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भगवत गीता के अध्याय-2 से आप को क्या सीख मिलती है?
Jai Shree Krishna मुझे भगवतगीता के दूसरे अध्याय में बहुत सी चीजें सीखने को मिली। जिनमें से कुछ निम्लिखित है– इसमें पहली सीख तो यही मिली कि हमें केवल अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए । महत्वपूर्ण सीख यह मिली कि आत्मा अमर है, अजर है, नाशवान है तो केवल शरीर।अतः किसी के मरने जीने पर बुद्धिमान लोग शौक नहRead more
Jai Shree Krishna
मुझे भगवतगीता के दूसरे अध्याय में बहुत सी चीजें सीखने को मिली।
जिनमें से कुछ निम्लिखित है–
इसमें पहली सीख तो यही मिली कि हमें केवल अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए ।
महत्वपूर्ण सीख यह मिली कि आत्मा अमर है, अजर है, नाशवान है तो केवल शरीर।अतः किसी के मरने जीने पर बुद्धिमान लोग शौक नहीं किया करते ।
अन्य महत्वपूर्ण सीख यह मिली कि हमें हमेशा निष्काम कर्म करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण जी कहते हैं कि मनुष्य को सदैव निष्काम कर्म करना चाहिए।
बिना किसी फल की इच्छा के कर्म को ही निष्काम कर्म कहते हैं।
इसके अलावा स्थितप्रज्ञ कैसे रहते हैं इसका वर्णन भी श्री कृष्ण जी ने विस्तार पूर्वक किया है।
जय श्री कृष्णा 💖💖🚩
See lessबिना भगवत कृपा के ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना संभव नहीं है, तो आप किस तरह भगवान से प्रार्थना करते हों?, कितनी देर नाम जप करते हों?
भागवत कृपा के बिना ब्रह्मचर्य रह पाना बिल्कुल भी संभव नहीं है। इसके लिए में 108 बार मंत्र जप, और कम से कम 1008 टाइम राम नाम जप करता हूं किसी कारण वश में तीन दिन मंत्र जप नहीं कर पाया हूं।
भागवत कृपा के बिना ब्रह्मचर्य रह पाना बिल्कुल भी संभव नहीं है। इसके लिए में 108 बार मंत्र जप, और कम से कम 1008 टाइम राम नाम जप करता हूं किसी कारण वश में तीन दिन मंत्र जप नहीं कर पाया हूं।
See lessआप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास और प्राणायाम करते हैं?, और कितनी देर करते हैं?
सर्वप्रथम मैं अपने बारे में बता दूं मैने अभी अभी या कुछ समय पहले ही ब्रह्मचर्य रहना प्रारंभ किया है अतः मैं ज्यादा देर योगाभ्यास तो नहीं करता जितना करता हूं उसके बार में आपको बताता हूं प्रतिदिन कपालभाती 2से 2:30 मिनट तक प्रतिदिन त्राटक 2 से 2:30 मिनट तक इसके अलावा प्रतिदिन दंड कम से कम 50 इनकी सRead more
सर्वप्रथम मैं अपने बारे में बता दूं मैने अभी अभी या कुछ समय पहले ही ब्रह्मचर्य रहना प्रारंभ किया है अतः मैं ज्यादा देर योगाभ्यास तो नहीं करता जितना करता हूं उसके बार में आपको बताता हूं
प्रतिदिन कपालभाती 2से 2:30 मिनट तक
प्रतिदिन त्राटक 2 से 2:30 मिनट तक
इसके अलावा प्रतिदिन दंड कम से कम 50 इनकी संख्या बढ़ती जरूर है लेकिन कम नहीं होती।
प्रतिदिन 30 बैठक ।
इसके अलावा डम्बल से15 -15 के दो set।
और ग्रुप के दैनिक टास्क तो पूरे करता ही हूं।
मनीष
See lessब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो फैप ही ब्रह्मचर्य है?, अगर नहीं तो किस प्रकार अलग है?, बताइये।।
नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है। लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है । ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नोRead more
नो फैप का अर्थ केवल जनेंद्री के नियंत्रण से है तथा अश्लील चलचित्रों के नियंत्रण से है।
लेकिन ब्रह्मचर्य का अर्थ का केवल जनेंद्री के नियंत्रण से ही नहीं है इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जो ब्रह्मचर्य में आती है ।
ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान व शारीरिक के साथ साथ मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है, लेकिन नो फैप में जरूरी नहीं कि इन सब चीजों का विकास हो ।
मुझे नो फैप के बारे में जानकारी नहीं है अतः मैं यहीं पर अपने उत्तर को विराम देता हूं।
See lessब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है,कैसे ?,एक्सप्लेन करिये?
ब्रह्मचर्य यदि सबसे पहले हम बात करें ब्रह्मचर्य की तो ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल जनेंद्री को ही नियंत्रण करना नहीं है अपितु अपनी आंखों को , अपने कानों को , अपने मुख को तथा सबसे कठिन अपने मन को नियंत्रण में करने से है । आंखों पर नियंत्रण - आंखों से गंदी चीजें न देखना कानों पर नियंत्रण- कानों से गलत बातRead more
ब्रह्मचर्य
यदि सबसे पहले हम बात करें ब्रह्मचर्य की तो ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल जनेंद्री को ही नियंत्रण करना नहीं है अपितु अपनी आंखों को , अपने कानों को , अपने मुख को तथा सबसे कठिन अपने मन को नियंत्रण में करने से है ।
आंखों पर नियंत्रण – आंखों से गंदी चीजें न देखना
कानों पर नियंत्रण- कानों से गलत बातें न सुन
मुख पर नियंत्रण – बोलो हमेशा मीठी वाणी, खाओ केवल सात्विक आहार।
मन पर नियंत्रण – सबसे कठिन जिस पर नियंत्रण करना है वो है मन पर ।लेकिन everything is possible in the world with the help of Parmpita परमेश्वर.
ब्रह्मचर्य जीवन जीने की पद्धति है ।
लेकिन कैसे ?
ऐसे समझिए ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में अनुशासन आता है
और हम इस बात से भली भांति परिचित है कि जीवन में अनुशासन का होना अनिवार्य है । यदि जीवन में अनुशासन आ जाए तो बहुत मुश्किल से मुश्किल काम व्यक्ति बड़ी आसानी से कर लेता है इस तरह हम कह सकते हैं कि ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है।
ब्रह्मचर्य से व्यक्ति में शारीरिक व मानसिक ऊर्जा भी बढ़ती है और यदि व्यक्ति के शरीर में शारीरिक व मानसिक ऊर्जा का विकास होगा तो वो क्या से क्या कर सकता है बो हम बड़ी अच्छी तरह से समझते हैं।
ब्रह्मचर्य से आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता है जो कि जीवन जीने के साथ साथ मोक्ष के द्वार भी खोल देता है ।
इस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि ब्रह्मचर्य वास्तव में जीवन जीने की पद्धति है।
धन्यवाद ।
~मनीष