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ब्रह्मचर्य किनके लिए बहुत कठिन है,और किनके लिए बहुत ही सरल है?
असान और कम शब्दों में हम बोलें तो जो भगवान से जुड़ा है उसके लिए असान है और जो भागवद विमुख है उसके लिए कठिन हैं।
असान और कम शब्दों में हम बोलें तो जो भगवान से जुड़ा है उसके लिए असान है और जो भागवद विमुख है उसके लिए कठिन हैं।
See lessबिना भगवत कृपा के ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना संभव नहीं है, तो आप किस तरह भगवान से प्रार्थना करते हों?, कितनी देर नाम जप करते हों?
भगवत कृपा के बिना ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना सच में असंभव है। प्रार्थना mein हम कहते है कि प्रभु अब आपको संभालना है हमारे बस का नहीं है । हम ने कुछ फिक्स नहीं किया है जितना हो सकता है उतना करते है मतलब जितना हो सकते उतना जब याद आगया । महत्वपूर्ण यह है कि जप करते समय मन एकाग्र हो और भावनाएँ सच्ची हRead more
भगवत कृपा के बिना ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना सच में असंभव है। प्रार्थना mein हम कहते है कि प्रभु अब आपको संभालना है हमारे बस का नहीं है । हम ने कुछ फिक्स नहीं किया है जितना हो सकता है उतना करते है मतलब जितना हो सकते उतना जब याद आगया । महत्वपूर्ण यह है कि जप करते समय मन एकाग्र हो और भावनाएँ सच्ची हों। भगवान् की कृपा और मार्गदर्शन पाने के लिए नियमितता और समर्पण आवश्यक है।
See lessब्रह्मचर्य में आपको कितना सावधान रहना होगा?
ब्रह्मचर्य के पालन के लिए विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है,नहीं तो ब्रह्मचर्य रह ही नहीं सकते।जो ध्यान और साधना से संभव होता है जैसे नाम जाप , त्राटक क्रिया , सेवा etc । दिनचर्या mein जैसे नियमित व्यायाम, व्यायाम नहीं होगा तो नाइटफॉल और urges बढ़ हRead more
ब्रह्मचर्य के पालन के लिए विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है,नहीं तो ब्रह्मचर्य रह ही नहीं सकते।जो ध्यान और साधना से संभव होता है जैसे नाम जाप , त्राटक क्रिया , सेवा etc । दिनचर्या mein जैसे नियमित व्यायाम, व्यायाम नहीं होगा तो नाइटफॉल और urges बढ़ होंगे ।सात्विक आहार जैसा अन्न वैसा मन सात्विक अन्न होगा तो मन भी सात्विक होगा, और पर्याप्त नींद , अगर जड़ा नींद तो गंदे स्वप्न आयेंगे और अगर कम तो मन साथ नहीं देगा इसीलिए पर्याप्त नींद starting mein। सकारात्मक सोच मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है।और एक नियमावली हो तो बहुत अच्छा होता है । नियमित ध्यान आत्मिक शुद्धता और मानसिक स्थिरता बढ़ाता है। सकारात्मक लोगों के साथ रहना और उच्च नैतिक मूल्यों का पालन करना ब्रह्मचर्य के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। और मोस्ट इंपॉर्टेंट आपका चिंता अब कुछ हैं । चिंतन सही होना चाहिए।
See lessआप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास और प्राणायाम करते हैं?, और कितनी देर करते हैं?
