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Anoop

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  1. Asked: January 14, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

    भगवत गीता के अध्याय-2 से आप को क्या सीख मिलती है?

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 14, 2025 at 3:00 pm

    श्री मद भगवदगीता के अध्याय–2 से जो मुझे सिख मिली उसका संक्षेप में वर्णन कुछ इस प्रकार से है: इसमें मैंने पढ़ा की जब युद्ध के लिए अर्जुन ने रथ को बीच में लाने के लिए कहा तब वह यह जानना चाहता था की उसके विरुद्ध, युद्ध लड़ने के लिए कोन कोन आया है। जब उसने वहां अपने गुरु, भाई ,मामा और अन्य सगे संबधियो कRead more

    श्री मद भगवदगीता के अध्याय–2 से जो मुझे सिख मिली उसका संक्षेप में वर्णन कुछ इस प्रकार से है:

    इसमें मैंने पढ़ा की जब युद्ध के लिए अर्जुन ने रथ को बीच में लाने के लिए कहा तब वह यह जानना चाहता था की उसके विरुद्ध, युद्ध लड़ने के लिए कोन कोन आया है। जब उसने वहां अपने गुरु, भाई ,मामा और अन्य सगे संबधियो को देखा तो वह काफी व्याकुल और भावुक हो गया। उसने यह देख युद्ध न करने का निर्णय लिए और श्री कृष्ण से कहा हे मधुसूदन मैं युद्ध नहीं लडूंगा क्योंकि मेरे विरुद्ध लड़ने के लिए मेरे सब प्रिय लोग है जिनसे अगर मैं जीत भी जाऊं तो ऐसी जीत का कोई मायने नहीं होगा इससे बेहतर है की मैं युद्ध न करूं। तब श्री कृष्ण ने कहा की पार्थ जो युद्ध छोड़ के जाए वह कायर कहलाता है और तुम एक क्षत्रिय हो। तुम अगर सुख दुख, हार जीत और फल की इच्छा न करते हुए युद्ध लड़ोगे तो तुम्हे कोई पाप नहीं लगेगा और रही बात मृत्यु की तो आत्मा सदेव अमर है केवल शरीर नष्ट होता है, जिस प्रकार मनुष्य पुराने कपड़े होने के बाद नए कपड़े को बदलता है उसी प्रकार आत्मा भी पुराने शरीर को छोड़ कर नए शरीर में बदलती है। श्री कृष्ण कहते है ही कुंतीपुत्र अगर तुम युद्ध में हार जाओगे तो स्वर्ग को प्राप्त करोगे और जीत जाओगे तो पृथ्वी पर साम्राज्य का भोग करोगे। श्री कृष्ण कहते है जय अथवा पराजय की समस्त आसक्ति को त्याग तुम केवल अपना कर्म करो।

    इसमें मुझे सिख मिली



    1. आत्मा अमर है ये कभी नष्ट नहीं होती। होता है तो केवल शरीर।

    2. कर्म करो फल की चिंता मत करो।
    3. ईश्वर सदेव तुम्हारे साथ होते है।
    4. जय–पराजय, सुख–दुख, भय–लोभ–काम–क्रोध को त्याग कर केवल हमे अपना कर्म करना है।

    जय श्री कृष्ण🙏

     

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  2. Asked: January 11, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

    ब्रह्मचर्य किनके लिए बहुत कठिन है,और किनके लिए बहुत ही सरल है?

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 11, 2025 at 2:40 pm
    This answer was edited.

    ब्रह्मचर्य कठिन उन लोगो के लिए है जो ब्रह्मचर्य के नियम का सही से पालन नहीं करते। जेसे वह प्रातःकाल ब्रह्मा मूहर्त में न उठ पाए, अपने आहार और व्यवहार पर नियंत्रण न रख पाए, प्रतिदिन व्यायाम न कर पाए अपनी इंद्रियों को अपने वश में न रख पाए, अध्यात्म में ध्यान न लगाए जो बुरे लोगो के संग में रहते है वो तRead more

