो अनुशासन और आत्म संयम की मजबूत नींव पर टिकती है, इसे केवल काम वासना से बचने तक सीमित समझना गलत है, यह विचार भावना और कर्म में पवित्रता को बनाए रखने का एक जीवन दर्शन है, हालांकि इसे शुरू करना जितना कठिन लगता है, उतना ही कठिन इसे लंबे समय तक टिकाए रखना होता है, इसमें ज्यादातर लोग ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो उनके ब्रह्मचर्य पालन को कमजोर कर देती हैं तो इन गलतियों को समझना और उनसे बचने के उपायों को अपनाना ही सफलता की कुंजी है तो आइये विस्तार से समझते हैं कि इंसान किन गलतियों के कारण असफल होते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता सकता है।।
    जब कोई व्यक्ति ब्रह्मचर्य पालन शुरू करता है तो अक्सर उसके पास इसका ठोस उद्देश्य नहीं होता, वे या तो समाज के प्रभाव में आकर इसे अपनाते हैं या किसी अस्थाई प्रेरणा से उत्साहित होकर आ जाते हैं, तो जब तक आपके पास एक स्पष्ट और ठोस उद्देश्य नहीं होगा तब तक आप इस साधना में सफल नहीं हो सकते, ब्रह्मचर्य पालन का अर्थ केवल इच्छाओं को दबाना नहीं है बल्कि उन्हें नियंत्रित करके अपने ऊर्जा स्तर को ऊंचा उठाना है, ब्रह्मचर्य का उद्देश्य तय करना इसलिए जरूरी है क्योंकि जब आप कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं तो वही उद्देश्य आपको टिकाए रखता है अब यदि आप का उद्देश्य अस्पष्ट है तो आप हर बार खुद को कमजोर पाते हैं तो इसका उपाय यह है कि शुरुआत में ही लिख लें कि आप ब्रह्मचर्य का पालन क्यों करना चाहते हैं?,अब हर दिन सुबह या रात इसे पढ़ें और अपने मन में गहराई से बैठा लें, जब भी संदेह उत्पन्न हो तो इसे अपने मन में दोहराएं। ब्रह्मचर्य पालन के दौरान आत्मनिरीक्षण का बहुत महत्व है यदि आप अपनी कमजोरियों और आदतों को नहीं समझते हैं तो आप बार-बार उन्हीं समस्याओं का सामना करेंगे, अक्सर लोग अपनी इच्छाओं और भावनाओं को दबाने का प्रयास करते हैं बजाय इसके कि वे उन्हें समझने और नियंत्रित करने का प्रयास करें तो समझना जरूरी है कि इच्छाएं मानव स्वभाव का हिस्सा है और इन्हें दबाने की बजाय इनकी जड़ों को समझना चाहिए।।
    हर दिन आत्म निरीक्षण करें, डायरी लिखें और अपने विचारों भावनाओं और क्रियाओं का विश्लेषण करें, जब आप यह जान जाते हैं कि कौन सी परिस्थिति आपको कमजोर बनाती है तो आप उनसे बचने का प्रयास कर सकते हैं, संगति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर सीधा पड़ता है यदि आपके आसपास के लोग आपको प्रेरित करने की बजाय प्रलोभन में डालते हैं तो आपका ब्रह्मचर्य पालन कमजोर पड़ जाएगा तो गलत संगति में रहने वाले लोग अक्सर आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि ब्रह्मचर्य पालन तो व्यर्थ है, वे आपको नकारात्मकता से भर देते हैं और आपके मन में शंका उत्पन्न करते हैं, इससे बचने के लिए अपने आसपास ऐसे लोगों को रखें जो आपके विचारों और सिद्धांतों का सम्मान करते हो, यदि ऐसा संभव ना हो तो सत्संग का सहारा लें, प्रेरणादायक किताबें पढ़ें, सकारात्मक वीडियो देखें और उन लोगों से जुड़ें जो इस मार्ग पर चल रहे हैं। ब्रह्मचर्य पालन में अनुशासन सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है यदि आपकी दिनचर्या अव्यवस्थित है तो आपका मन आसानी से भटक जाएगा क्योंकि अनुशासन हीनता आलस्य को जन्म देती है और आलस्य ही आपके मन को नकारात्मक विचारों और प्रलोभन की ओर ले जाता है तो सुबह जल्दी उठने और रात को समय पर सोने की आदत डालें, अपने दिन का एक निश्चित कार्यक्रम बनाएं और उस पर अडिग रहे, सुबह का समय ध्यान योग और प्रार्थना के लिए सबसे उपयुक्त होता है तो यह गतिविधियां आपके मन को स्थिर और सकारात्मक बनाए रखती हैं। अधिकतर लोग ब्रह्मचर्य पालन के दौरान अपनी इच्छाओं को दबाने की कोशिश करते हैं लेकिन यह केवल अस्थाई समाधान है, दबाई गई इच्छाएं समय के साथ और अधिक ताकतवर होकर लौटती हैं, इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि जब आप किसी इच्छा को लंबे समय तक दबाते हैं तो एक समय ऐसा आता है जब आप उस पर से पूरी तरह नियंत्रण खो देते हैं, इच्छाओं को नियंत्रित