सभी प्राणायाम (अनुलोम- विलोम, कपालभाती, भ्रामरी, भस्त्रिका, नाड़ी शोधन), योगासन (शीर्षासन और ब्रह्मचर्यासन के साथ ताड़ासन, वृक्षासन),सूर्य नमस्कार,पुश-अप्स और सिट-अप्स,ध्यान (Meditation), यह करते हैं ब्रह्मचर्य को रहने के लिए। भैया जो अपने pdf दि। उसी दिन के हिसाब से करते हैं। टोटल मिला के 30 टू 45Read more
सभी प्राणायाम (अनुलोम- विलोम, कपालभाती, भ्रामरी, भस्त्रिका, नाड़ी शोधन), योगासन (शीर्षासन और ब्रह्मचर्यासन के साथ ताड़ासन, वृक्षासन),सूर्य नमस्कार,पुश-अप्स और सिट-अप्स,ध्यान (Meditation), यह करते हैं ब्रह्मचर्य को रहने के लिए। भैया जो अपने pdf दि। उसी दिन के हिसाब से करते हैं। टोटल मिला के 30 टू 45 मिनिट ।
See lessब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, समझाइये।।
ब्रह्मचर्य और अध्यात्म के बीच गहरा संबंध है। ब्रह्मचर्य संयम और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है, जो व्यक्ति को भौतिक इच्छाओं से मुक्त करता है और ध्यान के लिए बेहतर स्थिति में लाता है। यह जीवन ऊर्जा को संचित करता है, जिससे आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है। ब्रह्मचर्य व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति पहचानने में मRead more
ब्रह्मचर्य और अध्यात्म के बीच गहरा संबंध है। ब्रह्मचर्य संयम और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है, जो व्यक्ति को भौतिक इच्छाओं से मुक्त करता है और ध्यान के लिए बेहतर स्थिति में लाता है। यह जीवन ऊर्जा को संचित करता है, जिससे आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है। ब्रह्मचर्य व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति पहचानने में मदद करता है और समर्पण एवं सेवा की भावना को विकसित करता है। इसके अलावा, यह सकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा देता है, जिससे अध्यात्मिक अनुभवों की ओर अग्रसर होना आसान होता है। इस प्रकार, ब्रह्मचर्य और अध्यात्म एक-दूसरे के पूरक हैं, जो आत्मिक विकास और शांति की ओर ले जाते हैं।
अगर अध्यात्म नहीं होगा तो हमारा चिंतन बिजाएगा। और अगर हमारा चिंतन बिगड़ा तो ब्रह्मचर्य भी बिगड़ जाएगा। इसलिए अध्यात्म ब्रह्मचर्य के लिए अनिवार्य है। अध्यात्म के लिए भी ब्रह्मचर्य अनिवार्य है।
See lessब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो फैप ही ब्रह्मचर्य है?, अगर नहीं तो किस प्रकार अलग है?, बताइये।।
ब्रह्मचर्य और नो फैप में कई अंतर हैं। ब्रह्मचर्य आध्यात्मिक विकास और आत्म-नियंत्रण का मार्ग है, जिसका उद्देश्य जीवनभर नैतिकता का पालन करना है। यह धार्मिक परंपराओं में गहराई से निहित है। वहीं, नो फैप एक आधुनिक आंदोलन है, जिसका लक्ष्य यौन स्वास्थ्य में सुधार और मानसिक स्पष्टता है। यह आमतौर पर निश्चितRead more
ब्रह्मचर्य और नो फैप में कई अंतर हैं। ब्रह्मचर्य आध्यात्मिक विकास और आत्म-नियंत्रण का मार्ग है, जिसका उद्देश्य जीवनभर नैतिकता का पालन करना है। यह धार्मिक परंपराओं में गहराई से निहित है।
वहीं, नो फैप एक आधुनिक आंदोलन है, जिसका लक्ष्य यौन स्वास्थ्य में सुधार और मानसिक स्पष्टता है। यह आमतौर पर निश्चित अवधि के लिए किया जाता है।
ब्रह्मचर्य एक स्थायी जीवनशैली का हिस्सा है, जबकि नो फैप व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित है।
ब्रह्मचर्य को समाज में सम्मानित माना जाता है, जबकि नो फैप को कुछ लोग संदेह की दृष्टि से देखते हैं।
See lessहम लोग ब्रह्मचर्य को पूर्ण रूप से ऊर्ध्वगामी कैसे बना सकते हैं ?
Mein Pran leta hu ki mein Brahmacharya ka Palan krta rahunga chahe koi bhi preshani aajaye .
Mein Pran leta hu ki mein Brahmacharya ka Palan krta rahunga chahe koi bhi preshani aajaye .
See lessहम लोग ब्रह्मचर्य को पूर्ण रूप से ऊर्ध्वगामी कैसे बना सकते हैं ?
Shusma nadi jo h vo kb tk khulti h ?
Shusma nadi jo h vo kb tk khulti h ?
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