    • ब्रह्मचर्य कठिन उन लोगो के लिए है
    • जो ब्रह्मचर्य के नियम का सही से पालन नहीं करते। जेसे वह प्रातःकाल ब्रह्मा मूहर्त में न उठ पाए,
    • अपने आहार और व्यवहार पर नियंत्रण न रख पाए,
    • प्रतिदिन व्यायाम न कर पाए
    • अपनी इंद्रियों को अपने वश में न रख पाए,
    • अध्यात्म में ध्यान न लगाए
    • जो बुरे लोगो के संग में रहते है वो तो कभी ब्रह्मचर्य का पालन कर ही नहीं सकते क्योंकि “जैसा संग वैसा रंग”
    • इसलिए ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए सर्वप्रथम नियमो का पालन करना पड़ेगा।
    • ब्रह्मचर्य उन लोगो के लिए काफी सरल है
    • जो प्रत्येक नियम का ईमानदारी से पालन करता हो।
    • कोई भी व्यभिचार न करता हो,
    • अच्छे संग में रहता हो,
    • भगवान में मन लगाता हो, हर समय भगवान का चिंतन करता हो। जिसका दृढ़ निश्चय हो
    • जिसका खान पान बिल्कुल सात्विक हो
    • जो अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखता हो उन लोगो के लिए ब्रह्मचर्य बहुत सरल है।
    • जय श्री राम🙏🚩
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  3. Asked: January 10, 2025

    बिना भगवत कृपा के ब्रह्मचर्य में स्थित रह पाना संभव नहीं है, तो आप किस तरह भगवान से प्रार्थना करते हों?, कितनी देर नाम जप करते हों?

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 10, 2025 at 2:07 pm

    यह बात बिल्कुल सही है की बिना भगवान की कृपा से ब्रह्मचर्य का पालन करना संभव नहीं है क्योंकि केवल भगवान ही है जो इस काम रूपी जाल से हमे बचा सकते है। मैं प्रतिदिन सुबह उठ के भगवान से यही प्रार्थना करता हूं की भगवान बस आगे भी इसी तरह ब्रह्मचर्य पालन चलता रहे, कृपया मुझे मार्गदर्शन करे और अपना आशीर्वादRead more

    • यह बात बिल्कुल सही है की बिना भगवान की कृपा से ब्रह्मचर्य का पालन करना संभव नहीं है क्योंकि केवल भगवान ही है जो इस काम रूपी जाल से हमे बचा सकते है। मैं प्रतिदिन सुबह उठ के भगवान से यही प्रार्थना करता हूं की भगवान बस आगे भी इसी तरह ब्रह्मचर्य पालन चलता रहे, कृपया मुझे मार्गदर्शन करे और अपना आशीर्वाद बनाए रखे।
    • जब से मैं ब्रह्मचर्य का पालन कर रहा हूं तब से मैं प्रतिदिन कम से कम राधा नाम की दो माला का जप तो करता ही हूं।
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  4. Asked: January 9, 2025In: ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें?

    ब्रह्मचर्य में आपको कितना सावधान रहना होगा?

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 9, 2025 at 2:41 pm

    ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए हमे बहुत सी सावधानियो रखनी होती है। ब्रह्मचर्य में हमको अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना होता है अगर गलती से भी किसी स्त्री को कामुक दृष्टि से देखा जाए तो भी ब्रह्मचर्य टूट जाता है। ब्रह्मचर्य में प्रतिदिन ब्रह्मा मूहर्त में उठना अनिवार्य है अन्यथा आप एक ब्रह्मचारी नहीं रहRead more


    ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए हमे बहुत सी सावधानियो रखनी होती है। ब्रह्मचर्य में हमको अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना होता है अगर गलती से भी किसी स्त्री को कामुक दृष्टि से देखा जाए तो भी ब्रह्मचर्य टूट जाता है। ब्रह्मचर्य में प्रतिदिन ब्रह्मा मूहर्त में उठना अनिवार्य है अन्यथा आप एक ब्रह्मचारी नहीं रह पाएंगे। प्रतिदिन व्यायाम करना होगा और “कभी काम आए तो उस से भागो क्योंकि काम से बचने का और कोई रास्ता नही है” ऐसा हमारे प्रेमानंद महाराज जी कहते है वह कहते है की एक बार कोई ऋषि थे उन्होंने स्वप्न देखा की वह कहीं जा रहे थे और रास्ते में उन्हे एक सुंदर स्त्री दिखी तब स्त्री का सौंदर्य देख वह भागे और इतना भागे की वह स्वप्न से उठ गए। इसलिए कभी काम भावना आई तो उस से भागो उस से बचो।आपको सदेव चेतन व अवचेतन मन में काम से बचना है क्योंकि मन एक ऐसी चीज है जो इंसान से कुछ भी करवा सकती है।

    जय श्री राम🚩

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  5. Asked: January 7, 2025In: चुनौतियाँ और समाधान

    आप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास और प्राणायाम करते हैं?, और कितनी देर करते हैं?