करने का तरीका यह है कि सबसे पहले उन्हें स्वीकार करें और यह समझे कि ये क्षणिक हैं और इनके पीछे भागना आपको दीर्घकालिक दुख ही देगा, इसके बाद अपने विचारों को सकारात्मक दिशा में मोड़ें जैसे ही कोई नकारात्मक विचार आए तुरंत किसी रचनात्मक कार्य में लग जाएं जैसे ध्यान और प्राणायाम जैसी तकनीकों का उपयोग करें जो आपके मन को स्थिर और शांत रखते हैं, भोजन और जीवन शैली का सीधा असर मन और शरीर पर पड़ता है तो यदि आप तामसिक या गरिष्ठ भोजन करते हैं तो आपका शरीर भारी और आलसी महसूस करेगा, यह स्थिति आपको नकारात्मक विचारों की ओर ले जाती है, अपने भोजन को सात्विक और सरल बनाएं, शाकाहारी और पौष्टिक भोजन आपके शरीर और मन को शुद्ध करता है। इसके साथ ही नियमित व्यायाम और योग करें, शारीरिक सक्रियता से मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, आज के युग में सोशल मीडिया और इंटरनेट सबसे बड़े प्रलोभन बन चुके हैं, अश्लील वीडियो और नकारात्मक विचार आसानी से उपलब्ध हैं जो आपके ब्रह्मचर्य पालन को कमजोर कर सकते हैं तो तकनीक का उपयोग केवल आवश्यक कार्यों के लिए ही करें और अपने मोबाइल और कंप्यूटर में ऐसे फिल्टर लगाएं जो नकारात्मक चीजों को ब्लॉक कर सके, इसके अलावा हर सप्ताह एक दिन डिजिटल डिटॉक्स करें यानी पूरे दिन इंटरनेट और मोबाइल से दूर रहें, जब तक आप प्रेरित नहीं रहेंगे तब तक आपका ब्रह्मचर्य पालन टिक नहीं पाएगा, प्रेरणा की कमी से साधक बीच में ही हार मान लेते हैं तो इससे बचने के लिए नियमित रूप से प्रेरणादायक किताबें पढ़ें और वीडियो देखें, उन लोगों की कहानियां सुने जिन्होंने ब्रह्मचर्य पालन के माध्यम से अपने जीवन को बेहतर बनाया है। इसके अलावा अपने उन उद्देश्यों को बार-बार याद करें और हर दिन खुद को प्रेरित करें, ब्रह्मचर्य पालन कोई आसान कार्य नहीं है लेकिन यदि आप दृढ़ संकल्प, अनुशासन और आत्म नियंत्रण के साथ इस मार्ग पर चलते हैं तो यह आपके जीवन को शुद्धता शांति और सफलता से भर देगा।।
    याद रखें, यह यात्रा लंबी है और इसमें धैर्य सबसे बड़ा हथियार है तो अपनी गलतियों को पहचाने, उनसे सीखें और हर दिन बेहतर बनने का प्रयास करें, ब्रह्मचर्य केवल एक साधना नहीं बल्कि आपके जीवन को उच्चतम शिखर तक पहुंचाने का मार्ग है, ब्रह्मचर्य का पालन करने का मतलब खुद को खोना नहीं बल्कि खुद को पाना है, आपके विचार आपकी सबसे बड़ी ताकत है इन्हें अपनी दिशा में मोड़ें और फिर देखिए कि कैसे चमत्कार होते हैं।।
    हर दिन एक नई शुरुआत हैं, यदि कल फिसल गए तो आज फिर से खड़े हो जाइए, आपके छोटे-छोटे प्रयास ही आपके बड़े सपनों को हकीकत में बदलते हैं, हर संघर्ष आपको मजबूत बनाता है और हर त्याग आपको महानता की ओर ले जाता है, संसार में सच्चा आनंद पाने के लिए पहले अपनी आत्मा को शुद्ध करना सीखें, सफलता केवल मेहनत से नहीं मिलती बल्कि इच्छाओं पर नियंत्रण और फोकस से मिलती है, जब आपका मन स्थिर और शांत होता है तो आप किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं, सच्ची सफलता वह है जो आपकी आत्मा को संतोष दे तो ब्रह्मचर्य से आप अपनी ऊर्जा को अपने सपनों को पूरा करने में लगा सकते हैं, सफलता कोई चमत्कार नहीं है बस यह अनुशासन और त्याग का ही परिणाम है, जो अपनी इच्छाओं पर विजय पाता है वही अपने जीवन को सच्चे अर्थों में जीता है।।
    ब्रह्मचर्य वह शक्ति है जो आपके हर सपने को साकार कर सकती है, ब्रह्मचर्य वह सीढ़ी है जो आपको संसार की अशांति से निकालकर आत्मिक शांति तक ले जाती है, आपका असली उद्देश्य अपनी आत्मा को पहचानना है और ब्रह्मचर्य इसका सबसे सशक्त माध्यम है, आध्यात्मिकता का मार्ग कठिन हो सकता है लेकिन यह अनमोल है तो 2025 आपका एक ऐसा साल बन सकता है जो आपकी जिंदगी बदल सकता है, ब्रह्मचर्य का पालन आपके अंदर ऐसी ऊर्जा और आत्मविश्वास लाएगा जो आपको हर लक्ष्य तक पहुंचाएगा, अगर आपने ठान लिया तो यह साल आपके लिए एक नई शुरुआत होगी, जहां आपका मन और शरीर एक नए आयाम में प्रवेश करेगा।।
    तो आइये एक नई शुरुआत करते हैं, हम साथ मिलकर 2025 को अपने जीवन का सबसे सफल और पवित्र साल बनाएंगे।।
    ।।राधे राधे।।

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  5. Asked: December 20, 2024In: ब्रह्मचर्य के लाभ

    ब्रह्मचर्य के प्रभाव कितने दिन में दिखेंगे?

    Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 20, 2024 at 10:26 am

    नमस्कार मित्रों, आज एक महत्वपूर्ण विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं और आज का हमारा विषय है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए कितने समय के बाद हमें उससे समुचित फायदे दिखने शुरू हो जाते हैं, तो पहले हमें समझना होगा कि ब्रह्मचर्य है क्या, क्योंकि पहले हमें यही पता होना चाहिए।। क्या है ब्रह्मचर्य? किसी एक इंद्रीRead more

    नमस्कार मित्रों, आज एक महत्वपूर्ण विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं और आज का हमारा विषय है कि ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए कितने समय के बाद हमें उससे समुचित फायदे दिखने शुरू हो जाते हैं, तो पहले हमें समझना होगा कि ब्रह्मचर्य है क्या, क्योंकि पहले हमें यही पता होना चाहिए।।

    क्या है ब्रह्मचर्य?

    किसी एक इंद्री पर ही निग्रह करके या फिर उसको रोक लेना मात्र ही ब्रह्मचर्य नहीं है, इसकी जो अवधारणा है वह बहुत व्यापक है, जब हम अपनी सभी इंद्रियों को नियंत्रित करते हैं, तभी जा करके हम अपनी जननेंद्रियों को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन इससे पूर्व ही अगर बात हो हमारी दृष्टि की, अगर उसमें पवित्रता नहीं है, हमारे कानों से जो हम सुनते हैं, उसमें शुद्धि नहीं है, उन पर नियंत्रण नहीं है तो फिर किस तरह से हम इस मुश्किल काम को एकदम से कर सकते हैं।।

    उदाहरण से समझिये-

    इसे ऐसे समझिये कि एक व्यक्ति जो कि पचास किलो वजन भी नहीं उठा सकता है, अब अगर उसके कंधों पर एकदम से सौ किलो वजन डाल दिया जाए तो उसे या तो कुछ ना कुछ शारीरिक नुकसान हो जाएगा या फिर हतोत्साहित हो जाएगा, लेकिन अगर उस वजन को धीरे-धीरे से बढ़ाने की कोशिश करें, जैसे कल पचास तो आज पचपन करें, इक्यावन करें तो वह सहज ही उस स्थिति में जा सकता है, तो इसी तरह से अगर हम अपनी जननेंद्रियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं, और ब्रह्मचर्य में प्रतिष्ठित होना चाहते हैं तो उसके लिए सीधी सी बात समझनी है कि हमें अपनी सभी

    इंद्रियों के ऊपर नियंत्रण करना होगा।।

    इन्द्रियों पर नियंत्रण कैसे हो-

    सभी इंद्रियों पर नियंत्रण करने के लिए अष्टांग योग का मार्ग हमारे लिए हो सकता है या दूसरे बहुत सारे तरीके या हमारी संकल्प शक्ति हो सकती है, जो सबसे उचित और सही कार्य करने वाली होती है, अब जैसे एक संकल्प हमने किया और उस संकल्प को हमने लापरवाही से किया, बस लापरवाही से हमने इसे शुरू कर दिया तो समझ लीजिए कि आपकी संकल्प शक्ति उतनी ही कमज़ोर हो जाती है, लेकिन अगर आपने एक छोटा सा ही संकल्प किया, बहुत बड़ा संकल्प करने की शुरू में जरूरत नहीं होती है तो छोटा सा कोई संकल्प किया और उसको पूरे मन से पूरा करने की कोशिश की, फिर वह पूरा हुआ तो दूसरा संकल्प किया तो ऐसे ही हम अपने आप को परिपक्व कर सकते हैं।।

    ब्रह्मचर्य में गलती- 

    अगर एक व्यक्ति कुछ समय तक ब्रह्मचारी रहता है लेकिन उसका ब्रह्मचर्य कैसा है, कि उसने अपने शरीर से किसी भी तरह के को कोई क्रिया नहीं की, अपने स्वभाव से अपने वीर्य को संरक्षित रखा, लेकिन मन में उसके विचार चलते रहे, मन में उस की तीव्र इच्छा चलती रही, तो अगर मानसिक रूप से वह उन कार्यों में संलग्न है तो उसको वहां पर ब्रह्मचारी नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि उसके मन में चिंतन तो वही चल रहा है, इसी कारण से उसका जो वीर्य है, वह उसके रक्त का हिस्सा नहीं बन पाएगा, वह उसके ब्लड में नहीं जा पाएगा, उसका वीर्य जो है, विरुद्ध हो जाएगा और फिर उसके बहुत सारे तरीके से बनेंगे जिससे कि वह बाहर निकलेगा, स्खलित हो जाएगा।।

    स्वप्नदोष क्यों हो जाता है-

    बहुत सारे भाई प्रश्न करते हैं कि हम चालीस दिन से ब्रह्मचर्य कर रहे हैं, या फिर हम पचास दिन से ब्रह्मचारी हैं लेकिन फिर भी स्वप्न दोष हो जाता है, शीघ्रपतन हो जाता है, और भी बहुत सारी समस्याएं हैं तो इसका कारण पीछे क्या है?