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 7, 2025 at 2:43 pm

    नव वर्ष के साथ ही मैंने ब्रह्मचर्य की शुरुआत की है। उस से पहले योगाभ्यास व व्यायाम मैं बहुत कम करता था लेकिन अभी मैं कम से कम 40 से 50 मिनिट तक योगाभ्यास तो करता ही हूं और प्रतिदिन इस समय में विस्तार होते जा रहा है। इसमें मैं निमनलीखित अभ्यास करता हूं: 40 से 50 दंड 40 से 50 उठक बैठक अनुलोम—विलोम डंबRead more

    नव वर्ष के साथ ही मैंने ब्रह्मचर्य की शुरुआत की है। उस से पहले योगाभ्यास व व्यायाम मैं बहुत कम करता था लेकिन अभी मैं कम से कम 40 से 50 मिनिट तक योगाभ्यास तो करता ही हूं और प्रतिदिन इस समय में विस्तार होते जा रहा है। इसमें मैं निमनलीखित अभ्यास करता हूं:

    40 से 50 दंड

    40 से 50 उठक बैठक

    अनुलोम—विलोम

    डंबल के 30—30 के दो सेट

    कपालभाति

    और बाकी सात दिन के शेड्यूल के अनुसार

    जय श्री राम🚩

    अनूप

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  6. Asked: January 6, 2025In: ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिकता

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, समझाइये।।

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 6, 2025 at 3:17 pm

    आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए ब्रह्मचर्य एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिक रास्ते पर चलने से इंसान की आत्मा को शांति, आनंद, प्रेम, ज्ञान, शक्ति और तेज की प्राप्ति होती है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से आध्यात्मिक ऊर्जा में भी बदलाव होता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से अध्यात्म में और आRead more

    आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए ब्रह्मचर्य एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ब्रह्मचर्य और आध्यात्मिक रास्ते पर चलने से इंसान की आत्मा को शांति, आनंद, प्रेम, ज्ञान, शक्ति और तेज की प्राप्ति होती है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से आध्यात्मिक ऊर्जा में भी बदलाव होता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से अध्यात्म में और आनंद और मन लगने लगता है। ब्रह्मचर्य से इंद्रियों को नियंत्रित करना और अस्थाई सुखों की इच्छाओं को त्यागने की हिम्मत मिलती है

    अध्यात्म में ऊर्जा बहुत महत्व है और आध्यात्मिक रूप से ब्रह्मचर्य का अर्थ ऊर्जा का सही उपयोग होता है। अध्यात्म में ब्रह्मचर्य एक महत्वपूर्ण नियम है जो व्यक्ति को उसकी ऊर्जा सही दिशा में प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

    जय श्री राम🚩

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  7. Asked: January 3, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

    ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो फैप ही ब्रह्मचर्य है?, अगर नहीं तो किस प्रकार अलग है?, बताइये।।

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 3, 2025 at 3:04 pm

    नोफैप का अर्थ होता है सिर्फ हस्थमैथुन और सेक्स को रोकना। इसमें स्वप्नदोष को सामान्य माना जाता है एवं उसमे हम पराई इस्त्री को कामुक दृष्टि से देख सकते है। इसमें संयम आदि की ज्यादी महत्वता नही होती। नोफैप एक व्यर्थ की चीज है। वहीं दूसरी तरफ ब्रह्मचर्य जो काफी पवित्र है इसमें पूर्ण संयम के साथ स्त्री कRead more

    नोफैप का अर्थ होता है सिर्फ हस्थमैथुन और सेक्स को रोकना। इसमें स्वप्नदोष को सामान्य माना जाता है एवं उसमे हम पराई इस्त्री को कामुक दृष्टि से देख सकते है। इसमें संयम आदि की ज्यादी महत्वता नही होती। नोफैप एक व्यर्थ की चीज है।

    वहीं दूसरी तरफ ब्रह्मचर्य जो काफी पवित्र है इसमें पूर्ण संयम के साथ स्त्री को कामुक दृष्टि से बिलकुल नहीं देखा जाता अगर देख लिया तो ब्रह्मचर्य टूट जाता है। इसमें वीर्य रक्षा की जाती है। वह अगर इसमें स्वप्नदोष हो जाए तो भी ब्रह्मचर्य टूट जाता है (ऐसा इसलिए क्योंकि स्वपन में भी आपको अपने मन पर नियंत्रण रखना होता है)।