    इसका कारण जो है वो भगवान ने गीता में बताया है, भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि आपके इंद्रियों के जो विषय हैं, आपने इंद्रियों को तो रोक लिया लेकिन विषयों को नहीं रोक पाए जैसे कि आप कहीं बाहर गए हुए हैं और आपका किसी स्टॉल को देख करके बर्गर खाने का मन करता है, पिज़्ज़ा खाने का मन करता है, लेकिन आप अपने मन को रोक लेते हैं, आप उस स्टॉल पर नहीं जाते हैं, वहां से पिज्जा नहीं खरीदते हैं और ना ही खाते हैं लेकिन मन में आपके वह जो भाव बना हुआ है वह इतना तीव्र हो जाता है कि आप घर भी आ जाते हैं फिर भी उस पिज्जे के बारे में, बर्गर के बारे में सोच रहे हैं आपको से जा रहे हैं तो जो निग्रह है यह उस स्तर का काम नहीं कर सकता है।।

    जबरदस्ती नहीं करनी है-

    इसी तरीके से जब आप ब्रह्मचारी होने का दावा तो करते हैं लेकिन मन से ब्रह्मचारी आप नहीं हो पाते, निरंतर मन में विचार चलते रहते हैं तो फिर आपको और ज्यादा समस्या बढ़ जाएगी, कारण क्या है कि आपने जबरदस्ती रोक तो दिया लेकिन वह कब तक रुका रहेगा, जैसे हम अपनी मुट्ठी को बंद करते हैं, और इस मुट्ठी को बंद करके ही रखता हूं, अब अगर बहुत कस के बंद करूंगा तो कितनी देर बंद रखूंगा एक मिनट, दो मिनट, दस मिनट, पंद्रह-बीस मिनट लेकिन थोड़ी ही देर बाद हमें इसको ढीला छोड़ना पड़ेगा, इसी तरह से आप अपने मन को बहुत ज्यादा प्रयास पूर्वक बाँध कर नहीं रख सकते, तो करना क्या होगा, साधना, इसी को साधना कहते हैं।।

    साधना क्या है?

    जब हम साध रहे हैं अपनी किसी वृत्ति को, बार बार, हमारा मन तो उधर जाता है लेकिन हम खींचकर लाते हैं, अपने मन को और प्रतिष्ठित करते हैं, वही साधना है, और यही साधना हमें निरंतर करनी होती है, उसके बाद ही आपका मन अब स्वभाव से ही उधर नहीं जाएगा, कारण क्या है कि आपने अपनी सात्विक वृत्ति को बढ़ा दिया है।।

    अब आपको आपके शरीर को वह समय मिलेगा फिर वह कैसे काम करेगा, पहले रस बनाएगा फिर रक्त बनाएगा, फिर मांस, फिर मेद, फिर अस्थि, फिर मज्जा और फिर क्या बनता है शुक्र बनता है, तो जो यह विधान शास्त्रों में बताया गया है यह

    पूर्ण सत्य है, इसको अगर मेडिकल साइंस कुछ भी कहती है या फिर लोग ही भ्रमित करने की कोशिश करते हैं तो वह आप उसे पूर्णता अस्वीकार करें, क्योंकि हमारे ऋषि मुनी, एक वैज्ञानिक से भी बड़ी भूमिका निभाकर के गए हैं क्योंकि उन्होंने केवल शारीरिक स्तर पर ही काम नहीं किया बल्कि मानसिक स्तर पर भी किया, मनुष्य को पूर्ण स्वस्थ बनाने के लिए, क्योंकि मन के भाव उनके यही थे कि सबका कल्याण हो तो वह सब चीजों से ऊपर उठकर के केवल कल्याण के लिए ही कार्य करते थे

    तो जब अब आपने इन सब चीजों को धारण करते

    हुए अपने मन को साध लिया, फिर जो रस बना और उस रस से जो रक्त बना, तो उस रक्त की गुणवत्ता अब ऊंची हो गई क्योंकि उसमें वह जो स्पर्म है वह पहले से ही मिला हुआ है, अब क्योंकि आपने लंबे समय से ब्रह्मचर्य को प्रतिष्ठित किया है तो फिर रक्त की गुणवत्ता बनी, और वही रक्त एक एक सैल तक गया और एक एक सैल तक जाकर उसने सही न्यूट्रीशन पहुँचाया और वही फिर जब दिमाग में गया तो दिमाग के लिए वह एक ऐसी मेधा शक्ति और एक ओजस देने वाला बनता है जिससे कि आप अपने जीवन में कुछ अभूतपूर्व कार्य कर सकते हैं।।

    ब्रह्मचर्य के प्रभाव-

    आप उदाहरण देखें, महर्षि विवेकानंद का अगर आप उदाहरण देखते हैं तो उनकी किस तरह की स्मृति उनके विकसित हो गई थी, अगर दयानंद सरस्वती का उदाहरण लेते हैं तो देखो कैसा बल उनके शरीर में आ गया था, तो कारण क्या था उसके पीछे कि उन्होंने लंबे समय तक ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान किया था जिससे कि शरीर को वह समय मिला कि वह वीर्य को रक्त के साथ मिला सके।।

    ये एकदम से नहीं मिलता है, कुछ समय तक तो वह एक जगह पर स्टोर रहता है, उसके बाद उसमें एक ऊर्जा विकसित होती है, उसके बाद जा करके वह हमारे शरीर का हिस्सा बनता है, इसलिए पहले ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान कराया जाता था, वैसी शिक्षा दी जाती थी, हमारी वैदिक परंपरा में गुरुकुल होते थे, उनका यही विधान था, गुरुकुल में विद्यार्थी जो होता था, उसमें उस तरह के संस्कार ही विकसित नहीं होते थे जिससे कि वह कुमार्गगामी हो वह पूरी तरह से एकाग्र रहता था और पच्चीस वर्ष, बीस वर्ष तक उसे ऐसे ही रखा जाता था।।

    अब पच्चीस वर्ष तक क्या होता है, कि हमारे दिमाग की जो फ्रंटल कोर्टेक्स होती हैं, उनका पूरा विकास हो जाता है और जो फ्रंटल कोर्टेक्स होती है, यही हमारे दिमाग को विकसित करने में, हमारी पर्सनैलिटी को डेवलप करने के लिए, हमारे अंदर कॉन्फिडेंस को बूस्ट करने के लिए, हमारी स्मृति को विकसित करने के लिए, हमें एक सफल व्यक्ति बनाने के लिए उत्तरदाई होती है, तो हमने वहीं पर काम किया और वहीं से हमने अपने आपको पूरी तरह से साध लिया।।

    तो यही कारण था कि गुरुकुल परंपरा जब तक थी, तब तक इस प्रकार के ऋषियों ने, ऐसे विद्वानों ने, ऐसे प्रचंड योग्यताओं के धनी व्यक्तियों ने जन्म लिया और इस मानव जाति का कल्याण किया और उन्हीं के किए गए कार्यों के कारण ही हम अपने आपको सुरक्षित अनुभव करते हैं, उन्हीं की वजह से ही हमारी संस्कृति आज भी जीवित है ऐसा हम समझ सकते हैं।।

    आज हम बहुत सारी ऐसी आदत में पड़े हुए हैं कि हम अपने आप को थोड़ा सा साधते है, लेकिन कुछ समय बाद फिर से बहुत सारे कारण उनके पास आ जाते हैं और वह फिर से उसी मार्ग पर आगे बढ़ने लगते हैं, कारण क्या है कि बहुत सुलभ हो गई हैं चीजें, अब अगर आप टीवी खोलते हैं तो आपको वैसे ही दृश्य मिलते हैं, जो आपको इस तरफ प्रेरित करेंगे, आप फोन चलाते हैं, भले ही आप अच्छा भी कुछ देख रहे हैं लेकिन फिर भी बीच-बीच में आकर के बहुत सारी चीजें आपको भटकाने की कोशिश करती हैं तो इसलिए हमें अब बहुत सजगता की जरूरत पड़ गई है, वह सजगता कैसे आएगी जब इंटरनेट से बचेंगे।।

    डोपामाइन क्या होता है?

    एक बहुत साइंटिफिक रिसर्च भी आज के समय में हो रही है और आज उसे सब लोग स्वीकार कर रहे हैं, वो क्या है कि अगर आप एक पोर्न देखते हैं, जो अश्लील फिल्में आप देखते हैं तो आपके दिमाग से जो सीक्रेशन होता है जो एक हैप्पीनेस वाला हार्मोन होता है डोपामाइन वो बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, वह दो गुनी, तीन गुनी मात्रा में निकलने लगता है, अब जब आपके दिमाग में जैसे ही डोपामाइन का सर्कुलेशन बढ़ता है, तीन गुना चार गुना होता है तो आप बड़ा अच्छा अनुभव करते हैं, उन पोर्न फिल्मों को या अश्लील चित्रों को देखते हुए, लेकिन अब आपके दिमाग में डोपामाइन का लेवल है वह एक बार बढ गया तो वह दिमाग के लिए उतना ही मांग करने लगता है कि वह तीन गुना ही मुझे मिले, फिर क्या स्थिति हो जाती है कि जो आपका स्वभाविक जीवन है, उसमें भी आप खुश नहीं रह पाते हैं क्योंकि जब आप एक अश्लील फिल्म देख रहे थे तब तो डोपामाइन बहुत ज्यादा निकला और अब वह कम निकल रहा है तो आपको कोई खुशी अनुभव नहीं हो रही क्योंकि आदत बन चुकी है कि डोपामाइन ज्यादा निकले यानी कि अगर आप इन फिल्मों को देखते हैं तो यह समझ लें कि सीधा-सीधा आप अपनी डोपामाइन के लेवल को डिसबैलेंस कर रहे हैं क्योंकि आप इस तरह की आदत डाल रहे हैं कि वह बहुत ज्यादा मात्रा में क्रिएट हो तभी आपको खुशी का अनुभव कराए, इससे आपका स्वभाविक जीवन प्रभावित हो जाएगा, आप खुश नहीं रह पायेंगे।।