    नोफैप और ब्रह्मचर्य एक दूसरे से बहुत अलग है। नोफैप विदेश से भारत में आया है और ब्रह्मचर्य का उद्गम सनातन धर्म से हुआ है। ब्रह्मचर्य विद्यार्थियों के लिए तो अनिवार्य ही है और सनातन धर्म में ब्रह्मचर्य का 25 वर्ष तक पालन करना होता है। इसलिए नोफैप और ब्रह्मचर्य एक दूसरे से पूर्णता भिन्न है।

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  8. Asked: January 2, 2025In: ब्रह्मचर्य का परिचय

    ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है,कैसे ?,एक्सप्लेन करिये?

    Anoop
    Anoop Vidyarthi (Scholar)
    Added an answer on January 2, 2025 at 2:37 pm

    यह कहना बिलकुल सही होगा की ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है क्योंकि ब्रह्मचर्य व्यक्ति को लक्ष्य तक पहुंचने के लिए शांत, दृढ़ एवं शक्तिशाली बनाता है। ब्रह्मचर्य में मुख्यता व्यक्ति को वीर्य रक्षा करनी होती है व सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए व अच्छी विद्या ग्रहण करनी चाहिए और पराई स्त्री को माताRead more

    यह कहना बिलकुल सही होगा की ब्रह्मचर्य जीवन जीने की एक पद्धति है क्योंकि ब्रह्मचर्य व्यक्ति को लक्ष्य तक पहुंचने के लिए शांत, दृढ़ एवं शक्तिशाली बनाता है। ब्रह्मचर्य में मुख्यता व्यक्ति को वीर्य रक्षा करनी होती है व सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए व अच्छी विद्या ग्रहण करनी चाहिए और पराई स्त्री को माता व बहन के नजरिए से देखना चाहिए।

    अच्छा ब्रह्मचर्य पालन करने के लिए हमे अच्छे आचरण में रहना चाहिए क्योंकि संगत मनुष्य पे बहुत असर करती है। अच्छी संगत अच्छे विचार और बुरी संगत बुरे विचार। आपने यह तो सुना ही होगा “जैसा संग वैसा रंग” इसलिए अच्छा ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए हमे अच्छे आचरण में रहना चाहिए।

    जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करता उनका जीवन एक मुर्दे के समान है क्योंकि उन्हे किसी चीज से परवाह नहीं पड़ती उन्हे केवल वीर्यनाश करने में आनंद मिलता है उन्हें क्या पता की ब्रह्मचर्य में कितना आनंद है।

    अच्छा जीवन जीने के लिए ब्रह्मचर्य भगवान के द्वारा दिया गया उपहार है। ब्रह्मचर्य गिरते हुए व्यक्ति को वापिस चलना सीखा देता है। इसका पालन करने से शरीर शक्तिशाली होने लगता है, चेहरे पे चमक आने लगती है, खाया पिया शरीर को लगने लगता है, बुरी से बुरी परिस्थितियों में डटे रहने का सामर्थ्य मिलता है, ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला व्यक्ति कुसंगत छोड़ कर अध्यात्म के रास्ते पर चल पड़ता है तो यह कहना बिलकुल सही है की ब्रह्मचर्य जीवन जीने की पद्धति है।

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  • Vishnu Gupta

    आप ब्रह्मचर्य रहने के लिए सुबह कौन कौन से योगाभ्यास ...

    • 12 Answers
  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य और अध्यात्म किस प्रकार एक दूसरे से सम्बन्धित हैं?, ...

    • 10 Answers
  • Vishnu Gupta

    ब्रह्मचर्य नो फैप से किस प्रकार अलग है?, क्या नो ...

    • 9 Answers
  • Ranjan Ghosh
    Ranjan Ghosh added an answer Adhyatma aur naam jap ke Bina Brahmacharya sambhar nahin hain...Aaj… April 29, 2025 at 11:59 am
  • Santos kumar
    Santos kumar added an answer Bro bahut hi galat hai isko aasani se khatm kar… February 5, 2025 at 2:41 am
  • JeetBhakat
    JeetBhakat added an answer भागवत गीता के दूसरे अध्याय से हमें ये सीख मिलती… January 14, 2025 at 3:24 pm

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