    ब्रह्मचर्य के प्रभाव कब दिखेंगे-

    अगर आपने लगभग दस दिन, पंद्रह दिन ब्रह्मचर्य का अनुष्ठान किया, फिर आप वहां से हट गए, फिर आपने पाँच दिन किया, फिर आप हट गए, फिर आपने पंद्रह दिन किया तो इससे आपको लाभ नहीं होगा, लाभ कब होगा, जब आप दीर्घ काल तक करेंगे क्योंकि इसको समय लगता है, जब हम भोजन ग्रहण करते हैं तो उसको वहां से उस प्रोसेस तक पहुंचने में और एक प्योर फॉर्म में स्पर्म का निर्माण होने में समय लगता है, अब वह बन गया और बनते ही रक्त का हिस्सा नहीं बनेगा, आपके दिमाग तक नहीं चलेगा वह ऊर्ध्व में गमन नहीं करेगा, उसका अधो गमन ही होता रहेगा क्योंकि पूर्ववत आदतें भी बहुत ज्यादा मैटर करती हैं, लेकिन जब लंबे समय तक आप बनाए रखेंगे इस आदत को तो, आप की मेध शक्ति विकसित होंगी और कुछ ही दिनों के बाद लगभग लगभग चालीस दिनों का तो बेसिक टाइम रहता है जो वहां तक बनने का प्रोसेस है, वह होगा और उसके बाद जब वह आपके शरीर का हिस्सा बनेगा, तो साठ, पैंसठ दिन के अंतर्गत ही आप ऐसे अभूतपूर्व अपने जीवन में बदलाव देखेंगे कि आपकी भाषा शैली अच्छी हो जाएगी, आपके शब्दों का उच्चारण अच्छे से होगा जबान लड़खड़ाएगी नहीं, आपकी त्वचा पर चमक दिखाई देगी, आपके बालों पर एक विशेष प्रकार के प्रभाव दिखेंगे और आपके पूरे शरीर में एक ऊर्जा आ जाएगी, किसी भी कार्य को करने में आप अधिक क्षमता के साथ और योग्यता के साथ कर सकेंगे, आपकी स्मृति अच्छी हो जाएगी और आप अपने जीवन में अधिक सकारात्मक अनुभव करेंगे, और अपने आप को अब वैचारिक स्तर पर भी एक सही दिशा दे सकेंगे, आपका मन अब भटकेगा नहीं क्योंकि आपने अपनी उन इंद्रियों को अब साध लिया है।।

    तो आप ऐसा समझे कि अगर आपने ब्रह्मचर्य को

    प्रतिष्ठित किया तो केवल आपने शारीरिक लाभ नहीं पहुंचाया है अपने आप को बल्कि आप ने अपने जीवन को दिशा दे दी है, आपने अपनी सभी योग्यताओं का विकास कर लिया है, अब हर एक लक्ष्य आपके लिए सहज और सुलभ हो गया है ऐसा आप मान लें, ऐसा आप अनुभव करेंगे।।

    इसी का नाम ब्रह्मचर्य है-

    इसीलिए इतना जोर देते हुए ब्रह्मचर्य के ऊपर महर्षि पतंजलि ने भी उसको अष्टांग योग के अंतर्गत रखा है क्योंकि उन्हें पता है कि समाधि की भी जो उच्च

    अवस्था है वहां तक पहुंचने के लिए, वहाँ भी इस ब्रह्मचर्य की और इस वीर्य की आवश्यकता होगी।।

    ऐसा आप समझ लें कि हमारी सामान्य इडा और पिंगला नाडियां ही चलती हैं लेकिन सुषुम्ना में अगर आपको ऊर्जा को प्रवाहित करना है तो वह एक लंबी साधना तो है ही, लेकिन उसके लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो है ब्रह्मचर्य, और वीर्य ही ऐसा है, उसी से वह एक ऊर्जा जागृत होती है, जिससे की हठ योग में भी सिद्धि प्राप्त होती है तो ऐसे बहुत सारे फैक्ट हैं, ऐसे बहुत सारी साइंटिफिक रिसर्च हैं, ऐसे बहुत सारे हमारे आयुर्वेद, शास्त्रों में बताया गया है, अध्यात्म में बताया गया है जिससे कि स्पष्ट रूप से इस ब्रह्मचर्य की उपयोगिता अनुभव कर सकते हैं।।

    आप अपने जीवन में आप स्वयं देखें, इसे अपने जीवन में प्रयोग करके देखें, अगर आपने उचित प्रकार से एक बार प्रयोग कर लिया तो आपको इतना अच्छा सकारात्मक इसका परिणाम मिलेगा कि आप पुनः पुनः फिर इसी को ही अपने जीवन में बनाए रखने की कोशिश करेंगे, और आप बनाएं ही रखेंगे ऐसे मेरी अपेक्षा भी है और ऐसी मैं ईश्वर से कामना करता हूं।।

    ।। राधे राधे।।

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  6. Asked: December 19, 2024In: ब्रह्मचर्य का परिचय

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म का क्या सम्बन्ध है?

    Vishnu Gupta
    Vishnu Gupta Yogi
    Added an answer on December 19, 2024 at 10:08 am

    नमस्कार मित्रों, आज हम बात करने वाले हैं कि ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता यानी स्प्रिचुएलिटी इन दोनों पक्ष में क्या सम्बन्ध है और दोनों एक दूसरे के ऊपर निर्भर कैसे हैं, इस विषय पर आज हम चर्चा करने वाले हैं।। कई मित्रों के ऐसे प्रश्न आते रहते हैं, कि हम ब्रह्मचर्य पालन करने का सोच तो लेते हैं, संकल्प तोRead more

    नमस्कार मित्रों, आज हम बात करने वाले हैं कि ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता यानी स्प्रिचुएलिटी इन दोनों पक्ष में क्या सम्बन्ध है और दोनों एक दूसरे के ऊपर निर्भर कैसे हैं, इस विषय पर आज हम चर्चा करने वाले हैं।।

    कई मित्रों के ऐसे प्रश्न आते रहते हैं, कि हम ब्रह्मचर्य पालन करने का सोच तो लेते हैं, संकल्प तो कर लेते हैं, मगर बाद में हो नहीं पाता, और कुछ भी मन में गलत आने से वो संकल्प टूट जाता है, कोई हस्त क्रिया कर देता है, कोई गंदी वीडियो देख लेता है जिससे फिर उसे नाईट फॉल हो जाता है, मतलब किसी ना किसी तरीके से ब्रह्मचर्य का नाश हो जाता है।।

    तो मित्रों, ये मै अपने खुद के अनुभव से कह रहा हूँ कि केवल और केवल आध्यात्मिकता ही एकमात्र ऐसी स्थिति है जिससे ब्रह्मचर्य पालन आसान हो जाता है, कैसे आसान हो जाता है?, अगर मै ये कहूँ कि मन को वश में रखिए, मन को काबू में रखिये, मन में गलत विचार नहीं आने चाहिए, तो कैसे नहीं आएंगे, वो तो आएंगे।।

    अब जैसे आप किसी बच्चे से कहो कि बेटा, ये तलवार है, ये चाकू है, ये छुरी है, इसे हाथ मत लगाना तो क्या वो राजी से मानेगा?, अगर बच्चा सड़क पर जा रहा है, तो आप उसे प्यार से नहीं समझाओगे कि इधर आ जाओ, बल्कि खींच कर ले आओगे, क्योंकि आप भी जानते हो कि बच्चा है, अगर वो तेज गति से रोड की तरफ जा रहा है, तो आपके केवल कहने से वापस नहीं आ जाएगा, उसे आपको खींच कर लाना पड़ेगा।।

    इसी तरह आपका मन है, सालों तक आपने हस्तमैथुन किया, गंदी वीडियोज देखीं, गंदा संग किया, तो उसका परिणाम तो एक ना एक दिन आएगा, अच्छी आदत का भी आता है और बुरी आदत का भी आता है, परिणाम सबका सामने आता है, तो जिन्होंने सालों तक हस्तमैथुन किया है वो ये सोचते हैं कि वीर्यनाश तो बहुत हो ही गया है, सब कुछ खत्म हो ही गया है, अब अगर ब्रह्मचर्य से कुछ फायदा मिलता है तो पालन कर लेंगे, उनको गारंटी देने वाला चाहिए होता है।।

    तो मन में सालों तक अगर गंदा चिंतन चला है, तो गंदे विचार मन में कभी ना कभी आएंगे ही, आप कितना भी प्रयास कर लो, विचारों को आने से थोड़े ही रोक पाओगे क्योंकि सालों साल आपका चिंतन खराब रहा है, अब मन में कुछ विचार आ गया तो उसको रोक तो नहीं सकते ना,कैसे रोकोगे?

    अब इसका क्या समाधान हो, तो जैसा मैने ऊपर बताया कि केवल अध्यात्म ही इससे निकलने का मार्ग है, अगर मन कोई गलत विचार चल रहा है तो उसके बिल्कुल अपोजिट, उसके बिल्कुल विपरीत विचार अपने मन में लाएंगे।

    यदि आप शास्त्र स्वाध्याय करते हो, अच्छी अच्छी पुस्तकें पढ़ते हो, चाहे जिस ईश्वर में आपकी श्रद्धा है अगर उसका नित्य सुमिरन करते हो, तो आपमें आस्तिकता जागने लगेगी, एक अलग ही शक्ति आपके अंदर आने लगेगी।।

    जैसे आप जब महापुरुषों के चरित्र पढ़ेंगे तो सोचेंगे कि कैसे उन्होंने राष्ट्र सेवा में अपना जीवन खपा दिया, कितने कष्ट खुद झेले, और पूरे जीवन परमार्थ किया लेकिन दूसरी तरफ आप हो कि खुद से लड़ नहीं पा रहे हो, गंदी आदत नहीं छोड़ पा रहे हो, हस्तमैथुन आदि क्रियाओं में ही फंसे हुए हो, कहाँ उन महापुरुषों का जीवन, और कहाँ आपका जीवन है।।

    अरे भाई आपको सुधारने के लिए कोई दूसरा थोड़ी आएगा, कोई दूसरा थोड़े ही आपका हस्तमैथुन छुड़वाने आएगा, कोई दूसरा आके आपका स्वप्नदोष ठीक नहीं करेगा, आपको खुद को ही सुधारना है, आपको खुद को अगर बचना है तो थोड़ा संभल जाना पड़ेगा।।

    अब जब आप अध्यात्म की तरफ बढोगे तो धीरे धीरे अच्छी बातें आपके मन में आना शुरु हो जाएंगी, अच्छे विचार आना शुरु हो जाएंगे, क्योंकि आपका मन एक मोबाइल जैसा नहीं है कि गलत विचार भरे हैं तो डिलीट बटन प्रेस करो सब ख़त्म, ऐसा नहीं है, गलत विचार अगर खत्म करने हैं तो उसके ठीक विपरीत यानी अध्यात्म की तरफ आगे बढ़ना होगा, जैसे जैसे आप अध्यात्म की तरफ आगे बढोगे, वैसे वैसे अच्छे विचार आपके मन में आते जाएंगे और गलत विचार स्वतः ही ख़त्म होते चले जाएंगे।।

    और लास्ट में आपको अनुभूति होगी, ये मै नहीं कह रहा हूँ, आपको स्वयं ही ये अनुभूति होगी कि वास्तव में असली जीवन तो ये है, मुझे ऐसे जीना चाहिए था, मै कितनी खराब जिंदगी जी रहा था उस वक्त, और शायद मै ऐसे जी लिया होता, अगर कुछ साल पहले ही मुझे ब्रह्मचर्य की महत्ता समझ आ गई होती तो मेरा जीवन कितना धन्य हो गया होता
    मगर फिर भी अभी समय नहीं निकला है, आपको समझ आ गया है तो इस मार्ग पर चलना शुरु कर दीजिए, आपके लिए गोल्डन चान्स है, अपना जीवन बदलिए।।

    और यदि अभी आपने ये समय गँवा दिया तो आने वाला समय, बहुत ही बदतर, बहुत ही खतरनाक होगा आपके लिए, ये आप सोच लीजिए।।

    तो अच्छी पुस्तकों का आपको स्वाध्याय करना है, शास्त्रों का अध्ययन करना है, महापुरुषों की जीवनी पढ़नी है, क्योंकि हर शास्त्र में चाहें आप किसी भी भगवान में मानते हो, संयमित जीवन और ब्रह्मचर्य का उल्लेख मिलता है, ये तो केवल राक्षसों में नहींं मिलता क्योंकि उनका भोजन भी तामसिक होता है, महापुरुषों और देवताओं में ये दुर्गुण नहीं पाए जाते।।

    अब बहुत से बंधु कहते हैं कि हम खुद को रोक नहीं पाते हैं,कैसे रोकें?, अरे ये कैसे रोकें का क्या मतलब है भाई, तुम खुद को बचाना चाह रहे हो पर बचा नहीं पा रहे हो, जब तुम खुद को ही नहीं बचा पा रहे तो अपने परिवार की रक्षा कैसे करोगे?, अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर सकोगे?, यदि आपने खुद को ही नहीं बचाया फिर दुसरों के लिए कुछ करने की क्या उम्मीद कर सकते हो खुद से?, कुछ नहीं कर सकते।।

    तो अपने आप को बदलिए, अपना जीवन स्तर सुधारिए, जब आपका जीवन बदलने लगेगा तो दूसरों का जीवन तो ऑटोमेटिक ही बदल सकते हो।।

    कोई भी पुस्तक आपको व्याभिचारी, दुष्ट प्रवृत्ति का नहीं बनाएगी, हर पुस्तक में ब्रह्मचर्य का, संयमित जीवन का वर्णन है, हर शास्त्र में मित्र कैसा हो, पत्नी कैसी हो, पति कैसा हो, पुत्र कैसा हो सबकी मर्यादाओं का वर्णन है और शास्त्रों में वर्णित धर्म की मर्यादाओं को जो लांघते हैं वही लास्ट में दर दर की ठोकरें खाते हैं, वही भटकते फिरते हैं, और जो अपने धर्म के अनुसार, अपने शास्त्रों की मर्यादाओं के अनुसार चलते हैं वही उन्नति करते चले जाते हैं, इसलिए आधुनिकता के साथ साथ अध्यात्म पर भी पकड़ बनानी जरूरी है।।

    क्योंकि साइंस भी आप तभी समझ पाएंगे जब आपके माइंड में वो पावर हो, आपकी मेमोरी तीक्ष्ण हो पर अगर आपका दिमाग ही ठीक से नहीं चल रहा है तो आधुनिकता किस काम की रह जाएगी।।

    तो हमारे कहने का मतलब बस इतना ही है कि शास्त्र पढ़िए, महापुरुषों की जीवनी पढ़िए, क्योंकि जब आप शास्त्रों को पढ़ेंगे तो आप जानेंगे कि महापुरुषों ने कैसे आचरण किए, आप किस लिए इस दुनिया में आए हो, आपका लक्ष्य क्या है, आपको क्या करना है और आप किस तरह अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो।।

    तो यदि आप धर्म से थोड़े से भी जुड़ेंगे, अध्यात्मिकता से थोड़े से भी जुड़ेंगे तो सब जान जाएंगे, फिर आनंद अंदर से ही आपके फूटने लगेगा, अंदर से प्रसन्नता आएगी, फिर किसी काम में आप पीछे नहीं रहोगे, कोई भी कार्य सामने आ जाए आपके अंदर भय नहीं रहेगा, डर नहीं रह जाएगा।।

    जब आपने अपनी प्राण ऊर्जा को संभाल लिया है, उसका संचय कर लिया है फिर आपको कोई नीचे नहीं गिरा सकता,कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता।।

    तो आप से एक बार फिर यही कहना है कि शास्त्र स्वाध्याय कीजिए, अध्यात्म से जुड़िये, धर्म से जुड़िये क्योंकि बिना अध्यात्म ब्रह्मचर्य सम्भव नहीं है।।

    ।।राधे राधे।।

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    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, ...

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    ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो ...

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